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Tuesday, December 20, 2016

पीएफ सूद में कटौती,दस फीसद शेयर बाजार में रेलवे में व्यापक छंटनी की तैयारी पूंजीपतियों को खराब लोन के शिकंजे में फंसे बैंकों को पूंजी की जरुरत नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग रीढ़विहीन प्रजाति की बचत में दिनदहाड़े डकैती के सुनहले अच्छे दिन। नोटबंद की तबाही का 42 वां दिन कतारों में देश,रोज बदल रहे नियम,रोज नय फरमान और नये ख्वाबों का ख्याली पुलाव! पकने लगा आयकर में छूटवाला गाजर का हलवा! बचत पर �

पीएफ सूद में कटौती,दस फीसद शेयर बाजार में

रेलवे में व्यापक छंटनी की तैयारी

पूंजीपतियों को खराब लोन के शिकंजे में फंसे बैंकों को पूंजी की जरुरत

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग रीढ़विहीन प्रजाति की बचत में दिनदहाड़े डकैती के सुनहले अच्छे दिन।

नोटबंद की तबाही का 42 वां दिन कतारों में देश,रोज बदल रहे नियम,रोज नय फरमान और नये ख्वाबों का ख्याली पुलाव! पकने लगा आयकर में छूटवाला गाजर का हलवा!

बचत पर डकैती,मरे हुए चार करोड़ शुतुरमुर्गों,मेहनतकशों पर कुठाराघात

डिजिटलंडियाकैशलैसंडियापैटीएमिंडियाजिओंडिया। ओयहोय। होयहोय।

बूझो बुड़बक जनगण। बूझसको तो बूझ लो। भोर भयो अंधियारा दसों ओर।

बाकी ससुरा भाग्यविधाता जो है सो है, अधिनायक नरसिस महानो ह।


पलाश विश्वास


पीएफ का सूद घटा दिया गया है।बधाई।

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग प्रजाति विलुप्तप्राय है।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको गैंडों की खाल मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको रेगिस्तान की तेज आंधी मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों आपको तेल युद्ध का अरब वसंत मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको अमेरिका इजराइल मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गो,आपको राममंदिर का रामराज्य मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों ,आपको नोटबंदी की कयामती फिजां मुबारक हो।

मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको पिघलते ग्लेशियर,मरी नदियां,रेडियोएक्टिव समुंदर,परमाणु भट्टी मुबारक हो।

मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको भारत पाक युद्ध,चीन के साथ छायायुद्ध,बांग्लादेश विजय मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको अपने प्यारे बच्चों के कटे हुए हाथ पांव,लहूलुहान दिलोदिमाग मुबारक हो।आम जनता का कत्लेआम मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों आपको अपनी महाकालनिद्रा मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपकी नींद में करीब ढाई दशकों से खलल डालने का अपराधी हूं।फिर फिर यह अपराध कर रहा हूं।मेरे खिलाफ गुस्सा भी मुबारक हो।

डिजिटलंडियाकैशलैसंडियापैटीएमिंडियाजिओंडिया। ओयहोय। होयहोय।

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बाकी ससुरा भाग्यविधाता जो है सो है, अधिनायक नरसिस महानो ह।

शुतुरमुर्गों,मुबारक हो कि रेलवे कर्मचारियों की संख्या 19 लाख से घटकर 13 लाख तक पहुंच गयी है।अब  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश का पहला मिलाजुला आम व रेल बजट पेश करने से कुछ सप्ताह पूर्व रेलवे के गैर प्रमुख कामकाज मसलन आतिथ्य सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर जोर दिया है।रेलवे की ज्यादातर सेवाओं का पहले ही निजीकरण हो चुका है और अब व्यापक छंटनी की तैयारी है।

झोला छाप अर्थशास्त्रियों का करिश्मा नोटबंदी है,फ्रंटलाइन की नोटबंद कुंजी पर हस्तक्षेप पर विस्तार से पढ़ लें।

अभी आरएसी के टिकट पर कंफर्म सीट न देने का फतवा है और आगे बगुला भगत अर्थशास्त्रियों के सुझाव मुताबिक रेलवे में सिर्फ चार लाख कर्मचारी होंगे।

