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Saturday, August 16, 2014

जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो पलाश विश्वास


जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
पलाश विश्वास
खबर है कि उत्तराखंड में कई स्थानों पर हुई बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्खलन हो गया। इससे चार धामों को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कई सड़कों पर ट्रैफिक थम गया। नेपाल में पिछले तीन दिनों से बारिश जारी है इससे वहां बाढ़ का कतरा मंडरा रहा है। नदियों में आई बाढ़ और भूस्खलन से अबतक 34 लोगों की जान जा चुकी है।  

खबर है कि दक्षिणी-पश्चिमी चीन के सिचुआन सूबे में हुई मूसलाधार बारिश के बाद वहाँ हुए भूस्खलन में फँसे क़रीब डेढ़ हज़ार लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा दिया गया है। चीन के सूखा और बाढ़ बचाव विभाग ने यह जानकारी दी है।

खबर है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नई टीम का ऐलान कर दिया गया है। टीम में 8 महासचिव और 11 उपाध्यक्ष शामिल हैं। जेपी नड्डा, राजीव प्रताप रूडी, मुरलीधर राव, राम माधव, सरोज पांडेय, भूपेंद्र यादव, आरएस कटेरिया और राम लाल (संगठन) को महासचिव बनाया गया है। पार्टी के संविधान के अनुसार दो और नेताओं को महासचिव बनाया जा सकता है। लेकिन बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम में महासचिव रहे वरुण गांधी का नाम अमित शाह की नई टीम से गायब है। जबकि उनके नाम को तय माना जा रहा था।

बीजेपी ने बी दत्तात्रेय, बीएस येदियुरप्पा, सतपाल मलिक, मुख्तार अब्बास नकवी, पुरुषोत्तम रुपाला, प्रभात झा, रघुवर दास, किरण माहेश्वरी, रेनू देवी, दिनेश शर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है।
मुक्तबाजार का जलवा ऐसा कि धर्मप्राण भारत के मनुस्मृति अनुशासन को कृतार्थ करते हुए प्लेब्वॉय पत्रिका ने मॉडल शर्लिन चोपड़ा का न्यूड फोटो जारी किया है। यह फोटो शूट उन्होंने दो साल पहले करवाया था। इसके साथ ही वह भारत की ऐसी पहली मॉडल बन गईं हैं जिसका न्यूड फोटो प्लेब्वॉय में छापा गया है। शर्लिन कामसूत्र 3डी से चर्चा में आयीं थीं।

बाबा नागार्जुन की कविता से भी लोगों को एलर्जी होने लगी है।उनकी कविता पोस्ट करने से देशभक्ति के अजब गजब माहौल में व्यवधान पड़ता नजर आ रहा है केसरिया पहाड़ के लोगों को।चंद्रशेखर करगेती ने अपने पोस्ट के पक्ष में क्या कोट किया है।

जो धर्मप्राण आस्थासंपन्न लोग हैं,उन्हें केसरिया नवउदारवाद की भाषा समझ में नहीं आ रही है,वे आनंद तेलतुंबड़े को अवश्य पढ़ लें,तभी करगेती का कहा समझ में आयेगा।

समयांतर के ताजा अंक से ऐसी धर्मोन्मादी धार्मिक देवभूमि भूगोल के लोगों की मदद के लिए आनंद का नियमित स्तंभ शुरु किया गया है।जाहिर है कि हम उनकी तरह अवधारणाओं के स्तर पर गहराई से प्याज की परतें निकाल नहीं सकते।

बहरहाल करगेती का यह उद्धरण एक भुलाये हुए शख्स से जुड़ा है,जो हिंदी दुनिया में काफी बदतमीज माने जाते रहे हैं और हाल में दिवंगत होने के बाद किसी ने कायदे से उन्हें याद नहीं किया है।

समयांतर के ताजा अंक में आनंद तेलतुंबड़े के केसरिया नवउदारवाद वाला लेख और पंकज दाज्यू का संपादकीय जरुर पढ़ लेना।सुबह ही पंकज दाज्यू से लंबी बात हुई,उन्होंने कंटेट भेजा भी,खुल नहीं रहा है।फिलहाल आपका कोटः

आपको कुछ और अधिक समझने में आसानी होगी.......

नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब – २

जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
वहाँ न चुप रहेंगे हम
कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
इन्क़लाब इन्क़लाब -२

यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
उन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँ
वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
जो इनका भेद खोल दे
हर एक बात बोल दे
हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफ़न
लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
करें तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
स्याह ज़िन्दगी के नाम
जिनकी हर सुबह और शाम
उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2

तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
तू इनकी झूठी बात पर
ना और ऐतबार कर
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के ख़िलाफ साज़िशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम, कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

साभार : शलभ श्रीराम सिंह

दिखने में वामपंथी,लेकिन हिंदी के मौजूदा परिदृश्य पर  भीतर से घनघोर संघी अमेरिकापरस्त प्रतिष्ठानिक बाजारु जेएनयू वर्चस्व का यह नतीजा कि प्रेमचंद भी गैरप्रासंगिक करार दिये जा रहे हैं।

लगता है कि इस जेएनयू विशेषज्ञों की खबर भी लेनी पड़ेगी।हम भी शलभ श्रीराम सिंह या ओम थानवी से कोई कम बदतमीज नहीं हैं।यह बदतमीजी इस बदतमीज दौर के मुकाबले के लिए बेहद जरुरी है।

इतिहास बदल रहा है,साहित्य बदल रहा है,संस्कृति बदल रही है,समाज बदल रहा है,शहर बदल रहे हैं,देहात बदल गया है,बदलने लगे जल जंगल जमीन समुंदर घाटियां,उत्तुंग शिकर और हिमप्रवाह  और हिमालय साक्षी है कि भूगोल भी बदल दिया जा रहा है।

लगे रहो करगेती भाई।इस बहस से बचने की कोशिश न करना।क्योंकि सेज स्मार्ट सिटी नवधनाढ्य सांढ़ संस्कृति का पहला बलि हिमालय ही होगा।गंगा अब मैदानों में गंगा शुद्धिकरण के बावजूद कब तक बह सकेगी,इस पर विचार करना जरुर।

देहरादून में पुणे जैसी पहाड़ धंसने से अभी सात लोग मरे हैं और बचाव अभियान लाइव है।पुणे में कितने मरे,लोग बहुत जल्दी भूल गये जैसे केदार जलप्रलय की लाशों को भूल गया है देश।जैसे भूस्खलन,बाढ़,भूकंप,सुनामी से ध्वस्त विध्वस्त जनपदों के रेगिस्तान में होता है निर्माण विनिर्माण।

देहरादून फिर भी मुक्तबाजारी उत्तराखंड की राजधानी है।

बाकी पहाड़ के भूगोल में,हिमालय के अंतःस्थल में जो जलप्रलय जारी है,उसे बयां करने के लिए गौर्दा या कमसकम गिर्दा जैसी लोक विरासत के जानकार न हम हैं और न आप है।

बलि,गिर्दा को याद रखने वाले लोग अब भी पहाड़ में हैं।भास्कर उप्रेती में शैले हाल में एक आयोजन की खबर की है।गिर्दा को ब्रांड में तब्दील करना है तो दिल्ली मुंबई से उन्हें लांच करना बेहतर होगा।

वरना इस व्यवस्था पर थूकने वाले बेतरतीब महाबदतमीज गिर्दा की असली विरासत तो पहाड़ों और मैदानों में अविराम जारी विनाश लीला के खिलाप हुड़किया अलख जगाने का अविराम जागर  जनजागरण है।

गिर्दा आदमी नहीं,जिंदा आंदोलन है,जो मरा नहीं,राख के नीचे सुलग रहा है अब भी।गिर्दा को याद करे से पहले राख में खाक उस आग की तपिश को दिलो दमिमाग में महसूसे तो कोई बात बने।फिर बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी बातें।

हिमालयी यंत्रणा संसाधनों के अधिकतम उपयोग के मुक्तबाजार में कैसे कैसे अभिव्यक्त होनी है,इसकी कल्पना करने की तकलीफ उठाना भी जरुरी नहीं है।
यह ज्वलंत वास्तव है इस देश का,जिसेस हम पल छिन मुंह चुराने की कला में पारंगत अभ्यस्त हैं।क्योंकि यह वास्तव ने शर्लिन चोपड़ा है, नसनी लिओन और न ही करीना कैटरीना और न हालीवूडी बालीवूड फिल्में न जोधा अकबर है और न डीवी का महाभारत रामायण।

