Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Tuesday, December 1, 2015

पाकिस्तान की इस बच्ची ने जो कहा है उसे एक बार जरूर सुनें!#Extension Oil War #Reforms#IMF#World Bank #Mandal VS #Kamandal#Manusmriti हम उनसे अलग कहां हैं हिंदू राष्ट्र बनकर भी हम क्यों बन गये पाकिस्तान,अमेरिका का उपनिवेश? वेदमंत्र में हर मुश्किल आसान,हिंदुत्व एजंडा फिर क्यों मुक्त बाजार और सुधार पर खामोशी क्यों समता और समामाजिक न्याय और हमारे नुमाइंदे क्यों खामोश? बंगाल में 35 साल के राजकाज गवाँने के बाद कामरेडों को यद आया कि रिजर्वेशन कोटा लागू नहीं और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के मुकाबला फिर बहुजन समाज की याद बंगाल में भी मंडल बनाम कमंडल? উগ্র হিন্দুত্ববাদের বিরুদ্ধে লড়াই করার শপথ নিতে । জাতপাত নিয়ে লড়াই করা দাঙ্গাবাজ বিজেপিকে পরাস্ত করা এবং তৃণমুল নামক জঙ্গি সংগঠন কে স্বমুলে নির্মুল করার শপথ নিতে আগামি ২৭শে ডিসেম্বর২০১৫ । বামফ্রন্টের ডাকে ব্রিগেড সমাবেশে দলে দলে যোগ দিন । आज का मनुष्यता और मेहनतकशों की दुनिया को मेरा यह संबोधन कोई एक्टिविज्म या सहिष्णुता असहिष्णुता बहस नहीं है। हम अस्सी के दशक और नब्वे के दशक से शुरु आर्थिक सुधार,राजनीतिक अस्थिरता, हत्याओं, कत्लेआम, त्रासदियों, निजीकरण


https://youtu.be/tkefnIAXJds


पाकिस्तान की इस बच्ची ने जो कहा है उसे एक बार जरूर सुनें!#Extension Oil War #Reforms#IMF#World Bank #Mandal VS #Kamandal#Manusmriti

हम उनसे अलग कहां हैं हिंदू राष्ट्र बनकर भी हम क्यों बन गये पाकिस्तान,अमेरिका का उपनिवेश?

वेदमंत्र में हर मुश्किल आसान,हिंदुत्व एजंडा फिर क्यों मुक्त बाजार और सुधार पर  खामोशी क्यों समता और समामाजिक न्याय और हमारे नुमाइंदे क्यों खामोश?

बंगाल में 35 साल के राजकाज गवाँने के बाद कामरेडों को यद आया कि रिजर्वेशन कोटा लागू नहीं और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के  मुकाबला फिर बहुजन समाज  की याद बंगाल में भी मंडल बनाम कमंडल?

উগ্র হিন্দুত্ববাদের বিরুদ্ধে লড়াই করার শপথ নিতে ।

জাতপাত নিয়ে লড়াই করা দাঙ্গাবাজ বিজেপিকে পরাস্ত করা এবং তৃণমুল নামক জঙ্গি সংগঠন কে স্বমুলে নির্মুল করার শপথ নিতে আগামি ২৭শে ডিসেম্বর২০১৫ ।

বামফ্রন্টের ডাকে ব্রিগেড সমাবেশে দলে দলে যোগ দিন ।

आज का मनुष्यता और मेहनतकशों की दुनिया को मेरा यह संबोधन कोई एक्टिविज्म या सहिष्णुता असहिष्णुता बहस नहीं है।

हम अस्सी के दशक और नब्वे के दशक से शुरु आर्थिक सुधार,राजनीतिक  अस्थिरता, हत्याओं, कत्लेआम, त्रासदियों, निजीकरण,उदारीकरण ग्लोबीकरण,इस्लामोफोबिया,तेल युद्ध,संसदीयआम सहमति और सियासत के तमाशे की हरिकथा अनंत बांच रहे हैं आज अकादमिक और आफिसियल वर्सन के साथोसाथ नई पीढ़ियों के लिए खासकर।पढ़ते रहें हस्तक्षेप।छात्रों के लिए बहुत काम की चीज है।सुनते रहे हमारे प्रवचन मुक्ति और मोक्ष के लिए।

पलाश विश्वास

Sanjit Kumar Mondal's photo.


