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Thursday, August 26, 2021

गेल ओम्वेट Gail Omvedt के जैसे फुले अम्बेडकर के अनुयायी कौन? पलाश विश्वास

 गेल ओम्वेट के जैसे फुले अम्बेडकर अनुयायी कौन है?

पलाश विश्वास

बहुत दुःखद समाचार।



अमेरिकी मूल की भारतीय विदुषी, समाजशास्त्री, मानवाधिकार कार्यकर्ता  गेल ओम्वेट Gail Omvedt  के निधन की ख़बर आ रही है। वे 81 वर्ष की थीं। उनकी किताबें आने वाली पीढ़ियों के लिए रौशन राहें हैं। उन्होंने जाती व्यवस्था,दलित राजनीति और अम्बेडकर आंदोलन पर लगातार लिखा है।


गेल सत्तर के दशक में अमेरिका से महात्मा ज्योति बा फुले के आंदोलन का अध्ययन करने भारत आई थी। उसके बाद वे तजिंदगी फुले अम्बेडकर के रास्ते पर चली।


 अम्बेडकरी आंदोलन और भारतीय  समाज का इतनी गहराई से किसी भारतीय समाजशास्त्री या लेखक या खुद अम्बेडकर के किसी अनुयायी ने वैज्ञानिक दृष्टि और अकादमिक विधि से लिखा हो,कम से कम मुझे इसकी जानकारी नहीं है। 


आनन्द तेलतुंबड़े की ही याद आती है,जिन्हें भीमा कोरेगांव मामले में जेल में कैद रखा गया है। जिनके बारे में भी दलितों को खास आता पता नहीं है।बहुजन राजनीति के लोग उन्हें कम्युनिस्ट मानते हुए खारिज करते रहे हैं। 


अम्बेडकर परिवार से होने के बावजूद बहुजनों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध नहीं किया। 


वास्तव में उन्होंने न तेलतुंबड़े को पढा और न जेल ओम्वेट को।


दलित,पिछड़ा,स्त्री,आदिवासी विमर्श से जुड़े लोगों को न कारपोरेट राज से शिकायत है,न फासिज्म के तानाशाह राजकाज से और न साम्राज्यवाद से। उन्हें बस अपना हिस्सा चाहिए। सत्ता में हिस्सेदारी के लिए समता और न्याय की भी उन्हें परवाह नहीं है।उनके लेखन में वही घृणा और हिंसा संक्रमित है,जो वर्चस्ववादी सत्तावर्ग में। उनके लेखन में न भाषा का सामंजस्य है, न वैज्ञानिक दृष्टि और न अकादमिक विधि।


 एकतरफा आरोप प्रत्यारोप से लेकर विशुद्ध गालीगलौज में निष्णात है अम्बेडकरी आंदोलन,जिनका अम्बेडकर से, दलितों,पिछडो, आदिवासियों,अल्पसंख्यकों और स्त्रियों के मुक्ति संघर्ष,समता और न्याय से कुछ लेना देना नहीं है।


इसीलिए गेल ओम्वेट का अवसान भारतीय मेहनतकश समाज और अम्बेडकरी आंदोलन के लिए अपूरणीय क्षति है।


पहले Vidya Bhushan Rawat रावत ने यह सूचना दी।फिर एक एक करके तमाम मित्रों के सन्देश मिल रहे है।


उनसे हिंदी के पाठक कितने परिचित हैं ,कहना मुश्किल है। लेकिन उन्होंने ज़िन्दगी भर हाशिये के लीन लोगों के लिए लिखा,वे शायद उनका नाम भी नहीं जानते।


मुक्त बाजार में वही सर्वश्रेष्ठ हैं,जो बिकता है। इस हिसाब से सत्तर अस्सिक के दशक में जो लुगदी साहित्य फुटपाथ पर भी धड़ल्ले से बिकता था,आज के पैमाने पर वे ही सर्वश्रेष्ठ है।


सामाजिक यथार्थ को वैज्ञानिक दृष्टि से लगातार पेश करने और हाशिये की आवाज़ उठाने वालों की शायद आज किसीको जरूरत नहीं है। हाशिये के लोगों को कतई नहीं।


Dr #GailOmvedt passed away today. She is an American-born Indian scholar, sociologist & human rights activist. She is a prolific writer and has published numerous books on the anti-caste movement, Dalit politics, & women's struggles in India.


Humble Tributes.


हालात बदलने का सपना देखने वाले पहले इन्हें जरूर पढ़ें।


प्रेरणा अंशु परिवार की ओर से


श्रद्धांजलि 💐

Friday, August 20, 2021

जमीन और जड़ों की पहचान नहीं,हवाई उड़ानें अनन्त । पलाश विश्वास

 नैनीताल डीएसबी कालेज से पढ़ा लिखा। पर्यटन स्थलों और पर्यटन में मेरी रुचि नहीं रही। देश को देखने समझने में ज़िन्दगी खपा दी। 



इंडियन एक्सप्रेस समुह में संपादकी की तो सारी ऊर्जा देश के लोग,उनके इतिहास भूगोल,उनके जीवन यापन,उनकी भाषा,संस्कृति, उनकी समस्याओं और उनके संघर्ष में लगा दी। 


विदेश से आमंत्रण आते रहे।लेकिन मैंने पासपोर्ट भी नही बनाया।बांग्लादेश और नेपाल भी नहीं गए। कोलकाता से दक्षिणपूर्व एशिया इतना नजदीक था, जा नहीं सका।


किसी देश में रचे बसे बिना यात्रा वृत्तांत के लिए जाने की पर्यटन इच्छा और समय की कमी रही।


फिर ग्लोबल दुनिया तो हाथ की मुट्ठी में है। विदर्श यात्रा से क्या इससे ज्यादा जान समझ पाता।


दुनिया नहीं देखी,इसका अफसोस नहीं है।

अफसोस यह है कि पूरी ज़िंदगी खपा देने के बावजूद देश को न पूरा देख सका और न समझ सका। देश के लोग अब भी अजनबी जैसे अनजाने हैं।


यह हमारी सबसे बड़ी असफलता है किनपनी जमीन और जड़ों किंफचन भी नहीं है और हवाई उड़ानें अनन्त हैं।

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