हिमाचल और उत्तराखंड देवभूमियों में हिंदू शास्त्रों के सकल देवदेवियों के साथ साथ गांव गांव में गोल्ल ज्यू महाराज और खासतौर पर हिमाचल में दैवी राजकाज,दैवी पंचायत की अटल उपस्थिति  के बावजूद प्रलयंकारी जो परिश्तितियां घनघोर है,उनसे निपटने के लिए वस्तुनिष्ठ अध्ययन,वैज्ञानिक दृष्टि और जनप्रतिब्धता के साथ ज्वलंत पर्यावरण प्रेम चिपको की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

चार धामों की यात्रा,माता वैष्मो देवी और बाबा अमरनाथ के पुण्यप्रताप, पशुपतिनाथ की सिंह गर्जना से अब इस हिमालय का बचे रहना मुश्किल ही है।

देहरादून तलक ढहते पहाड़ का मलबा आबादी को तहस नहस करने लगा है और फिर जलप्रलय की जद में है पहाड़।

केदार सुनामी में गायब जनपदों की लाशें लेकिन अभी लापता हैं और पहाड़ को मुर्दाघर बनाने की तैयारी है।

नवी मुंबई में सेज के उद्घाटन के मौके पर लबालब समुंदर के माफिक जनसैलाब से साफ जाहिर है कि बाजार मौत के सामान की तिजारत किस मुलम्मे के भरोसे कर रहा है।उस मुलम्मे को उतारना जरुरी है।

खबर यह भी है कि अच्छे दिनों की नई सौगात बतौर जल्द ही आप अपने ही बैंक के एटीएम का सीमित इस्तेमाल करने पर मजबूर हो जाएंगे। इस साल नवंबर से आप अपने बैंक के एटीएम से हर महीने सिर्फ 5 और अन्य बैंक के एटीएम से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन ही मुफ्त कर सकेंगे। इसके बाद एटीम से हर ट्रांजैक्शन पर आपको 20 रुपए की रकम चुकानी होगी। यह रकम आपके खाते से ही काट ली जाएगी। ट्रांजैक्शन में सिर्फ रकम निकालना ही शामिल नहीं है, बल्कि खाते की जानकारी, चेक बुक रिक्वेस्ट, पिन बदलना और मोबाइल रिचार्ज को भी लेन-देन माना जाएगा। नया नियम देश के 6 मेट्रो शहरों में इस साल नवंबर से लागू होगा।

खबर यह भी कि बीजेपी ने 16वीं लोकसभा चुनाव में अपने दम पर 282 सीटें जीतीं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि इसका श्रेय कांग्रेस को ज्यादा जाता है। आडवाणी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी की जीत में अहम भूमिका अदा की, लेकिन इसमें सबसे बड़ा योगदान विपक्ष यानि कांग्रेस का रहा है। आडवाणी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चले विशाल अभियान ने भी जीत में योगदान दिया, लेकिन सबसे बड़ा योगदान हमारे विपक्ष का रहा।

उधर,नेपाल में पिछले तीन दिनों से बारिश जारी है इससे वहां बाढ़ का कतरा मंडरा रहा है। नदियों में आई बाढ़ और भूस्खलन से अबतक 34 लोगों की जान जा चुकी है। वहां सेना और पुलिस के जवान राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं। बाढ़ और भूस्खलन से जानमाल का सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी नेपाल के सुरखेत जिले में हुआ है।


फिलहाल नजारा यह कि उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की अलग-अलग घटनाओं में 26 लोगों के मारे जाने की सूचना है। राजधानी देहरादून में ही पिछले 48 घंटे में हुई मुसलाधार बारिश से काफी नुकसान हुआ। राजपुर के काठ बंगला क्षेत्र में शुक्रवार की देर रात दो बजे पहाड़ी दरकने से तीन मकान टूट गए। जिसमें सात लोग जिंदा दफन हो गए। एक महिला चंद्रकला को छह घंटे बाद मलबे पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने निकाला। एक छात्र नेता तेज बहाव में बह गया। उसका कुछ पता नहीं चला।

रायपुर के मालदेवता में 500 मीटर सड़क बहने से दर्जनों गांव का राजधानी से संपर्क कट गया है। जबकि रिस्पना और बिंदाल के तट पर बसी बस्तियों में भी काफी नुकसान हुआ है। प्रशासन ने स्कूलों में एहतिहात के तौर पर छुट्टी कर दी है।

पौड़ी जिले में दो जगह बादल फटने की घटनाओं में 10 लोग मारे गए। तहसील यमकेश्वर के ग्राम दियूली व जामल में पांच लोग मारे गए, दो भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। तहसील पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक के ग्राम नौड़ी में दो व्यक्ति (एक पुरुष एक महिला) की मौत हो गई। दो भवन पूरी तरह से क्षतिगस्त हो गए।

