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Sunday, July 24, 2016

मरी हुई गायों के नाम पर खून खराबा खूब हो रहा है तो देहात और खेती की बेदखली के बाद जिंदा गायों की सुधि लेने वाले कौन बचे रहेंगे? सुंदरवन बचाओ नाम से बांग्लादेश में भी तेज हो रहा है गोरक्षा का जवाबी आंदोलन! अभी अभी बांग्लादेश में तूफां आया है कि असम विधानसभा में किसीने बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर दी है।नतीजे का अंदाज आप खुद लगा लें। यह कैसा हिंदू राष्ट्र है,जहां ह�

मरी हुई गायों के नाम पर खून खराबा खूब हो रहा है तो देहात और खेती की बेदखली के बाद जिंदा गायों की सुधि लेने वाले कौन बचे रहेंगे?


सुंदरवन बचाओ नाम से बांग्लादेश में भी तेज हो रहा है गोरक्षा का जवाबी आंदोलन!


अभी अभी बांग्लादेश में तूफां आया है कि असम विधानसभा में किसीने बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर दी है।नतीजे का अंदाज आप खुद लगा लें।


यह कैसा हिंदू राष्ट्र है,जहां हर दूसरा नागरिक गो हत्यारा बताया जा रहा है और रोज रोज गोरक्षा के नाम पर जहां तहां बहुजनों पर धर्मोन्मादी हमला हो रहा है?


इस्लामी राष्ट्रवाद का घोषित लक्ष्य बांग्लादेश को भारत के कब्जे से मुक्त करना है और इसीलिए जैसे पाकिस्तान दुश्मन है तो हर हिंदू का दुश्मन मुसलमान है,उसीतरह वहां भी भारत दुश्मन है तो हर हिंदू दुश्मन है।


जिस गुजरात में पहले मुसलमानों का नरसंहार हुआ,वहां अब दलित निशाने पर हैं।गुजरात नरसंहार में जिन बहुजनों ने हिंदुत्व की पैदल फौज बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी,आज उनके लिए भी फिजांं उतनी ही कयामत है,जितनी कि मुसलमानों के लिए। फिर भी गनीमत है कि बहुजन समाज अभी बना नहीं है और दलित उत्पीड़न के खिलाफ सिर्फ दलित सड़कों पर हैं और बाकी लोग वोट बैंक साध रहे हैं।


गुलशन हत्याकांड के बाद से भारत के सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी का अखंड पाठ चल हा है और लाइव दिखाया जा रहा है रा की गतिविधियां।हमारे यहां जैसे हर मुश्किल और हर मसले का सरकारी जबाव पाकिस्तान है।उनकी हर समस्या के पीछे उसी तरह भारत है।इस्लामी राष्ट्रवाद का घोषित लक्ष्य बांग्लादेश को भारत के कब्जे से मुक्त करना है और इसीलिए जैसे पाकिस्तान दुश्मन है तो हर हिंदू का दुश्मन मुसलमान है,उसीतरह वहां भी भारत दुश्मन है तो हर हिंदू दुश्मन है।



पलाश विश्वास

বাংলাদেশের বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণার প্রস্তাব ভারতের বিধানসভায়

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সংখ্যালঘু নির্যাতন বন্ধ না হলে বাংলাদেশের বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণার প্রস্তাব উঠেছে ভারতের আসামের বিধানসভায়। শুক্রবার বিকালে আসামের বিধানসভায় বাজেট অধিবেশনের পঞ্চম দিনে এ প্রস্তাব দেন কংগ্রেসের বিধায়ক আব্দুল খালেক। বাজেটের ওপর আলোচনায় বেসরকারি এক প্রস্তাবে তিনি বলেন,…

TAZA-KHOBOR.COM|BY TAZAKHOBOR : NEWS UPDATE

जैसे हमारे देशभक्त विमर्श का अंदाज हैःआतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान, कश्मीर में बवाल के पीछे पाकिस्तान,विपक्ष के पीछे पाकिस्तान,धरमनिरपेक्ष और प्रगतिशीलता के पीछे पाकिस्तान,वैसे ही बांग्लादेश में अंध इस्लामी राष्ट्रवाद बांग्लादेश की सरकार को भारत की गुलाम सरकार मानता है और उसके तख्ता पलट की तैयारी में है।भारत की तरह बांग्लादेश में भी लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों को भारत का दलाल और एजंट मना जाता है।


