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Saturday, June 13, 2015

फर्क सिर्फ ये है कि तब कोंग्रेस के पंडितो से लोहा लेना था और आज 2015 में भाजपा के पंडितो से लोहा लेना है. क्योकि 54% ओबीसी समुदाय के संवैधानिक मंडल कमीशन की सभी संवैधानिक सिफारिसो का अमल बाकि है. देश में दलित उत्पीडन थमा नहीं है और एसटी समुदाय का अस्तित्व संकट में है.

Jayantibhai Manani 

ओबीसी महासंघ - - - 
संघर्ष क्षेत्र है विश्व यहाँ, 
सिसकी भरना पागलपन है ! 
दिन रात गरल पी करके भी, 
मुस्कराते रहना जीवन है ! ! 
बाबा साहब द्वारा ओबीसी के लोगों को सम्बोधन - 1949

ये फोटो 1951 का है जब पटना के गाँधी मैदान में "शोषित जनसंघ पिछड़ावर्ग संघ" का सम्मेलन हुवा था और डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर उपस्थित रहे थे. सम्मेलन में ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय के लोग उपस्थित रहे थे.

तस्वीर में डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर के पास त्यागमूर्ति आर.एल. चन्द्रपुरी खड़े है.. 26 जनवरी 1950 को संविधान के अमल के बाद 1951 डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर ने केन्द्रीय मंत्री मंडल से इस्तीफा दे दिया था जिसकी एक वजह ओबीसी-पिछड़े वर्ग के लिए बेकवर्ड कमीशन की नियुक्ति नहीं करना भी था और बिहार में संवैधानिक अधिकारों के लिए जन आन्दोलन के प्रारंभ का ये प्रथम चरण था.

फर्क सिर्फ ये है कि तब कोंग्रेस के पंडितो से लोहा लेना था और आज 2015 में भाजपा के पंडितो से लोहा लेना है. क्योकि 54% ओबीसी समुदाय के संवैधानिक मंडल कमीशन की सभी संवैधानिक सिफारिसो का अमल बाकि है. देश में दलित उत्पीडन थमा नहीं है और एसटी समुदाय का अस्तित्व संकट में है.




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