तहसील लैंसडाउन के ब्लाक द्वारीखाली के तहत ग्राम परसोली और सिमली कुटी में बादल फटने से पांच लोग मारे गए। 4 भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। जिले में कुल 14 लोग मारे गए और 8 भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए।

पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील के अंतर्गत गिनीबैंड व गिरगांव के बीच गड्यार गाड में 3 व्यक्तियों की पानी के तेज बहाव में बहने की सूचना है। एक व्यक्ति की मौत हो गई है। दो घायल बताए जा रहे हैं।


 
दूसरी ओर,नेपाल के सुरखेत जिले में 11 लोग, गोरखा जिले में नौ, चितवन, रुकुम जिले में नौ, ललितपुर, उदयपुर, दांग और मनांग जिले में आठ और नवलपरासी, खोतांग, सिंधुली, धनुषा, मकवनपुर जिलों में छह लोग मारे गए हैं।सुरखेत जिले के चीसापानी गांव में भूस्खलन से कई मकान जमीदोंज हो गए। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता शंकर कोइराला के अनुसार मलबे से 20 शव बाहर निकाले गए हैं। बहेरी नदी में आई बाढ़ से कई पुल बह गए. हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और देश भर में हजारों एकड़ जमीन में बाढ़ का पानी और पहाड़ों से आई गाद व मलबे से भर गया है।

पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन हुआ है जबकि तराई के मैदान डूबे हुए हैं। मैदानी इलाके में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। कई लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे हैं और सरकार से अविलंब सहायता की मांग की है।

गोरखा जिले के पंथेश्वर गांव में स्कूल की दीवार ढहने से तीन लोग मारे गए। घटना के वक्त एक कोरियाई नागरिक स्कूल में बच्चों को जरूरी सामान बांट रहा था। हादसे में मरनेवालों में स्कूल में काम करने वाली दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। हालांकि सभी बच्चे सुरक्षित हैं।बाढ़ और भूस्खलन के कारण देश में करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। 2 अगस्त को सुनकोसी नदी में भूस्खलन के कारण नदी पूरी तरह अवरुद्ध हो गई थी और इस हादसे में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे। सुनकोसी की घटना से भारत के बिहार के कोसी क्षेत्र में भी भारी अफरा-तफरी मच गई थी और लोगों को खाली कराना पड़ा था।

लालकिले के मैदान से जनता केखिलाफ कारपोरेट युद्ध की घोषणा प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग के सूक्तिवाक्य माध्यमे करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आईएनएस कोलकाता राष्ट्र को समर्पित किया। स्वदेशी तकनीक से निर्मित देश का यह सबसे बड़ा युद्धपोत है। प्रधानमंत्री के साथ इस मौके पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली व नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धवन भी मौजूद थे।

मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था में प्रतिरक्षा तैयारियां अहम हैं।छायायुद्ध बहाने सैन्यीकरण और सैन्य राष्ट्र का अपनी ही जनता के खिलाफ युद्ध पर्तिरक्षा का यह मुक्तबाजारी समीकरण है।जो सबसे पहले प्रकृति,पर्यावरण और प्रकृति से जुड़े जनसमुदायों के नरसंहार का अटल सत्य भी है।

गौर करें कि यह जलवा प्रतिरक्षा में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और प्रतिरक्षा से संबंधित सरकारी उपक्रमों के निजीकरण का है।

गौर करें कि ओबामा से शिखर वार्ता से पहले समूते पोलिटिकल क्लास को हाशिये पर रखकर नई बाबू संस्कृति, संपूर्ण महाकाव्यिक शिक्षा और अनुशासन के जरिये मुक्त बाजार के सारे दरवाजे खोलते हुए भारत अमेरिकी परमाणु संधि को ही लागू नहीं कर रहे हैं नरेंद्र मोदी,संविधान और कानून के राज को इतिहास बना रहे हैं वे।

गौर करें कि एफडीआई राज के मेक इन को उन्होंने मेडइन इंडिया के सफाये कि लिए मनुस्मृति में तब्दल कर दिया है।

