Tuesday, December 14, 2021

हर पल साबित करना अनिवार्य है कि हम मरे नहीं हैं

 लोग मुझसे पूछते हैं कि अब भी दिन रात काम क्यों करते हैं? 





मेरा जवाब- ज़िंदा हूँ, हर पल यह साबित करना जरूरी है। जरूरी ही नहीं,अनिवार्य,अपरिहार्य है,इसलिए।


मुर्दा शरीर और दिलोदिमाग के साथ जीना कोई जीना हुआ?


आप भी यह नुस्खा आजमाकर देखें तो मौत से डर नहीं लगेगा। स्वस्थ और सकुशल रहेंगे।हम पिछले दो साल से जब भी मौका मिला, अपने लोगों से मिलने के लिए तराई,भाबर और पहाड़ दौड़ते रहे हैं।


सिर्फ राजधानियों की हवा हवाई उड़ान स्थगित है लेकिन खेतों में फिर बचपन की तरह दौड़ रहा हूँ।


इस प्रकृति के रूप रस गन्ध को हर पल पांचों इंद्रियों से महसूस कर रहा हूँ।


27 साल से मधुमेह है।आय का कोई स्रोत नहीं है।क्या फर्क पड़ता है। मुश्किलों से ज़िन्दगी मजेदार बनती है।


शतुरमुर्ग की तरह रेत में सर गड़ाकर जिंदा रहने का कोई मतलब है? हम बचपन से चाहता था कि जो भी हो,मुझे अमीर और वातानुकूलित नहीं बनना।ताकि खुली हवा मिलती रहे हमेशा। चाहता रहा कि मशहूर नहीं बनना ताकि अपनी आजादी भल रहे। अपनी मर्जी से जी सके।


अकेले सफर का भी कोई मजा नहीं है।


साथी ,हाथ बढ़ाइए।


हम सभी हमसफ़र है और इस सफर में सिर्फ पल दो पल का साथ है। स्टेशन आ जाये तो उतर जाना।बेशक पीछे मुड़कर मत देखना।


कभी कभी ऐसा भी होता है कि हम आपके साथ मिलना चाहते हैं,लेकिन मिल नहीं सकते। कहीं जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं सकते।जैसे घर लौटकर अभीतक नैनीताल जाना नहीं हो सका।


फिर डीएसबी कैम्पस में बेफिक्र घूमना न हो सका।


हिमपात के मध्य मालरोड पर दोस्तों के साथ रात भर टहल नहीं सकता और न शिखरों को फिर स्पर्श कर सकता हूँ ।


युद्ध का नियम अनुशासन है।आप जिस मोर्चे पर हों,कयामत आ जाये,आप वह जमे रहे। युद्ध में हीरोगिरी की गुंजाइश नहीं होती।युद्ध हीरो बनाता है।


फिलहाल दिनेशपुर मेरा मोर्चा है।


ज़िन्दगी बहती हुई नदी है। इसे बांधिए नहीं,नदी मर जाएगी। किसीको पता भी नहीं चलेगा।


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