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Tuesday, February 18, 2014

दीदी अपनी केशरिया हुई जाई रे।

दीदी अपनी केशरिया हुई जाई रे।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

दीदी अपनी केशरिया हुई जाई रे।


चंचलमति लक्ष्मी की तरह दीदी ममता बनर्जी की राजनीति बड़ी अस्थिर है।उनके राजनीतिक दर्शन का एकमात्र स्थाई भाव है कट्टर माकपा विरोध।जो दरअसल उनकी पूंजी है और सफलता की कुंजी है।दीदी अपने राजनीतिक वक्तव्यों में कट्टर वामपंथी तेवर की जनपक्षधरता को शोकेस करती रही हैं और उनके मौजूदा अपराजेय प्रतिपक्षविहीन जनाधार का निराधार आधार भी यही है।बाकी विचारधारा और सिद्धांत से दीदी का लेना देना कोई नहीं है।इस्तीफा से लेकर आत्महत्या तक की राजनीति करने वाली दीदी जंगी भूमि आंदोलन के मार्फत सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की तैयारी में राजनीति की मजबूत खिलाड़ी बन गयी हैं और अरविंद केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद सत्ता में मोदी विकल्प बनने की अंधी दौड़ में अपनी बढ़त बनाये हुई हैं।


बंगाल विधानसभा में पेश मां माटी मानुष सरकार का बजट पूरी तरह कारपोरेट बजट निकला।वित्तमंत्री अमित मित्र ने खैरात बांटने का सिलसिला जरुर जारी रखा है लेकिन विकास का माडल निजी पूंजी केंद्रित है।कर्ज के बोझ और खस्ताहाल राजकोष के बहाने बाजार के पैसे से विकास की रुपरेखा तैयार की गयी है जो डिटो गुजरात के मोदी का पीपीपी माडल है।


खबरों के मुताबिक पश्चिम बंगाली की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज नई दिल्ली में अन्ना से मिलकर बेहद खुश थीं । आदर में अन्ना के पैर छूने पहुंची ममता को अन्ना रोकते रहे लेकिन ममता ने 4 बार पैर छुए और सत्कार की पूरी तसल्ली होने पर रुकीं।

समाजसेवी अन्ना हजारे आज दिल्ली के टीएमसी दफ्तर पर ममता से मिलने पहुंचे थे। अन्ना के आने पर ममता आफिस के बाहर अगवानी के लिए आ गईं। अन्ना की गाड़ी ज्यों रुकी ममता गाड़ी के दरवाजे पर जा पहुंची, अन्ना ने ममता को नमस्कार किया तभी ममता अन्ना का पैर छूने झुक गईं।

आखिरकार चार कोशिशों के बाद ममता को पूरी तसल्ली हुई की उन्होंने अन्ना का चरण स्पर्श कर लिया है।हाल ही में अन्ना ने कहा कि आम आदमी पार्टी के मंत्रियों को ममता से सादगी सीखनी चाहिए।

अबकी दफा दिल्ली जाते हुए दीदी ने दिल्ली में सत्तादखल करने की हांक नहीं लगायी,यह महत्वपूर्ण है।उलट इसके वे अब केंद्र में स्थाई सरकार की वकालत कर रही हैं।जाहिर है कि कांग्रेस अब स्थाई सरकार दे नहीं सकती और न उस स्थिति में दीदी अब कांग्रेसी गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं। तीसरे मोर्चे में माकपाई बढ़त के बावजूद उससे दीदी स्थाई सरकार की उम्मीद रख ही नहीं सकतीं।जाहिर है कि उनका आशय मोदी और भाजपा से है।


कांग्रेस और माकपा पर तीखे प्रहार का सिलसिला जारी रखने के बावजूद दीदी ने नरेंद्र मोदी और भाजपा के बारे में कुछ भी टिप्पणी नहीं की है।


देशभर में अन्ना दीदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए प्रचार अभियान  शुरु करने वाले हैं।इस मुलाकात में इसकी ही तैयारियों को फाइनल किया गया।दीदी के साथ साझा प्रेस कांप्रेस करके अन्ना इसकी औपचारिक घोषणा करने वाले हैं।