इस खबर को पूरी तरह देखने से पहले इसे भी देख लें कि  चीन के एक कदम से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारतीय सीमा से लगे रेल नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिशों में लगे चीन ने तिब्‍बत क्षेत्र में मौजूद अपनी दूसरी रेलवे लाइन का उद्घाटन कर दिया है। यह रेलवे लाइन सिक्किम तक आती है। इसकी निर्माण लागत करीब 216 करोड़ डॉलर है। भारत के लिए अलार्म, सिक्किम तक पहुंची चीन की रेलवे लाइन. यह रेलवे लाइन जो सिक्किम के बहुत पास है, उसकी मदद से चीन की सेना बहुत ही आसानी से भारत के लिए सबसे अहम हिमालयन रिजन में आ जा सकती है। चीन की यह रेलवे लाइन तिब्‍बत की राजधानी ल्‍हासा को इस क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगाजे से जोड़ती है।

रडार की पकड़ में नहीं आने वाले 6,800 टन वजनी कोलकाता श्रेणी के इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने इसके निर्माण का काम सितंबर, 2003 में शुरू किया था। यह अपनी श्रेणी का पहला युद्धपोत है। भारत की इसी तरह के दो अन्य युद्धपोत बनाने की योजना है। इस जंगी पोत में अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां लगाई गई हैं, जिसमें पनडुब्बी रोधी प्रौद्योगिकी भी शामिल है।

इस युद्धपोत में सतह से सतह पर मार करने वाली अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलें, रॉकेट लांचर, टॉरपीडो ट्यूब लांचर, सोनार हमसा, ईडब्ल्यूएस एलोरा व एके-630 बंदूकें मौजूद हैं, जो समुद्री व हवाई हमले के दौरान दुश्मन के दांत खंट्टे करने में सक्षम हैं।

भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहा युद्धपोत आईएनएस कोलकाता दुश्मनों के रडार को चकमा देने में तो सक्षम होगा ही, ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होने के कारण यह 400 किलोमीटर की दूरी तक मार भी कर सकेगा।

प्रधानमंद्दी नरेंद्र मोदी के हाथों शनिवार को देश को समर्पित होने जा रहा यह पोत इस वर्ष स्वतंद्दता दिवस का उपहार माना जा रहा है। कई खूबियों से लैस इस पोत को मुंबई के ही मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किया गया है। अपनी विशिष्ट बनावट के कारण यह दुश्मनों के रडार को चकमा देने में सक्षम है। नौसेना अधिकारियों के अनुसार 164 मीटर लंबा एवं 18 मीटर चौड़ा 7500 टन का यह पोत दुश्मनों के रडार पर किसी छोटी नौका जैसा दिखाई देगा। जिसके दम पर यह उन्हें भ्रमित करता हुआ उनके काफी नजदीक पहुंचकर हमला कर सकता है।

इस पर स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती भारत को दुनिया के उन चंद देशों की कतार में खड़ा कर देती है, जो अपनी नौसेना के युद्धपोत से 400 किलोमीटर तक निशाना साध सकते हैं। ब्रह्मोस के अलावा कम दूरी तक मार कर सकनेवाली मिसाइलों एवं अतिसंवेदनशील रडार भी इस पोत की विशिष्टता में चार चांद लगा रहे हैं।

नौसेना के दो सी-किंग हेलीकॉप्टर अपने साथ ले चल सकने की क्षमता वाले आईएनएस कोलकाता की रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा होगी। ऊर्जा आपूर्ति के लिए इसमें लगे चार गैस टर्बाइन जेनरेटर एवं एक डीजल ऑल्टरनेटर किसी छोटे-मोटे शहर को भी रोशन करने की क्षमता रखते हैं। इस पर 30 अधिकारी एवं 330 नौसैनिक तैनात होंगे।

