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Friday, November 4, 2011

मौन व्रत तोडते ही अन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ भरी हुंकार

मौन व्रत तोडते ही अन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ भरी हुंकार


समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 19 दिनों से चल रहे अपना मौन व्रत आज सुबह तोड दिया। दिल्ली के राजघाट पर भारत माता की जय के साथ अन्ना ने मौन व्रत तोडा। राजघाट पर अन्ना ने भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय के नारे लगए। अन्ना ने वंदे मातरम् और इंकलाब-जिंदाबाद का नारा लगाकर मौन व्रत तोड दिया। राजघाट पर अन्ना ने कहा, गांधीजी की समाधि पर मैंने मौनव्रत तोड दिया है।

महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत अन्ना हजारे ने शुक्रवार को अपना मौन व्रत तोड़ने के बाद अचानक रुख बदलते हुए एलान किया कि अगर संसद के शीतकालीन सत्र में संप्रग सरकार ने उनका जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं किया तो वह उन पांच राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

सुबह राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि के समक्ष अपने 19 दिन के मौन व्रत को तोड़ने के बाद संवाददाता सम्मेलन में आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए हजारे ने कहा कि कोई जो भी कहे, कहता रहे। मैं अपमान सहता आया हूं। पहले मैंने फैसला किया था कि मैं किसी भी पक्ष या पार्टी के खिलाफ प्रचार नहीं करूंगा। ..लेकिन अगर संसद के शीतकालीन सत्र में हमारा विधेयक पारित नहीं हुआ तो मैं पांचों राज्यों का दौरा कर जनता से कहूंगा कि कांग्रेस को वोट मत दो।

हजारे ने कहा, 'मैं संसद सत्र के अंतिम दिन तक इंतजार करूंगा। अगर विधेयक पारित नहीं हुआ तो तीन दिन का अनशन करूंगा। इसके बाद देश भर के प्रदेशों और विशेषकर इन पांच राज्यों [जहां विधानसभा चुनाव होने हैं] का दौरा करूंगा। वहां एक दिन का धरना दूंगा और जनसभाएं कर जनता को ऐसी पार्टी के खिलाफ जागरूक करूंगा जिसने लोकपाल गठित नहीं किया है।

गांधीवादी कार्यकर्ता ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की दिल खोलकर तारीफ की लेकिन दिलचस्प रूप से यह भी कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में 'कांग्रेस ने जहां ग्रेजुएशन किया है, वहीं भाजपा ने डॉक्टरेट पाई है।' उन्होंने कहा, 'मैं भाजपा के पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं। खंडूडी की इसलिए तारीफ कर रहा हूं क्योंकि उन्होंने विधानसभा में लोकायुक्त विधेयक पारित कराते हुए शानदार और दिलेरी वाला काम किया है।'

हजारे ने कहा कि वह खंडूड़ी का दिल्ली में स्वागत-सत्कार करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने लोकायुक्त विधेयक को पारित करा कर शानदार काम किया है। उनकी तरह खंडूरी भी फौजी रहे हैं और खूंडूड़ी का वह भाजपा के कारण समर्थन नहीं कर रहे हैं।

हजारे ने कहा कि वह आज कार्मिक और विधि तथा न्याय मामलों की संसद की स्थाई समिति में जाकर लोकपाल के विषय में अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि मैं स्थाई समिति और सरकार से कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड सरकार ने जो लोकायुक्त विधेयक पारित किया है, उसी का अनुसरण किया जाना चाहिए। ..लेकिन दुर्भाग्य से यह सरकार जनलोकपाल के टुकड़े करना चाहती है। वह सिटीजन चार्टर बनाने की बात कर रही है, जबकि हमारे द्वारा प्रस्तावित जनलोकपाल में इसका पहले से ही जिक्र है।

गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि सरकार व्हिसलब्लोअरों [गड़बड़ी उजागर करने वालों] से संबंधित विधेयक लाई है लेकिन इसकी भी अलग से जरूरत नहीं थी। सरकार न्यायपालिका के संदर्भ में अलग विधेयक [न्यायिक मानदंड और जवाबदेही विधेयक] लाई है, जबकि हमारे जनलोकपाल विधेयक में न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यह सरकार जनलोकपाल के टुकड़े करना चाहती है। लेकिन जब तक जनलोकपाल नहीं बन जाता मेरा आंदोलन जारी रहेगा।

अपने बयानों के जरिए सरकार को बार-बार 'धमकाने' के कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर हजारे ने कहा, 'मैं किसी को धमकी नहीं दे रहा। सरकार हमारी निंदा करने में ही व्यस्त है। वह लोकपाल को भूल नहीं जाए, इसलिए मैं बार-बार उसे याद दिलाता रहता हूं।

हजारे ने कहा कि हिसार के जरिए हमने यह नमूना रखा कि अगर जनता चाहे तो किसी उम्मीदवार की जमानत भी जब्त करा सकती है। लेकिन बाद में मैंने फैसला किया कि हमारा मकसद कोई सरकार गिराना नहीं है, इसलिए मैंने किसी पार्टी या पक्ष के खिलाफ प्रचार नहीं करने का निर्णय किया।

गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि लेकिन सरकार अब हमारे साथ खिलवाड़ कर रही है। यह खिलवाड़ जारी रहा तो पार्टी विशेष का नाम लेकर पांच राज्यों में प्रचार करना पड़ेगा। सरकार की नीयत साफ नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह राज्यों में अनशन नहीं करेंगे, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में एक दिन का धरना देंगे और जनसभाएं करेंगे।

