फिल्म आनंद के आनंद के चिंता के दायरे में उसके निकट के मित्र थे,जिन्हें अपने दुःख की छाया से मुक्त रखने के लिए ,वह ठहाके लगाते रहता था.उसका निकट आती मौत की उपेक्षा कर आने वाले छः महीनों में लाखों पलों को ठहाके लगाते रहने के पीछे का जीवन –दर्शन सभी को स्पर्श किया.किन्त अनुराधा निकट आती मौत की उपेक्षा कर महज हंसते-खेलते जीवन जीने के किरदार का नाम नहीं है.उन्होंने सामाजिक सरोकार के समक्ष कैंसर को बौना बनाये रखा.इसलिए चाहे आनंद हो या कैंसर को मात देने के लिए अपना स्तन विसर्जित करने वाली अनंत रूपराशि की स्वामिनी एन्जिलेना जोली,अनुराधा जी का कैंसर विरोधी संग्रामी-चरित्र इनसे बहुत ऊपर था.मेरे ख्याल से उनके चरित्र में कैंसर पीड़ितों को प्रेरित करने के लायक इतना अपार मैटेरियल रहा कि उन पर एक विश्व स्तरीय फिल्म बन सकती है. हाल के दिनों में कई सफल लोग दुनिया छोड़े,किन्तु अनुराधा जी का जाना लोगों के मर्म को जितना स्पर्श किया,वह कुछ हद तक यूनिक है.
Thursday, June 26, 2014
H L Dusadh Dusadh अनुराधा जी के जीवन पर बन सकती है कोई विश्व-स्तरीय फिल्म.
फिल्म आनंद के आनंद के चिंता के दायरे में उसके निकट के मित्र थे,जिन्हें अपने दुःख की छाया से मुक्त रखने के लिए ,वह ठहाके लगाते रहता था.उसका निकट आती मौत की उपेक्षा कर आने वाले छः महीनों में लाखों पलों को ठहाके लगाते रहने के पीछे का जीवन –दर्शन सभी को स्पर्श किया.किन्त अनुराधा निकट आती मौत की उपेक्षा कर महज हंसते-खेलते जीवन जीने के किरदार का नाम नहीं है.उन्होंने सामाजिक सरोकार के समक्ष कैंसर को बौना बनाये रखा.इसलिए चाहे आनंद हो या कैंसर को मात देने के लिए अपना स्तन विसर्जित करने वाली अनंत रूपराशि की स्वामिनी एन्जिलेना जोली,अनुराधा जी का कैंसर विरोधी संग्रामी-चरित्र इनसे बहुत ऊपर था.मेरे ख्याल से उनके चरित्र में कैंसर पीड़ितों को प्रेरित करने के लायक इतना अपार मैटेरियल रहा कि उन पर एक विश्व स्तरीय फिल्म बन सकती है. हाल के दिनों में कई सफल लोग दुनिया छोड़े,किन्तु अनुराधा जी का जाना लोगों के मर्म को जितना स्पर्श किया,वह कुछ हद तक यूनिक है.
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