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Sunday, January 16, 2011

Fwd: [Right to Education] जयपुर. आरटीई एक्ट की ओर से नर्सरी क्लास में...



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From: Priya Singh <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/1/15
Subject: [Right to Education] जयपुर. आरटीई एक्ट की ओर से नर्सरी क्लास में...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


जयपुर.  आरटीई एक्ट की ओर से नर्सरी क्लास में एडमिशन के लिए गाइडलाइन जारी होने के बाद स्कूलों में एक समान पैरामीटर नहीं बन पाए हैं।  शहर के ज्यादातर स्कूल अपनी सुविधा से पैरामीटर तय करके एडमिशन दे रहे हैं। वहीं, कुछ स्कूलों में पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर एडमिशन दिए जा रहे हैं। समान पैरामीटर नहीं होने से पेरेंट्स असमंजस में हैं हालांकि, नियमों के अनुसार स्कूल बच्चों और पेरेंट्स का टेस्ट तो नहीं ले रहे, लेकिन उनके एजुकेशन स्टैंडर्ड को अहमियत दी जा रही है। एजुकेशनल लेवल को ध्यान में रखते हुए मार्क्‍स दिए जा रहे हैं। इसके अलावा पेरेंट्स बच्चे को लेकर कितने अटेंटिव है। इसे भी नोटिस किया जा रहा है। वहीं, बच्चे के कॉन्फिडेंस लेवल साथ उसकी क्रिएटिविटी भी चैक की जा रही है।  बच्चा फिजिकली और मेंटली कितना एक्टिव है इसे भी ज्यादातर स्कूल अपनी मार्क्‍स लिस्ट में शामिल कर रहे हैं। पेरेंट्स जिस स्कूल में एडमिशन दिलाना चाहते हैं, उसमें बच्चे के भाई-बहिन नहीं पढ़ते तो उनके लिए एडमिशन दिलाना मुश्किल हो सकता है। जिन स्कूलों में पहले 'आओ पहले पाओ' के आधार पर एडमिशन दिया जा रहा है उनमें पेरेंट्स के लिए एडमिशन करवाना आसान है तो मुश्किल भी, क्योंकि थोड़ी सी देर होने पर एडमिशन लेने से चूक सकते हैं।  पहले आओ पहले पाओ पर एडमिशन: आरटीई एक्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर एडमिशन दिए जा रहे हैं। डीपीएस में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र तीन साल होना जरूरी है। स्कूल के आस-पास रहने वाले बच्चे को भी प्रायोरिटी दी जा रही है। नर्सरी में दो सेक्शन में करीब 80 सीट हैं। ज्ञान विहार स्कूल के प्रिंसिपल एके पांडेय ने बताया कि चालीस सीट थीं। इसके लिए कोई इंट्रैक्शन या बच्चे का टेस्ट नहीं लिया। जो पहले आया उसे एडमिशन दे दिया। सीटें फुल हो चुकी हैं। एडमिशन बंद हो चुके हैं।  फर्स्ट क्लास में एडमिशन लेने के लिए पेरेंट्स का इंटरव्यू लिया जा रहा है। सिबलिंग के साथ-साथ स्कूल से पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। टैगोर एनआरआई स्कूल की प्रिंसिपल कनक खन्ना ने बताया कि नर्सरी के लिए सौ सीट हैं। रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद फॉर्म देना बंद कर देंगे। पेरेंट्स की क्वालिफिकेशन को मद्देनजर रखते हुए दस, छह और चार नंबर दिए जा रहे हैं। कोर्ट के रूल के मुताबिक सिबलिंग, एल्यूमिनाई, सिंगल पेरेंट और गर्ल चाइल्ड को वरीयता दी गई है। विद्याश्रम की वाइस प्रिंसिपल ललित वोहरा ने बताया कि इन सभी पैरामीटर की स्केलिंग करके बालबाड़ी में एडमिशन दिया जा रहा है।  एडोप्टेड गर्ल चाइल्ड को सौ फीसदी एडमिशन: सभी पेरेंट्स के लिए एक समान पैरामीटर है। जिन्होंने गर्ल चाइल्ड को अडोप्ट किया हुआ है, उन्हें सौ फीसदी एडमिशन मिलेगा। कैम्ब्रिज स्कूल की प्रिंसिपल लता रावत ने बताया कि एडमिशन के लिए बनाए गए हर पैरामीटर के दस नंबर तय किए हुए हैं। कुल नंबर के आधार पर एडमिशन मिलेंगे। इनमें सोशल सर्विस, डिफेंस, जम्मू-कश्मीर से जयपुर में सैटल हुए, सिबलिंग, स्कूल से पांच से सात किलोमीटर के दायरे में रहते हों। इन सभी पैरामीटर के दस-दस नंबर तय किए हुए हैं। वहीं, स्मोकिंग को शामिल किया गया है। स्मोक करने वाले पेरेंट्स के मार्क्‍स काटे जाएंगे। स्मोक नहीं करने वाले पेरेंट्स को पूरे मार्क्‍स दिए जाएंगे। http://www.facebook.com/l.php?u=http%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Farticle%2Fraj-jai-not-same-parameters-for-admission-in-school-1756054.html&h=79789
Priya Singh 2:02am Jan 15
जयपुर. आरटीई एक्ट की ओर से नर्सरी क्लास में एडमिशन के लिए गाइडलाइन जारी होने के बाद स्कूलों में एक समान पैरामीटर नहीं बन पाए हैं।

