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Monday, July 6, 2015

हर राजनयिक कदम,हर विदेश यात्रा से चक्रवर्ती महाराज पाकिस्तान को मजबूत किये जा रहे हैं।शायद हिंदुत्व का एजंडा भी यही होगा।अब रूस भी चीन के बाद।पड़ोसी सारे दुश्मन सिर्फ अमेरिका और इजराइल का भरोसा और हथियारों,रिएक्टरों की बेलगाम खरीद का सिलसिला और अंबानी और अडाणी का कल्याण।Narendra Modi को दूसरा झटका। पहले चीन और अब रूस ने किया पाकिस्तान का समर्थन, फोटो पर क्लिक करके पढ़ें पूरी खबर...

हिंदुत्व एजंडा की राजनय से हिंदू राष्ट्र का बंटाधार।

मोदी को दूसरा झटका, चीन के बाद अब रूस ने किया पाकिस्तान का समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति से वार्ता में आतंकवाद, आफगानिस्तान पर चर्चा की।

पलाश विश्वास


जहां जहां संतन ने पांव धर दियो,वहां वहां सत्यानाश।


नेपाल में सार्क शिखर वार्ता फेल और महाभूकंप बजरिये हिंदू राष्ट्र की बहाली के मेगा प्रोजेक्ट से नेपाल हो गया दुश्मन।


बांग्लादेश गये तो देशभर में हिंदत्व लहर जोड़कर अखंड हिंदूराष्ट्र का अलाप ऐसा किया कि बांग्लादेश के बीएनपी जमात इस्लामी कट्टरपंथियों को बांग्ला राष्ट्रीयता की कब्र खोदने का ईंधन देकर बांग्लादेश को भी दुश्मन बना आये।


चीन गये तो गोमांस निर्यात का इंतजाम कर दिया।अंबानी अडाणी के कारोबार के वास्ते इंडियाइंक कीख्वाहिशं को चूना लगाकर खुदरा बाजार से लेकर स्मार्ट सिटी बुलेट ट्रेन सबकुछ चीनी कंपनियों के हवाले कर आये।


नतीजा यह हुआ कि न सीमा विवाद सुलझा और न दूसरे उलझे मसले सुलझे।नाथुला होकर कैलाश मानसरोवर का रास्ता जरुर खुल गया।


बदले में चीन ने पाकिस्तान के हक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर दिया।


चीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की भारत की मांग को वीटो कर दिया ... लखवी की रिहाई को लेकर अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी ने चिंता जताते हुए उसकी फिर से गिरफ्तारी की मांग की थी। ... प्रतिबंध समिति के बाकी सभी सदस्य देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया


फलीस्तीन आंदोलन की खिलाफत करते हुए संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के खिलाफ मतदान के दौरान अनुपस्थिति का फैसला करके अमेरिका और ब्रिटन की वाहवाही गुजरात नरसंहार पर एक दफा और क्लीन चिट के जरिये लूट तो ली लेकिन समूची अरब दुनिया को बारत का दुश्मन बना डाला और फिर पाकिस्तान को मजबूत बना दिये।


अब वे मध्य एशिया समेत रूस में हिंदुत्व का झंडा फहरा रहे हैं और पूत के पांव इतने पावन कि रूस परंपरागत भारत की मैत्री को तिलांजलि देकर पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया।


गौरतलब है कि 

रूस को भारत का पारंपरिक साथी माना जाता है। चरमपंथ को जाने वाली फंडिंग पर हाल ही में ब्रिस्बेन में आयोजित हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के खिलाफ लाए गए भारत के निंदा प्रस्ताव पर रूस के स्टैंड ने नई दिल्ली को असहज स्थिति में ला दिया है।

इस बैठक में जमात-उल-दावा और लश्कर-ए-तय्यबा के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कोई कदम नहीं उठाये जाने पर भारत ने पाक की निंदा किए जाने की मांग की थी। हालांकि भारत की ओर से लाए गए निंदा प्रस्ताव का न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी विरोध किया लेकिन भारत रूस के स्टैंड को लेकर हैरान है।अतीत में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा काउंसिल में रूसने कश्मीर पर भारत के स्टैंड को लेकर हमेशा से सपोर्टिव रहा है। यहां तक कि उसने कई मौकों पर भारत के पक्ष में वीटो का भी इस्तेमाल किया है। आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि रूस को भारत के रुख से वाकिफ कराने की कोशिश की जाएगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से उल्फा में मुलाकात करेंगे। इस सम्मेलन के एजेंडे में ISIS के खतरे और चरमपंथ के खिलाफ अपनाई जाने वाली रणनीति पर सहयोग का मुद्दा रहेगा। पाकिस्तान को लेकर रूस के स्टैंड पर रूस का रुख बेवजह नहीं है।

पिछले साल भारत ने पाकिस्तान को हथियार बेचने के मॉस्को के फैसले पर रूस के सामने अपनी नाखुशी जाहिर की थी। उधर, रूस को यह लगता है कि उसे अफगानिस्तान में ड्रग का कारोबार और अफगान-पाक क्षेत्र में चरमपंथियों से मुकाबले के लिए पाकिस्तान की जरूरत होगी। पुतिन-मोदी की मीटिंग में अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठने की संभावना है।भारत रूस से यह आश्वासन चाहता है कि इस्लामाबाद के साथ उसके सैन्य सहयोग से भारत की सुरक्षा चिंताओं का अहित न हो। रूस और पाकिस्तान के सैन्य सहयोग को अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।


हर राजनयिक कदम,हर विदेश यात्रा से चक्रवर्ती महाराज पाकिस्तान को मजबूत किये जा रहे हैं।शायद हिंदुत्व का एजंडा भी यही होगा।अब रूस भी चीन के बाद।पड़ोसी सारे दुश्मन सिर्फ अमेरिका और इजराइल का भरोसा और हथियारों,रिएक्टरों की बेलगाम खरीद का सिलसिला और अंबानी और अडाणी का कल्याण।

गौरतलब है कि 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ आगामी 10 जुलाई को रूस में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार रूस के उफा शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे दोनों प्रधानमंत्री 10 जुलाई को इस बैठक से इतर मुलाकात करेंगे। देखें कि वहां क्या गुल गुलेबहार का आलम होता है। और गुलगुला कैसे बन चल निकलता है।

मोदी और शरीफ की पिछली मुलाकात पिछले साल नवंबर में काठमांडो में दक्षेस शिखर सम्मेलन के समय हुई थी, हालांकि उस दौरान दोनों नेताओं ने कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं की थी। रमजान महीने की शुरूआत के मौके पर मोदी ने शरीफ को फोन कर बधाई दी थी और शांतिपूर्ण एवं द्विपक्षीय संबंधों पर जोर दिया था।

टेलीफोन पर बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को रमजान के मौके पर पाकिस्तानी मछुआरों की रिहाई के भारत के फैसले की भी सूचना दी थी। इस फोन को हाल के दिनों में हुई कुछ तल्ख टिप्पणियों के बाद पाकिस्तान से संपर्क साधने के प्रयास के तौर पर देखा गया। मोदी की ओर से अपने बांग्लादेश दौरे के समय पाकिस्तानी को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी किए जाने और फिर म्यामां में भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद दोनों देशों के नेताओं में तल्ख बयानबाजी देखने को मिली थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति से वार्ता में आतंकवाद, आफगानिस्तान पर चर्चा की

ताशकंद : भारत और उजबेकिस्तान ने परमाणु ऊर्जा, रक्षा और व्यापार समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उजबेक राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव के बीच चर्चा के दौरान दोनों देशों ने 'विस्तारित पड़ोस' में बढ़ते आतंकवाद पर साझा चिंता व्यक्त की।

मध्य एशिया एवं रूस की आठ दिवसीय यात्रा के पहले चरण में उजबेकिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से द्विपक्षीय और अफगानिस्तान सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।

बातचीत के बाद दोनो देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें विदेश कार्यालय, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता शामिल है।

ताशकंद पहुंचने पर मोदी का उनके उज्बेक समकक्ष शवकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव ने हवाई अड्डे पर पारंपरिक स्वागत किया। मोदी और करीमोव के बीच हुई बातचीत के दौरान सामरिक, आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्रों में संबंधों को बेहतर बनाने के अलावा अफगानिस्तान की स्थिति सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा की गई।

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मैंने उजबेकिस्तान से अपनी यात्रा शुरू की है जो भारत के लिए इस देश के महत्व को दर्शाता है, न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे एशिया के लिए। राष्ट्रपति करीमोव और मैंने भारत और उजबेकिस्तान के बीच कनेक्टिविटी को और बढ़ाने की विभिन्न पहलों पर चर्चा की।

मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति सहित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई और इस देश में शांति एवं स्थिरता के महत्व को दोहराया।

इस संदर्भ में मोदी ने कहा, 'हमने दोनों देशों के 'विस्तारित पड़ोस' में बढ़ते उग्रवाद और आतंकवाद के खतरों के बारे में चिंताओं को साझा किया।'दोनों नेता रक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। मोदी ने कहा, 'हमने सुरक्षा सहयोग और आदान-प्रदान बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में इस वर्ष बाद में आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्यकारी समूह की बैठक होगी। हमने रक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर भी सहमति व्यक्त की।'

उन्होंने कहा कि उनकी राष्ट्रपति करीमोव के साथ बातचीरत काफी फलदायक रही और यह संबंधों को और गहरा बनाने की दिशा में था। उन्होंने दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी निर्मित होने का उल्लेख करते हुए कहा, 'इसमें आर्थिक सहयोग, आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई, क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय एकात्मकता को प्रोत्साहित करना शामिल है।' दोनों नेताओं ने खनिज संसाधन से सम्पन्न उजबेकिस्तान से यूरेनियम आपूर्ति के बारे में पिछले वर्ष हुए अनुबंध को लागू करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की। दोनों देशों के बीच 2000 मिट्रिक टन येलो केक :यूरेनियम: की आपूर्ति करने संबंधी समझौता हुआ था।

दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी को और आगे बढ़ाने के बारे में विभिन्न पहलों पर चर्चा की। मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर के बारे में बताया और उजबेकिस्तान के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह इसका सदस्य बने। मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति से अश्काबात समझौते में भारत को शामिल किये जाने के लिए समर्थन मांगा। उजबेकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ओमान के बीच यह ट्रांजिट समझौता 2011 में हुआ था। वहीं उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर भारत, रूस, ईरान और मध्य एशिया के बीच जहाज, रेल और सड़क मार्ग से माल की आवाजाही से जुड़ा है। 

दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के बारे में चर्चा करते हुए मोदी ने कहा, 'मैंने उन्हें बताया कि उजबेकिस्तान में निवेश करने को लेकर भारतीय कारोबारियों में गहरी रूचि है। उजबेकिस्तान के विविध क्षेत्रों में काफी क्षमताएं हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने उनसे (करीमोव से) आग्रह किया कि भारतीय निवेश को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाएं और नीतियां बनाएं। राष्ट्रपति ने मेरे सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।' मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति करीमोव कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और उर्जा के क्षेत्रों में जारी सहयोग को और गहरा करने के भी समर्थक हैं।

उन्होंने कहा कि संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में आज हुए समझौतों से दोनों देशों की जनता करीब आयेगी।

उन्होंने कहा, 'हिन्दी और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में उजबेकिस्तान का मुकाबला कुछ ही देश कर सकेंगे। कल मैं भारतीयविदों और हिन्दी भाषाविदों के समूह से मिलने को लेकर उत्सुक हूं।' इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति करीमोव को भारत के 13वीं सदी के महान सूफी कवि अमीर खुसरो की कृति खमसा ए खुसरो की प्रतिकृति तोहफे में दी। उत्तरप्रदेश मे जन्मे खुसरो के पिता उजबेकिस्तान के थे।

मोदी ने कहा, 'कल मैं स्वतंत्रता एवं मानवता के स्मारक और दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक पर जाऊंगा। हम ताशकंद और उजबेकिस्तान के लोगों के आभारी है कि उन्होंने हमारे पूर्व प्रधानमंत्री की विरासत का संरक्षण किया।'

मोदी ने कहा, 'यह काफी सार्थक यात्रा रही। इस यात्रा के जरिए आने वाले वर्षों' में अच्छी फसल के बीज बोये गये हैं।' बाद में जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति करीमोव और प्रधानमंत्री मोदी ने भारत.उजबेकिस्तान सामरिक संबंधों, विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के साथ आपसी हितों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों समेत व्यापक विषयों पर चर्चा की।

दोनों पक्षों ने राजनीतिक संबंधों, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, व्यापार एवं निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ सांस्कृतिक संबंधों समेत दीर्घावधि द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने एवं इसका विस्तार करने की बात दोहरायी। राष्ट्रपति करीमोव ने कहा कि भारत के साथ मजबूत संबंध उजबेकिस्तान की विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि भारत और उजबेकिस्तान के बीच मजबूत सामरिक संबंध मध्य एशिया के साथ भारत के जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है।

संयुक्त बयान के अनुसार, 'दोनों पक्षों ने एक दूसरे के नेतृत्व एवं अन्य स्तर पर आधिकारिक यात्राओं के जरिये नियमित द्विपक्षीय विचार विमर्श एवं राजनीतिक वार्ता को आगे बढ़ाने एवं क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी द्विपक्षीय समझ को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के समक्ष खतरों एवं चुनौतियों का समय पर और पर्याप्त ढंग से सामना करने के महत्व को रेखांकित किया और इस बारे में आतंकवाद निरोध पर उजबेकिस्तान भारत संयुक्त कार्यकारी समूह के ढांचे के तहत कानून अनुपालन एजेंसियों और विशेष सेवाओं के बीच समन्वय को मजबूत बनाने का इरादा व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने रक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने निवेश सहयोग और बढ़ाने का भी आह्वान किया। इन्होंने भारतीय कंपनियों द्वारा उजबेकिस्तान में निवेश के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की भी बात कही जिसमें विशेष आर्र्थिक क्षेत्र 'नावोई', अंग्रेन और जिज्जाख शामिल हैं।

दोनों पक्षों ने फार्मा, हल्का उद्योग, आईटी और संचार जैसे क्षेत्रों में संयुक्त निवेश परियोजनाओं की संभावनाओं का भी जिक्र किया।

शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के दौरान दोनों देशों ने सड़क सम्पर्क बढ़ाने के विभिन्न विकल्पों पर भी चर्चा की। दोनों पक्षों ने पर्यटन को द्विपक्षीय सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की और पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए इस देश के महत्व को रेखांकित किया। रूस सहित छह देशों की यात्रा के पहले चरण में मोदी यहां पहुंचे हैं। वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और शंघाए सहयोग संगठन :एससीओ: की बैठक में भी शामिल होंगे।

उजबेकिस्तान से मोदी कल कजाखस्तान के लिए रवाना होंगे। वह आठ जुलाई को रूस जाएंगे। दस जुलाई को उन्हें तुर्कमेनिस्तान जाना है। वह 11 जुलाई को किर्गिस्तान तथा 12 जुलाई को ताजिकिस्तान में होंगे।

एससीओ शिखर सम्मेलन रूस के उफा में हो रहा है। एससीओ छह देशों यानी चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान का समूह है, जिसमें भारत को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है। भारत और उजबेकिस्तान ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने, सामान्य विकास में सहायता करने और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने में केन्द्रीय भूमिका निभानी चाहिए। दोनो देशों ने संयुक्त राष्ट्र ढांचे में व्यापक सुधारों का आह्वान करते हुए सुरक्षा परिषद में दोनों तरह की सदस्यता का विस्तार करने की जरूरत बताई। उजबेकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

मोदी ने करिमोव को अपनी सहूलियत की किन्ही तारीखों पर भारत का दौरा करने का न्यौता दिया। उन्होंने कहा कि यात्रा की तारीख राजनयिक माध्यमों से तय की जा सकती है।


Narendra Modi को दूसरा झटका। पहले चीन और अब रूस ने किया पाकिस्तान का समर्थन, फोटो पर क्लिक करके पढ़ें पूरी खबर...

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