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Friday, August 2, 2013

TaraChandra Tripathi कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि हमारे वे मेधावी बच्चे, जिनके कारण विश्व के विकसित देशों में नये भारत की पहचान बनी है, भारत से बाहर पलायन क्यों कर रहे हैं?

कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि हमारे वे मेधावी बच्चे, जिनके कारण विश्व के विकसित देशों में नये भारत की पहचान बनी है, भारत से बाहर पलायन क्यों कर रहे हैं? केवल पैसा ही उसका कारण नहीं है. वे जानते हैं कि यद्यपि भारत में प्रशासक के रूप में कार्य करने पर ऐशो-आराम और नेताओं से पटरी बिठाये रखने पर दौलत की भी बरकत होती है. और आम नागरिक पर बुलडौग की तरह भूँकने और नेताओं के सामने लैणी की तरह रिरियाने पर मालिक की वाह्वाही और फायदे की पोस्टिंग भी मिलती है, पर कोई भी मेधावी और निष्ठावान नवयुवक इन गवाँर, अभद्र, बे ईमान और कर्महीन नेताओं की खुट्टेबरदारी करने को तैयार नहीं है. जो मेधावी युवा प्रशासन में आ भी रहे हैं, उनमें अधिकतर या तो मध्यम श्रेणी के मेधावी हैं, या उनके अध्ययन के क्षेत्र की निजी क्षेत्र में माँग नहीं है, या वे प्रशासक पद की बाहरी चमक-दमक से सम्मोहित हैं, या तुरंत अरबपति बनने के लिए आत्महीन हो कर किसी भी नेता की चरण वन्दना करने को तैयार हैं. यह हमारा दुर्भाग्य है कि
इन नेताओं ने अपनी मनमानी ने प्रशासकों की वह हालत कर दी है, कोई स्वाभिमानी प्रगतिशील और निष्ठावान नवयुवक भूल से भी प्रशासन में नहीं आना चाहता.

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