गौर करें कि 1991 के फर्स्ट स्ट्राइक और मरुआंधी से पहले 1988 में सलमान रश्दी के सैटेनिक वर्सेज बजरिये इस्लामोफोबिया।उससे पहले याद करें अफगानिस्तान में सोवियत संघ का आत्मघाती हस्तक्षेप और तालिबान का सृजन,लहुलूहान पंजाब और असम और त्रिपुरा और इसी प्रसंग में चंद्रशेखर के शासनकाल में भुगतान संतुलन संकट और विश्वबैंक,मुद्राकोष के तमाम आंकड़े और शर्ते ,जिसके मुताबिक तब से लेकर अब तक वैश्विक वित्तीयसंस्तानों के हवाले भारत की राजनीति,अर्थव्यवस्था,आस्था और धर्म।

गौर करें 1971 का बांग्लादेश युद्ध,समाजवादी माडल और निर्गुट आंदोलन,सोवियत बारत मैत्री और सत्तर का दशक।


फिर याद करें,आपरेशन ब्लू स्टार,इंदिरा गांधी की हत्या और सिखों का नरसंहार,राममंदिर आंदोलन का शंखनाद,राजीव का राज्याभिषेक,श्रीलंका में हस्तक्षेप,फिर राजीव की निर्मम हत्या और अमेरिकी परस्त ताकतों का उत्थान हिंदुत्व का पुनरूत्थान।


याद करें हरितक्रांति,भोपाल गैस त्रासदी,बाबरी विध्वंस,आरक्षण विरोधी आत्मदाह आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता,अल्पमत सरकारों का संसदीय सहमति से पूंजी बाजार के हित में आर्थिक सुधार कार्यक्रम का पूरा टाइमलाइन 1991 से जो तेलयुद्ध का विस्तार है और भारत जिस वजह से अनंत युद्धस्थल है और हिंदुत्व की वैदिकी संस्कृति के नाम धर्म के नाम अधर्म की जनिविरोधी बेदखली नरसंहार संस्कृति का बेलगाम अस्वमेध और राजसूय।


आज का मनुष्यता और मेहनतकशों की दुनिया को मेरा यह संबोधन कोई एक्टिविज्म या सहिष्णुता असहिष्णुता बहस नहीं है।

हम अस्सी के दशक और नब्वे के दशक से शुरु आर्थिक सुधार,राजनीतिक  अस्थिरता, हत्याओं, कत्लेआम, त्रासदियों, निजीकरण,उदारीकरण ग्लोबीकरण,इस्लामोफोबिया,तेल युद्ध,संसदीयआम सहमति और सियासत के तमाशे की हरिकथा अनंत बांच रहे हैं आज अकादमिक और आफिसियल वर्सन के साथोसाथ नई पीढ़ियों के लिए खासकर।


पढ़ते रहें हस्तक्षेप।

छात्रों के लिए बहुत काम की चीज है।

सुनते रहे हमारे प्रवचन मुक्ति और मोक्ष के लिए।


यह विशुद्ध प्रोपेशनल जर्नलिज्म है हालांकि मैं एक मामूली सबएडीटर हूं लेकिन इंडियन एक्सप्रेस समूह के संपादकीय डेस्क से मैंने यह दुनिया पल पल बदलते बिगड़ते देखा है तो दैनिक जागरण और दैनिक अमर उजाला में बाकायदा डेस्क प्रभारी बतौर कमसकम आठ साल और,कुल 35 साल यानी सत्तर और अस्सी के दशक का खजाना मेरे पास है।


आपको कोई खुल जा सिम सिम कहना नहीं है।


1980 में हमने जब पत्रकारिता शुरु की,तब जो बच्चा पैदा हुआ,मेरे रिटायर करते वक्त वे 36 साल के हो जाेंगे।जो तब 12 साल का था टीन एजर भी न था,उसकी उम्र 48 साल होगी।


इन तमाम लोगों और लुगाइयों को दिमाग में रखकर मैंने आज आर्थिक सुधार,विश्वबैंक और आईएमएफ के नौकरशाहों के हवाले भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था,बाबासाहेब के संविधान की ऐसी की तैसी ,कानून की राज की ऐसी की तैसी,भारतीयगणतंत्र और लोकगणराज्य की ऐसी की तैसी,समता और सामाजिक न्याय की ऐसी की तैसी का फूल नजारा राज्यसभा टीवी के सौजन्य से ताजा ग्लोबल देसी अपडेट के साथ साथ,रिजर्व बैंक के गवर्नर और भारत के वित्त मंत्री के उच्चविचार के साथ साथ फूल अकादमिक डिस्कासन Economic reforms in India,IMF,world bank,1991 के साथ साथ संसद शीत सत्र लाइव के साथ मध्यपूर्व से लेकर दुनिया के हर कोने पर नजर,नेपाल में भारत के हस्तक्षेप,आर्थिक नाकेबंदी,मौसम की चिंता,मानसरोवर में गंगा के उद्गम और भारत से बेदखल हिमालयके रिसते जख्मों,सूखते मरुस्थल में तब्दील होते ग्लेशियरों के साथ जस का तस कमंडल बनाम मंडल गृहयुद्ध और तेल युद्ध के विस्तार भारत युद्धस्थल का विजुअल पोस्टमार्टम पेश किया है।


