Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, August 22, 2015

. ABVP का महादेवी काव्य-गोष्ठी..

........... ABVP का महादेवी काव्य-गोष्ठी....
22 hrs · 
 
कल समता भवन से गुजर रहा था, काव्य-गोष्ठी चल रही थी. सहृदय तो मैं हूँ नहीं पर कविता की धुन मुझे खींच ही लेती है. भरा पूरा प्रांगण,मंच पर सुसज्जित लोग विराजमान. वे कवि थे या नहीं, कह नहीं सकता पर थे बहुत सुसज्जित. किसी चीज की कमी थी तो बस एक शिवलिंग की. कितना अच्छा होता भोले बाबा पर एक लोटा गंगाजल चढ़ाकर काव्य-पाठ की शुरुआत होती. वगैर उनके सिर्फ हर-हर महादेव का नारा तो फीका लगेगा ही. ये अलग बात है कि कविताओं की पंक्तियाँ विचारों से लैश थी... एक दो पंक्ति ही सुन पाया.... ''रत्ती भर बीवी के लिए, माँ-बाप को बाहर कर कर दिया'' माँ-बाप के प्रति कवि की चिंता चरम पर है, हाँ बीवी को कवि रत्ती भर ही मानते हैं। खैर यह मुद्दा तो स्त्री-अध्ययन के छात्रों के लिए शोध का विषय हो सकता है..... कुल मिलाकर शिव-लिंग और शंख-नाद के अभाव को छोड़ दिया जाये तो कहा जा सकता है कि--- इस समाज में कविताओं की एक नयी परंपरा को स्थापित किया गया जिसका श्रेय abvp को जाता है.... एक गोष्ठी में ही रामचन्द्र शुक्ल जी की---'कविता क्या है' से लेकर निराला और मुक्तिबोध की परंपरा को ख़ारिज कर देने वाली इस संस्था ने वाकई जबर्दस्त कार्य किया है...... शायद यही कारण रहा होगा कि इसी विश्वविद्यालय के स्थापित कवियित्रियों ने ख़ुद को इस संगोष्ठी में भाग लेने के लायक नहीं समझा.....

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors