आपातकाल कब खत्म हुआ जी?
जर जोरु जमीन
जलजंगल जमीन
सबकुछ निशाने पर
अपराधी फासिस्ट नस्ली सत्ता का नरसंहार कब थमा है जी?
पलाश विश्वास
2015/06/19
जगेन्द्र हत्याकांड – तो किसने मारा जगेन्द्र को
2015/06/19
यूपी में सुरक्षित नहीं महिलाएं – रिहाई मंच
2015/06/18
EMERGENCY yet again? No one else but the junked RSS Iron Man confirmed it.
लालकृष्ण आडवाणी ने आशंका जताई है कि आपातकाल दोबारा भी लग सकता है।
महामहिम जंगखोर लौहपुरुष रामरथी संघ सिपाहसालार अर्द्ध सत्य बोले हैं।
आपातकाल कब खत्म हुआ जी?
जर जोरु जमीन
जलजंगल जमीन
सबकुछ निशाने पर
अपराधी फासिस्ट नस्ली सत्ता का नरसंहार कब थमा है जी?
1975 से आपातकाल की निरंतर जारी है।
बहरहाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि भारतीय राजनीति में आज भी आपातकाल की आशंका है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। आडवाणी ने देश में आपातकाल की 40वीं बरसी से पहले एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है।
आडवाणी ने कहा कि भविष्य में नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। वर्तमान में संवैधानिक और कानूनी कवच होने के बावजूद ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती है। गौर हो कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी थी।
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि भारत में फिर से आपातकाल लगाया जा सकता है तो आडवाणी ने बताया कि मुझे हमारी राजनीतिक व्यवस्था में ऐसा कुछ नहीं दिखता जो मुझे आश्वस्त करता हो। नेतृत्व से भी कोई अच्छा संकेत नहीं मिल रहा। लोकतंत्र और इससे जुड़े सभी पहलुओं को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई नहीं देती। मुझे इतना भरोसा नहीं है कि फिर से आपातकाल नहीं थोपा जा सकता।
1975 से मीडिया में सेंसर शिप जारी है।
1975 से अभिव्यक्ति की कोई स्वतंत्रता है ही नहीं।
1978 से कला साहित्य माध्यम सबकुछ संघ परिवार के हवाले।
सारा देश उत्तर प्रदेश है
जहां जहां जागेंद्रे बोलेंगे
जिंदा जला दिये जायेंगे।
पूरा देश के मीडिया के धलफरेब कारपोरेट
शिकंजे में है और आपातकाल सिलसिला है
वर्ग जाति वर्चस्व का
सैन्यराष्ट्र तंत्र का।
कि हर आवाज जो
जनता के दर्द से भीगी है
हर रुह जो लहूलुहान है
देशद्रोही है और
हर युद्ध अपराधी
राष्ट्रनेता है।
जर जोरु जमीन
जलजंगल जमीन
सबकुछ निशाने पर
अपराधी फासिस्ट नस्ली सत्ता का नरसंहार कब थमा है जी?
जनता के खिलाफ
जनतंत्र के खिलाफ जारी
आपातकाल कब खत्म हुआ जी?
याद रखिये,राजसूय में बलि चाहे जिसकी हो,राजा लेकिन चक्रवर्ती है।चक्रव्यूह के चक्रवृद्धि ब्याज हम।जब चाहे,वसूली होगी क्योंकि सुखीलाला के राजकाज में आपातकाल जारी है।
न संघ परिवार में फूट है
न भाजपा में टूट है
फरेब का नया सिलसिला
यह दिलासा कि आपातकाल नहीं है
कि हमारी लड़ाई शुर होने से पहले खत्म हो जाये तत्काल कि हम मान लें जी
कि आपातकाल नहीं है।
गौरतलब है कि आपातकाल संबंधी आडवाणी की चिंता को विपक्ष ने जायज डर बताया
संसदीय राजनीति की संसदीयसहमति का यह खुल्ला खेल फर्रूखाबादी है।
खजाने की लूटखसोट में सारे अरबपति करोड़पति काले चोर बराबर के हिसिसेदार और लूटखसोट में बराबारी की हिस्सेदारी,बरारबरी की मुनाफावसूली की यह समरसता है।
अस्मिताओं के सार राम इसीलिए हनुमान।
आपातकाल को शोर इसलिए कि
कारपोरेट वकील वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वैश्विक निवेशकों को विश्वास दिलाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार भारत में सुधार प्रक्रिया गति, कर प्रणाली और नीतियों में स्थिरता को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं को दूर करने में लगी है। जेटली ने शुक्रवार से शुरू 10 दिन की अपनी अमेरिका यात्रा में यहां निवेशकों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि भारत के बारे यहां बहुत जोश और रोमांच है लेकिन आर्थिक नीतियों में सुधारों की गति और नीतिगत स्थिरता के बारे में कुछ चिंताएं दिखी हैं। न्यूयार्क स्टाक एक्सचेंज का भ्रमण करने के बाद जेटली ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से दो तरह की प्रतिक्रियाएं देख रहा हूं।
आपातकाल को शोर इसलिए कि
रिटेल निवेशक कंपनियों की पहली आवश्यकता बनी कॉरपोरेट एफडी
नई दिल्ली। खुदरा निवेशक कंपनियों की पिछले 6 महीनों में कॉरपोरेट एफडी की संख्या में लगभग 2.5 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। इस में छोटी कंपनियां अत्यधिक इन्टरेस्ट ले रही है। कॉरपोरेट एफडी के जरिए जहां कंपनियों को पैसा जुटाना आसान होता है, वहीं निवेशकों को भी बैंक की तुलना में 1 से 2 प्रतिशत अधिक ब्याज मिलता है। कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 14 जून तक के आंकड़ों के अनुसार इस समय 244 कंपनियों ने एफडी के जरिए पूंजी जुटाने का आवेदन किया है। जो पिछले वर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा है। पिछले वर्ष नवंबर तक लगभग 98 कंपनियों ने एफडी के जरिए पूंजी ..
आपातकाल को शोर इसलिए कि
सांढ़ो की दौड़ घनघोर है क्योंकि मॉनसून की शानदार शुरुआत हुई है। खरीफ फसलों के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) में भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। वहीं, अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने इंट्रेस्ट रेट में धीरे-धीरे बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। इससे मार्केट का मूड अचानक अच्छा हो गया है। वह मान रहा है कि देश में इंट्रेस्ट रेट में इस साल एक और रेट कट हो सकता है। इसी वजह से रुपया गुरुवार को मजबूत होकर एक महीने के पीक पर पहुंच गया। एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करने से स्टॉक और बॉन्ड मार्केट का मूड भी बेहतर हुआ। जिस तरह से देश में ऐग्रीकल्चरल क्राइसिस की बात हो रही थी, उससे एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका बन गई थी।
गौर करें कि आपातकाल का असली मतलब क्या हैः
अरुण जेटली की फाइल तस्वीर
न्यूयॉर्क: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि अगला 2-3 साल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार कई सुधार कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की योजना बना रही है, जिससे भारत को 7-7.5 प्रतिशत की दर से अधिक वृद्धि का 'लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
जेटली ने गुरुवार को कहा, भारत में न सरकार, न जनता और न ही उद्योग 7-7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के बारे में बहुत उत्साहित है, क्योंकि हर किसी को जिनमें मैं और प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, एहसास है कि शायद हमारी क्षमता इससे कहीं ज्यादा है।
विचार संस्था, 'काउंसिल ऑन फॉरेन रेलेशंस' द्वारा निवेश कंपनी वारबर्ग पिंक्स के अध्यक्ष और पूर्व वित्त मंत्री टिमोथी गेटनर के साथ आयोजित परिचर्चा में जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में काफी फासला तय किया है।
उन्होंने कहा, यह फासला तय करने के बाद अगले 2-3 साल विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के कारण बेहद महत्वपूर्ण होंगे, जो अभी प्रक्रिया में है और उन सबका कार्यान्वयन करना है। हमने अब समस्या वाले सभी क्षेत्रों की पहचान कर ली है और एक-एक करके जैसे-जैसे हम उनका समाधान करेंगे, उम्मीद है कि हमें अपने निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंच जाना चाहिए।
हमने कहा था बात शुरु हुई तो बहुत दूर तलक बात चलेगी कि खत्म न करें बातों का सिलसिला कभी।
अब लीजिये मूसलाधार घनघोर।
हमने लिखा है कि सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।
राजकाज में राजे को बलप्रदत्त मानें न मानें लपेडे मैं है महामहिम कि राष्ट्रपति भवन की नींव में घोटाला की जड़ें तमाम।
खबर है कि अमित शाह और राजनाथ से आज मिल सकती हैं वसुंधरा।
फिर खबर है कि ललित मोदी विवाद: वसुंधरा ने रद्द किया पंजाब दौरा, अमित शाह और राजनाथ से आज नहीं मिलेंगी।
पहेली अजब जब है कि टू बबी र नट टू बी..
आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के बाद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लपेटा है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक ललित ने दावा किया है कि तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शशि थरूर की बर्खास्तगी में उनकी भूमिका का बदला लेने के लिए उनके खिलाफ प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने का आदेश दिया था।
अखबार की खबर के मुताबिक यह वर्ष 2010 का मामला है, जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री हुआ करते थे और ललित मोदी के मुताबिक प्रणब मुखर्जी ने आईपीएल के व्यापारिक सौदों और उनके निजी वित्तीय लेनदेन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी से जांच कराने के आदेश देकर बदला लिया था।
अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबपिक ब्रिटिश अधिकारियों को दिए गए 46 पेज के बयान में मुखर्जी के खिलाफ आरोप हैं। इसमें मोदी ने बतौर विदेशी बिजनेस प्रतिनिधि के रूप में रहने की अनुमति मांगी थी। मोदी ने कहा कि मैंने 11 अप्रैल, 2010 को दावा किया था कि थरूर की दिवंगत पत्नी सुनंदा पुष्कर की कोच्चि आईपीएल फ्रेंचाइजी में 25 फीसदी हिस्सेदारी है और इसके लिए थरूर ने बोली लगाई थी। इस खुलासे के बाद कांग्रेस मुझ पर आगबबूला हो गई थी ।
मोदी ने ब्रिटिश अफसरों को बताया कि कुछ दिनों बाद कोच्चि फ्रेंचाइजी पर उनके ट्वीट्स आए और शशि थरूर ने इस्तीफा दे दिया। इनकम टैक्स विभाग ने बीसीसीआई ऑफिस में छापेमारी की और उनसे पूछताछ की। फिर 21 अप्रैल तक ईडी और एजेंसी ने फॉरेन एक्सचेंज और मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में मेरे खिलाफ जांच शुरू कर दी थी।
यह तो झांकी है,बाकी किस्सा अभी बाकी है,जो हनुमानजी की पूंछ है और संवैधानिक संकट की घनघटा है मानसून हो न हो।
1971 में बांग्लादेश के मुक्तिसंग्राम में मातृभाषा के अधिकार को राष्ट्रीयता में बदलने की पहली और आखिरी क्रांति हो गयी।
1975 से अस्मिताओं की लड़ाई में हम आजादी और आजादी की लड़ाई क्या है,भूल चुके हैं।भूल गये मातृभाषा।भूल गये कला माध्यमों की आजादी।भूल गये विचारधारा और प्रतिबद्धता।जनोसरोकार खत्म और जनसुनवाई भी खत्म।
मरे हुए लोकतंत्र की लाश ढोते हुए हम राम नाम सत्य है,सत्य बोलो गत्य है, की हांक लगाने वाले हिंदी साम्राज्यवाद की फासिस्ट सत्ता के रोबोट हैं।
गांधी और अंबेडकर से लेकर हर मरे हुए पुरखे को हम गोडसे बना रहे हैं इन दिनों।हम सारे बजरंगी हुए इन दिनों।
बाकी जो बचे,वे भी अंडे सेंते लोग।
संविधान की रोज हो रही हत्या और न कहीं कानून का राज है।न समता है और न न्याय।उनका मिशन,अखंड नरसंहार।
फिरभी आपातकाल की आशंका
गोया कि अब आपातकाल नहीं है?
1975 से हमारी इंद्रियां बेदखल है।हम वही देखते हैं।जो हमें दिखाया जाता है।हम वही सुनते हैं जो सत्ता की भाषा होती है।हम वही बोलते हैं,जो शुतुरमुर्गों की भाषा हो सकती है।और हमारी अपनी कोई मातृभाषा नहीं है।
हमारा कोई घर नहीं है।
हमारी कोई जमीन नहीं है।
हमारा कोई जंगल नहीं है।
हमारी कोई सांसें नहीं है।
हमारा कोई दिल नहीं है।
न हमारा कोई देह है और न
हमारा दिमाग है
हम रीढ़विहीन प्रजाति में तब्दील है।
उस आपातकाल की कोख में इस लोक गणराज्य का अवसान हो गया।
जो है वह निरंकुश सैन्यतंत्र है।
जो है वह निरंकुश सलवा जुड़ुम है।
जो है वह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून है,जिसकी जद में हम उसीतरह कैद है,जैसा समूचा हिमालय,समूचा पूर्वोत्तर और समूचा ग्रामीण भारत,समूचा अनार्य भारत और समूचा आदिवासी भूगोल।
इतिहास बेदखल है।
शिक्षा बेदखल है।
चिकित्सा बेदखल है।
उत्पादन प्रणाली बेदखल है।
अर्थव्यवस्था बेदखल है।
समूचा भूगोल बेदखल है।
समूची कायनात बेदखल है।
कायनात की सारी बरकतें या रहमतें अब कयामतों में तब्दील है।
हमारे हिस्से में हैं
निरंतर जारी आपदायें।
निरंतर जारी सुनामियां।
निरंतर जारी महाभूकंप।
निरंतर जारी अनावृष्टि अतिवृष्टि।
निरंतर जारी बाढ़,सूखा और भूस्खलन।
निरंतर जारी भूख और कुपोषण।
सारा अमृत उनके हिस्से में
सारी मलाई,दूध,मक्खन,घी से लेकर सोना दाना पैसा माल
सबकुछउनके हिस्से में
क्योंकि
जर जोरु जमीन
जलजंगल जमीन
सबकुछ निशाने पर
अपराधी फासिस्ट नस्ली सत्ता का नरसंहार कब थमा है जी?