रेलवे रिफॉर्म पर दिल्ली में हुए सेमिनार के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आने वाले दिनों में रेलवे को हाइवे और एयरलाइन सेक्टर से कड़ी चुनौती मिलने वाली है। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी के बावजूद एयर ट्रैफिक में खासी बढ़ोतरी दिख रही है। रेलवे रिफॉर्म पर बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे को ट्रैक पर लाने की तैयारी की जा रही है।

यह ट्रैक आउटसोर्सिंग और व्यापक छंटनी का ट्रैक है।

पहली दफा जब शेयर बाजार में पीएफ फंड से पांच फीसद बाजार में डालने का फैसला हुआ,तब हम इंडियन एक्सप्रेस समूह के जनसत्ता के संपादकीय में नौकरी में थे।हमने जो लिखा सो लिखा,सभाओं,सम्मेलनों और दफ्तरों में जा जाकर कर्मचारियों को समझाने की कोशिशें की कि नीतिगत निर्णय के लिए संसदीय हरी झंडी के लिए सिर्फ पांच फीसद बाजार में जा रहा है फिलहाल।बैंक, बीमा समेत सरकारी उपक्रमों के निजीकरण की शुरुआत हमेशा पांच फीसद विनिवेश से होता है,जिसे आहिस्ते आहिस्ते 49 फीसद तक बढ़ा दिया जाता है।ऐसा हर सेक्टर में हुआ है।

इसी बीच उद्योग मंडलों और निर्यातक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा कर ली है।

इस बैठक में  सरकार को सरकारी कंपनियों (पीएसयू) में विनिवेश तेज करने, कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 18 प्रतिशत करने और मैट में कमी का सुझाव भी दिया गया है।आम जनता का चाहे जो हो,उद्योग जगत की ये सुझाव मान लिये जाने के आसार बहुत ज्यादा है।

इसका सीधा मतलब यह हुआ कि विनिवेश के रास्ते निजीकरण और तेज होगा और उसी हिसाब से तेज होगी छंटनी और रोजगार सृजन के बजाय बेरोजगारी बढ़ेगी।

पीएफ का सूद घटा दिया गया है।बधाई।

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग प्रजाति विलुप्तप्राय है।

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मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको भारत पाक युद्ध,चीन के साथ छायायुद्ध,बांग्लादेश विजय मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको अपने प्यारे बच्चों के कटे हुए हाथ पांव,लहूलुहान दिलोदिमाग मुबारक हो।आम जनता का कत्लेआम मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों आपको अपनी महाकालनिद्रा मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपकी नींद में करीब ढाई दशकों से खलल डालने का अपराधी हूं।फिर फिर यह अपराध कर रहा हूं।मेरे खिलाफ गुस्सा भी मुबारक हो।

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बाकी ससुरा भाग्यविधाता जो है सो है, अधिनायक नरसिस महानो ह।

जिस शेयर बाजार को अर्थव्यवस्था की सेहत माना जाता है उत्पादन के दहशतगर्द आंकड़ों के विपरीत,नोटबंदी के आलम में उसका हाल बवाल है।बैंकिंग, मेटल, फार्मा, ऑटो और ऑयल एंड गैस शेयरों में बिकवाली बढ़ने से बाजार पर दबाव बना है।कारोबार और उद्योग जगत में खलबली मची हुई है।

अब भी सबसे निश्चिंत नौकरीपेशा लोग हैं।नोटबंदी के बचाव में नया शगूफा यह है कि लगभग 200 सालों तक गुलाम बनाकर रखने वाले ब्रिटेन को भारत की अर्थव्यवस्था ने पीछे छोड़ दिया है। करीब सौ सालों में पहली बार ऐसा मौका आया है जब ब्रिटेन के गुलाम रहे किसी देश ने ऐसी उपलब्धि हासिल की हो। दरअसल आजादी के पहले तक भारत के उद्योग-धंधे तबाह कर यहां के कच्चे माल के दम पर पूरी दुनिया में व्यापार करने वाले ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो चुकी है। यूरोपीय संघ से हटने के बाद से उसकी मुद्रा पाउंड की कीमत पिछले 12 महीनों में काफी गिर गई है। अभी तक माना जा रहा था कि भारत 2020 तक ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देगा।

इसके विपरीत हकीकत यह है कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर असंगठित क्षेत्र पर ही पड़ा है। सभी छोटे और मझोले उद्योग और कारोबार कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं। व्यापार सिकुड़ता जा रहा है और अब इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय माना जा रहा है।

इसी सिलसिले में एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत कहते हैं कि इसका सीधा असर जीडीपी विकास दर पर पड़ेगा. रावत ने एनडीटीवी से कहा, 'नोटबंदी का निश्चित तौर पर असर जीडीपी ग्रोथ रेट पर पड़ेगा. मेरा अनुमान है कि असर 1.5% तक होगा. सबसे ज़्यादा असर रोज़गार पर पड़ रहा है विशेषकर छेटो-छोटे कारखानों में. और एक्सपोर्ट सेक्टर पर...'