भारत में जैसे हर मुसलमान को पाकिस्तानी मानने की रघुकुल रीति है वैसे ही बांग्लादेशी भाषा में हर मलाउन यानी माला फेरने वाला हिंदू भारत का एजंट है और उनका वध धर्मसम्मत है।वहं भी अल्पसंख्यकों का सफाया धर्मयुद्ध का एजंडा है।


भारतवर्ष नामक अखंड हिंदू राष्ट्र का राजधर्म,राजकाज और राजनय,राजनीति और अर्थव्यवस्था अब गोरक्षकों के हवाले हैं।गोमांस निषेध आंदोलन राममंदिर आदोलन के विपरीत हिंदुत्व से बहुजनों को बेहद तेजी से अलग करने लगा है और गोरक्षकों का इसका अहसास नहीं है।


मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम हिंदुत्व का जो अभूतपूर्व ध्रूवीकरण हुआ और जिसके नतीजतन भारतवर्ष नामक अखंड हिंदू राष्ट्र का राजधर्म,राजकाज और राजनय, राजनीति और अर्थव्यवस्था अब गोरक्षकों के हवाले हैं,उसका विखंडन उतनी ही तेजी से होने लगा है।


क्योंकि इस महादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के अलावा आदिवासी,दलित और पिछड़े अपने को गोमाता की संतान मानने से इंकार कर रहे हैं तो उनके खिलाफ गोरक्षकों के हमले रोज तेज से तेज होते जा रहे हैं।



जिस गुजरात में पहले मुसलमानों का नरसंहार हुआ,वहां अब दलित निशाने पर हैं।गुजरात नरसंहार में जिन बहुजनों ने हिंदुत्व की पैदल फौज बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी,आज उनके लिए भी फिजांं उतनी ही कयामत है,जितनी कि मुसलमानों के लिए। फिर भी गनीमत है कि बहुजन समाज अभी बना नहीं है और दलित उत्पीड़न के खिलाफ सिर्फ दलित सड़कों पर हैं और बाकी लोग वोट बैंक साध रहे हैं।


रामरथी महारथी हिंदुत्व के सिपाहसालार सत्तावर्ग के मंत्री संत्री और तमाम सिपाहसालार ,चक्रवर्ती महाराज इस संकट पर तनिक विवेचना करें कि यह कैसा हिंदू राष्ट्र है,जहां हर दूसरा नागरिक गोहत्यारा बताया जा रहा है और रोज रोज गोरक्षा के नामपर जहं तहां बहुजनों पर धर्मोन्मादी हमला हो रहा है।


हिंदुत्व की समरसता और एकात्मकता का बंटाधार हिंदुत्व की बजरंगी फौजे बहुत तेजी से कर रहा है और इसका तात्कालिक नतीजा पंजाब और यूपी के चुनावों में सामने आ जायेगा।बाहुबलि का नरमेधी अश्वमेध के लिए भारी खतरा है।


यह हिंदुत्व का संकट है।हम विशुधता के पैमाने पर या रंगभेदी सौंदर्यशास्त्र के मुताबिक हिंदुत्व का दावा कर नहीं सकते और न करते हैंं।


हिंदुत्व की मुहर लगी होती तो हमारे तमाम मुश्किलात आसान हो गये होते।

न हम अपने को हिंदू राष्ट्र का झंडावरदार मानते हैं।


हम हजारों साल से पीढ़ी दर पीढ़ी भारत के तमाम मूलनिवासी इंसानियत की जमीन पर कीचड़ गोबर पानी में धंसे हैं और हमें असाध्य किसी भीषण गुप्तरोग के इसाल के लिे न गोमूत्र और न शिबांबु पान करने की कोई जरुरत है।


गोमाता,गोवंश और गोबर से उन धर्मोन्मादी हिंदुत्व राष्ट्रवादियों की तुलना में जाति धर्म नस्ल निर्विशेष भारत के किसानों का नाता बेहद गहरा है जबकि इस धर्म राष्ट्र के राजधर्म के ध्वजावाहकों का कृषि अर्थव्यवस्था से कुछ लेना देना नहीं है।


अब यह पहेली बूझना बेहद मुश्किल है कि जब आप समूचे देहात को स्मार्ट और डिजिटल मुक्तबाजार में तब्दील करने पर आमादा है और खेतों खलिहानों और खेती के साथ साथ किसानों का श्राद्धकर्म वैदिकी पद्धति से कर रहे हैं तो मरी हुई गायों की लाशों पर हिंदू राष्ट्र का परचम कैसे फहराया जायेगा।


मरी हुई गायों के नाम पर खून खराबा खूब हो रहा है तो देहात और खेती की बेदखली के बाद जिंदा गायों की सुधि लेने वाले कौन बचे रहेंगे,पहेली यह भी है।