शहर के ज्यादातर स्कूल अपनी सुविधा से पैरामीटर तय करके एडमिशन दे रहे हैं। वहीं, कुछ स्कूलों में पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर एडमिशन दिए जा रहे हैं। समान पैरामीटर नहीं होने से पेरेंट्स असमंजस में हैं हालांकि, नियमों के अनुसार स्कूल बच्चों और पेरेंट्स का टेस्ट तो नहीं ले रहे, लेकिन उनके एजुकेशन स्टैंडर्ड को अहमियत दी जा रही है। एजुकेशनल लेवल को ध्यान में रखते हुए मार्क्‍स दिए जा रहे हैं। इसके अलावा पेरेंट्स बच्चे को लेकर कितने अटेंटिव है। इसे भी नोटिस किया जा रहा है। वहीं, बच्चे के कॉन्फिडेंस लेवल साथ उसकी क्रिएटिविटी भी चैक की जा रही है।

बच्चा फिजिकली और मेंटली कितना एक्टिव है इसे भी ज्यादातर स्कूल अपनी मार्क्‍स लिस्ट में शामिल कर रहे हैं। पेरेंट्स जिस स्कूल में एडमिशन दिलाना चाहते हैं, उसमें बच्चे के भाई-बहिन नहीं पढ़ते तो उनके लिए एडमिशन दिलाना मुश्किल हो सकता है। जिन स्कूलों में पहले 'आओ पहले पाओ' के आधार पर एडमिशन दिया जा रहा है उनमें पेरेंट्स के लिए एडमिशन करवाना आसान है तो मुश्किल भी, क्योंकि थोड़ी सी देर होने पर एडमिशन लेने से चूक सकते हैं।

पहले आओ पहले पाओ पर एडमिशन: आरटीई एक्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर एडमिशन दिए जा रहे हैं। डीपीएस में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र तीन साल होना जरूरी है। स्कूल के आस-पास रहने वाले बच्चे को भी प्रायोरिटी दी जा रही है। नर्सरी में दो सेक्शन में करीब 80 सीट हैं। ज्ञान विहार स्कूल के प्रिंसिपल एके पांडेय ने बताया कि चालीस सीट थीं। इसके लिए कोई इंट्रैक्शन या बच्चे का टेस्ट नहीं लिया। जो पहले आया उसे एडमिशन दे दिया। सीटें फुल हो चुकी हैं। एडमिशन बंद हो चुके हैं।

फर्स्ट क्लास में एडमिशन लेने के लिए पेरेंट्स का इंटरव्यू लिया जा रहा है। सिबलिंग के साथ-साथ स्कूल से पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। टैगोर एनआरआई स्कूल की प्रिंसिपल कनक खन्ना ने बताया कि नर्सरी के लिए सौ सीट हैं। रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद फॉर्म देना बंद कर देंगे। पेरेंट्स की क्वालिफिकेशन को मद्देनजर रखते हुए दस, छह और चार नंबर दिए जा रहे हैं। कोर्ट के रूल के मुताबिक सिबलिंग, एल्यूमिनाई, सिंगल पेरेंट और गर्ल चाइल्ड को वरीयता दी गई है। विद्याश्रम की वाइस प्रिंसिपल ललित वोहरा ने बताया कि इन सभी पैरामीटर की स्केलिंग करके बालबाड़ी में एडमिशन दिया जा रहा है।

एडोप्टेड गर्ल चाइल्ड को सौ फीसदी एडमिशन: सभी पेरेंट्स के लिए एक समान पैरामीटर है। जिन्होंने गर्ल चाइल्ड को अडोप्ट किया हुआ है, उन्हें सौ फीसदी एडमिशन मिलेगा। कैम्ब्रिज स्कूल की प्रिंसिपल लता रावत ने बताया कि एडमिशन के लिए बनाए गए हर पैरामीटर के दस नंबर तय किए हुए हैं। कुल नंबर के आधार पर एडमिशन मिलेंगे। इनमें सोशल सर्विस, डिफेंस, जम्मू-कश्मीर से जयपुर में सैटल हुए, सिबलिंग, स्कूल से पांच से सात किलोमीटर के दायरे में रहते हों। इन सभी पैरामीटर के दस-दस नंबर तय किए हुए हैं। वहीं, स्मोकिंग को शामिल किया गया है। स्मोक करने वाले पेरेंट्स के मार्क्‍स काटे जाएंगे। स्मोक नहीं करने वाले पेरेंट्स को पूरे मार्क्‍स दिए जाएंगे। http://www.facebook.com/l.php?u=http%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Farticle%2Fraj-jai-not-same-parameters-for-admission-in-school-1756054.html&h=79789

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Palash Biswas
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