अदम गोंडवी : दो गज़लें
जुलाई 9, 2008 Aflatoon अफ़लातून द्वारा
एक
ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे
जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई
मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे ?
जो अक्स उभरता है रसख़ान की नज्मों में
क्या कृष्ण की वो मोहक तस्वीर बदल दोगे ?
तारीख़ बताती है तुम भी तो लुटेरे हो
क्या द्रविड़ों से छीनी जागीर बदल दोगे ?
दो
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये
हममें कोई हूण , कोई शक , कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात , अब उस बात को मत छेड़िये
ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं ; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये
हैं कहाँ हिटलर , हलाकू , जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब ,क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये
छेड़िये इक जंग , मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त , मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
- अदम गोंडवी .
'काजू भुनी प्लेट में व्हिकी भरी गिलास में, उतार है रामराज विधायक निवास में।' पंक्तियों को लिखने वाले जनकवि व शायर अदम गोंडवी उर्फ रामनाथ सिंह की हालत में थोड़ा सुधार हो रहा है। अदम को लीवर में गंभीर समस्या की शिकायत के बाद लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया है।
उन्हें रविवार को पेट में तेज दर्द के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गोंडवी के भतीजे दिलीप सिंह ने गुरुवार को बताया उनकी हालत पहले से तो थोड़ी ठीक है लेकिन अभी भी चिंताजनक बनी हुई है, डाक्टर उनकी देखरेख कर रहा है। उप्र के गोंडा जिले के आटा परसपुर गांव के गोंडवी लीवर की खराबी से पिछले तीन महीने से वह बीमार हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपना इलाज नहीं करवा पा रहे थे।
अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी सहायता के लिए तमाम लोगों ने हाथ बढ़ाया है। सबसे पहले सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने अस्पताल में भर्ती कराने में और आर्थिक मदद की। इसके बाद बिजली विभाग के अभियंता एपी मिश्रा ने कर्ज में डूबे परिवार को पचास हजार रुपये की आर्थिक मदद की। सभी उनकी लंबी आयु की कामना की।
व्यवस्था के खिलाफ अपनी रचना के माध्यम से देश भर के कोने-कोने में डंका बजा चुके जनवादी कवि एवं प्र यात शायर राम नाथ सिंह 'अदम गोण्डवी' का गांव भी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराएगा। इसकी पहल जिला प्रशासन ने की है। डीएम राम बहादुर ने अदम की रचना की मात्र एक पंक्ति से प्रभावित होकर इस गांव को विकास के लिए गोद लिया है तथा इसे निर्मल ग्राम का दर्जा दिलाने के लिए जिले भर के तमाम अधिकारियों को पूरी मुस्तैदी से जुट जाने का निर्देश दिया है। 14 दिस बर को गांव में तमाम विकास योजनाओं का श्रीगणोश होगा।
दुष्यंत कुमार पुरस्कार से स मानित जनवादी अदम गोण्डवी इन दिनों बीमार चल रहे है। उनका इलाज मण्डल मु यालय के एक नसिर्ंग होम में चल रहा है। पिछले दिनों उनका हालचाल जानने नसिरंग होम पहुंचे डीएम को अदम गोण्डवी ने अपने गांव की समस्याओं के बारे में जानकारी दी थी। उन्होने करीब चार दशक पूर्व अपने गांव की पीड़ा ब्यक्त करते हुए लिखा था: 'फटे कपड़ों में तन ढाके, गुजरता हो जिधर कोई। समझ लेना वो पगडण्डी अदम के गांव जाती है।'