महाराष्ट्र में लोकायुक्त नहीं बनने की स्थिति में वहां अनशन करने की अपनी पूर्व की घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कल उनसे मुलाकात की थी और लोकायुक्त विधेयक तैयार करने के संबंध में आश्वासन दिया था।

अपने मौन व्रत के दौरान साथियों पर लगे आरोपों के संबंध के बारे में पूछे जाने पर हजारे ने कहा, 'जिस पेड़ पर फल लगते हैं, उस पर ही लोग पत्थर फेंकते हैं। सरकार दूसरों के जरिए क्यों आरोप लगाती है। वह चाहे तो जांच करा ले और दोषी मानने पर हमें दंड दे।'

हजारे ने कहा कि वह अपने आंदोलन की कोर समिति का संविधान तय हो जाने के बाद उसका पुनर्गठन करेंगे, जिसमें सभी वर्ग के लोगों को शामिल किया जाएगा। अपने आंदोलन के कुछ पूर्व सदस्यों द्वारा उन्हें 'तानाशाह' बताए जाने के बारे में हजारे ने कहा, 'यह बातें गलत हैं और हवा में छोड़े गए तीर हैं। आंदोलन जब शुरू हुआ तो कई लोग ऐसे भी जुड़े जिनके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं थी। यही कारण है कि हम कोर समिति के संबंध में एक नीति बना रहे हैं।'

 भाजपा ने संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और संप्रग के सहयोगी दलों को महंगाई के मुद्दे पर घेरने के संकेत देते हुए कहा कि जनता को सरकार के खिलाफ 'विद्रोह' करना चाहिए और सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दलों को 'दिखावटी' विरोध बंद करना चाहिए।

भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश की जनता पहले से ही 12.21 फीसदी की मुद्रास्फीति का सामना कर रही है। ऐसे में पेट्रोल के दामों का बढ़ना जनता पर दोहरी मार की तरह है।

उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जनता इस भ्रष्ट और असंवेदनशील सरकार को उखाड़ फेंके। डॉ. राम मनोहर लोहिया कहते थे कि जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करती। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ इस देश की जनता से आह्वान करता हूं कि वह सरकार के इस मनमानेपन के खिलाफ विद्रोह करें। देश की जनता को इस सरकार को बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए।

क्या वह पूरी गंभीरता के साथ 'विद्रोह' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, इस पर सिन्हा ने कहा कि विद्रोह कई तरह का होता है। जैसे असहयोग भी एक तरह का विद्रोह है। जनता अगर कर देना बंद कर दे तो वह भी एक तरह का विद्रोह होगा। भाजपा ने संप्रग के सहयोगी दलों को भी महंगाई के मुद्दे पर आगाह किया और कहा कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएगी।

सिन्हा ने कहा कि हम संसद सत्र से पहले राकांपा, द्रमुक तथा तृणमूल कांग्रेस जैसे संप्रग के सहयोगी दलों को चेतावनी देते हैं कि महंगाई के खिलाफ उनका यह दिखावटी विरोध नहीं चलेगा। अगर उन्होंने इस सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया तो उन्हें भी इस 'पाप' में समान रूप से भागीदार समझा जाएगा।

पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी का विरोध करने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस के सरकार को समर्थन जारी रखने के बारे में सिन्हा ने कहा कि अगर ममता बनर्जी की पार्टी समर्थन वापस ले ले तो यह अच्छी बात है, लेकिन अगर वह सिर्फ विरोध कर रहे हैं तो इसमें कोई दम नहीं है। ममता की मूल शिकायत यह है कि सरकार ने तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल के दाम बढ़ाने के मुद्दे पर उनसे राय नहीं ली।

संसद के पिछले सत्र में सिन्हा ने महंगाई के मुद्दे पर लोकसभा में नोटिस दिया था और फिर एक प्रस्ताव पारित किया गया था।

उन्होंने कहा कि संसद में इस बार हम कोई प्रस्ताव नहीं लाना चाहते। पिछली बार महंगाई पर लोकसभा में पारित प्रस्ताव में सदन ने सरकार से अपील की थी कि वह आम आदमी को बढ़ती कीमतों के बोझ से बचाने के लिए तुरंत कठोर कदम उठाए। लेकिन इस सरकार ने संसद को बातचीत का एक मंच बनाकर छोड़ दिया। संसद के प्रस्तावों को वह गंभीरता से नहीं लेती।

क्या पार्टी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, इस पर सिन्हा ने कहा कि संसद सत्र से पहले पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में इस बारे में फैसला किया जाएगा। लेकिन हम पूरी मजबूती के साथ महंगाई का मुद्दा उठाएंगे।

क्या भाजपा संसद की कार्यवाही नहीं चलने देगी, इस पर सिन्हा ने कहा कि हमने यह नहीं कहा है कि हम सदन नहीं चलने देंगे। कई अहम विधेयकों के लंबित होने के चलते सरकार द्वारा भाजपा से 'दूरी पाटने' के प्रयास होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के सदस्य पहले लोक लेखा समिति में 'दूरी पाटने' की कोशिश करें। इसके बाद ही वे अन्य स्थाई समितियों में दूसरों से सहयोग की अपेक्षा कर सकते हैं।

महंगाई का दबे सुर में विरोध कर रहे संप्रग के सहयोगी दलों की ओर हाथ बढ़ाने की क्या भाजपा संसद में कोशिश करेगी, इस पर उन्होंने कहा कि सदन में तालमेल कायम करने की हमेशा कोशिश होती है। जहां तक संप्रग के सहयोगी दलों की बात है तो हम उन्हें महंगाई के मुद्दे पर 'पाप में समान रूप से भागीदार' मानते हैं।

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