कोलकाता जैसे प्रगतिशील महानगर की क्रांति भूमि बी अब गोमूत्र की पवित्र गंध से महामहा रही है।अस्पतालों और चिकित्सालयों के भारी खर्च उठाने में असमर्थ आम जनता की बलिहारी जो हजारों साल से इलाज के अभ्यस्त नहीं है।मंत्र तंत्र ताबीज यंत्र ओझा हकीम पीर साधु संत दरगाह मजार और तमाम रंग बिरंगे धर्मस्थलों पर वे अपनी तमाम मुश्किलें आसान करने को दौड़ते हैं क्योंकि आज मुक्तबाजार में क्रयशक्ति उनकी नहीं है और भारतीय उत्पादन प्रणाली में वे हजारों साल से अपने श्रम के बलबूते जिंदा हैं,सिक्कों और अशर्पियों के दम पर नहीं।


बलिहारी असल में तो उन तकनीक विज्ञान ऐप लैप टैब धारक क्रयक्षमता समृद्ध पढ़ी लिखी जमात की है जो रोगमुक्ति के लिए कोका कोला और पेप्सी की तरह धड़ल्ले से गोमूत्र पान कर रहे हैं और यूरिया एसिट से विटामिन प्रोटीन कैल्सियम और मिनरल्स का काम चला रहे हैं।


विशुधता का धर्म कर्म जाहिर कि विज्ञान और तकनीक पर भारी है और कारपोरेट ब्रांडिंग और मार्केटिंग को भी ध्वस्त करने लगी है अंध आस्था को भुना रही विशुधता की मार्केटिंग।


इसमें कोई क्या कर सकता है?जिसकी जैसी आस्था,जिसकी जितनी क्रयशक्ति ,वह उतनी आजादी के साथ अपनी अपनी आस्था में कैद रहने को आजाद है और विज्ञान तकनीक से समृद्ध इस सत्ता वर्ग को लेकर हमारी कोई फिक्र भी नहीं है।


वे जाहिर है कि पोकमैन के पीछे भागते हुए फेसबुक पर कुछ भी पोस्ट करते हुए अपनी अपनी जिंदगी में बहार जी रहे हैं।हमें तो सदाबहार पतझड़ में जी रहे बहुसंख्य बहुजनों की चिंता है जो हिंदू हुए बिना हिंदुत्व के शिकंजे में मजबूरी या आस्था की वजह से ऐसे फंसते जा रहे हैं कि उन्हें मौत की आहट की भी खबर नहीं है।


इस केसरिया सुनामी के मध्य चाहे हिंदुत्ववादी हो या न हो,विशुध अशुध गोरे काले प्रजाजनों के मुखातिब होकर मुझे कहना ही होगा कि भूगोल कभी एक जैसा रहा नहीं है और जमीन हो या समुंदर उसपर खींची कोई रेखा स्थाई होती नहीं है।


यह वक्त खतरनाक और बेहद खतरनाक इसलिए है कि इंसानियत की परवाह किये बिना जो सत्ता वर्ग ने इस दुनिया में आड़ी तेढ़ी तमाम रंग बिरंगी रेखाएं खींचकर इंसानियत को बार बार लहूलुहान किया और कत्लेआम के गुनाहगारों की जिस जय गाथा को हम भूगोल और इतिहास मानते हैं और उनके बनाये नक्शे पर अपना सर कलम कराने को तैयार रहते हैं,वहीं आड़ी रेखाेओं में कयामत बहती हुई सुनामियां हैं।


मसलन बांग्लादेश में इसवक्त सुंदरवन बचाओ अभियान सबसे बड़ा आंदोलन है।यह विदेशी हित या कारपोरेट पूजी के खिलाफ विशुध पर्यावरण आंदोलन भी नहीं है,जिसे दरअसल सीमाओं के आर पार मनुष्यता और प्रकृति के हकहकूक के लिए संगठित किया जाना चाहिए।


यह  सुंदरवन बचाओ अभियान औपचारिक तौर पर तेजी से संगठित भारतविरोधी आंदोलन है और इसके सीधे निशाने पर है इन्हीं आड़ी तेढ़ी रेखाओं के दायरे में बसी हुई इस महादेश के तमाम मुल्कों की इंसानियत,सीधे कहे तो जनसंख्या का भूगोल ,जिसे आखिरकार तहस नहस करने का धर्मोन्मादी एजंडा वहां गोरक्षा का जवाबी आंदोलन है क्योंकि तकनीकी तौर पर गोरक्षा आंदोलन भी कोई धर्मोन्मादी अश्वमेध राजसूय होने के बजाय विशुध पर्यावरण आंदोलन होना चाहिए था और वह ऐसा कतई नहीं है,तो समझ लें कि सुंदरवन बचाओं का असल एजंडा क्या है।


