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Tuesday, January 1, 2013

चिदंबरम कहते हैं कि वे मूर्ख नहीं हैं। उन्हें हम मूर्ख समझने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं इस कुलीन तंत्र में! दरअसल मूर्ख तो हमीं हैं।

चिदंबरम कहते हैं कि वे मूर्ख नहीं हैं। उन्हें हम मूर्ख समझने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं इस कुलीन तंत्र में! दरअसल मूर्ख तो हमीं हैं।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

नकद सब्सिडी मुद्दे को लेकर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान चिदंबरम ने कहा कि वे इस सवाल का हल्काफुल्का ढंग से उत्तर देने के लिए भी तैयार बैठे हैं। उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि आप में से कुछ लोग मुझे मूर्ख समझते हैं, लेकिन मैं उतना मूर्ख नहीं हूं जितना आप समझते हैं।" एक किताब के विमोचन के मौके पर करुणानिधि ने शनिवार को राजनीति में चिदंबरम के उत्तरोत्तर विकास की चर्चा की थी और पूरे हर्ष के साथ उद्गार व्यक्त किया था, "धोती पहनने वाला तमिल को प्रधानमंत्री होना चाहिए।"  हम भारतीय आंखों में पट्टी डालकर दिन के उजाले को अंधेरे में बदलने में अतिशय दक्ष है और अमावस्या के गहन तम को मोमबत्ती से रोशन करने का ख्वाब देखते हैं। वित्तमंत्री पी चिदंबरम कहते हैं कि वे मूर्ख नहीं हैं। उन्हें हम मूर्ख समझने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं इस कुलीन तंत्र में! दिल्ली गैंगरेप के खिलाफ तेजी से उभरते क्रयशक्ति संपन्न नये मध्यमवर्ग के भारतीय वसंत बलात्कारियों को फांसी की सजा देकर वर्चस्ववादी कालेधन की मनुस्मृति व्यवस्था बदलना चाहते हैं, जबकि हाल के दशकों में मानवता के सबसे बड़े अपराधी भोपाल गैस त्रासदी, मरीचझांपी नरसंहार, सिख निधन, बाबरी विध्वंस, मणिपुरी दमनकथा, कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन,बाबरी विध्वंस, देश व्यापी दंगे और बम धमाके,गुजरात नरसंहार, मध्यभारत में आदिवासियों के खिलाफ निरंतर युद्ध के खिलाफ इस कुलीन विद्रोह को कुछ नहीं कहना। अन्ना ब्रिगेड, बाबा रामदेव और आम आदमी केजरीवाल मार्का लोकतंत्र का जो विस्तार हो रहा है, वह चिदंबरम को बतौर प्रणव मुखर्जी के स्थानापन्न नरसंहार और बहिष्कार के एजंडे को अंजाम देने में सबसे ज्यादा मददगार हो रहा है। जल जंगल जमीन और नागरिकता से बेदखली के खिलाफ जो जन विद्रोह का अनंत सिलसिला है, उसकी सत्ता ने कोई सुनवाई की है? कभी आत्महत्या को मजबूर किसानों और दम तोड़ती कृषि की परवाह है किसी को? विशेष सैन्य अधिकार कानून १९५८ से  इरोम शर्मिला के बारह साल के आमरण अनशन के बावजूदप्रभावितों को छोड़ बाकी देश के निर्वाक तमाशाई प्रतिरोधहीन जीवनदर्शन के राविन्द्रिक तेवरके साथ जारी रहना क्या बताता है? देशभर में परमाणु ऊर्जा के बहाने जो मौत का कारोबार हो रहा है, उसका क्या हिमालय की जैसे हत्या हो रही है, उसपर मौन क्यों? राजधानियों के अलावा बाकी देश में दिन प्रतिदिन सत्ता और पूंजी नारी को जो विवस्त्र करके बाजार में बेच रहा है, सरेआम जो बलात्कार हो रहा है, कारपोरेट राज, बिल्डर प्रोमोटर राज को मजबूती देने के लिए सर्वदलीय सहमति से कारपोरेट नीति निर्धारण, एक के बाद एक कानून में संशोधन, संविधान में बदलाव, सुधार के नाम पर जनविरोधी नीतियां और कालाधन की व्यवस्था, कहीं कोई विरोध हो रहा है? पढ़े लिखों के मोमबत्ती जुलूस के मुकाबले इस देश में भूखे नंगों के किसी आंदोलन की आज तक सुनवाई हुई है कहीं? बतौर वित्तमंत्री और गृहमंत्री चिदंबरम कारपोरेट राज को कामयाब करने के सबसे कामयाब शातिर खिलाड़ी हैं, उन्हें मूर्ख समझें कौन माई का लाल? दरअसल मूर्ख तो हमीं हैं।

