हमें जिस वक्त उनकी सबसे ज्यादा जरुरत थी,वे हमें छोड़कर चल दिये।
पलाश विश्वास
आज की सबसे बुरी खबर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रफुल्ल बिदवई,जिन्हें भारतीय अर्थ व्यवस्था और वर्गीय शासनतंत्र की मुकम्मल समझ थी और वे लगातार इसके खिलाफ लड़ते रहे ,हमारे बीच नहीं हैं।
वरिष्ठ पत्रकार एवं जाने-माने स्तंभकार प्रफुल्ल बिदवई का निधन हो गया। उनके एक पारिवारिक मित्र ने आज यह जानकारी दी। बिदवई की पारिवारिक मित्र पामेला फिलिपोस ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार को एम्सटर्डम में उनका निधन हो गया। बिदवई नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम स्थित ट्रांसनेशनल इंस्टीट्यूट में फेलो थे।
प्रफुल्ल बिदवई (१९४९ – २३ जून २०१५) भारतीय पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और समाज विज्ञानी थे। वो मुख्यतः पर्यावरण, वैश्विक न्याय और शांति विषयों पर लेखन का कार्य करते थे।[1]उनका जन्म सन् १९४९ में हुआ था। उन्होंने भरतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे से विज्ञान और प्रौद्योगिकी, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की।
यह अपूरणीय क्षति है जबकि जनपक्षधर मीडिया का अवसान समय है यह और खामोसियों को तोड़ने का वक्त भी यह है।
हमें जिस वक्त उनकी सबसे ज्यादा जरुरत थी,वे हमें छोड़कर चल दिये।शोक जो है ,सो है,जो भी जनता के हक हकूक की लड़ाई में हैं,उन सबको यह व्यकितगत नुकसान भारी है।
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