कल बहुत जटिल लिखा था।अमलेंदु तक को बहुतै तकलीफ हुई और आज शाम को कल दिन में लिखा वह साझा कर सका।उसका धन्यवाद और अभिषेकवा का भी धन्यवाद की सुबोसुबो गू का छिड़काव हम कर रहे हैं विशुद्धता के तंत्र मंत्र यंत्र तिलिस्म  पर।


बुरा मत मानिये हम फिर वहीं नबारुणदा हर्बर्ट हैं या फैताड़ु बोंहबाजाक हैं,जिसके बारे में हमने खुलासा किया है।हमारा लिखा रवींद्र का दलित विमर्श भी नहीं है न दलितआत्मकथा गीतांजलि है।

आज जियादा पादै को नहीं है।


पाकिस्तान की बिटिया ने जो करारा प्रहार पाकिस्तान की इकोनामी और राजनीति,अमेरिकापरस्ती पर किये हैं,उसके आगे उस बिटिया को सलाम कहने के अलावा कोई चारा नहीं है।आप हमारा वीडियो भले न देखें,पाकिस्तान की उस बिटिया जिंदाबाद जिंदाबन को जरुर सुन लेना और वीडियो से बाहिर निकल आना,यही निवेदन है।


पांचजन्‍य में नोबेल लारिटवा का इंटरव्यू बांचि  लेब तो रमाचरित मानस का कहि वेद उद सब भूलि जाई।सबसे पहिले हमारे मेले में बिछुड़वला बानी सगा भाई अभिषेक ने इसे ससुरे जनपथ पर हग दिहिस तो हमउ छितरा दिहल का,समझ जाइयो।पूरा इंटर ब्यू हम दे नाही सकत।नौबेल लारिटवा के उद्गार में चूं चूंकर जो सहिष्णुता ह ,वही इस देश का सामजिक यथार्थ है और विद्वतजनों का ससोने में मढ़ा गढ़ा चरित्रउ।विस्तार से हमउ लिखल रहल बानी,देखत रह हस्तक्षेप आउर हमार तमामो ब्लाग।


शांति के लिए नोबल पुरस्‍कार मिलने के बाद कैलाश सत्‍यार्थी की सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया बेहद कम देखने में आई है। इधर बीच उन्‍होंने हालांकि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्‍य को एक लंबा साक्षात्‍कार दिया है जो 9 नवंबर को वहां प्रकाशित हुआ है। उससे दो दिन पहले बंगलुरु प्रेस क्‍लब में उन्‍होंने समाचार एजेंसी पीटीआइ से बातचीत में कहा था कि देश में फैली असहिष्‍णुता से निपटने का एक तरीका यह है कि यहां की शिक्षा प्रणाली का ''भारतीयकरण'' कर दिया जाए। उन्‍होंने भगवत गीता को स्‍कूलों में पढ़ाए जाने की भी हिमायत की, जिसकी मांग पहले केंद्रीय मंत्री सुषमा स्‍वराज भी उठा चुकी हैं।

पांचजन्‍य का पहिला सवालः

नोबल पुरस्कार ग्रहण करते समय आपने अपने भाषण की शुरुआत वेद मंत्रों से की थी। इसके पीछे क्या प्रेरणा थी?

जवाब में नोबेल लारिटवा का यह उद्गारः

शांति के नोबल पुरस्कार की घोषणा के बाद जब मुझे पता चला कि भारत की मिट्टी में जन्मे किसी भी पहले व्यक्ति को अब तक यह पुरस्कार नहीं मिल पाया है तो मैं बहुत गौरवान्वित हुआ। अपने देश और महापुरुषों के प्रति नतमस्तक भी। मैंने सोचा कि दुनिया के लोगों को शांति और सहिष्णुता का संदेश देने वाली भारतीय संस्कृति और उसके दर्शन से परिचित करवाने का यह उपयुक्त मंच हो सकता है। मैंने अपना भाषण वेद मंत्र और हिंदी से शुरू किया। बाद में मैंने उसे अंग्रेजी में लोगों को समझाया। मैंने

संगच्छध्वम् संवदध्वम् संवो मनांसि जानताम्

देवा भागम् यथापूर्वे संजानानाम् उपासते!!

का पाठ करते हुए लोगों को बताया कि इस एक मंत्र में ऐसी प्रार्थना, कामना और संकल्प निहित है जो पूरे विश्व को मनुष्य निर्मित त्रासदियों से मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य रखती है। मैंने इस मंत्र के माध्यम से पूरी दुनिया को यह बताने की कोशिश की कि संसार की आज की समस्याओं का समाधान हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले खोज लिया था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि मैंने विदेशों में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म पर अनेक व्याख्यान भी दिए हैं। मेरे घर में नित्य यज्ञ होता है। पत्नी सुमेधा जी ने भी गुरुकुल में ही पढ़ाई की हुई है।


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors