सिर्फ दो ही तरह के लोग हैं।
धृतराष्ट्र या फिर अश्वत्थामा।
अंधा युग कभी खत्म नहीं हुआ
पलाश विश्वासमहाभारत का युद्ध कभी खत्म ही नहीं हुआ है और अब सिर्फ दो ही तरह के लोग हैं।
धृतराष्ट्र या फिर अश्वत्थामा। नरसंहार अभियान के मध्य धृतराष्ट्र बने हम मीडिया संजय के मार्फत मृत्यु के उत्सव का आंखों देखा हाल देखते हुए अपना ही राजकाज,अपना ही वर्चस्व जारी रखने के लिए मनुष्यता और प्रकृति के विरुद्ध युद्ध में जीत हासिल करने के लिए आकुल व्याकुल हैं तो हर स्त्री गांधारी माता है।वंश ध्वंस के महाभारत के यथार्थ के सच का सामना करने से इंकार करती हुई आंखों में पट्टी।हर आम नागरिक अश्वत्थामा की तरह जख्मी,अभिशप्त।
हमने तराई में विभाजन के शिकार पूर्वी और पश्चिम पाकिस्तान,बर्मा से आये शरणार्तियों के दिलोदिमाग के रिसते हुए जख्म को देखा है।
हमने विकास के नाम विनाश के तहत भारतभर में विस्थापित करोड़ों लोगों को सबकुछ खोते हुए देखा है।
फिरभी हमें अंदाजा नहीं था कि अपना घर और सबकुछ खोकर असुरक्षित भविष्य की ओर यात्रा की त्रासदी कितनी भयानक होती होगी और यह यंत्रणा भारत विभाजन के बाद से लेकर अबतक पीढ़ी दर पीढ़ी आम लोग कैसे सहन कर रहे होंगे।
हमें अंदाजा नहीं है कि कैसे लोग रोजगार के लिए अपना घर,गांव,शहर छोड़कर निकल जाते हैं और फिर कभी लौट नहीं पाते।
रोजगार के लिए विस्थापित होना और रोजगार छिन जाने के बाद विस्थापन,जल जंगल जमीन से विस्थापन का यह महाभारत अनंत है।
चालीस साल तक देशभर में भटकने के बाद खाली हाथ घर वापसी के दौर में विभाजन और विस्थापन के शिकार करोड़ों अश्वत्थामा की त्रासदी अब मेरी नियति है।
Wow! this is Amazing! Do you know your hidden name meaning ? Click here to find your hidden name meaning
ReplyDeletelist of best ielts coaching in Jalandhar
ReplyDelete