एसोचैम का आकलन है कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों पर पड़ा है। नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र में रोज़गार के अवसर तेज़ी से घट रहे हैं। ये आकलन एसोचैम से जुड़े उद्योगों की राय के आधार पर तैयार किया गया है।

शुतुरमुर्गों, नकदी संकट जस का तस है,जिसके सालभर में सुलझने के आसार नहीं है।अब मीडिया के मुताबिक भारत में वृहद स्तर पर बैंकों के पास पूंजी की कमी की समस्या अभी बनी रहेगी और इससे जूझती रहेगी।

शुतुरमुर्गों,एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बैंकिंग सिस्‍टम को अगले तीन साल में 1.2 लाख करोड़ रुपए या 18 अरब डॉलर की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।

प्रबंधन सलाहकार कंपनी ओलिवर वेमैन की रिपोर्ट में कहा गया है,

संसाधन की कमी से जूझ रही दुनिया में बैंकों को अपनी पूंजी तथा जोखिम रिटर्न प्रोफाइल के प्रबंधन के लिए मजबूती से प्रयास करना होगा।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन साल में बैंकिंग प्रणाली को 1.2 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।

  • संपत्ति गुणवत्ता की मान्यता, ऋण की मांग और नए नियमन (आईएफआरएस 9 तथा बासेल) के प्रभाव की वजह से अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि बैंक सफलतापूर्वक मौजूदा दबाव को झेल जाते हैं तथा अपने कारोबारी मॉडल को नए सिरे से तय करते हैं, तो उनके लिए भारी अवसर होंगे।

  • आमदनी में कमी तथा पूंजी की अड़चन की वजह से बैंक नई प्रौद्योगिकियों में निवेश नहीं कर पा रहे हैं।

  • सबसे ज्यादा अवसर लघु एवं मझोले उपक्रमों के साथ हैं जो अनुमानत: 140 अरब डॉलर के हैं।

  • ऊंची लागत की वजह से अभी इस क्षेत्र का पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है।


हमने विनिवेश आयोग की सिफारिशों और विनिवेश परिषद की कार्ययोजना के तमाम दस्तावेज अटल जमाने से लगातार  शेयर किये हैं।

हमारे ब्लागों में वे दस्तावेज चाहे तो अबभी आप देख सकते है।

हमने लगातार कहा है कि देश के संसाधन विदेशी पूंजी के हवाले करने का यह कार्यक्रम है।विनिवश का मतलब बिक्री है या शटर डाउन है।इसका सीधा मतलब छंटनी है।शुतुरमुर्गों को भरोसा रहा है कि पीएफ से छेड़छाड़ नहीं होगी।

शुतुरमुर्ग मानते ही नहीं थे कि उनके साथ कुछ बुरा हो सकता है।

मसलन एअर इंडिया या इंडियन एअर लाइंस के सबसे सुखी,सबसे संपन्न शुतुरमुर्ग तो किसी भी तरह के संकट से सीधे इंकार कर रहे थेे।

इसी तरह रेलवे और बैंकिंग के महान शुतुरमुर्गों और शुतुरमुर्गों के फेशेवर नेताओं और य़ूनियनों को घमंड है कि उनका सरकार कभी बुरा कर ही नहीं सकती।वे जब चाहे तब हड़ताल कर सकते हैं.सेवा ठप करके मांगे मनवा सकते हैं।वेतन भत्ते अवकाश में इजाफा कर सकते हैं।करते भी रहे हैं।लेकिन ये शुतुरमुर्ग भी अपनी नौकरी बचा बी लें तो साथियों की नौकरी बचा नहीं सकते या बचाना ही नहीं चाहते।

खास तौर पर केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने को खुदा से कम नहीं समझते।इन सुर्काव के परों वाले शुतुरमुर्गों का खुदा ही अब उनका मालिक है।

