Saturday, June 28, 2014

गरम रोला के मज़दूरों की जीत के मायने क्‍या हैं ?

गरम रोला के मज़दूरों की जीत के मायने क्‍या हैं ?
ज्ञात हो कि गरम रोला के मज़दूरों ने 22 दिन की जुझारू हड़ताल के बाद आज सभी मालिकों को घुटने टेकने पर मज़बूर कर दिया। आजकल के इस अंधेरगर्दी के समय में ज्‍यादातर मालिक तो समझौते की टेबल पर ही नहीं आते और कुछेक मामलों में आ भी जायें तो मालिक और मज़दूरों के बीच एक समझौता होता है पर अक्‍सर वो वेतन वृद्धि या ऐसे ही कुछ तात्‍कालिक मसलों पर ही हो पाता है। वैसे वो भी एक उपलब्धि होती है पर ज्‍यादातर हड़तालों में मालिक संवैधानिक व कानुन प्रदत्‍त अधिकारों को लागु करने पर सहमत नहीं होते या ऐसा कोई लिखित आश्‍वासन नहीं देते। उदाहरण के लिए हमारे ही मज़दूर भाई श्रीराम पिस्‍टन में पिछले 73 दिन से लड़ रहे हैं पर मालिक अभी तक समझौते के लिए राजी नहीं हुआ है। मारूति मज़दूरो के आन्‍दोलन से भी हम सब परिचित ही हैं जहां प्रबन्‍धन ने मज़दूरों का बर्बर दमन कर, उन पर हत्‍या का झूठा आरोप लगा जेल भेज दिया। 
गरम रोला मज़दूरों के साथ श्रम विभाग में हुए इस समझौते में जहां मालिकों ने सभी संविधान सम्‍मत मांगे लागु करने पर हस्‍ताक्षर किये वहीं श्रम विभाग के अधिकारियों ने ये कहा कि वो वेतन वितरण के दिन कारखानों में अपना एक अधिकारी भेजेंगे ताकि इस समझौते की शर्तों को लागु करवाया जा सके। बीच बीच में वो आकस्मिक निरीक्षण भी करेंगे। निश्चित रूप से ये बात तय है कि समझौता होते ही सारी मांगे मालिक अपने आप लागु नहीं कर देंगे, उसके लिए बीच बीच में मज़दूरों को उन पर दवाब बनाना ही पड़ेगा पर मालिकों को समझौते की टेबल पर लाकर उनको संविधान प्रदत्‍त सारे वायदों पर हस्‍ताक्षर के लिए मज़बूर करना भी अन्‍धेरे के इस दौर में मज़दूर आन्‍दोलन के लिए एक ऐतिहासिक कदम है

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