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Wednesday, August 7, 2013

Rajiv Nayan Bahuguna मेरे संपादक , मेरे संतापक ---७ ----------------------------------- बहुगुणा आख्यान

मेरे संपादक , मेरे संतापक ---७ 
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बहुगुणा आख्यान 

हेमवती नंदन बहुगुणा ने मुझे और मैंने उन्हें पहली बार १९७५ में नवंबर महीने की चौदह तारीख को देखा .तब तक वह उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय , लेकिन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी कि आँख की किरकिरी बन चुके थे . टिहरी में एक नहर परियोजना का शिलान्यास करने के बहाने आये थे . सदियों से दमित , दलित , कुंठित और तिरस्कृत पूर्व टिहरी रियासत की प्रजा ने उनमे अपना अभिनव स्वाभिमान देखा था . मै स्कूल में पढता था , लेकिन कुछ माह पहले ही चर्चित अस्कोट - आराकोट पदयात्र पूरी कर आया था . मेरे पिता और हेमवती नंदन बहुगुणा , दोनों तब तक एक दुसरे से लंबा और घातक वैचारिक युद्ध करने के बाद आत्म समर्पण कर् चुके थे . दोनों पर एक दुसरे के प्रति सोफ्ट कोर्नर अपनाने का आरोप लगना शुरू हो गया था . इन्ही सारे आरोपों के कारण , शायद मेरे पिता उनके टिहरी दौरे की खबर आते ही एक गुफा में ध्यानस्थ हो गए , अनिश्चित काल के लिए . ऐसा वह गाहे - ब- गाहे करते रहते थे . जब जब उनके पुराने राजनैतिक दोस्त व दुश्मन कांग्रेसी उन्हें घेरने का प्रयास करते . आखिर मेरे पिता भी पुराने कांग्रेसी रह चुके थे , और अपने दोस्तों की रग रग से वाकिफ़ थे . मंच पर लगभग दौड कर चढ़ कर उर्दू , हिंदी और गढवाली में सम्मोहक व्याख्यान देकर उन्होंने मुझे मोह लिया . यही जादू उन पर शायद मैंने भी किया , जब मै थोड़ी देर बाद उनसे मिला . इसके बाद हम दोनों उनकी मृत्यु तक एक दुसरे के प्रति निष्ठावान रहे 
( दोस्तों , रिएक्शन कम दे रहे हो यार , मज़ा नहीं आ रहा क्या? )
Like ·  ·  · 11 hours ago · 
  • ProfSurendra Kala Excellent Dear Rajiv. I suggest that you start writing all your memories in the form of a Book. It will hit and be inspiring to many youngsters.
  • Jagdish Kinjalk Your Face book is very interesting and innovative. Congratulations-- jagdish kinjalk, Editor- Divyalok , Bhopal..
  • Satish Bahuguna mane bhi 1975 mai hee HNBahuguna Ji ko Dr. Siva Nand Nautiyal k saath Nehru Colony Dehra Dun mai Shri Jeet Singh Negi, Bujurg Garhwali Gayak Kalakar k saath dekha tha. Bahuguna Ji Aaap Garhwali mai baat or likhte kyo nahee ho. Mujhe Garhwali mai hee likha karo.
  • Bharat Rawat कथावाचक की सबसे बड़ी सफलता ही यही होती है जब श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर वाह-वाह करना ही भूल जायें... Rajiv Nayan Bahuguna भाईजी, आप यन्न लिखना छाँ की हम लोक "हुँगरा" डिन ही भुल जाणा छाँ...!
  • Palash Biswas Reaction kya den,padhne mein maja aa raha hai.Blogs par bhi bina puchhe laga raha hun.
  • Anoop Joshi sir hame padne me bahut maza aa raha hai.Ab upstihti sirf like or comment se nahi de sakte.
  • Palash Biswas Ab Nainital pahunch gaye hon to shahar aur doston kaa haal khulkar likhen.Is barsat meoin naini jhil mein kitna malba gira aur kahan kahan bhuskhalan ho raha hai,hura boura chahiye.Tanik apni purani patrakarita ka jalwa dawa daaru thik se thikane lagakar dikhane ki kripa karen.arsa bita ghar gaye.Paanch saal to bit gaye honge.kam s kam aapki aankhon se apne ghar duar ko dekh lene ki tamanna hai.assha hai,nirash nahi lkarenge.mere blog par aapke likhe ka imtjaar rahega.

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