युवा चेहरों की तलाश में भाजपा
- 06 APRIL 2012
युवा नेताओं को आगे कर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति रचनात्मक विपक्षी की भूमिका निभायी जा सके. पार्टी को युवा अखिलेश, राहुल गांधी और जयंत चौधरी से मुकाबला करना है तो युवा नेताओं के हाथ में कमान सौंपनी ही होगी...
जनज्वार (लखनऊ). कुछ दिन पहले संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में बुरे प्रदर्शन से सबक लेते हुए भाजपा हाईकमान उत्तर प्रदेश में युवा तुर्क को कमान सौंपने का मन बना रहा है. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि सपा, कांग्रेस और रालोद के युवा नेतृत्व से टक्कर लेने के लिए पार्टी साफ-सुथरी छवि वाले तेजतर्रार और ऊर्जावान युवा नेताओं की खोजबीन में लगी है. पार्टी सूत्रों की माने तो अंदर ही अंदर तैयारी हो चुकी है और आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश अध्यक्ष व संगठन में नये नामों की घोषणा हो सकती है.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी ने कई प्रयोग और गलतियां की थीं, जिसका खामियाजा उसको उठाना पड़ा. पिछली बार के मुकाबले इस बार पार्टी को चार सीटें कम मिलीं. पार्टी के कई वरिष्ठ नेता रमापति राम त्रिपाठी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी, नेता विधानमंडल ओम प्रकाश सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही चुनाव हार गए. भाजपा का गढ़ माने जाने वाली अयोध्या सीट भी पार्टी बचा नहीं पाई, वहीं लखनऊ शहर की नौ सीटों में से एक सीट ही पार्टी के खाते में आ पाई. वरिष्ठ नेता और लखनऊ के सांसद लालजी टण्डन के पुत्र भी चुनाव हार गये.
भाजपा की बुरी हालत ने पार्टी के चिंतकों को सोचने को मजबूर किया है कि अगर भाजपा को आगामी निकाय और आम चुनाव मजबूती से लडऩे हैं तो पार्टी का चेहरा और चाल बदलनी होगी. इस सिलसिले में तय किया गया है कि यूपी में अब संगठन के लिए बोझ बन चुके पुराने दिग्गजों को किनारे लगाकर युवा नेतृत्व के हाथ कमान सौंपी जायेगी. इस क्रम में प्रदेश में संगठन में व्यापक फेरबदल कर युवा चेहरों को आगे आने का मौका देने की योजना है. ताकि विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक में पुराने पड़ चुके थके चेहरों को दुबारा आजमाने का मौका देने की बजाए आक्रामक युवा चेहरों को आगे करके प्रदेश के बाकी दलों के युवा नेतृत्व को टक्कर दी जा सके.
पुराने दिग्गज नेताओं को किनारे लगाने के लिये भाजपा ने पुख्ता रणनीति और कार्ययोजना बना ली है, जिसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा. प्रदेश में पार्टी पुनर्गठन में भी उन्हीं नेताओं को खास पदों पर बिठाया जाएगा जो मतदाताओं को विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं. पार्टी चाहती है कि युवा नेताओं को आगे कर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति रचनात्मक विपक्षी की भूमिका निभायी जा सके. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार अगर पार्टी को युवा अखिलेश, राहुल गांधी और जयंत चौधरी से मुकाबला करना है तो युवा नेताओं के हाथ में कमान सौंपनी ही होगी.
विधानसभा चुनावों के समय भी यह मुद्दा उछला था, लेकिन तब आलाकमान ने कोई तवज्जों नहीं दी थी और पुराने घिसे-पिटे चेहरों को मैदान में उतारकर छिछालेदार करवाई थी. लेकिन अब पार्टी को अपनी गलती का एहसास हो रहा है और उसने पार्टी को नया कलेवर देने का निश्चय कर लिया है. पार्टी के युवा नेता शैलेन्द्र शर्मा 'अटल' के अनुसार अगर पार्टी ने समय रहते जरूरी परिवर्तन नहीं किये तो 2014 के चुनावों में पार्टी रेस से बाहर हो जाएगी.
भाजपा संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेता के अनुसार इस बार संगठन का पुनर्गठन करने के क्रम में युवा और नए चेहरों को तरजीह दी जायेगी. पार्टी के रणनीतिकार इस काम में जुट भी गए हैं. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही को विधान परिषद भेजने के लिए राजी कर लिया गया है और एक वरिष्ठ नेता को राज्यसभा भेजकर पार्टी ने युवा नेताओं के रास्ते के कांटे हटाने शुरू कर दिये हैं.
पार्टी संगठन पर बरसों से डेरा जमाए बैठे नेता युवा नेताओं को आगे आने का कितना मौका देते हैं, फिलहाल हवा युवा नेताओं के पक्ष में बह रही है. पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो दिग्गज नेताओं को किनारे कर युवा नेताओं को कमान सौंपना आलाकमान के लिए टेढी खीर साबित होगा. लगता है आने वाले दिन भाजपा नेतृत्व के लिए कड़ी अग्निपरीक्षा साबित होगा.
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