समझा जा रहा था कि बंगाल में अल्पसंख्यक वोट बैंक के सहारे पैतीस साल के वाम शासन का अवसान करने वाली अग्निकन्या अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल की रेलमंत्री बनने के अतीत और बंगाल में भाजपा को दमदम और कृष्णनगर लोकसभा सीटें राजग गठबंधन  के तहत देने के अतीत के बावजूद नये सिरे से केशरिया रंग से होली नहीं खेलने वाली हैं। लेकिन सामने वसंत है और बंगाल से जाते जाते शीत अभी विदा नहीं हुआ है।लेकिन जब शीत है तो वसंत भी आखिर आना है।


लाल रंग से घृणा और एलर्जी है दीदी को,इसीलिए राइटर्स उठाकर हुगलीपार ले गयी दीदी।केशरिया से दीदी की कोई तबीयत खराब होती है या किसी तरह की एलर्जी है,इसका कोई सबूत मिला नहीं है।


बंगाल में मां माटी सरकार के सामने शारदा फर्जीवाड़ा प्रकरण से लेकर तमाम बलात्कारकांडों,मानवतस्करी,राजनीतिक हत्याकांड और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर जाने के बावजूद दीदी ने कामयाबी से विपक्ष के तमाम तोपखाने खामोश कर दिये हैं।

वोटबैंक साधने और चुनाव मशीनरी बनाने की कला में अब दीदी वामपंथियों से ज्यादा पारंगत हैं।आम जनता की स्मृति बहुत कमजोर है।


अगला विधानसभा वोट जबतक आयेगा,दीदी की सरकार गिरने की कोई आशंका है नहीं।इसलिए लोकसभा चुनाव में दीदी का फौरी लक्ष्य माकपा के साथ साथ कांग्रेस का नामोनिशान भी बंगाल से मिटाने का है।


उनके समर्थक भी यही चाहते हैं,जिनमें अल्पसंख्यक नेता भी है।


हावड़ा संसदीय उपचुनाव में जब भाजपा के साथ गुप्त समझौता दीदी ने किया तो बड़ी संख्या वाले हावड़ा के अल्पसंख्यक मतदाताओं ने उनका साथ नहीं छोड़ा।


अब हिंदुत्व का वोट बैंक अपनी झोली में डालने के लिए दीदी अगर केशरिया भी दीखने लगे तो शायद उनके अल्पसंख्यक वोटबैंक को कोई फर्क नहीं पड़ेगा,बशर्ते कि मां माटी मानुष की सरकार अल्पसंख्यकों के हितों की योजनाओं का कार्यन्वयन करती रहे।


दीदी कुल मिलाकर इसी रणनीति से चल रही हैं।


अरविंद केजरीवाल से संघ परिवार को अपने भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अश्वमेध अभियान में समुंदर और हिमालय जैसी अड़चने नजर आ रही हैं।मोदी की चाय चर्चा और उनकी अछूत ओबीसी पहचान उकेरने के बावजूद उत्तरभारत की गाय पट्टी में भी केशरिया सुनामी न बन पाने के जमीनी हकीकत से अमेरिकी समर्थन,कारपोरेट बेताबी और मीडिया मुहिम के बावजूद संघ परिवाक की नींद हराम है।


दूसरी ओर,क्षेत्रीयदलों के फेडरल फ्रंट भी आकार लेता नहीं दिख रहा है। दीदी क्षत्रपों के महामंच से बाहर हो गयी हैं क्योंकि वहां उनके कट्टर दुसमन वामपंथी नेता ही मंचासीन हैं और तीसरे विकल्प के प्रवक्ता भी।


जय ललिता से गठजोड़ बनाकर बाकी क्षत्रपों को साध लेने,केरल में स्थिति बेहतर होने और त्रिपुरा में यथास्तिति बनी रहने,व्यापक वाम मोर्चे के गठन होने के आसार से वाम को मिटाना अब दीदी के बस में नहीं है बल्कि आप के उत्थान और नजरुल इस्लाम की अगुवाई में दलित मुसलमान मोर्चे के आकार लेने के कारण ध्रूवीकृत बंगाल में अनेक सीटों पर दो चार सौ वोटों के इधर उधर होने से नतीजे पलट सकते हैं।