अदम ने बताया था कि उनके गांव को जाने वाला रास्ता आजादी के 64 साल बाद भी जस का तस है। डीएम ने इसे गंभीरता से लिया और न केवल रास्ते बल्कि ग्राम पंचायत विकास के लिए जिले भर के अधिकारियों को तलब करके कार्ययोजना तैयार करवाई। विभिन्न विभागों द्वारा गांव के विकास के लिए 65 लाख रुपए का प्रबंध किया गया है। इसके अलावा मनरेगा से भी आवश्यकतानुसार पैसा खर्च किया जाएगा।
डीएम का कहना है कि अदम के गांव आटा को विकास के लिए गोद लिया गया है। इस गांव में शासन द्वारा संचालित विकास की समस्त योजनाओं से स पूर्ण गांव को संतृप्त करके उसे निर्मल ग्राम का दर्जा दिलवाकर ग्राम प्रधान को राष्ट्रपति के द्वारा स मानित करवाया जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष 14 दिस बर को स पर्क मार्ग का शिलान्यास करेंगी। जिला पंचायत के अपर मु य अधिकारी अशोक यादव तथा प्रभारी डीडीओ केएन पांडेय ने आज गांव का निरीक्षण करके समग्र विकास की कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। डीएम का कहना है कि उनकी इच्छा है कि भविष्य में अदम इस लाइन को दुबारा किसी मंच पर न पढ़ें। एक माह बाद इस गांव के लोग पगडंडी से नहीं, बल्कि पक्की सड़क से गांव जाएंगे। बूढ़े और जवान, औरतें और बच्चे सभी स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करेंगे।
14 दिसंबर को ही डीएम गांव में मनरेगा की सोशल ऑडिट करेंगे। गोण्डा जिले के आटा गांव में पैदा हुए अदम गोण्डवी जनवादी कवि हैं। हिन्दी गजल के क्षेत्र में उनका देश भर में नाम है।
'धरती की सतह पर' व 'समय से मुठभेड़' जैसे गजल संग्रह से उन्होने खूब नाम कमाया। वर्ष 1998 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने दुष्यंत कुमार पुरस्कार से नवाजा। उन्होने समाज की तल्ख सच्चाई हमेशा समाज के सामने रखी। युवा पीढ़ी की उपेक्षा व उन्हें गलत दिशा में व्यवस्था द्वारा धकेलने पर लिखा-'इस व्यवस्था ने नई पीढ़ी को आखिर क्या दिया? सेक्स की रंगीनियां या गोलियां सल्फास की।'
रोज-रोज देश में होने वाले घोटालों ने इस देश को खोखला कर दिया। इन घोटालों में ज्यादातर राजनेता ही शामिल रहे। इन नेताओं पर सीधा प्रहार करते हुए अदम ने लिखा- 'जो डलहौजी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे, कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे। ये वंदेमातरम् का गीत गाते हैं सुबह उठकर, मगर बाजार में चीजों का दुगुना दाम कर देंगे। सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे, अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे।'
अदम जी ने पूंजीवाद पर भी करारा चोट करते हुए लिखा है- 'लगी है होड़ सी देखो अमीरी औ गरीबी में, ये पूंजीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है। तु हारी मेज चांदी की, तु हारे जाम सोने के, यहां जु मन के घर में आज भी फूटी तराबी है।' जाति-पांति व धर्म के नाम पर वोट मांग कर अपना उल्लू सीधा करने वालों पर व्यंग्य करते हुए कहा- 'मुल्क जाए भाड़ में इससे उन्हें मतलब नहीं।
एक ही वाहिश है कि कुनबे की मु तारी रहे।' बाढ़ की राहत सामग्री नौकरशाही की तिजोरी में कैद हो जाती है। यह देख अदम अपनी लेखनी नहीं रोक पाए। उन्होंने लिखा- 'महज तन वाह से निबटेंगे क्या नखरे लुगाई के। हजारों रास्ते हैं सिन्हा साहब की कमाई के। मिसेज सिन्हा के हाथों में जो बेमौसम खनकते हैं। पिछली बाढ़ के तोहफे हैं ये कंगन कलाई के।'
http://mp3download.ws/mp3/NFWUwB61Eec/Veer+Ras/Adam+Gondvi/
No comments:
Post a Comment