हम किसी देश के वाशिंदे नहीं हैं।
न हमारा कोई देश है।
गाते हुए वंदे मातरम
हम मातृभूमि को जंजीरों में कैद किये हए हैं।
देश बेचने वाले महाजिन्न के
गुलाम हैं हम नागरिक और
नागरिक मानवाधिकार सारे खत्म हैं।
खत्म हैं मेहनतकशों के हक हकूक सारे।
खत्म है हिमालय।
खत्म है सारे जलस्रोत कि
सूखने लगा है मानसून
पिघलने लगे हैं ग्लेशियर।
खिसकने लगा एवरेस्ट।
सारे समुंदर भी खत्म है।
मनुष्य वध्य है,लेकिन वैदिकी हिंसा
हिसा न भवति।
बलात्कार है,समाहिक बलात्कार है
अनंत शव साधना है
हरिकथा विकास अनंत।
जैसा कि सेनसेक्स उछले हैं
फिर गिरे हैं सेनसेक्स।
जैसे कि हवाओं में सुगंधिक कंडोम
शामियाना की तरह तना हुआ।
और हर स्त्री देह
विस्तृत समुद्रतट पांच सितारा।
इतिसिद्धम्ः वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।
तना हुआ शिवलिंग है यह
कुरुक्षेत्रीय महाभारत और
उसका पुरुषतंत्र निरंकुश
जो मुक्त बाजार है अब
दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त बाजार।
जो ग्रोथ है,वह दरअसल लैंगिक विकास है
लक्ष्य में वही स्त्री भ्रूण।
डोनर वीर्यपात से जनम रही पीढ़ियां
किराये पर कोख है और हर
बच्चा अब बंधुआ मजदूर है।
हम कंबंधों में तब्दील हैं और
हमारा कोई चेहरा नहीं है।
हम आइने में सत्ता का चेहरा देखते हैं और हम।
कोलकाता के किसी राबिनसन स्ट्रीट के वाशिंदे हैं
जहां मरे हुओं की लाशों से कोई गंध नहीं है।
जहां मरे हुए लोग धर्म के नाम जिंदा हैं
और नरकंकाल के साथ रिहाइश के अभ्यस्त हैं।
पूरा देश कोलकाता है और
योगाभ्यास राजनीतिक मिलन आसन है
योगाभ्यास मुकम्मल कामशास्त्र है सत्ता का
योगाभ्यास सत्ता हानीमून है।
योगाभ्यास सेनाओं का हिंदूकरण है।
ताकि कदमताल होता रहे।
ताकि दिमाग का दही होता रहे।
ताकि जारी रहे शोषण का यह तंत्र।
ताकि जारी रहे जनसंहार का मंत्रजाप अनंत।
ताकि चालू रहे सर काटने के तमाम यंत्र।
ताकि जारी रहे दमन और उत्पीड़न।
ताकि हम मान लें जाति की वैधता।
ताकि हम मान लें नस्ली वर्चस्व और
बाजार के धर्म को अपना धर्म मान लें।
बाजार की आस्था हमारी आस्था हो
और बाजार के हित जनहित हो।
विनाश का यह सिलसिला क्योंकि हरिकथा अनंत है और सत्यनारायण की कथा है मंकी बातें फोर जी रिलायंस मोबाइल पर डाउन लोड महाजिन्न ऐप बजरंगी।
इस सीमेट के जंगल में कहीं नहीं,
कहीं नहीं महकते इंसानियत के फूल,
हजारों फूल क्या किसी अकेले गुलाब को
खिलने की इजाजत नहीं है और
हर मुस्कराहट पर चाकचौबंद पहरा है।
आसमान हैं ड्रोन और
राजमार्ग पर उतरे हैं
युद्धक विमान।
परिंदे सारे पिंजड़ें में कैद हैं
और कटे हुए पंखों में कैद है उड़ान।
खवाबों और ख्वाहिशों की तितलियां तमाम जिंदा लाशें।
महामहिम जंगखोर लौहपुरुष रामरथी संघ सिपाहसालार अर्दध सत्य बोले हैं।
आपातकाल कब खत्म हुआ जी?
महामहिम जंगखोर लौहपुरुष रामरथी संघ सिपाहसालार अर्द्ध सत्य बोले हैं।
आपातकाल कब खत्म हुआ जी?
हमने कहा था बात शुरु हुई तो बहुत दूर तलक बात चलेगी कि खत्म न करें बातों का सिलसिला कभी।
अब लीजिये मूसलाधार घनघोर।
हमने लिखा है कि सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।
राजकाज में राजे को बलप्रदत्त मानें न मानें लपेडे मैं है महामहिम कि राष्ट्रपति भवन की नींव में घोटाला की जड़ें तमाम।
पृष्ठभूमि
और दिखाओ! और दिखाओ!
जलवा है के जलवा का मजा लीजिये।
सीमेंट के इस जंगल में इंसानियत की खुशबू कहां?
मसलन गौर करें कि महाजिन्न की किरपा हो गइलन बाड़ा के फोर जी रिलायंस बहारोबहार। अडानी अंबानी राजकाज के खातिरै महाजिन्न ऐप्पस की बहार पूछु पीछु के आपका भी मन ललचावै ह कि कछु ख्वाहिशें ,कछु ख्वाबों को परवान चढ़ायें या फिर कछु गिला शिकायतें साझा करैके खातिर अच्छे दिनों की मंकी बातें रुबरु साझा कर लें तो फटाक से खरीद लिज्यो रिलायंस फोर जी स्मार्टफोन के गुगल प्ले इसी तरह एक्टिवेट हो सकता है।अब कौन कहें कि यह तो सरासर स्मार्ट फोन की एजंसी है। विशुध राजकाज मा ई का हुई गवा रे!
सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।
सुषमा के इस्तीफे से यह जलजला तुरंत सूख जायेगा,इसीलिए मैं बार बार कह लिख रहा हूं कि सुषमा स्वराज से इस्तीफा नहीं मांगनी चाहिए।
सीमेंट के इस जंगल में इंसानियत की खुशबू कहां?
इस दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज जहां बसते हैं,जहां कभी मैनग्रोव सुंदरवन का स्पर्श था,जहां सत्तर फीसदी आबादी जल,वायु और शब्द प्रदूषण से बीमार है,जहां किसी गली में कोई पुश्तैनी मकान अब बचने को नहीं है और जहां हर उत्पादन इकाई लक्जरी हाउसिंग हब में तब्दील है,वहां कामरेड ज्योतिबसु की कोई प्रसंगिकता नहीं हो सकती।नये कोलकाता में जिनने भी कामरेड बसु की मूर्ति तोड़ी,वह घनघोर यथार्थवादी है,भले ही वह सत्ता समर्थक कोई हो।
बहरहाल पिछले बारह जून की मेरे पिताजी की 14वीं. पुण्यतिथि पर दिनेशपुर में उनकी बंधी हुई मूर्ति से दिलोदिमाग जो लहूलुहान है,कुछ खून और गिरता हुआ महसूस हो रहा है।
मूर्ति कामरेड सुभाष चक्रवर्ती की भी तोड़ी गयी है।जब वे वाम सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे शक्तिशाली मंत्री थे,तब हमने उनके साथ राइटर्स में साझा प्रेस कांफ्रेस की है।हमारे घनघोर अंतरंग मित्र हाल में दिवंगत कवि और त्रिपुरा के वरिष्ठतम मंत्री अनिल सरकार के घनघोर मित्र थे सुभाषदा।सुभाषदा की पत्नी रमला दी भी हम लोगों के बेहद नजदीकी रही है।हमने उनके बेडरूम में भी बैठकें की हैं।कुछ खून उनके हिस्से का भी गिर रहा है।
लोगों को गलतफहमी रही है। न मैं कभी बदला हूं और न बदली है मेरी विचारधारा और प्रतिबद्धता।स्वजनों के हक हकूक की लड़ाई में किसी के भी मोर्चे पर खड़े हो जाने की रणनीति मैंने अपने पिता की कैंसर से जूझती जिंदगी से बड़ी लड़ाई के मोर्चे से सीखी है।अपने लोगों का भला हो,भारतीय जनगण को कोई राहत मिले,हिमालय के जख्मों को तनकि मलहम लगे,ऐसी किसी भी पहल के साथ मैं अपने पिता की तरह बेझिझक खड़ा हो सकता हूं रंगों में फर्क के बावजूद।
जनहित और जनसुनवाई के मुद्दे पर मैं किसी भी हद तक किसी के भी साथ खड़ा हो सकता हूं।फिरभी मेरी विचारधारा जो सत्तर के दशक में बनी,जैसे आजतक नहीं बदली है ,वैसे ही आगे भी नहीं बदलने वाली है।
मसलन अंबानी अडानी के जरखरीद गुलामों के फासिस्ट राजकाज के खिलाफ प्रतिरोध की गरज से वैचारिक दुश्मनों के साथ साझा मोर्चा बनाने के मुद्दे पर न्यूनतम कार्यक्रम बनाने की सर्वोच्च प्राथमिकता मेरी है क्योंकि पहले तो हम इस देश में बचे खुचे लोकतंत्र को बचाने की जुगत लगायें,पहले तो रोज रोज मारे जा रहे स्वजनों की जान बचाने की कोशिश करें,फिर विचारधारा के विशुद्ध विकल्पों के बारे में सोचते रहेंगे।
आज सुबह सुबह मुंबई से हमारे मित्र फिरोज मिठीबोरवाला ने ललित मोदी का इंटरव्यू वाला लिंक शेयर किया।फिरोज विश्वव्यवस्था के ताने बाने को मुझसे बेहतर समझते हैं।कश्मीरी जनता के हकहकूक हो या फिलस्तीन के मामलात या इस्लामी आबादी के तमाम मसले,फिरोज की समझ साफ साफ है।जियोनिज्म का विशेषज्ञ तो वह है ही।हमें तो तब झटका लगा था ,जब देशभर के अनेक मित्रों की तरह वह केजरीवाल झांसे में आ गया और उसकी समझ पर मुझे थोड़ा थोड़ा सा शक भी होने लगा।
वैसे मैं राजदीप सरदेसाई से कभी प्रभावित नहीं रहा,मेरे पसंदीदा करण थापर हैं।ललित मोदी के मुखातिब राजदीप का इस इंटरव्यू को लाइव मैंने इंडिया टीवी पर देखा है।आज फिर फिरोज का लिंक खोलकर इसे अपने ब्लागों पर कुछ प्रसंगिक अखबारी कतरनों के साथ अपने ब्लागों पर शेयर करते हुए तमाम चियारियों और चियारिनों के जलवाबहार फिर देखता रहा।
पहले ही दिन मैंने लिखा था,भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी के बाद सबसे सुंदर महिला सुषमा स्वराज के बचाव में पहले ही दिन मुझे मालूम था कि असली लड़ाई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड,घोड़ों की नीलामी,आईपीएल साफ्ट पोर्न कैसिनो और क्रिकेट बाजार की मुनाफावसूली की बंदरबांट को लेकर है और सुषमा स्वराज तो निमित्त मात्र है।
सुषमा के इस्तीफे से यह जलजला तुरंत सूख जायेगा,इसीलिए मैं बार बार कह लिख रहा हूं कि सुषमा स्वराज से इस्तीफा नहीं मांगनी चाहिए।
अब आप तक फिरोज का भेजा यह लिंक पहुंच चुका होगा,थोड़ा पुरसत निकाल कर देख लें कि ललित मोदी क्या क्या गुल खिला रहे हैं और इस गुल बगीचे में कौन कौन उनके साथ नहीं है।देखेः
LaMo Cited Pawar, Patel & Ambani to Extend UK stay.Lalit Modi Exclusive: Complete Interview From Montenegro Watch this interview with Rajdeep Sardesai. It reveals a lot about the various politicians and corporates involved in the power struggle and control over the IPL, the largest generator of Black Money and thus a major power centre in Indian politics.