सबसे चित्र विचित्र गरीब राज्य सरकारों के मातहत काम कर रहे पार्टीबद्ध शुतुरमुर्गों का है।वेतनमान लागू हो जाता है,जो कभी पूरा नहीं मिलता है।वेतन मिलता है तो भत्ता नहीं मिलता।कमाने खाने की छूट वफादारी पर निर्भर है।कमाते भी हैं।खाते भी हैं।खिलाते भी हैं।इन शुतुरमुर्गों को अपना बेशकीमती सर छुपाने के लिए रेत भी नसीब नहीं है।चोट कहीं भी हो,इन शुतुरमुर्गों को चूं तक की इजाजत नहीं है।

अब ईपीएफ फंड से दस फीसद शेयर बाजार में डालने का फैसला संसद सत्र के अवसान के बाद हुआ है।इसके लिए संसद की मंजूरी जरुरी नहीं है।इसतरह 49 फीसद तक पीएफ शेयर बाजार में आहिस्ते आहिस्ते चले जाना है।शेयर बाजार से नत्थी होने के बाद बीमा का प्रीमियम तक अब करोड़ों लोगों को वापस नहीं हो रहा है।शेयर बाजार में उतार चढ़ावे के बाद जो लाखों करोड़ का नुकसान छोटे निवेशकों को होते हैं,वे सरकारी निवेश हैं।यानी हमारी जमा पूंजी का सरकारी बंटाधार।

शुतुरमुर्गों, हमारे बचत और बीमा के खातों से हमारी जानकारी और इजाजत के बिना सरकारी निवेश है।पीएफ और बीमा इसके दायरे में है।

शुतुरमुर्गों,पीएफ का सूद पहले कभी करीब 14 फीसद रहा है जो अब घटते घटते 8.65 प्रतिशत तक हो गया है।कम से कम पांच फीसद का नुकसान अबतक हो गया है।फिर भी शुतुरमुर्गों का सर रेत के ढेर में गढ़ा है,मरुस्थल हो,न हो। गैंडों की खाल सही सलामत है और किसी सूरत में किसी की चीख पुकार से कालनिद्रा में खलल नहीं पड़ी है।कुंभकर्ण की निद्रा भी इन शुतुरमुर्गों की नींद के आगे तुच्छ है।

पीएफ का सूद घटा दिया गया है।बधाई।

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग प्रजाति विलुप्तप्राय है।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको गैंडों की खाल मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको रेगिस्तान की तेज आंधी मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों आपको तेल युद्ध का अरब वसंत मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको अमेरिका इजराइल मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गो,आपको राममंदिर का रामराज्य मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों ,आपको नोटबंदी की कयामती फिजां मुबारक हो।

मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको पिघलते ग्लेशियर,मरी नदियां,रेडियोएक्टिव समुंदर,परमाणु भट्टी मुबारक हो।

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गौरतलब है कि जबकि दो करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियो को वेतन और पेंशन की बैंकों में जमा रकम कतार में रोजाना घंटों खड़ा होने के बावजूद अब नोटबंदी के इतना अरसा गुजर जाने के बावजूद नहीं मिला है और अनेक लोगं ने कतार में खड़े खड़े दम तोड़ दिया है,ऐसे में  कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 2016-17 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.65 प्रतिशत ब्याज दर तय की है।

मरे हुए चार करोड़ शुतुरमुर्गों पर कुठाराघात कर दिया है मुक्तबाजारी नस्ली तानाशाही ने।मरो हुओं में चूंकि किसी हरकत की कोई उम्मीद होती नहीं है,खासतौर पर जब पगार सरकारी हो और ऊपरी आय मोटी हो,भत्ते रंगबिरंगी हो,तो पीएफ की क्यों परवाह करें शुतुरमुर्ग।

गनीमत है शुतुरमुर्गों,कयामत सिर्फ फिलहाल उनके लिए है, जिनकी पगार छोटी है,जिनके भत्ते नहीं हैं,पेंशन भी नहीं है और एकमात्र बचत पीएफ है,उनके लिए यह जोर का झटका धीरे से है।

इस नीम करेला के बाद गाजर का हलवा भी है नौकरी पेशा शुतुरमुर्ग समुदाय के लिए,ताकि जोर का झटझटका धीरे से लगे।सरकार नोटबंदी के बाद आम आदमी को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। इस बार इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव होंगे। सीएनबीसी-आवाज़ की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक 4 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स छूट का एलान संभव है। सरकार की ओर से बजट में इसका एलान हो सकता है।


