[LARGE][LINK=/vividh/13475-2013-08-02-08-30-22.html]इतने झूठ, इतनी साजि़श और सब कुछ प्रेमचंद के नाम पर![/LINK] [/LARGE]
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Details Category: [LINK=/vividh.html]विविध[/LINK] Created on Friday, 02 August 2013 14:00 Written by अभिषेक श्रीवास्तव
Abhishek Srivastava : अरुंधति राय की पूर्व सहमति नहीं थी सो उन्हें आना ही नहीं था। वरवर राव दिल्ली आ चुके थे, तब उन्हें पता चला कि गोविंदाचार्य औ अशोक वाजपेयी भी उनके साथ मंच पर होंगे। यह खबर कुछ लोगों को पहले ही लग चुकी थी कि उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है, फिर भी हंस के संपादक राजेंद्र यादव यह कह कर श्रोताओं को बरगलाते रहे कि वरवर राव आने वाले हैं।
एक मौके पर उन्होंने कह डाला कि कुछ लोगों ने उन्हें समझा दिया है कि किसके साथ बैठना है और किसके साथ नहीं। इतने झूठ, इतनी साजि़श और सब कुछ प्रेमचंद के नाम पर। अच्छा हुआ कि घंटे भर के भीतर ही वरवर राव ने एक खुला पत्र लिखकर सफेद हंस के काले चश्मे का राज़फाश कर ही डाला है।
[B]अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.[/B]
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