हम साहित्यकार अनंतमूर्ति को हिन्दुत्ववादी गिरोहों की ओर से दी जा रही धमकियों की कठोरतम शब्दों में निन्दा करते हैं । हिन्दुत्ववादी फासिस्टों से यही अपेक्षा थी। ''अच्छे दिनों'' का आगाज हो चुका है। सत्ता में बैठकर मोदी नवउदारवाद की नीतियों का 'रोडरोलर' चलायेंगे, खुशहाल जनों के लिए ''चमकदार भारत'' बनायेंगे, मेहनतकशों को समृद्धि के ''स्वर्ग'' के अँधेरे,सीलन भरे तलघर में रहने की जगह देने की ''कृपा'' करेंगे, और दूसरी ओर, सड़कों पर फासिस्ट गुण्डों के गिरोह उत्पात मचायेंगे। धार्मिक अल्पसंख्यक और सेक्युलर लोकतांत्रिक लोग उनके निशाने पर होंगे। अनंत मूर्ति को धमकी की घटना मात्र एक शुरुआत है। मोदी की अभ्यर्थना में साष्टांग मीडिया ऐसी घटनाओं का 'टोटल ब्लैकआउट' करेगा। यह समय है कि जनवादी अधिकार आंदोलन को व्यापक स्तर पर संगठित करने के लिए सभी सेक्युलर, लोकतांत्रिक बुद्धिजीवी, लेखक, कवि, कलाकार, मीडियाकर्मी आगे आये। जिनकी बात ज्यादा लोग सुनें, उन्हें आगे बढ़कर पहल लेनी चाहिए। हम तैयार हैं। आपातकाल के दौरार जिन बुद्धिजीवियों ने केंचुआ धर्म निभाया था, उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता, न ही माफ किया जा सकता है, और जिन बुद्धिजीवियों ने साहस के साथ सच्चाई की आवाज उठाई थी और कीमत चुकाई थी, वे हमेशा सम्मान्य और अविस्मरणीय बने रहेंगे।
by
Kavita Krishnapallavi
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