जाहिर है कि देश की अर्थव्यवस्था को नरमी की राह से तेजी की ओर मोड़ना और भारतीय बाजार के प्रति निवेशकों का भरोसा बहाल करना नए साल में सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।उम्मीद है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अगले बजट में निवेशकों के अनुकूल कुछ नए उपाय करेंगे ताकि अर्थव्यवस्था को फिर से तेजी की राह पर वापस लाने में मदद मिल सके।हालांकि, वैश्विक कारकों को देखते हुए अर्थव्यवस्था को तेजी की पटरी पर लाना सरकार और रिजर्व बैंक दोनों के लिए ही चुनौतीपूर्ण है और इसमें समय लग सकता है। चिदंबरम पहले ही कह चुके हैं कि राजकोषीय स्थिति को ठीक करने और अर्थव्यवस्था की राह में अड़चने दूर करने के लिए 'कड़वी दवाइयों' की जरूरत है।बहरहाल रेप कांड से दहली दिल्ली के बाजार भी पिछले दो हफ्ते से बेजार नजर आ रहे हैं। रीटेल बाजारों में फुटफॉल 60 फीसदी तक गिर चुकी है, जबकि बजट होटलों की ऑक्युपेंसी 70 फीसदी से घटकर 40 फीसदी पर आ चुकी है।क्रिसमस और न्यू इयर सेलिब्रेशन से गुलजार रहने वाले कई बाजारों में तो पीस मार्च और शांति प्रार्थना ने माहौल काफी गमगीन कर रखा है। ट्रेडर्स का कहना है कि किसी आपराधिक घटना के चलते कारोबार को इतना नुकसान कभी नहीं उठाना पड़ा था।