http://palashscape.blogspot.in/2015/06/lamo-cited-pawar-patel-ambani-to-extend.html
अब हाथ कंगन को आरसी क्या,आप खुदै ही देख लें।
छह सौ रुपल्ली की पत्रकारिता करने वाले राजीव शुक्ला को मैं जागरण जमाने से जानता हूं जो रविवार के मार्फत सत्ता के गलियारे में पहुंचकर अब भारत के अरबपतियों में अग्रगण्य हैं।
भारतीय कृषि और किसानों के हत्यारे का नाम मराठी नीरो है।भारत के कृषि मंत्री की हैसियत से विदर्भ में किसानों की थोक आत्महत्या और खास उनके गृहक्षेत्र मराठवाड़ा में दुष्काल के वक्त क्रिकेट के राजसूय में बाजार के अश्वमेध के सर्वोच्च पुरोहित रहे हैं और सबसे मुनाफे वाले मुंबई क्रिकेट एसोसिएसन के वे अब भी सर्वेसर्वा हैं।
रिजर्व बैंक की क्या औकात की मुद्रास्फीति और महंगाई पर वह अंकुश कसें चाहे रेट कट करें या नहीं करें।लंबे समयतक भारत के कृषि मंत्री रहे महाराष्ट्र के नीरो तमाम खेतों और खलिहानों को आग के हवाले करके क्रिकेट कैसिनों पर दांव लगाते रहे।
कारपोरेट लाबिइंग के ये भीष्म पितामह हैं नेहरु जमाने की निरंतरता बनाये रखते हुए और इनकी राजनीतिक चालों की बराबरी एकमात्र भारत के महामहिम ही कर सकते हैं,जिनकी राजकीय छाप इंदिरा जमाने से लेकर हर घोटाले में है और चूंकि संवैधानिक रक्षा कवच के चलते उनके खिलाफ मुकदमा चल नहीं सकता,इस देश के सारे आर्तिक अपराधी ऐश कर रहे हैं।
ललित मोदी की मानवीय अय्याशी तो झांकी है,महामहिमों की झांकी बाकी है।
पहले निर्यात करो,बाजार में खूब किल्लत हो और वायदा बाजार को गर्म करो,फिर दाम आसमान छू लें तो फिर आयात।किसानों को कुछ मिले न मिले,जिन्हें आयात का कमीशन मिले और निर्यात का डालर भी मिलें,उनकी बल्ले बल्ले।नीरो की बनायी इस अर्थव्यवस्था को दुनिया का कोई फेडरल बैंक बदल नहीं सकता और न इस मोर्चाबंदी पर मंकी बातों का कोई बस है।
फिर एअर इंडिया का काम तमाम करने वाले भी ललित मोदी के खासमखास हैं और मजे की बात है कि सूखे और किसानों की थोक आत्महत्या की पूंजी पर उनकी भी राजनीति चलती है और वे नीरो के सिपाहसालार हैं।
सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।
खास बात यह है कि कारपोरेट वकीलों की लिस्ट कुछ लंबी होती दीख रही है और इसमें माननीया विदेश मंत्री की बेटी भी अब शामिल हैं।
मोदी पर चांदमारी करते हुए चेट्टियार चिदंबरम की पत्नी भी चिटफंड पोंजी इकानामी की चर्चित कारोपोरेट वकील है तो इस पूरे प्रकरण को रफा दफा करने वाले डाउ कैमिकल्स के वकील जो हैं सो हैं, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के खजाने के वारिसान में वे भी श्रीनिवासन और जालमियां के साथ हैं,जिनने मोदी को देश निकाला देकर पूरा बेटिंग,नीलमी,मैच फिक्सिंग, कैसिनों और चियारिनों का साम्राज्य दखल किया हुआ है।
इस वैदिकी सभ्यता में खास दिलचस्पी मनोरंजन के फोर जी जमाने में सिरफ इतना है कि देवमंडल के किस देवता के साथ कौन अप्सरा का शयनकक्ष साझा है और कौन सी चियारिनें किस किसके खाते में हैं।
टीआरपी के नजरिये से टीवी चैनल इस मसले पर गौर फरमाये तो आंखें धन्य हो जायें।बाकीर जो लूटखसोट है,वह तो आर्यवर्चस्व की सनातन नस्ली सभ्यता है।
मसलन गौर करें कि महाजिन्न की किरपा हो गइलन बाड़ा के फोर जी रिलायंस बहारोबहार। अडानी अंबानी राजकाज के खातिरै महाजिन्न ऐप्पस की बहार पीछु पीछु के आपका भी मन ललचावै ह कि कछु ख्वाहिशें ,कछु ख्वाबों को परवान चढ़ायें या फिर कछु गिला शिकायतें साझा करैके खातिर अच्छे दिनों की मंकी बातें रुबरु साझा कर लें तो फटाक से खरीद लिज्यो रिलायंस फोर जी स्मार्टफोन के गुगल प्ले इस तरह एक्टिवेट हो सकता है।अब कौन कहें कि यह तो सरासर स्मार्ट फोन की एजंसी है। विशुध राजकाज मा ई का हुई गवा रे!