जाहिर है कि एकदम गोरक्षा आंदोलन की तर्ज पर बांग्लादेश में सुंदरवन बचाओ आंदोलन का कहर इस पूरे महादेश पर टूटने वाला है।कमसकम हिंदुत्ववादियों को इसका अंदाजा होना चाहिए क्योंकि वे लोग भी वही धतकरम कर रहे हैं।


बांग्लादेश में इस वक्त रोज रोज दुनियाभर में हो रही आतंकवादी हमलों की खबरें बड़ी खबरें हैं नहीं।हमारे यहां राजनेताओं की राजनीति,उनके बयान,गाली गलौचआरोप प्रत्यारोप,क्रिया प्रतिक्रिया से जैसे मीडिया को फुरसत नहीं है,वैसे ही बांग्लादेश में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा भारत का सैन्य हस्तक्षेप है।वहां यही मीडिया कारोबार है।


गुलशन हत्याकांड के बाद से भारत के सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी का अखंड पाठ चल हा है और लाइव दिखाया जा रहा है रा की गतिविधियां।


हमारे यहां जैसे हर मुश्किल और हर मसले का सरकारी जबाव पाकिस्तान है।उनकी हर समस्या के पीछ उसीतरह बारत है।इस्लामी राष्ट्रवाद को घोषित लक्ष्य बांग्लादेश को भारत के कब्जे से मुक्त करना है और इसीलिए जैसे पाकिस्तान दुश्मन है तो हर हिंदू का दुश्मन मुसलमान है,उसीतरह वहां भी भारत दुश्मन है तो हर हिंदू दुश्मन है।


जैसे हमारे देशभक्त विमर्श का अंदाज हैःआतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान, कश्मीर में बवाल के पीछे पाकिस्तान,विपक्ष के पीछे पाकिस्तान,धरमनिरपेक्ष और प्रगतिशीलता के पीछे पाकिस्तान,वैसे ही बांग्लादेश में अंध इस्लामी राष्ट्रवाद बांग्लादेश की सरकार को भारत की गुलाम सरकार मानता है और उसके तख्ता पलट की तैयारी में है।


भारत की तरह बांग्लादेश में भी लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों को भारत का दलाल और एजंट मना जाता है।


भारत में जैसे हर मुसलमान को पाकिस्तानी मानने की रघुकुल रीति है वैसे ही बांग्लादेशी भाषा में हर मलाउन यानी माला फेरने वाला हिंदू भारत का एजंट है और उनका वध धर्मसम्मत है।वहं भी अल्पसंख्यकों का सफाया धर्मयुद्ध का एजंडा है।


अभी अभी बांग्लादेश में तूफां आया है कि असम विधानसभा में किसीने बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की माग कर दी है।नतीजे का अंदाज आप खुद लगा लें।

भारत में हिंदी मीडिया में ऐसी कोई खबर सुर्खियों में नहीं है।

अंग्रेजी या असमिया मीडिया में ऐसी कोई खबर खंगालने के बाद हमें देखने को नहीं मिली है।गुगल सर्च में भी नहीं है।


बहरहाल संजोग यह है कि ढाका में गुलशन हमले से पहले कोलकाता में हिंदू संहति के जुलूस में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग जोर शोर से उठी थी।


वैसे विदशी मीडिया बांग्लादेश में किसी भी राजनीतिक तूफां के मौके पर भारत के 1971 की तर्ज पर भारत के बांग्लादेश में सैन्य हस्तक्षेप की कयास में खबरें और विश्लेषन प्रकाशित प्रसारित करने का रिवाज है।


Safi Mohammad Khan's photo.

বাংলাদেশের বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণার প্রস্তাব ভারতের বিধানসভায়

বিডিটুডে.নেট:বাংলাদেশের বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণার প্রস্তাব ভারতের বিধানসভায়

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#‎Guwahati‬ ‪#‎NEIndia‬: The total length of the Indo-Bangladesh border is 4,096 km of which 284 km falls in ‪#‎Assam‬...more details

thenortheasttoday.com/?p=49484

India-Bangladesh border will be secured says CM Sonowal

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ইসলামকে গালি দিতে তসলিমাকে ডাকছে ভারতীয় টিভি চ্যানেলগুলো'

http://rtnews24.com/…/%e0%a6%87%e0%a6%b8%e0%a6%b2%e0%a6%be…/

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July 20 at 10:16am ·

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