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Saturday, July 31, 2010

श्रीलंका में टीवी चैनल के दफ्तर में तोड़फोड़

श्रीलंका में टीवी चैनल के दफ्तर में तोड़फोड़

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: दो पत्रकार गंभीर रूप से घायल : श्रीलंका में एक टीवी चैनल के दफ़्तर पर कुछ हथियारबंद नकाबपोशों ने हमला कर दिया. इस हमले में चैनल के दो कर्मचारी बुरी तरह घायल हो गए हैं.चैनल के कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ भी की गई. श्रीलंका के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे सरथ फोनसेका से संबंधित टीवी चैनल 'सियथ' के दफ़्तर यह हमला शुक्रवार की सुबह किया गया.

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सोनभद्र में हिन्‍दुस्‍तान के संवाददाता की हत्‍या

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मृत पत्रकार : पत्‍थर से कूच कर की गई हत्‍या : गुस्‍साए पत्रकार बैठे धरने पर : उत्‍तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में दैनिक 'हिन्‍दुस्‍तान' के एक पत्रकार की हत्‍या कर दी गई है. पत्रकार कमलेश कुमार का शव उनके घर 35 किमी दूर वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के पास स्थित जंगल में मिला.  बताया जाता है कि सोनभद्र जिले के बभनी क्षेत्र को कवर करने वाले कमलेश का शव गाढ़ा बैरियर से थोड़ी दूर स्थित डाढ़ा पाथर के जंगल में मिला.

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पीटीआई के दो वरिष्‍ठ पत्रकारों का निधन

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: केपी कृष्‍णाउन्‍नी का कोच्चि में निधन : कार्तिक बरुआ ने मुंबई में ली अंतिम सांस : पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार के पी कृष्णाउन्नी का सुबह कोच्चि के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार ने बताया कि 92 साल के कृष्णाउन्नी पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनके परिवार में उनके पुत्र टाइम्स समूह में उपाध्यक्ष के अशोक कुमार और दो पुत्रियां हैं। उनकी पत्नी की मृत्यु पहले हो गई थी।

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महिला पत्रकार ने क्यों की खुदकुशी?

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सुप्रिया

सुप्रिया

: डिप्रेसन की शिकार थीं सुप्रिया : पहले भी कर चुकी थीं आत्महत्या की कोशिश : इस बाजारवादी व्यवस्था में सब कुछ होने के बावजूद आदमी अकेले है. तनहा है. डिप्रेसन में है. परेशान है. आशंकाओं से भरा है. असुरक्षाबोध से ग्रस्त है. लखनऊ की महिला पत्रकार सुप्रिया योगी की मौत ने शहरी जिंदगी और बाजारीकरण पर सवाल खड़ा किया है. आखिर वो कौन सी व्यवस्था बनाई जा रही है, जिसमें किसी की मनःस्थिति ऐसी हो रही है जिसमें जीने से ज्यादा सुकून मरने में दिखने लगे. ये कैसा सिस्टम है जो आदमी को सब कुछ दे रहा है पर संतुष्टि व खुशी नहीं प्रदान कर रहा.
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लखनऊ में मॉल से गिरी महिला पत्रकार की मौत

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लखनऊ में एक वरिष्‍ठ महिला पत्रकार की संदिग्‍ध परिस्थितियों में एक मॉल से गिरकर मौत हो  जाने की सूचना मिली है. इसे आत्‍महत्‍या बताया जा रहा है. लखनऊ पुलिस ने अभी इस घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. महिला पत्रकार का नाम सुप्रिया तिवारी है. 45 वर्षीय सुप्रिया  हिंदी दैनिक अखबार 'स्‍वतंत्र भारत' में कनिष्‍ठ संपादक थीं.

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डीएम ने लिखाया पत्रकार के खिलाफ मुकदमा

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गोण्डा के जिलाधिकारी मधुकर दिवेदी ने अंग्रेजों जैसी दमनकारी नीति अपनाते हुये एक चैनल के रिपोर्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है. रिपोर्टर पर देश द्रोह जैसी धाराओं में चालान कराने का पूरा प्रयास किया है. पत्रकार ने कलेक्ट्रेट परिसर के अन्दर चल रहे वोटर आईडी कार्ड के गोरखधंधे का खुलासा स्टिंग आपरेशन के जरिए किया था.

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सहारा समय के दो पत्रकार भेजे गये जेल

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: दर्ज था सीएम की सुरक्षा में सेंध लगाने का मामला : न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने नहीं दी जमानत : रतलाम के सहारा समय के स्ट्रिंगर विजय मीणा और कैमरामैन विक्रांत ठाकुर टोनी को 15 दिन की न्‍यायिक हिरासत में सैलाना जेल भेज दिया गया है. जेल भेजे जाने का आदेश रतलाम के न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने सुनाया.

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वरिष्ठ पत्रकार कृष्णन दुबे नहीं रहे

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कृष्णन दुबे: एक इंसान का जाना उर्फ दुबे जी आप सुबह बहुत याद आओगे : मौत हमारे लिए खबर होती है। कई बार तो मौत ही हमारे लिए खबर होती है। दुबे जी के साथ भी यही हुआ। कृष्णन दुबे जी के साथ। दुबे जी अब नहीं रहे। इसके पहले के कुछ दिनों में वे क्या सोच रहे थे?

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खबरिया दोजख में कराहती महिलायें

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महिला छायामुनी भुयान, अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की बरसी पर कवरेज के लिए देश भर में चुने गए 11 पत्रकारों में से एक थी। असमिया भाषा की ये पत्रकार जब कवरेज के बाद वापस हिंदुस्तान आई और अपने अखबार के दफ्तर लौटी तो उसे नौकरी से बर्खास्त किये जाने का कागज़ थमा दिया गया। वजह ये बतायी गयी कि वो बिना पूर्व सूचना के अमेरिका कवरेज के लिए क्यूँ चली गयी? प्रबंधन का कहना था कि ट्रेड सेंटर पर हमले की बरसी की खबर अंग्रेजी अखबारों के लिए है, हमें इससे क्या मतलब ?अखबार ने उनकी अमेरिका से लायी गयी किसी भी रिपोर्ट को छापने से इनकार कर दिया और तो और उन्हें फैक्स तक का पैसा नहीं दिया गया। शर्मनाक ये था कि छायामुनी ने उसी अखबार में तीन साल तक बिना किसी नियुक्ति पत्र के अपना पसीना बहाया था।

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मैं महिला हूं, मैं 3 माह से बेरोजगार हूं

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आवेश जी, सबसे पहले तो धन्यवाद. आपने पत्रकारिता जगत में महिलाओं की वास्तविक स्थिति के बारे में लिखा. पिछले तीन महीनों से मुझे नौकरी नहीं मिल पा रही. सारी डेस्क और हर तरह की रिपोर्टिंग का अनुभव होने के बावजूद कुछ ऐसी शर्तें रख दी जाती हैं कि आप नौकरी कर ही नहीं सकते. पिछले तीन महीनों में भोपाल के कई बड़े पत्रकारों से मिलना हुआ. अनुभव बहुत कटु रहे. एक बड़े अखबार के संपादक ने तो केवल इसलिए हैरानी जताई कि मुझे उनका नंबर आखिर मिला कैसे.

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दुबे जी! हम करेंगे आपके सपने पूरे

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महेश्‍वर सम्‍मेलन

महेश्‍वर सम्‍मेलन

: दुबे जी हमारे लिए प्रेरणास्रोत बन गए थे : दुबे जी ने कहा था- आप लोग शुरू करो, दिल्ली से हर संभव मदद का वायदा करता हूं। अफसोस, उनके सपनों को हम छोटी-मोटी कोशिशों से साकार कर पाते, इससे पहले वह चले गए। उम्र के इस मुकाम पर पहुंचकर भी उनके अंदर के जज्बात, हौसले, उर्जा, उनके सपनों, स्नेह, और सम्मान को समझा जा सकता था। आज सचिन भाई की पोस्ट से जब यह सूचना मिली तो पूरा दफ्तर सन्न था।
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माया की मार से त्रस्त एक डिप्टी एसपी

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: सीबीआई में रहते माया से पूछताछ की थी : साजिश-फ्राड के जरिए प्रताड़ित किए गए : कोर्ट ने सरकार को फटकारा, जुर्माना ठोंका : मैं आप तक एक ऐसे मामले को पहुंचा रही हूं जिससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ईमानदार-कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति बगैर गलती किस हद तक प्रताड़ित किया जा सकता है।

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माँ बनने से डरती हैं महिला पत्रकार

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''...अगर आपको अपना चेहरा दिखाकर या फिर बातों से प्रभावित करने या मक्खन लगाने की कला नहीं आती तो मीडिया जगत आपके लिए नहीं है. अगर आपका कोई गाडफादर नहीं है तो भी मीडिया आपके लिए नहीं है. ऐसे में आप मेरी तरह फांकाकशी करेंगे.

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आप जुझारू हैं तो गोली खाएंगे

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सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं की हत्या की फेहरिस्त में एक और नाम- अमित जेठवा। 20 जुलाई को गोली मार दी गई। अहमदाबाद में गुजरात हाईकोर्ट के नजदीक।

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इलाहाबाद में विजय भैया जैसा कोई नहीं

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: श्रद्धांजलि : मेरी विजय भैया से मुलाकात २००० में हुई. तब मैंने पत्रकारिता की दहलीज पर कदम रखा ही था. मैंने इलाहाबाद में यूनाइटेड भारत ज्वाइन किया.