इसका नामकरण भारत के सांस्कृतिक शहर कोलकाता के नाम पर किया गया है और इसका घोष वाक्य है-युद्धाय सर्वसन्नद्ध अर्थात युद्ध के लिए सदा तैयार। आईएनएस कोलकाता श्रेणी के ही स्वदेश निर्मित दो और विध्वंसक युद्धपोत कोच्चि एवं चेन्नई भी कुछ ही वर्षों में भारतीय नौसेना को प्राप्त हो जाएंगे।
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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी
आईएनएस कोलकाता को देश को समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवी मुंबई में छह हजार करोड़ के स्पेशल इकोनॉमिक जोन(एसईजेड) प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इस मौके पर मोदी ने कहा कि हमारी कोशिश सरलीकरण की तरफ है. देश को आयात से ज्यादा निर्यात पर ध्यान देना चाहिेए.
मोदी ने कहा, 'निर्माण उद्योग को बढ़ावा देना प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए. अगर देश के विकास की गति को तेज करना है. तो हमें शिक्षा, रोजगार पर ध्यान देना होगा. यह युग विश्व व्यापार का युग है. विश्व व्यापार के इस युग में सामुंद्रिक व्यापार पर ध्यान देना जरूरी हो गया है.'
बंदरगाहों पर देश के लिए उपयोगी बताते हुए मोदी ने कहा, 'हमनें सागरमाला योजना की शुरुआत की. कंटेनर का करीब 50 फीसदी व्यापार हिंद महासागर के जरिए होता है. आने वाले दिनों में यह व्यापार निश्चित रूप से बढ़ेगा. भारत के समुद्र तट पर जो राज्य हैं उसे सागरमाला योजना का लाभ मिले. ऐसी हमारी कोशिश होगी.'
दुनिया के बाकी देशों का उदाहरण देते हुए मोदी ने बताया,' दुनिया में जिन जिन राष्ट्रों का विकास हुआ है उन सभी देशों में यह बात कॉमन है कि वो सभी शहर समुद्र किनारे स्थित होते हैं, ऐसे राज्यों की वजह से ही उस देश का अधिक आर्थिक विकास हुआ है. इसी को देखते हुए भारत में बंदरगाहों के विकास और सागरमाला परियोजना पर ध्यान दिया गया है. अगर हमें विकास करना है तो हमें पोर्ट लेड पर ध्यान देना होगा.
मोदी ने कहा, 'हम व्यवस्था को विकसित करना चाहते हैं. देश में उत्पादन बढ़े, नौजवानों को रोजगार मिले. इसी के लिए ऐसी एसईजेड परियोजना को शुरू किया गया है. अगर हम निर्यात पर ध्यान नहीं देंगे तो हम विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाएंगे. राज्य और केंद्र मिलकर इसपर अच्छा काम कर सकते हैं.'
काम करने के नए तरीकों पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, 'इनोवेशन, डिजाइनिंग पर अगर हम काम करें तो हम बेहतर कर सकते हैं. मुझे आने वाले दिनों में यकीन है कि हम निर्यात की दुनिया पर भी भारत का डंका बजा सकते हैं.' गडकरी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, 'हमारी कोशिश सरलीकरण की तरफ है. इसी के चलते शिपिंग के लिए अब लाइफटाइम शिपिंग का लाइसेंस दिया जाने लगा है.'
कांग्रेस पर मोदी ने ली चुटकी
कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा, सीएम पृथ्वीराज चव्हाण को इसकी योजना की जरूरत पहले से रही होगी. लेकिन चव्हाण बोल नहीं पाए होंगे. मैं उनकी चिंता समझ सकता हूं. अक्सर बीमारियों को दूर करने के लिए डॉक्टरों की जरूरत होती है.