बहरहाल जलवा है के जलवा का मजा लीजिये।
संदर्भ प्रसंगः
मुंबई और इसके उपनगरों में मूसलाधार बारिश से आज जनजीवन ठप हो गया। भारी बारिश के कारण लोकल ट्रेनों की सेवाएं रद्द हो गयीं जिससे हजारों मुसाफिर फंस गए। हालात में फिलहाल सुधार होने के कोई आसार नहीं हैं क्योंकि मौसम विभाग ने कुछ इलाकों में भारी से बहुत भारी मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान जताया है।
यूपी के प्रतापगढ़ के बाबागंज में इलाहाबाद फैजाबाद हाइवे किनारे स्थित गोयल रेजीडेंसी होटल में शुक्रवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे शार्ट सर्किट से आग लग गई। होटल में आग से बचाव के कोई उपाय न होने से पूरे होटल में धुंआ भर गया और दम घुटने से होटल में ठहरे दस लोगों की मौत हो गई। जबकि कई लोग प्रतापगढ़ व इलाहाबाद के अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
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लालकृष्ण आडवाणी की 'आपातकाल' चिंता जायज, हम ...
प्रभात खबर-6 घंटे पहले
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपातकाल को लेकर चिंता जायज है. नीतीश कुमार ने कहा कि आडवाणी की चिंता पर सबको ध्यान देना चाहिए. वह जिस चीज की चिंता कर रहे हैं, उसे हम लोग ...
News18 Hindi-21 घंटे पहले
Patrika-15 घंटे पहले
Nai Dunia-17 घंटे पहले
अमर उजाला-11 घंटे पहले
गहरा-Jansatta-2 घंटे पहले
विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (14 और लेख)
भारतीय राजनीति में आज भी आपातकाल की आशंका ...
Zee News हिन्दी-17/06/2015
नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि भारतीय राजनीति में आज भी आपातकाल की आशंका है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। आडवाणी ने देश में आपातकाल की 40वीं बरसी से पहले एक अंग्रेजी अखबार को ...
Jansatta-20 घंटे पहले
News18 Hindi-19 घंटे पहले
गहरा-Live हिन्दुस्तान-21 घंटे पहले
राय-ABP News-17/06/2015
गहरा-एनडीटीवी खबर-17/06/2015
विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (153 और लेख)
आपातकाल और आडवाणी जी का अफसोस
आईबीएन-7-5 घंटे पहले
सियासी गलियारों में अब प्यार से राष्ट्रीय बुजुर्ग कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने आशंका जताई है कि आपातकाल दोबारा भी लग सकता है। यूं तो ये बयान उन्होंने इमरजेंसी के चालीसवें पर दिया, लेकिन इन दिनों मार्गदर्शक की ...
आपातकाल पर बयान के बाद बढ़ा सियासी तापमान ...
दैनिक जागरण-2 घंटे पहले
आपातकाल पर बयान के बाद बढ़ा सियासी तापमान, आडवाणी से मिलेंगे केजरी ... देश में आपातकाल लगने की आशंका जताकर राजनीतिक तापमान बढ़ाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से दिल्ली के मुख्यमंत्री मुलाकात कर सकते ...
आपातकाल की पूरी कहानी: जानें किन-किन वजहों से ...
ABP News-19 घंटे पहले
आजाद हिन्दुस्तान के छह दशक से भी लंबे इतिहास का सबसे काला अध्याय हैआपातकाल यानी इमरजेंसी. उस इमरजेंसी के इसी 25 जून को पूरे चार दशक हो जाएंगे. लेकिन उससे पहले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ये कहकर कि उन्हें ...
माइक्रोमैक्स ने भारत में लांच किया विश्व का ...
दैनिक जागरण-3 घंटे पहले
कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की चिंता केंद्र में बैठे हुक्मरानों पर बड़ा प्रहार है। आडवाणी भाजपा के मार्गदर्शक हैं, जो ही कह रहे कि देश में फिरआपातकाल नहीं लगेगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता। गुरुवार को जदयू ...
नीतीश बोले, अगर बिहार में जंगल राज है तो क्या ...
एनडीटीवी खबर-16 घंटे पहले
नीतीश ने गुरुवार को लालकृष्ण आडवाणी के उस इंटरव्यू का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने देश में आपातकाल की आशंका व्यक्त की है। नीतीश ने कहा कि जब बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के आडवाणी जी ऐसी चिंता व्यक्त कर रहे हैं, तब इस देश ...
...तो क्या पीएम नरेंद्र मोदी भी हो गए हैं मौन
पंजाब केसरी-4 घंटे पहले
अब 25 जून 1975 की याद 40 साल पूरे होने के सात दिन पहले ही कर लालकृष्ण आडवाणी की इमरजेंसी की आशंका वाली चेतावनी हैरत वाली नहीं है। ये तो होना ही था। ... उन्हें भारत में आपातकाल की स्थिति को थोपे जाने की नौबत दिख रही है। राज्य ...
Chhattisgarh Khabar-17 घंटे पहले
विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (5 और लेख)
देश में चल रही अराजक गतिविधियां
Nai Dunia-13 घंटे पहले
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के बयान से सहमति जताते हुए कहा है कि अब यह प्रमाणित हो गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी ... उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का रवैया देश में अघोषित आपातकाल की तरह है।
आडवाणी की चिंता मोदी पर केंद्रित है : विपक्ष
Bhasha-PTI-19 घंटे पहले
नयी दिल्ली, 18 जून :भाषा: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की चिंता कि जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं और आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती हैं, पर कांग्रेस ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केंद्रित ...
व्यक्ति विशेष: राजनीति में कामयाबी से विवादों ...
आईबीएन-7-18/06/2015
आपातकाल के बाद सुषमा ने दो बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 1979 के ... बाद में, विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
भाजपा के भ्रष्टाचार पर मौन तोड़ें मोदी : आप
दैनिक जागरण-16 घंटे पहले
लखनऊ। आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष खेतान ने कहा है कि लालकृष्ण आडवाणी ने देश में आपातकाल जैसे हालात पैदा होने की ओर इशारा कर साफ कर दिया है कि मोदी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं ...
'अच्छे दिन' धुंधले होते जा रहे हैं : बोस
प्रभात खबर-11 घंटे पहले
कोलकाता: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आशंकाओं को साझा करते हुए पश्चिम बंगाल वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने आज कहा कि ''अच्छे दिन'' तेजी से विलुप्त हो ... इस स्थिति में हमेशा आपातकाल की आशंका बनी रहती है.
ABP News Special: भारत में क्यों लगी इमरजेंसी?
ABP News-14 घंटे पहले
इतिहास का सबसे काला अध्याय है आपातकाल यानी इमरजेंसी. उस इमरजेंसी के इसी 25 जून को पूरे चार दशक हो जाएंगे. लेकिन उससे पहले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ये कहकर कि उन्हें भरोसा नहीं कि इस देश में दोबारा ...
नीतीश के रथ पर लालू सवार
Rashtriya Khabar-08/06/2015
साम्प्रदायिकता की समस्या से वह पीड़ित रहें है और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को ... उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई, आपातकाल, मंडल कमीशन संघर्ष और बाबरी मस्जिद जैसे ...
आपातकाल में जेल में गाने सुनते थे लालकृष्ण ...
Nai Dunia-16/05/2015
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शनिवार को कहा कि आपातकाल में जेल में वह ट्रांजिस्टर पर गाने सुनते हुए अपना वक्त बिताते थे। उस समय आडवाणी ने 19 महीने जेल में बिताए थे। पूर्व उप प्रधानमंत्री ...
गहरा-प्रभात खबर-16/05/2015
विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (10 और लेख)
महामना को 'भारत रत्न', लालकृष्ण आडवाणी को 'पद्म ...
Jansatta-30/03/2015
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मालवीय के परिजनों को भारत रत्न प्रदान करने के साथ ही भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणीसहित कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन के ...
Worldnow-30/03/2015
विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (87 और लेख)
फिल्म समीक्षा: बासी 'गब्बर' की वापसी
Jansatta-03/05/2015
पुरानी कहावत है कि बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा। लगता है कि निर्देशक कृष ने यही सोच कर 'शोले' के खलनायक के नाम का एक सकारात्मक इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस तरह का फैसला हर निर्देशक या निर्माता का अधिकार है। लेकिन दो ...
बीसीसीआई में सुधार के लिए आरएम लोढ़ा समिति ने ...