देश की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही (2012) में घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गई जिससे वर्ष 2011.12 के दौरान जीडीपी वृद्धि दर घटकर महज 6.5 प्रतिशत रही।पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और उनके बाद पी. चिदंबरम द्वारा आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के गंभीर प्रयास किए जाने के बावजूद अप्रैल-जून,12 की तिमाही में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही और जुलाई.सितंबर तिमाही में यह फिर घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गई।अर्थव्यवस्था में नरमी का रुख जारी रहने की वजह से रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय दोनों ने ही वृद्धि दर के अपने अपने अनुमान घटा दिए। जहां रिजर्व बैंक ने 2012.12 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया है, वित्त मंत्रालय ने इसे 5.7 से 5.9 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया है। इकॉनमी के नए तूफान में फंसने का डर बढ़ गया है। इकॉनमिस्ट्स जहां जीडीपी ग्रोथ एस्टिमेट में और कमी करने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं बॉन्ड ट्रेडर्स को डर है कि 2जी ऑक्शन के फ्लॉप रहने के बाद सरकार को मार्केट से ज्यादा लोन लेना पड़ेगा।इनफ्लेशन के हायर लेवल पर बने रहने और सितंबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में कमी के बाद एक्सपर्ट्स को इस फाइनैंशल ईयर में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी से कम होने की आशंका सता रही है। अप्रैल-जून क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 5.5 फीसदी रही थी। इसके बाद रिकवरी के संकेत मिलने के बाद एक्सपर्ट्स ने कहा था कि इकनॉमी बॉटम आउट हो चुकी है यानी वह इस लेवल से नीचे नहीं जाएगी। एक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट सौगाता भट्टाचार्य ने कहा, 'सितंबर क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 4.8-4.9 फीसदी रह सकती है। एग्रीकल्चर सेक्टर निराश नहीं करेगा। हालांकि, सविर्सेज से मायूसी हाथ लग सकती है। इसकी ग्रोथ सितंबर क्वार्टर में 6 फीसदी रह सकती है।' सितंबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 0.4 फीसदी गिरा। वहीं, ट्रेड डेफिसिट रिकॉर्ड 21 अरब डॉलर हो गया है। अक्टूबर में रीटेल इनफ्लेशन भी बढ़कर 9.75 फीसदी हो गया, जो सितंबर में 9.73 फीसदी था। इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए इंटरेस्ट रेट घटाना मुश्किल हो गया है।सविर्सेज सेक्टर की हिस्सेदारी जीडीपी में 60 फीसदी है। हालांकि, ग्लोबल इकॉनमी की खराब हालत और डोमेस्टिक स्लोडाउन के चलते ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज, टूरिज्म और इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी सेक्टर्स मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में प्रोफेसर बिबेक देबरॉय ने कहा, 'जुलाई-सितंबर क्वार्टर में कंस्ट्रक्शन और टेलीकॉम को छोड़कर सर्विस सेक्टर के दूसरे सेगमेंट का परफॉर्मेंस खराब रहा है। इससे जीडीपी ग्रोथ में कमी आ सकती है। 4.9 और 5 फीसदी ग्रोथ के बीच सिर्फ सायकोलॉजिकल फर्क है। मुझे लगता है कि जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रहेगी।'इकनॉमिक स्लोडाउन से सरकार के रेवेन्यू को तगड़ी चोट पहुंच सकती है। अगर सरकार डिसइनवेस्टमेंट या ऑक्शन से ज्यादा पैसा नहीं जुटा पाती है, तो उसके लिए 5.3 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का टारगेट हासिल करना मुश्किल हो सकता है। जेपी मॉर्गन में इकॉनमिस्ट जहांगीर अजीज ने कहा, 'हमें डिसइनवेस्टमेंट और स्पेक्ट्रम सेल्स से जुटाए जाने वाले पैसे को लेकर सरकार के दावे पर पहले से शक था। फिस्कल डेफिसिट 5.7 फीसदी रह सकता है।' गोल्डमैन सैक्स, नोमुरा सिक्युरिटीज और आईएनजी वैश्य बैंक को भी फिस्कल डेफिसिट अनुमान से ज्यादा रहने की आशंका है। इस वजह से बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है। आरबीआई के अक्टूबर में पॉलिसी रिव्यू के बाद से 10 साल वाले बॉन्ड की यील्ड 0.03-0.05 फीसदी तक बढ़ चुकी है। बजट में इस फाइनेंशियल ईयर में सरकार ने 5.6 लाख करोड़ लोन का अनुमान लगाया था। हालांकि, माकेर्ट को लग रहा है कि यह इससे 50,000 करोड़ रुपए ज्यादा रह सकता है।

अब देखें, फिस्कल क्लिप के गहराते साये में डिजिटल बायोमैट्रिक नागरिकता आधारित बहिस्कार की कैसी चाक चौबंद व्यवस्ता बन रही है। अमेरिकी संसद में अस्थाई समझौता हो गया। पर भारत में सारे आर्थिक संकेतक लाल निशान पर है। मुद्रस्पीति और मंहगाई बेलगाम। उत्पादन में लागातार गिरावट,​​ कृषि चौपट। वित्तीय घाटा रिकार्ड बनाने में सचिन तेंदुलकर। विदेशी कर्ज अबाध पूंजी की कारपोरेट नीते के चलते सुरसामुखी। रक्षा ब्यय राष्ट्र के सैन्यीकरण के साथ लगातार अनियंत्रित, राजनीतिक वजह से सरकारी खर्च बेहिसाब। पर सरकार को कैश सब्सिडी के जरिये नागरिक निजता , संप्रभुता की हत्या  के जरिये ही जादू की छड़ी की तलाश है। चिदंबरम के बोल पढ़े लिखों के लिए वेद वाक्य है, विशिष्ट वर्ग के हक में मनुस्मृति व्यवस्था   कायम रहे, तो ​​कुलीनतंत्र से सबसे लाभान्वित मलाईदार तबके को क्या नुकसान बाकी हम तो इस आर्थिक खेल को समझने की कोशिश ही नहीं करते।