मनी कंट्रोल के मुताबिक 4 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, तो 4 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। 10 लाख रुपये से ज्यादा और 15 लाख रुपये तक की आमदनी पर 15 फीसदी टैक्स संभव है। 15 लाख रुपये से ज्यादा और 20 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है। 20 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा।


गौरतलब है कि अभी 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, जबकि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा और 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 फीसदी का टैक्स लागू है। वहीं 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 फीसदी का टैक्स लागू है। 10 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है।

शुतुरमुर्गों के लिए यह बेशकीमती सौगात है।

शुतुरमुर्ग खुश रहें ,तो आम जनता तो घर की मुर्गी है,जब चाहे,जैसे चाहे,हलाल कर दो।


गौरतलब है कि  बेंगलुरु में सीबीटी की बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया। कर्मचारियों के लिए यह निश्चित तौर पर बुरी खबर है क्योंकि पीएफ पर यह ब्याज दर पिछले साल के मुकाबले कम है। पिछले साल यह 8.8 फीसदी थी। ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या चार करोड़ से अधिक है और इस फैसले से ये सभी लोग प्रभावित होंगे।

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग रीढ़विहीन प्रजाति की बचत में दिनदहाड़े डकैती के सुनहले दिन। नौकरीपेशा लोगों के लिए ईपीएफ बचत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण जरिया है। हर महीने उसकी सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा इस अकाउंट में चला जाता है। कर्मी के कंट्रीब्यूशन का एक हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में भी जाता है।

पीएफ में 24 फीसद तक कर्मचारी अपने हिस्सा में बचत की रकम बढ़ाने के लिए जमा कराते हैं,जहां दिनदहाड़े डाका डाला है अच्छे दिनों के बाजीगर ने।

गौरतलब है कि ईपीएफओ के 31, मार्च 2016 के आकंड़ों के मुताबिक 3,76,22,440 सदस्य, ईपीएफ में अपना योगदान कर रहे हैं। राज्य के हिसाब से देखें तो दिल्ली में 24,92,295- आंध्र प्रदेश (तेलांगना सहित) में 32,92,532- कर्नाटक में 45,61,743- महाराष्ट्र में 74,99,727 – केरल में 10 लाख से ज्यादा तिमल नाडु में 45,27,43- मध्य प्रदेश में 9 लाख से ज्यादा सदस्य, उत्तर प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा ईपीएफ में अपना योगदान कर रहे हैं। वहीं जिन राज्य में सबसे कम सदस्य योगदान कर रहे हैं वह इस प्रकार हैं। बिहार- 2 लाख से ज्यादा, छत्तीसगढ़- 3 लाख से ज्यादा, गोवा- 1 लाख से ज्यादा, उत्तराखंड- 4 लाख से ज्यादा, झारखंड- 4 लाख से ज्यादा ...

इस पर तुर्रा यह कि केंद्रीय श्रम व रोजगार राज्यमंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संवाददाताओं से कहा, हमने 2016-17 के लिए ईपीएफ अंशधारकों को 8.65 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है। सभी भागीदारों के साथ व्यापक चर्चा के बाद यह फैसला किया गया है। हमने यह फैसला बहुत सोच विचार कर किया है।

इस पर भी तुर्रा अरुण जेटली ने कहा कि आरबीआई के पास पर्याप्त कैश मौजूद है जिसकी सप्लाई में 30 दिसंबर के बाद भी कमी नहीं आएगी। सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए छोटे कारोबारियों को टैक्स में छूट देने का एलान किया है। जेटली ने मंगलवार को कहा कि छोटे कारोबारियों के लिए 2 करोड़ के टर्नओवर पर प्रॉफिट 8% यानी 16 लाख रुपए माना जाता है। अगर कोई कारोबारी डिजिटल ट्रांजैक्शन में बिजनेस करेगा तो उसके लिए यह लिमिट घटाकर 6% यानी 12 लाख रुपए मानी जाएगी। इस तरह डिजिटल ट्रांजैक्शन करने पर उसे कम टैक्स देना पड़ेगा।