Jansatta-18/05/2015
नवीनतम. सोमनाथ चटर्जी, लालकृष्ण आडवाणी, आपातकाल, इमरजेंसी, Somnath Chatterjee, LK Advani, भाषा | Jun 19, 2015. लालकृष्ण आडवाणीके बाद अब सोमनाथ चटर्जी को भी सता रहा है इमरजेंसी का डर · विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली ...
लालकृष्ण आडवाणी के बयान से खलबली, इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं
प्रभात खबर - 21 hours ago
नयी दिल्ली : देश में फिर इमरजेंसी लग सकता है इसबात को खुद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी माना है. 25 जून को देश में इमरजेंसी लगाए जाने की घटना को पूरे 40 साल होने जा रहा है. इससे पहले ऐसा बयान देकर आडवाणी ने सबको चौंका दिया है. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा भारत की राजनीतिक व्यवस्था में अब भी कुछ सुधार नहीं हो सका है जिससे इमरजेंसी जैसे हालात से निपटा जा सके. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी नागरिक अधिकारों के ऐसे निलंबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अब पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी ...
लालकृष्ण आडवाणी के बाद अब सोमनाथ चटर्जी को भी सता रहा है इमरजेंसी का डर
Jansatta - 4 hours ago
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की राय से सहमति जताते हुए लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि राजनीतिक शत्रुता और प्रतिशोध नए स्तर पर चला गया है तथा ऐसे में भारतीय राजनीति में आपातकाल का डर बरकरार है। चटर्जी ने कहा, कुल मिलाकर मैं सहमत हूं कि आपातकाल का डर बरकरार है। राजनीतिक शत्रुता और प्रतिशोध नए स्तर तक पहुंच गया है और दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपातकाल का प्रावधान संविधान में है। उन्होंने कहा, नागरिक अधिकारों के निलंबन और आधिकारिक या अनाधिकारिक रूप से आपातकाल लगाए जाने का डर है। यह राज्य और केंद्र दोनों में हो सकता है। उल्लेखनीय है कि ...
भारतीय राजनीति में आज भी आपातकाल की आशंका : लालकृष्ण आडवाणी
Zee News हिन्दी - Jun 17, 2015
नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि भारतीय राजनीति में आज भी आपातकाल की आशंका है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। आडवाणी ने देश में आपातकाल की 40वीं बरसी से पहले एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। आडवाणी ने कहा कि भविष्य में नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। वर्तमान में संवैधानिक और कानूनी कवच होने के बावजूद ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती है। गौर हो कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी थी। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें ऐसा क्यों ...
आडवाणी बोले, दोबारा इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं
एनडीटीवी खबर - Jun 17, 2015
नई दिल्ली: 25 जून, 1975 को देश में लगे आपातकाल के खिलाफ अगली पंक्ति में खड़े होकर लड़ाई लड़ने वाले भाजपा के वयोवृद्ध नेतालालकृष्ण आडवाणी मानते हैं कि देश में राजनीतिक नेतृत्व परिपक्व है, लेकिन इसमें कुछ कमियों के कारण वे आश्वस्त नहीं है कि देश में आपातकाल दोबारा नहीं लग सकता। आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक जेल में रहे आडवाणी ने इमरजेंसी की 40वीं वर्षगांठ पर अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में उस दौर को याद किया और मौजूदा राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा की। अखबार से बातचीत में लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ''वह देख रहे हैं कि इस पीढ़ी के लोगों में ...
आडवाणी को आपातकाल की आशंका, विपक्ष ने कहा कहीं मोदी पर तो नहीं साधा निशाना
Live हिन्दुस्तान - 21 hours ago
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आपातकाल के बारे में दिये गए उस बयान से राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं। आडवाणी के इस बयान पर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित है हालांकि, आरएसएस ने ऐसी किसी बात को खारिज किया है, जबकि कांग्रेस तथा भाजपा के अन्य प्रतिद्वन्द्वी दलों ने आडवाणी की इस चिंता को साझा किया है। आडवाणी ने एक साक्षात्कार में कहा कि संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा होने के बावजूद अभी के समय में जो ताकतें लोकतंत्र ...
इमरजेंसी का भय : आडवाणी मुखर तो भाजपा मौन क्यों?
प्रभात खबर - 20 hours ago
भाजपा के पितृ पुरुष लालकृष्ण आडवाणी की इमरजेंसी के 40 साल पूरे होने पर अंगरेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये गये इंटरव्यू में देश में एक बार फिर इमरजेंसी के खतरे होने संबंधी बयान ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है. पहले से ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पूर्व आइपीएल प्रमुख ललित मोदी से संबंधों को लेकर देश में हंगामा मचा हुआ है और भाजपा उसे लेकर बैकफुट पर है. वहीं, अब आडवाणी के बयान ने इस मुद्दे पर भाजपा के लिए मुश्किलें खडी दी है, वहीं विपक्ष को नरेंद्र मोदी सरकार की घेराबंदी का मौका मिल गया है. भाजपा के किसी प्रमुख ...
पढ़ें: आडवाणी के वो 5 बयान जिन्होंने बीजेपी की फजीहत करा दी
आईबीएन-7 - 22 hours ago
तब मोदी के बयान की परोक्ष तौर पर आडवाणी ने आलोचना की थी। आडवाणी ने कहा था कि स्वतंत्रता दिवस जैसे मौके पर नेताओं को एक-दूसरे की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बगैर किसी का नाम लिए कहा था कि मैं प्रधानमंत्री और उनके पूरे मंत्रिमंडल को इस अवसर पर शुभकामनाएं देता हूं। मैं चाहता हूं कि ये भावना विकसित हो। एक-दूसरे की आलोचना किए बगैर लोगों को इस दिन यह याद रखना चाहिए कि भारत में असीम संभावनाएं हैं। 15 अगस्त के मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के लालकिले से दिए भाषण की तीखी आलोचना की थी।
बीजेपी लीडर लालकृष्ण आडवाणी ने जताई आशंका, लग सकती है फिर से इमरजेंसी
i watch - Jun 17, 2015
आईवॉच ब्यूरो, नई दिल्ली। बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में अब भी आपातकाल की आशंका है। आडवाणी ने कहा, " भविष्य में नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।" इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी संवैधानिक और कानूनी कवच होने के बावजूद लोकंतत्र को कुचलने वाली ताकतें मजबूत हैं। इंदिरा गांधी की आलोचना. इमरजेंसी को को इंदिरा गांधी और उनकी सरकार का अपराध बताते हुए आडवाणी ने कहा, "यह फिर हो सकता है, भले ही देश को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। 2015 में भी ...
ब्लॉग: आडवाणी को इमरजेंसी की आशंका, ये बातें बहुत दूर तलक जाएंगी!
ABP News - Jun 18, 2015
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर संविधान को स्थगित कर दिया था. उस के बाद जो चुनाव हुआ उसमें केंद्र में विपक्ष की पार्टियों को सत्ता हासिल करने का मौक़ा मिला. कई बड़े नेता उभरे. उसी कालखंड में लाल कृष्ण आडवाणी का राष्ट्रीय राजनीति में विधिवत मुकाम बना. उनके राजनीतिक जीवन में इमरजेंसी ऐसा मंच है जिसके बाद उनको राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली, इमरजेंसी के दौरान वे अपनी पार्टी, भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने और इमरजेंसी के खिलाफ जब जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में संघर्ष हुआ तो उसमें एक घटक के नेता के रूप में शामिल हुए. 1977 में जनता पार्टी बनी और वे सूचना ...
आडवाणी की आपातकाल संबंधी टिप्पणी का नीतीश ने किया समर्थन
Jansatta - 20 hours ago
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपातकाल संबंधी टिप्पणी का समर्थन करते हुए आज कहा कि बिहार ऐसी स्थिति का हर दिन सामना कर रहा है। पटना में आयोजित कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण समागम कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नीतीश ने आज संवाददाताओं से कहा ''आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी चिंता को गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए। जहां तक आपातकाल जैसी स्थिति का प्रश्न है, तो हम यहां हर दिन ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।'' आडवाणी ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा था ''लोकतंत्र को कुचल सकने वाली ताकतें बलवती ...