इसलिये हिंदुत्व के स्थाई वोटबैंक को साथ लेने का मौका गवांना दीदी का लिए भारी पड़ सकता है।


बंगाल के वोटबैंक समीकरण के मद्देनजर अल्पसंख्यकों की प्रतिक्रिया की आशंका से ही प्रबल कांग्रेस विरोधी जिहाद के बावजूद,कांग्रेस के सौ सीटें जीत न पाने की प्रबल संभावना के बावजूद दीदी संघ परिवार के साथ खड़ा होते दिखना नहीं चाह रही थीं।जबकि केंद्रीय संघी नेतृत्व के अलावा खास तौर पर नरेंद्र मोदी ने दीदी के प्रति बेहद समर्थक रवैया बंगाल भाजपा के नेताओं की मर्जी के खिलाफ अपनाया हुआ है।


अब राहुल गांधी ने बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य की जगह धुर ममता विरोधी अधीर चौधरी को अध्यक्ष बनाते हुए कांग्रेस तृणमूल गठजोड़ की संभावना सिरे से खत्म कर दी है।


अब चाहे तृणमूल समर्थकों को कितनी ही खुशफहमी हो बिना कांग्रेस या भाजपा के समर्थन के दीदी के लिए अन्ना हजारे के समर्थन के बावजूद विधानसभा की कामयाबी लोकसभा में दोहराना मुश्किल है।


कांग्रेस की डूबती नैय्या में सवार होना मंहगा भी साबित हो सकता है।इसलिए दीदी के पास केशरिया चुनरी ओढ़कर इज्जत बचाने का सबसे बेहतर मौका है क्योंकि हर हाल में भाजपा वोट दस से लेकर पंद्रह प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है।


एक दो सीटें भाजपा को तोहफे में देकर दीदी वामपंथियों को वापसी का कोई मौका देना नहीं चाहतीं।



बदलते हालात में देशभर के अल्पसंख्यक संघी सरकार की हालत में समायोजन और समरस भाव में हैं।


अल्पसंख्यकों की मजबूरी सुरक्षा के लिहाज से सत्ता के साथ रहने में ही है।


बंगाल में भी अल्पसंख्यक नेताओं के तेवर बदलने लगे हैं।इसके मद्देनजर दीदी के इस दांव में ज्यादा जोखिम है ही नहीं।


खासतौर पर पैंतीस साल तक वादलं का समर्थन कर रहे अल्पसंख्यकों का मोहभंग इतना ज्यादा है कि वे फिलहाल वामदलों के साथ चले जायेंगे,ऐसी आशंका दीदी को नहीं है।


अब अन्ना हजारे का खेल भी समझ लीजिये। अन्ना ब्रिगेड की किरण बेदी और दूसरे लोग नमोमय भारत निर्माण में लगे हैं।अन्ना कांग्रेस के समरथन में नहीं हैं और न वे तीसरेमोर्चे के हक में हैं।अरविंद केजरीवाल को नंगा करने में भी वे जनता की अदालत में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।


अपनी फार्मूलाबद्ध आर्थिक नीतियों को चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने के दीदी के वायदे से ही अन्ना उन्हें जिसतरह प्रधानमंत्रित्व के लिए सर्वत्तम प्रत्याशी बताने लगे और उनकी आईटी विशेषज्ञ टीम जैसे दीदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए युद्धस्तर पर जुट गयी है,वह अरविंद केजरीवाल के उत्थान से कम हैरतअंगेज नहीं है।


अब साफ जाहिर है कि दीदी और तृणमूल सांसदों के तार वैसे ही संघ परिवार के साथ जुड़े रहे हैं जैसे शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल के।