अब पूरी बहस जो गौर तलब भी हैः

चन्द्रशेखर करगेती
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है ?
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किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है ?
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है ?
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है,
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है,
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है,
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है,
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला,
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है,
उसी की जनवरी छब्बीस,
उसी का पंद्रह अगस्त है !
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है,
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है,
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है,
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा,
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है,
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है,
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है !
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है,
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है,
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है,
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है,
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है,
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
मजदूर की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है !
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो,
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है !
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है,
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है,
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है,
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है,
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है,
गरीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है,
धतू तेरी, धतू तेरी, कुच्छो नहीं! कुच्छो नहीं,
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है,
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं,
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है,
कुच्छो नहीं, कुच्छो नहीं,
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है,
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है !
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है !
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है !
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है,
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है,
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है ।
~बाबा नागार्जुन~
विचार कर लें....बधाई देनें की कोई एक वजह तो हो ?
  • Gopal Gururani baba nagarjun ki jay
  • Jagdish Kalauni अति प्रासंगिक रचना.....
  • Digvijay Pant Well said
  • Kiran Bala क्षमा करें आज सकारात्मकता की बात होनी चाहिए...हम सभी जानते हैं कि परेशानियां हैं..समस्याएं हैं..मगर आज के दिन ये संकल्प लें कि हम अपना काम ईमानदारी से करेंगे...देश की सरकार को, लोगों को, कोसना छोड़ कर..और समस्याओं की दुहाई देकर नहीं बल्कि देशभक्ति का जज्बा जगाकर दृढ़ संकल्प होकर आज के दिन का आनंद लें तो अधिक बेहतर होगा...
  • चन्द्रशेखर करगेती Kiran Bala जी आज अगर देश में कुछ सकारात्मक अगर कुछ दिखाई दे रहा है तो वह इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने वाले लोगो की वजह से ही हुआ हैं, देश के अगर हालात अगर बदतर है तो अगस्त और जनवरी में बड़े बड़े भाषण देनें वालो की वजह से ही हुआ है, और इसी को बाबा की यह कविता बताती है.....आखिर सच्चाई से मुंह कब तक मोड़ा जा सकता है......आप कविता का भाव समझें....
  • Rajesh Sharma आज के शुभ अवसर पर देश के प्रधान मंत्री जी ने देशवासियों को एक सूत्र में बांध दिया ! आज भारत माता का तिरंगा देश के प्रधान सेवक के हाथों से लहराकर आप ने अपने देशदेशवासियों का मनोबल बढाया है जिसके लिए देश आपको आगे बढने का आशीर्वाद दे रहा है
  • चन्द्रशेखर करगेती Rajesh Sharma जी आज से २० साल पहले का अगस्त यद् करो तो तब का उत्साह और आज में कुछ फर्क नजर आता...अगर हाँ तो इस उत्साह में कमी के कारण भी खोजियेगा...
  • Kiran Bala मैं सहमत नहीं हूँ...ये सब तो हम जानते ही हैं..कोई नयी बात तो नहीं...ये बातें कहके तो केवल आप हतोत्साहित ही कर रहे हैं सभी को...कोई सकारात्मक सन्देश दीजिए...स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सकारात्मकता ने ही सेनानियों के मन में अलख जगाए रखा...सचाई केवल इस कविता के माध्यम से ही पता चले ये ज़रूरी तो नहीं..हम सभी इस सच का हिस्सा हैं...रोज जीते हैं ये जीवन...जिसमें निराशा है...भ्रष्टाचार है..मगर आज का दिन अलग है...सोचिये आजादी से पहले का जीवन कैसा था..आज हम आज़ाद तो हैं...ज़रूरत है तो हालत को सँभालने की..जो सकारात्मक सोच से ही संभव हो सकता है...
  • चन्द्रशेखर करगेती हतोत्साहित वे लोग हो रहें है जो सच्चाई देखकर भी समझना नहीं चाहते कि आज देश के हालात क्या है, जो समझ रहें हैं वे तो प्रण लिए ही हुए हैं कि उन्हें इस देश के हालत बदलने हैं, विचार से, कर्म से, परिश्रम से......
  • Prerna Garg Aaj pahli bar man nahi hua tv chalane ka... Aazadi milegi hame in kale angrejon se...tab jan aur aug dono manaenge...
  • Kiran Bala aap sachayi deshvasiyon ko dikha rahe hain..jaise aapke n dikhane se kisi ko desh k haalat pta hi nhi chalenge..post ka samarthan karna achhi baat hai..mgr kewal rote rahna bhi to hal.nahi..aapne avashya pran liya hoga mujhe yakin hai..mgr jo aapse prerna lete hn unko yahi sandesh milega ki kuchh bhi kr lo kuch nhi hoga is desh ka..there is no hope..kyonki wo bachna chahte hn apne krtavyo se..aur isme ye kavita unki madad kregi.