शुतुरमुर्गों,इसके अलावा ताजा फरमान यह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ किया है कि 30 दिसंबर तक कोई व्यक्ति यदि एक बार में कितने भी पुराने नोट जमा करता है, तो उससे कोई पूछताछ नहीं की जाएगी, लेकिन यदि कोई बार-बार ऐसे नोट जमा करने बैंक में जाता है तो उसे पूछताछ का सामना करना पड़ेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि पुराने नोट लेने के लिए कुछ क्षेत्रों में मिलने वाली छूट पिछले हफ्ते खत्म हो चुकी है, इसलिए अब लोगों के पास ऐसे नोट सिर्फ बैंक में ही जमा करने का विकल्प है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने पुराने नोट जमा करने के लिए सख्त नियमों की घोषणा की थी।

बहरहाल देहात के लोग मरे या जिये,इससे शहरी शुतुरमुर्गों को कोई फर्क पड़ता नहीं है।ये कत्लेआम और भुखमरी पर जश्न मनाते हैं।

शुतुरमुर्गों,उपभोक्ता बाजार का जलवा यह है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद चंडीगढ़ में हुए निगम चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छी खबर लेकर आए हैं। पार्टी को यहां बंपर जीत हासिल हुई है। अभी तक की मतगणना में 26 सीटों में से 20 पर बीजेपी-अकाली गठबंधन ने जीत दर्ज की है। इनमें से 19 सीटें बीजेपी ने जबकि 1 सीट अकाली ने जीती है। उधर कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 4 सीटें आई हैं। बीजेपी ने जीत का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया है। जाहिर है कि बीजेपी इन नतीजों को इस बात से ही जोड़ेगी कि तमाम तकलीफों को झेलने के बाद भी लोग मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के साथ खड़े हैं।

शुतुरमुर्गों,बाकी दश के चुनाव नतीजे भी फासिज्म के राजकाज के हक में हो तो ताज्जुब कभी मत मानिये।आपकी बड़ी मेहरबानी है आम जनता पर।

फिरभी गौरतलब है कि  जमा करने के कड़े नियम, ईपीएफ दर में कटौती को दोहरा सर्जिकल स्ट्राइक करार देते हुए कांग्रेस ने मांग की कि मोदी सरकार बैन किए गए नोटों में 5 हजार रूपये से अधिक की नकदी जमा पर कड़ी पाबंदी को वापस ले। साथ ही कांग्रेस ने 2016-17 के लिए ईपीएफओ ब्याज दरों को कम करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संवाददाताओं को बताया, '' मोदी सरकार ने आम आदमी को दोहरा सर्जिकल हमला किया है।

पीएफ का सूद घटा दिया गया है।बधाई।

नौकरीपेशा शुतुरमुर्ग प्रजाति विलुप्तप्राय है।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको गैंडों की खाल मुबारक हो।

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मेरे देश के महान शुतुरमुर्गो,आपको राममंदिर का रामराज्य मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों ,आपको नोटबंदी की कयामती फिजां मुबारक हो।

मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको पिघलते ग्लेशियर,मरी नदियां,रेडियोएक्टिव समुंदर,परमाणु भट्टी मुबारक हो।

मेरे देश के महान डिजिटल कैशलैस शुतुरमुर्गों, आपको भारत पाक युद्ध,चीन के साथ छायायुद्ध,बांग्लादेश विजय मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपको अपने प्यारे बच्चों के कटे हुए हाथ पांव,लहूलुहान दिलोदिमाग मुबारक हो।आम जनता का कत्लेआम मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों आपको अपनी महाकालनिद्रा मुबारक हो।

मेरे देश के महान शुतुरमुर्गों,आपकी नींद में करीब ढाई दशकों से खलल डालने का अपराधी हूं।फिर फिर यह अपराध कर रहा हूं।मेरे खिलाफ गुस्सा भी मुबारक हो।

डिजिटलंडियाकैशलैसंडियापैटीएमिंडियाजिओंडिया। ओयहोय। होयहोय।

डिजिटलंडियाकैशलैसंडियापैटीएमिंडियाजिओंडिया। ओयहोय। होयहोय।

बूझो बुड़बक जनगण। बूझसको तो बूझ लो। भोर भयो अंधियारा दसों ओर।

बाकी ससुरा भाग्यविधाता जो है सो है, अधिनायक नरसिस महानो ह।

हमने निजीकरण,उदारीकरण और ग्लोबीकरण के मुक्तबाजार में आम जनता और खासकर जाति व्यवस्था के तहत और भौगोलिक नस्ली अस्पृश्यता के तहत नरसंहारी अश्वमेध अभियान के शिकार निनानब्वे फीसद जनता को चौबीसों घंटे जानकारी देने के सिवाय कुछ भी नहीं किया है पिछले 25 सालों के दौरान।