मुजफ्परनगर दंगों के बाद अल्पसंख्यकों के वोटबैंक में संभावित धंसान एक मद्देनजर उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ पिता पुत्र के तार संघ से कितने जुड़े हैं और यूपी में सरकार बचाने के लिए वे और यूपी से उन्हें बेदखल करने के लिए बहन मायावती कब केशरिया खेमे में शामिल हों न हों ,कहना मुश्किल है।


इसीतरह दीदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए संघ परिवार के अपूर्ण बहुमत के जरिये एक मुश्त कांग्रेस,आप और तीसरे मोर्चे को चारों खाने चित्त करने की अन्ना की इस केशरिया योजना के तहत केशरिया में कितनी फबेंगी दीदी,यह भी कहना मुश्किल है।


वैसे भी पेक्षागृह के व्याकरण के मुताबिक परदे के आगे जो होता है,परदे के पीछे हूबहू वही हो,ऐसा कतई जरुरी नहीं है।फिर नेपथ्य की हर आवाज अमोघ आकाशवाणी भी नहीं है।


जाहिर है कि दीदी के प्रधानमंत्रित्व का अन्नाई खेल नमोअश्व के लड़खडा़ जाने की हालत में संघ परिवार और उनके धुर समर्थक अमेरिका,विदेशी निवेशकों,बाजार , कारपोरेट इंडिया और कारपरेट मीडिया का अत्यंत सुनियोजित आपातकालीन प्लान बी है,जिससे एकमुश्त अरविंद केजरीवाल और तीसरे मोर्चे को रोक दिया जा सकें।


नई दिल्ली से ताजा खबर तो यही है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की। इस बीच अटकलें हैं कि हजारे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर ममता का समर्थन करेंगे।


तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय आज नव महाराष्ट्र सदन पहुंचे और यहां ठहरे हुए हजारे को अपने आवास पर ले गये जहां उनकी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की मुलाकात हुई। हालांकि रॉय और हजारे ने बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा नहीं दिया। इस संबंध में घोषणा करने के लिए कल यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने की योजना है।


हजारे पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह ममता को अपना समर्थन दे सकते हैं और लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी के लिए प्रचार भी कर सकते हैं।


आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने 2014-15 के लिए लोक लुभावन बजट पेश किया है। राज्य सरकार ने इस बार किसी प्रकार के कर में कोई वृद्धि नहीं की है, बल्कि प्रोफेशनल टैक्स व स्टैंप ड्यूटी को राज्य सरकार ने कम कर दिया है। रियल एस्टेट उद्योग की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने यहां के स्टैंप ड्यूटी में एक फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है।


राज्य सरकार द्वारा स्टैंप डय़ूटी में छूट देने के प्रस्ताव से अब घर व फ्लैट सस्ता हो जायेगा। 25 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली प्रोपर्टी पर राज्य सरकार की ओर से एक फीसदी अतिरिक्त स्टैंप ड्यूटी ली जाती है। इस राशि की मात्र को राज्य सरकार ने बढ़ा कर 30 लाख रुपये कर दी है। इसके साथ ही 30 लाख रुपये तक कीमत वाली प्रोपर्टी के लिए राज्य सरकार सात फीसदी स्टैंप ड्यूटी लेती थी, इसे कम करके छह फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ मोर्टगेज लोन पर भी राज्य सरकार ने रियायत देने का फैसला किया है। किसी भी संपत्ति पर दूसरी बार मोर्टगेज लोन लेने पर चार फीसदी स्टैंप ड्यूटी देनी पड़ती थी, लेकिन अब से एक लाख रुपये तक के दूसरे मोर्टगेज लोन पर किसी प्रकार की स्टैंप ड्यूटी नहीं ली जायेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने प्रोपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए ई-स्टैंपिंग सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है, जिसे आगामी एक वर्ष के अंदर सभी 246 रजिस्ट्रेशन कार्यालय में लागू किया जायेगा।