  • चन्द्रशेखर करगेती Kiran bala ji, yah to samjhane wale ko sochna hai ki vah kise samjha raha hai........vaise bhi jo haalaat ko apane aap na samjhe usei koe dusra samjha bhi nahi sakta.
  • 20 hrs · Unlike · 2
  • Navnish Negi Bhook se ladta hua AADMI / AAZAADI kE Parcham ka kya kare
  • 20 hrs · Like · 1
  • Manoj Pande करगेती जी यह दिन वास्तव में यही सोचना है की स्वाधीनता से हमने क्या पाया। क्यूँ हमारे बड़े बूढ़े हमसे यह कहते है की अंग्रेजी हुकूमत इससे अच्छी थी। क्यूँ बार बार यह महसूस कराया जाता है की भूरे अँगरेज़ हम पर शासन कर रहे है। क्यूँ आज प्रधान मंत्री जी ने कहा में आपका प्रधान सेवक हूँ। क्या इस बात में यह जाहिर नहीं होता की देश का प्रधानमंत्री इस बात को स्वीकारता है प्रधान सेवक कहलाना उचित है।
  • 19 hrs · Like · 1
  • Sharad Dixit Kargeti ji jinke pet bhare hai wo kaha samjhegey is kavita ko.....
  • 19 hrs · Like · 1
  • चन्द्रशेखर करगेती Kirna Bala जी आपके लिए एक और समसामयिक कविता, शायद इससे आपको कुछ और अधिक समझने में आसानी होगी.......
  • नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम
  • बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
  • घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
  • जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब – २
  • जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
  • जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
  • जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
  • जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
  • वहाँ न चुप रहेंगे हम
  • कहेंगे हाँ कहेंगे हम
  • हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
  • जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
  • इन्क़लाब इन्क़लाब -२
  • यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
  • वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
  • उन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँ
  • वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
  • जो इनका भेद खोल दे
  • हर एक बात बोल दे
  • हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
  • घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
  • जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  • क्रमश...
  • 17 hrs · Unlike · 2
  • चन्द्रशेखर करगेती वतन के नाम पर ख़ुशी से जो हुए हैं बेवतन
  • उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफ़न
  • लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
  • करें तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
  • स्याह ज़िन्दगी के नाम
  • जिनकी हर सुबह और शाम
  • उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
  • घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
  • जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2
  • तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
  • निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
  • किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
  • तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
  • तू इनकी झूठी बात पर
  • ना और ऐतबार कर
  • के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
  • घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
  • नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
  • जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  • नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
  • बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
  • घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
  • जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  • जहाँ आवाम के ख़िलाफ साज़िशें हों शान से
  • जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
  • वहाँ न चुप रहेंगे हम, कहेंगे हाँ कहेंगे हम
  • हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
  • इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
  • ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  • साभार : शलभ श्रीराम सिंह
  • Kiran Bala main aapko un logo se bahut upar manti thi jo aalochna ko sakaratmak roop se lete hai ..par aap bhi unhi logo me se ek nikle jo apni post pr ek bhi negative comment bardasht nahi kr skte...afsos hua mujhe..maaf kijiyega..aage se mai kewal like kr diya krungi..shubh sandhya.
  • 15 hrs · Like · 1
  • चन्द्रशेखर करगेती Kiran Bala जी जैसा आप समझ रही हैं वैसा नहीं हैं, जो पूर्व में कवियों ने अपनी रचनाओं में जो लिखा है, क्या आज भी स्थितियां कुछ बदली हैं ? मैं आलोचनाओं को सार्थक रूप से ही लेता हूँ, लेकिन जब स्थितियों को नकारा जाय तब नहीं ?
  • 15 hrs · Unlike · 1
  • Manoj Pande मुझे अपने देश से प्रेम है। पर प्रेम होने का मतलब symbolism से नाता जोड़ लेना नहीं है। देश प्रेम देश वासियों से प्रेम है। उनके दर्द समझना है।
  • अगर साहिर कहते है...रहने को घर नहीं है सारा जहाँ हमारा। तो वस्त्व्स में सोच्निये विषय है। सडको पर imhuman conditions पर रहते बच्चे जिन्हें दो जून की रोटी नसीब नहीं है भारत की सत्यता है। औरत के ऊपर होते अन्याय। बेशुमार गन्दगी सत्य है। शायद प्रधानमंत्री ने इसी लिए इन बिन्दुओं पर इंगित किया। क्यों हम प्रधानमंत्री को regressive और pessimist नहीं कहते। वर्तमान स्थिति पर यथार्थ के धरातल पर देखना कोई गलत बात नहीं है।
  • 15 hrs · Unlike · 2
  • Sonu Kanyal कभी भी कुछ भी नहीं सुधरेगा। बिगाड़ना आसान होता है। खूब बिगाड़ लिया। अब बस ख़ास ही लोग होंगे सुखी, क्रान्ति तक।
  • 14 hrs · Unlike · 2
  • Rakesh Kargeti सिर्फ रोने से काम नहीं चलेगा......... सोच बदलनी होगी........ हालात हमेशा एक से नहीं रहते हैं....हज़ारो साल से नरगिस अपनी बेनूरी पर क्यों रोये...............
  • 14 hrs · Edited · Unlike · 3
  • Palash Biswas Thanks for the most relevant quote.blogging.
  • 13 hrs · Like · 2
  • Anjana Srivastava very true per koi upay karger nahi hia


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