आडवाणी ने कहा: 'दोबारा इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं'
Jansatta - Jun 17, 2015
लोकतंत्र को झकझोर देने वाले उस स्याह दौर को याद करते हुए भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अगुवा और अब मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी आज भी आपातकाल के अंदेशे को स्वीकार करते हैं। इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीतिक प्रणाली अब भी आपातकाल की शब्दावली से मुक्त नहीं हुई है और उसी तरह भविष्य में नागरिक स्वतंत्रता के हनन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। आडवाणी ने कहा कि इस समयबिंदु पर संवैधानिक और कानूनी संरक्षण के बावजूद, जनतंत्र को कुचल सकने वाली ताकतें ज्यादा ताकतवर हैं। बुजुर्ग भाजपा नेता का कहना है कि मैं नहीं ...
इमरजेंसी पर टिप्पणी के बाद आडवाणी से मिलेंगे केजरीवाल
एनडीटीवी खबर - 2 hours ago
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मिलेंगे। मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल की आडवाणी से यह पहली मुलाक़ात होगी, जो शाम 6 बजे होगी। यह मुलाक़ात उस समय हो रही है जब गुरुवार को ही आडवाणी ने एक इंटरव्यू में ये कहा था कि देश में आपातकाल अब दोबारा नहीं लगेगा ये नहीं कहा जा सकता, आपातकाल का समर्थन करने वाली ताकतें अब भी मौजूद हैं, जिसके बाद केजरीवाल ने आडवाणी की बात का समर्थन करते हुए पूछा था कि क्या दिल्ली पहला प्रयोग होगा? गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक जेल में रहे आडवाणी ने इमरजेंसी ...
इमरजेंसी संबंधी आडवाणी की टिप्पणी का नीतीश और केजरीवाल ने किया समर्थन
ABP News - 15 hours ago
पटना: सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की इमरजेंसी संबंधी टिप्पणी का समर्थन करते हुए आज कहा कि बिहार ऐसी स्थिति का हर दिन सामना कर रहा है. फ़ाइल फ़ोटो: बिहार के सीएम नीतीश कुमार. पटना में आयोजित कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण समागम कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नीतीश ने आज संवाददाताओं से कहा ''आडवाणी बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी चिंता को गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए. जहां तक इमरजेंसी जैसी स्थिति का प्रश्न है, तो हम यहां हर दिन ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.'' आडवाणी ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा था ...
आडवाणी को फिर इमरजेंसी की आशंका, केजरीवाल ने कहा- दिल्ली में हो रहा है प्रयोग
दैनिक भास्कर - Jun 18, 2015
नई दिल्ली. बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी ने देश में फिर से इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं किया है। इस आशंका को विरोधी दलों ने आधार बना कर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। गुरुवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आडवाणी के बयान का समर्थन करते हुए कहा, ''आडवाणी का यह कहना एकदम सही है कि देश में फिर इमरजेंसी लग सकती है। तो क्या दिल्ली में इसी का प्रयोग किया जा रहा है?'' बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा है, '' भविष्य में नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।'' आडवाणी ने की इंदिरा गांधी ...
इमरजेंसी की याद दिलाकर आडवाणी क्या कहना चाह रहे हैं ?
ABP News - 17 hours ago
विरोधियों के निशाने पर मोदी सरकार इसलिए है क्योंकि बीजेपी के ही नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इमरजेंसी की आशंका का बयान देकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा है कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था में आज भी आपातकाल की आशंका है. इमरजेंसी के बाद ऐसा कुछ नहीं किया गया जिससे भरोसा हो कि नागरिक स्वतंत्रता फिर से नष्ट या निलंबित नहीं की जाएगी. किसी के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा लेकिन मैं नहीं कह सकता कि ऐसा फिर नहीं हो सकता. लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता में कमी दिख रही है. मैं नहीं कह रहा कि राजनीतिक ...
आडवाणी के बयान से जुदा RSS की राय
आज तक - 14 hours ago
साथ ही बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी के बयान पर सफाई पेश कर दी. बीजेपी ने कहा कि आडवाणी ने संस्था को लेकर वैसा बयान दिया. इससे पहले, लालकृष्ण आडवाणी के इमरजेंसी की आशंका पर दिए गए बयान पर बवाल हो गया. विपक्षी पार्टियों ने इस बयान के बहाने मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए. ADVERTISING. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करके राजनीति को हवा दी और इसका रुख दिल्ली में जारी 'जंग' की ओर मोड़ दिया. उन्होंने लिखा, 'आडवाणी ने सही कहा है कि इमरजेंसी की आशंका से इनकार नहीं कहा जा सकता. क्या दिल्ली उनका पहला प्रयोग है?' ...
इमरजेंसी वाली टिप्पणी के जरिये आडवाणी ने साधा पीएम मोदी पर निशाना?
एनडीटीवी खबर - 22 hours ago
भारत में आज भी इमरजेंसी का अंदेशा बचा हुआ है और मौजूदा राजनीतिक माहौल में ऐसे कवच नहीं दिख रहे जो इसे रोक सकें। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब ये बात कही तो राजनितिक गलियारों में हंगामा शुरू हो गया। बीजेपी ने फौरन सफाई दी कि ये किसी नेता के खिलाफ़ इशारा नहीं है। हालांकि इस बयानबाज़ी में जैसे आडवाणी की बात की पुष्टि होने लगी। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यहां तक कह दिया कि आडवीणी एक बुद्धिजीवी नेता हैं और उनकी बात पर विचार करने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पार्टी के 25-30 नेताओं की बैठक ...
आडवाणी के बाद अब सोमनाथ चटर्जी ने भी कहा, आपातकाल का डर अब भी बरकरार
प्रभात खबर - 5 hours ago
आडवाणी की आशंका जायज : विमान कोलकाता. कथित तौर पर भाजपा के आला नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा देश में आपातकालीन स्थिति की आशंका जताये जाने के मुद्दे को राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन विमान बसु ने जायज ठहराया है. उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में रहने के दौरान देश की स्थिति को भलीभांति भांप गये हैं. वामपंथी शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि देश में ऐसी शक्तियों को बल मिल रहा है जो लोकतंत्र को कुचल सकती हैं. गुरुवार को वाम मोरचा राज्य कमेटी की बैठक हुई थी. बैठक के बाद संवाददाताओं से मुखातिब हुए ...
संघ ने खारिज किया इमरजेंसी पर आडवाणी का अंदेशा
आईबीएन-7 - 16 hours ago
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक साक्षात्कार में आपातकाल की आशंका को संघ ने नकारा है। संघ ने कहा है कि इस समय भारत में आपातकाल जैसी स्थिति नहीं है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आपातकाल के 40 साल पूरे होने के अवसर पर अंग्रेजी समाचार-पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा था कि देश में अब भी ऐसी ताकतें मौजूद हैं, जो लोकतंत्र को कुचल सकती हैं और ऐसी ताकतें अब पहले से कहीं अधिक ताकतवर हैं। संघ ने खारिज किया इमरजेंसी पर आडवाणी का अंदेशा. राष्ट्रीय स्वंय संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ मनमोहन वैद्य ने ट्वीट कर देश में ...
आडवाणी के बयान पर केजरीवाल का ट्विट, कहा- क्या दिल्ली में होगा पहला प्रयोग?
News18 Hindi - 19 hours ago
इस समय सरकार किसकी है, कौन प्रधानमंत्री है, संदेश साफ है. दरअसल, आडवाणी ने आपातकाल के 40 साल पूरे होने अवसर पर एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा है कि देश में अब भी ऐसी ताकतें मौजूद हैं, जो लोकतंत्र को कुचल सकती हैं और ऐसी ताकतें अब पहले से कहीं अधिक ताकतवर हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि यदि वर्ष 2015 की ही बात करें, तो भी आपातकाल जैसी स्थिति को रोकने के उपाय मौजूद नहीं हैं. बकौल आडवाणी, वह भरोसे के साथ नहीं कह सकते कि भारत में फिर आपातकाल लागू नहीं किया जा सकता. हालांकि, आडवाणी ने साफ किया कि उनकी यह टिप्पणी केंद्र की मोदी सरकार को लेकर ...