प्रोफेशनल टैक्स का दायरा बढ़ा:   प्रोफेशनल टैक्स के दायरे को 7000 रुपये से बढ़ा कर 8500 रुपये कर दिया गया है। अर्थात् एक लाख रुपये वार्षिक आमदनी करनेवाले लोगों को अब किसी प्रकार का कर नहीं चुकाना होगा। इसके साथ ही राज्य सरकार ने यहां के विभिन्न क्षेत्रों में प्रोफेशनल के लिए भी कर में छूट देने का फैसला किया है। पहले 18,000 रुपये वार्षिक कुल आमदनी करनेवाले को प्रोफेशनल टैक्स देना पड़ता था, लेकिन इसकी मात्र को अब बढ़ाते हुए 60 हजार रुपये कर दिया गया है। अर्थात् 60 हजार रुपये तक कुल वार्षिक आमदनी करनेवाले को किसी प्रकार का प्रोफेशनल टैक्स नहीं देना होगा। इसके साथ ही छोटे उद्यमी अर्थात् पांच लाख रुपये तक वार्षिक कारोबार करनेवाले उद्यमियों को कोई प्रोफेशनल टैक्स नहीं देना होगा।

वैट प्रक्रिया को और सरल करने पर जोर : वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) के अंतर्गत पंजीकरण प्रक्रिया को और सरल करने के लिए राज्य सरकार ने नया सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है। इसके माध्यम से लोग स्वयं ही वैट के लिए पंजीकरण करा पायेंगे. इसके साथ ही वैट पंजीकरण के समय न्यूनतम 50 हजार रुपये के सेल इंवॉयस जमा करने के नियम को भी हटा दिया गया है। अब पंजीकरण के समय यह इंवॉयस जरूरी नहीं होगा। इसके साथ ही राज्य में मैनुफैरिंग यूनिटों के विकास के लिए राज्य सरकार ने पुराने प्लांट व मशीनरी के लिए इंपुट टैक्स क्रेडिट शुरू करने का फैसला किया है। इसके अलावा सभी डीलरों को इंटर-स्टेट्स सेल्स पर प्रि-एसेसमेंट रिफंड दिया जायेगा, इससे यहां के निर्माणकर्ताओं को काफी लाभ होगा।


सिलीगुड़ी में स्थापित होगा एप्पेलेट एंड रिविजनल बोर्ड : उत्तर बंगाल के लोगों की सहुलियत के लिए राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी में एप्पेलेट एंड रिविजनल बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है, इससे अब उत्तर बंगाल में स्थित छह जिले के लोगों को इससे संबंधित मामलों के लिए कोलकाता आने की जरूरत नहीं होगी।


बड़े टैक्स-पेइंग डीलरों के लिए अलग यूनिट : राज्य के बड़े टैक्स-भुगतान करनेवाले डीलरों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने अलग से वृहद टैक्स पेयर यूनिट स्थापित करने का फैसला किया है। इसके तहत यहां एकल नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेगा, जहां कारोबारी एक जगह पर ही वैट, सेल्स टैक्स, सीएसटी, प्रोफेशनल टैक्स व एंट्री टैक्स जमा और इसके बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।


महिलाओं के लिए विशेष छूट : राज्य सरकार ने महिलाओं के विभिन्न उत्पादों पर विशेष छूट देने का फैसला किया है। 25 रुपये तक के सैनिटरी नैपकिन, हेयर बैंड, हेयर क्लिप के लिए लगनेवाले कर को 14.5 फीसदी से कम करके पांच फीसदी कर दिया गया है। इसके अलावा एलपीजी स्टोव की कीमत किसी भी सूरत में 1000 रुपये से अधिक नहीं होगी।


आर्थिक समीक्षा में विकास का दावा : विधानसभा में पेश किये गये आर्थिक समीक्षा 2013-14 में विभिन्न क्षेत्रों में विकास का दावा किया गया है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद की दर 7.71 फीसदी रही, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 4.9 फीसदी है। इसके साथ ही योगदान, निर्माण, कृषि व सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर से राज्य स्तर में ज्यादा विकास हुआ है। राज्य के लोगों को प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही रोजगार सृजन में भी सफलता हासिल की गयी है।


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