हम देश भर में हर सेक्टर के कर्मचारियों को विनिवेश का फंडा समझाने की कोशिशें लगातार जारी रखी है।नतीजा इसीलिए हमारे लिए तबाही का सबब है।

शुतुरमुर्गों,नवउदारवाद की दस्तक शुरु होने से पहले हमने अमेरिका से सावधान पहले खाड़ी युद्ध के दौरान लिखना शुरु करके देश को साम्राज्यवादियों का उपनिवेश बनाकर रंगभेदी मनुस्मृति शासन लागू करने के खिलाफ लगातार चेतावनी दी है।

हमारे लोग सावधान नहीं हुए।हम कारपोरेट मीडिया और संपन्न मौकापरस्त मेधा के सत्तावर्ग की काली सूची में आ गये।

शुतुरमुर्गों,लगातार बड़े अखबारों के संपादकीय में रहकर 36 सालों से दैनिक संस्करणों के संपादन प्रकाशन में लगे रहने के बावजूद मुझे दूध में से मक्खी की तरह निकाल बाहर कर दिया गया है।जिसका मुझे अफसोस नहीं है।

हमने लगभग पूरे देश की यात्राएं इस दौरान कर ली और लगभग हर सूबे में सभाओं और सम्मेलनों में सत्ता वर्ग के नरसंहार कार्यक्रम के बारे में चेतावनी दी है।

अभिव्यक्ति के हम माध्यम से हम और हमारे तमाम साथी लगातार मुक्तबाजार के विध्वंस के बारे में चेताते रहे हैं।

आम लोग अर्थशास्त्र नहीं समझते लेकिन पढ़े लिखे लोग अर्थशास्त्र और विज्ञान,राजनीति और गणित जरुर जानते होंगे,ऐसी हमारी उम्मीद थी।वे कितना समझते हैं,कितना नहीं समझते हम नहीं जानते ,लेकिन पानी सर के ऊपर हो जाने के बावजूद वे कमसकम खुद को बचाने के लिए कोई हरकत नहीं कर रहे हैं।

बहरहाल मीडिया के मुताबिक  भारतीय उद्योग जगत ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी का देश की अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक असर होगा, इसलिए सरकार को उत्पादकता और खपत बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उद्योग जगत ने आगामी बजट में कंपनी टैक्स को कम करने पर भी जोर दिया है।

उद्योग मंडलों और निर्यातक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा में यह बात कही। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को 8 नवंबर को चलन से हटा दिया।इसके साथ ही सरकार को सरकारी कंपनियों (पीएसयू) में विनिवेश तेज करने, कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 18 प्रतिशत करने और मैट में कमी का सुझाव भी दिया गया है।

उद्योगपति राजन मित्तल ने बैठक के बाद कहा, 'बैठक में नोटबंदी पर भी चर्चा हुई. हम चाहते हैं कि इस कारण आम लोगों को हो रही दिक्कतें दूर हो और मुझे पूरा भरोसा है कि सरकार इस पर काम कर रही है।'

फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने निर्यात बढ़ाने के लिए निर्यात विकास कोष बनाने की वकालत की। वहीं फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने भी कहा कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक असर होगा।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि दीर्घकालिक लिहाज से नोटबंदी सही और स्वागत योग्य कदम है, लेकिन उद्योग जगत में यह व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है कि त्वरित रूप से जो गिरावट दिखाई दे रही है, हमें उसकी भरपाई करने की जरूरत है।

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी के कदम के बाद सरकार को कराधान क्षेत्र में सुधारों को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए और निवेश चक्र में सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

एसोचैम ने कहा है, 'नोटबंदी से आर्थिक गतिविधियों में पैदा गतिरोध के बावजूद चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि पिछले दो साल के मुकाबले थोड़ी ही कम रहेगी, इसके बावजूद भारत कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में होगा।'

देश में अमन चैन है।

सारे शुतुरमुर्ग चुप हैं।

बाबासाहेब ने इन्ही शुतुरमुर्गों के बारे में कहा था  कि पढ़े लिखे लोगों ने उन्हें धोखा दिया है।



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