आडवाणी का इमरजेंसी बयान मोदी के लिए तो नहीं है: कांग्रेस
आईबीएन-7 - Jun 18, 2015
नई दिल्ली। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आपातकाल के बारे में दिए गए बयान से राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वो मजबूत हुई हैं। आडवाणी के इस बयान पर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर है हालांकि, इंटरव्यू पर संघ ने कहा है कि ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि देश में इमरजेंसी लगाई जा सकती है। संघ के पूर्व प्रवक्ता एम जी वैद्य ने कहा कि इस इंटरव्यू को किसी एक शख्स से जोड़कर देखना सही नहीं है। आडवाणी के इस इंटरव्यू के बाद विपक्षी दलों को केंद्र सरकार ...
आपातकाल पर बयान के बाद आडवाणी से मिलेंगे केजरीवाल
दैनिक जागरण - 59 minutes ago
नई दिल्ली। देश में आपातकाल लगने की आशंका जताकर राजनीतिक तापमान बढ़ाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणीसे दिल्ली के मुख्यमंत्री मुलाकात कर सकते हैं। मुलाकात का क्या मकसद है? इस बारे में सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि यह मुलाकात शाम छह बजे भाजपा नेता के घर पर होगी। एक दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व लोकसभा सांसद लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था कि आज भी आपातकाल के अंदेशे से इनकार नहीं किया जा सकता है। आपात के चालीस साल पूरे होने पर कार्यक्रम के दौरान आपातकाल को इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ...
आडवाणी के बयान से भाजपा क्लीन बोल्ड
प्रातःकाल - 6 hours ago
इस बीच, भाजपा अपने वरिष्ठतम नेता और पार्टी के संस्थापकों में शामिल आडवाणी के बयान पर बचाव की मुद्रा में आ गयी है। पार्टी के प्रवक्ता एम जे अकबर ने कहा, मुझे लगता है कि आडवाणी व्यक्तियों के नहीं बल्कि संस्थाओं के संदर्भ में बात कर रहे थे। देश में आपातकाल जैसी स्थिति के लौटने की कोई संभावना नहीं है। वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा किआडवाणी देश के वरिष्ठतम नेता हैं। उनकी चिंता है तो इस पर सबको ध्यान देने की आवश्यकता है। कुमार की पार्टी जनता दल यू 17 वर्ष तक भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा थी।
आडवाणी ने किया साफ, पीएम मोदी के लिए नहीं थी टिप्पणी
दैनिक जागरण - 20 hours ago
आडवाणी ने किया साफ, पीएम मोदी के लिए नहीं थी टिप्पणी. नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी के इमरजेंसी को लेकर दिए बयान से देश का सियासी माहौल गर्मा गया है। आडवाणी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मैं आश्वस्त नहीं हूं कि देश में दोबारा इमरजेंसी के हालात न पैदा हो। हालांकि आडवाणी ने साफ किया कि यह किसी व्यक्ति विशेष या सरकार के लिए टिप्पणी नहीं थी। 25 जून को भारत में आपातकाल के 40 साल पूरे होने जा रहे हैं, इस पर आडवाणी ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य ...
बोले आडवाणी, मुझे आज भी है इमरजेंसी की आशंका
आईबीएन-7 - Jun 17, 2015
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को आज भी भारत की राजनीतिक व्यवस्था में आपातकाल की आशंका है। आडवाणी ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था अब भी आपातकाल के हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी नागरिक अधिकारों के निलंबन की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान समय में ताकतें संवैधानिक और कानूनी कवच होने के बावजूद लोकतंत्र को कुचल सकती हैं। आडवाणी ने कहा कि 1975-77 में आपातकाल के बाद के सालों में मैं नहीं सोचता कि ऐसा कुछ भी किया गया है जिससे मैं आश्वस्त रहूं कि नागरिक ...
आडवाणी के आपातकाल वाले बयान पर बोले केजरीवाल, क्या दिल्ली में होगा पहला प्रयोग
Live हिन्दुस्तान - 20 hours ago
केंद्र के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव की स्थिति का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के उस बयान से सहमति व्यक्त की कि देश में आपातकाल लगने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता, साथ ही संदेह व्यक्त किया कि क्या दिल्ली में इसका पहला प्रयोग होगा। केजरीवाल ने ट्वीट किया, आडवाणीजी सही कहते हैं कि आपातकाल को खारिज नहीं किया जा सकता। क्या दिल्ली प्रथम प्रयोग होगा। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग एवं केंद्र के बीच शीर्ष अधिकारियों के स्थानांतरण एवं ...
आपातकाल संबंधी आडवाणी की चिंता को विपक्ष ने जायज डर बताया
Zee News हिन्दी - 18 hours ago
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग एवं केंद्र के बीच शीर्ष अधिकारियों के स्थानांतरण एवं नियुक्ति तथा दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकार के विषय पर खींचतान की स्थिति बनी हुई है। आप नेता आशुतोष ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता की टिप्पणी मोदी की राजनीति पर अभियोग है। आशुतोष ने ट्विट किया कि आडवाणी का साक्षात्कार मोदी की राजनीति पर पहला अभियोग है। वह कहते हैं कि मोदी के नेतृत्व में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है, आपातकाल दूर नहीं है। नीतीश ने पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ ...
आडवाणी का इशारा, देश में लग सकता है आपातकाल
अमर उजाला - Jun 18, 2015
अगले हफ्ते 25 जून को देश में लगे आपातकाल को 40 साल हो जाएंगे। पर इन 40 साल के पूरा होने से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेतालालकृष्ण आडवाणी ने एक बार फिर देश में आपातकाल लगने की बात कहकर भूचाल ला दिया है। अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए साक्षात्कार में लालकृष्ण आडवाणी ने साफ किया है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था अभी आपातकाल से निपटने के लिए तैयार नहीं है। आने वाले समय में देश में नागरिक के अधिकारों को कम किया जा सकता है। उन्होंने इस बात की आशंका अपने साक्षात्कार में जाहिर की है। उन्होंने कहा कि देश में संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा तंत्र के मजबूत होने के ...
इमरजेंसी की संभावना संबंधी आडवाणी की टिप्पणी से केजरीवाल सहमत
Zee News हिन्दी - 17 hours ago
आडवाणी ने एक समाचारपत्र को दिये साक्षात्कार में कहा कि संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा होने के बावजूद अभी के समय में जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं। उन्होंने कहा, 1975.77 में आपातकाल के समय के बाद से' मैं नहीं समझता कि ऐसा कुछ किया गया जो आश्वस्त करता हो कि नागरिक स्वतंत्रता फिर से निलंबित या ध्वस्त नहीं की जाएगी। ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। पूर्व उपप्रधानमंत्री और अभी भाजपा के मागदर्शक मंडल के सदस्य आडवाणी ने कहा कि वास्तव में, कोई आसानी से ऐसा नहीं कर सकता लेकिन ऐसा दोबारा नहीं होगा, मैं ऐसा नहीं कहूंगा। ऐसा हो सकता है कि मौलिक स्वतंत्रता ...
सोमनाथ चटर्जी ने भी जताया आपातकाल का खतरा
अमर उजाला - 5 hours ago
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के बाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने भी आपातकाल की संभावना जताई है। आडवाणी के बाद सोमनाथ चटर्जी का भी आया बयान भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने भी आपातकाल की बात से इंकार नहीं किया है। लालकृष्ण आडवाण्ी की बात का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि आज राजनीति की स्थिति को देखते हुए किसी भी बात से इंकार नहीं किया जा सकता। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आज राजनीति में द्वेष और बदले की भावना बढ़ गई है। इस लिहाज से आपातकाल के डर से इंकार नहीं ...
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