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Tuesday, November 15, 2011

Fwd: [Social Equality] "भारत मे फिर रामराज्य स्थापित हुवा तो..?!!"



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From: Vijay Chauhan <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/11/15
Subject: [Social Equality] "भारत मे फिर रामराज्य स्थापित हुवा तो..?!!"
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


"भारत मे फिर रामराज्य स्थापित हुवा तो..?!!" by...
Vijay Chauhan 11:38pm Nov 15
"भारत मे फिर रामराज्य स्थापित हुवा तो..?!!"
by @Vijay Chauhan on Saturday, 13 February 2010 at 00:18

आजकल बहुत लोग भारत मे रामराज्य स्थापित हो ऐसी अपेक्षा रखते हुए नजर आते है. सचमुच रामराज्य मे ऐसी कौन सी विशेषताए थी की, जिसके कारण आज भी लोकराज्य के बदले कुछ लोग रामराज्य की अपेक्षा रखते है. श्रीराम के प्रति आदरभाव रखनेवाले ऐसे लोगो से जब पुछा जाता है, तब पता चलता है की, ज्यादातर ऐसे रामभक्तो ने तो रामायण पढी हि नहि होती..!! राम और रामायण के प्रति रामभक्तो की ऐसी अज्ञानता रूपी उदासीनता को देखकर दु:खद आश्चर्य होता है..

ऐसे रामभक्तो के पास जो भी कुछ प्राथमिक माहिती होती है, वह भी कोइ कथाकार द्वारा कही गई रामकथा से ही प्राप्त की गई होती है. विद्वानो के मंतव्यो के अनुसार विश्व मे करीब दो हजार प्रकार की रामायण है. जिनमे से महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण को सबसे पुरानी मानी जाती है. किंतु भारत मे आज कथाकारो ऐसी प्राचीन और मुख्य मानी जानेवाली महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण की कथा क्यों नहि करते..?!! वर्तमान समय मे ज्यादातर रामकथाकार तुलसीदास द्वारा रचित 'रामचरित मानस' की ही कथा क्यों कर रहे है..?!! महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण की कथा न करनेवाले ऐसे कथाकारो को श्रीराम और रामभक्तो के द्रोहि कहा जा शकता है या नहि..?!!

आज भारत मे रामराज्य प्रस्थापित होता है, तो कैसा परिवर्तन आ शकता है..?!! इसका उत्तर तो हमे श्रीराम के द्वारा की गई शुद्र शंबूक की हत्या के प्रसंग से ही प्राप्त हो शकता है. धर्मशास्त्रों मे चार युगो का वर्णन है,- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग.. ऐसे धर्मशास्त्रो के अनुसार श्रीराम तो त्रेतायुग मे हो गए थे. त्रेतायुग मे तो केवल ब्राह्मणो को और क्षत्रियो को ही तप या भक्ति करने का अधिकार था. जबकी वैश्य, शुद्र और वर्णबाह्य गिने जाने वाले लोगो को तो ऐसा धार्मिक अधिकार था ही नहि..!! मनुस्मृति नामक धर्मग्रंथ मे तो केवल जनोइ पहननेवाले को ही द्विज याने की सवर्ण बताया गया है..!!

त्रेतायुग की ऐसी कट्टर जातिवादी प्रणालि का पालन शुद्र शंबूक ने न किया. इसलिये राजगुरु वशिष्ठ के आदेश से श्रीराम ने शुद्र शंबूक की हत्या की थी. अब सोचो की भारत मे यदी फिर से रामराज्य स्थापित होता है तो, धार्मिक, राजकिय, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रो के उपर बिराजमान शुद्र शंबूक के वर्तमान वारसदार सलामत रह शकेंगे सही..?!!

इस विषय मे जातिवाद (ब्राह्मणवाद) के अविभाज्य घटको - 'शुद्रो-अतिशुद्रो के साथ साथ वैश्य, क्षत्रिय और महिलाओ' को भी गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिये..!!

अरे, खुदको मनुष्य समजनेवाले सभी लोगो को सोचना ही चाहिये...!!!

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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