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फजीहत के बाद भी नहीं सुधरे जागरण के मालिक

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राकेश शर्मा

राकेश शर्मा

: अंत में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल ने कहा कि संजय जी से बात हुई है, वैश्विक वित्तीय संकट की मार झेल रही कंपनी को मैं कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा : नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी : चेतन शर्मा बोले कि जागरण के कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होता हूं तो जागरण को चुनाव कवरेज के लिए पैसे क्यों दूं? :
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भारतीय मीडिया

पीयूष बने हिन्‍दुस्‍तान, कानपुर के चीफ सब एडिटर

: अमर उजाला के साथ चौदह वर्ष का साथ खत्‍म : वरिष्‍ठ पत्रकार पीयूष श्रीवास्‍तव ने अमर उजाला को विदाई देकर हिन्‍दुस्‍तान का दामन थाम लिया है. पीयूष हिन्‍दुस्‍तान, कानपुर में चीफ सब एडिटर के पद पर ज्‍वाइन किया है. हिन्‍दुस्‍तान का हिस्‍सा बनने से पहले पीयूष अमर उजाला, जम्‍मू में थे. बताया जा रहा है हिन्‍दुस्‍तान, कानपुर को कंटेंट और विजन में मजबूती देने के लिये पीयूष को लाया गया है.

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श्रीलंका में टीवी चैनल के दफ्तर में तोड़फोड़

: दो पत्रकार गंभीर रूप से घायल : श्रीलंका में एक टीवी चैनल के दफ़्तर पर कुछ हथियारबंद नकाबपोशों ने हमला कर दिया. इस हमले में चैनल के दो कर्मचारी बुरी तरह घायल हो गए हैं.चैनल के कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ भी की गई. श्रीलंका के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे सरथ फोनसेका से संबंधित टीवी चैनल 'सियथ' के दफ़्तर यह हमला शुक्रवार की सुबह किया गया.

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खबरिया दोजख में कराहती महिलायें

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छायामुनी भुयान, अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की बरसी पर कवरेज के लिए देश भर में चुने गए 11 पत्रकारों में से एक थी। असमिया भाषा की ये पत्रकार जब कवरेज के बाद वापस हिंदुस्तान आई और अपने अखबार के दफ्तर लौटी तो उसे नौकरी से बर्खास्त किये जाने का कागज़ थमा दिया गया। वजह ये बतायी गयी कि वो बिना पूर्व सूचना के अमेरिका कवरेज के लिए क्यूँ चली गयी? प्रबंधन का कहना था कि ट्रेड सेंटर पर हमले की बरसी की खबर अंग्रेजी अखबारों के लिए है, हमें इससे क्या मतलब ?अखबार ने उनकी अमेरिका से लायी गयी किसी भी रिपोर्ट को छापने से इनकार कर दिया और तो और उन्हें फैक्स तक का पैसा नहीं दिया गया। शर्मनाक ये था कि छायामुनी ने उसी अखबार में तीन साल तक बिना किसी नियुक्ति पत्र के अपना पसीना बहाया था।

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मुफलिसी के शिकार पत्रकारों का सवाल

श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनमान को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए वेज बोर्ड की दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में जनसत्ता के पत्रकार अंबरीश कुमार ने देश भर के पत्रकारों की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का सवाल उठाया और बोर्ड ने इस सिलसिले ठोस कदम उठाने का संकेत भी दिया है. बैठक में जो कहा गया उसके अंश -

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पीयूष बने हिन्‍दुस्‍तान, कानपुर के चीफ सब एडिटर

: अमर उजाला के साथ चौदह वर्ष का साथ खत्‍म : वरिष्‍ठ पत्रकार पीयूष श्रीवास्‍तव...

हिन्‍दुस्‍तान, बदायूं के ब्‍यूरो चीफ बने तौकीर

: सौरभ सक्‍सेना को बदायूं से बरेली बुलाया गया : हिन्‍दुस्‍तान. बरेली से एक खब...

सुमित और नीतेश की नई पारी

हिन्‍दुस्‍तान, बरेली से कॉपी एडिटर सुमित अवस्‍थी ने इस्तीफा दे दिया है. सुम...

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इंटरव्यू : एडवोकेट अजय मुखर्जी 'दादा' :  एक ही जगह पर तीन तीन तरह की वेतन व्‍यवस्‍था : अखबारों की तरफ से मुझे धमकियां मिलीं और प्रलोभन भी : मालिक करोड़ों में खेल रहे पर पत्रकारों को उनका हक नहीं देते : पूंजीपतियों के दबाव में कांट...

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: साहित्य में शोषितों की आवाज मद्धिम पड़ी : अब कोई पक्ष लेने और कहने से परहेज करता है : अंधड़-तूफान के बाद भी जो लौ बची रहेगी वह पंक्ति में स्थान पा लेगी : समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि वह सभी विकल्पों, प्रतिरोध करने वाली शक्तिय...

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Palash Biswas
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