अमेरिका के फिस्कल क्लिफ का हल निकलने से बाजारों में जोश बढ़ता दिखा। सेंसेक्स करीब 200 अंक चढ़ा और निफ्टी 5960 के ऊपर पहुंचा। फिलहाल बाजारों पर ऊपरी स्तरों पर मुनाफावसूली का थोड़ा दबाव आया है।दोपहर 1:35 बजे, सेंसेक्स 154 अंक चढ़कर 19580 और निफ्टी 44 अंक चढ़कर 5949 के स्तर पर हैं। निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 1.5 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 1 फीसदी चढ़े हैं।अमेरिकी सीनेट ने फिस्कल क्लिफ डील को मंजूरी दे दी है। फिस्कल क्लिफ डील के तहत सरकार के खर्चों में कटौती और टैक्स में बढ़ोतरी का प्रस्ताव 2 महीने तक टलेगा। अमेरिकी सीनेट में 89 वोटों के साथ फिस्कल क्लिफ डील को मंजूरी मिली है। वहीं फिस्कल क्लिफ के विपक्ष में 8 वोट पड़े। इस मंजूरी के बाद अमेरिकी फ्यूचर्स में 3 फीसदी की जोरदार तेजी है।फिस्कल बिल के तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 4-4.5 लाख डॉलर हो सकती है। मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में छूट जारी रह सकती है। साल 2013 में बेरोजगारी बीमा जारी रह सकता है। एस्टेट टैक्स 35 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी हो सकता है।मेबैंक किम एंग सिक्योरिटीज के पी के बसु का कहना है कि फिस्कल क्लिफ सुलझना भारत और अन्य बाजारों के लिए बेहद पॉजिटिव खबर हो सकती है। फिस्कल क्लिफ पर समाधान निकलने से रिस्क एसेट में बड़े पैमाने पर पैसा आने की उम्मीद है। हालांकि फिस्कल क्लिफ डील की बारिकियों पर नजर रखना जरूरी है, जो बेहद अहम है।

आधी-अधूरी तैयारियों के बावजूद सरकार ने आज 1 जनवरी से देश के केवल 20 जिलों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम लॉन्च कर दिया है। पहले इसे 51 जिलों में इसे शुरू करने का प्लान था। स्कीम के पहले फेज़ में देश के 20 जिलों में 2 लाख लोगों के बैंक खाते में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाएगा। इसके बाद 1 फरवरी से 11 और जिलों को इस स्कीम के दायरे में लाया जाएगा। बाकी के 12 जिले 1 मार्च से कवर किए जाएंगे।इस बारे में सोमवार को फाइनैंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार इस स्कीम को लेकर बेहद सावधानी बरत रही है और इसके हर फेज पर नजर रखी जाएगी। 1 मार्च तक कुल 43 जिलों को इस स्कीम के तहत लाया जाएगा। उन्होंने कहा, 'फूड, फर्टिलाइजर और केरोसीन के लिए डायरेक्ट सब्सिडी ट्रांसफर के बारे में अभी नहीं सोचा जा रहा है। इस पर फैसला लेने में अभी वक्त लगेगा, क्योंकि यह काफी गंभीर मसला है।'


दिल्ली दुष्कर्म पर मचे बवाल पर चीन के एक प्रभावशाली अखबार ने अपनी आलोचनात्मक टिप्पणी में कहा है कि भारत का "अक्षम और विषम लोकतंत्र" सामाजिक बुराइयों का हल मुहैया नहीं करा सकता। दिल्ली दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था जाहिर तौर पर इस प्रकार की समस्याओं का हल नहीं करती, बल्कि इन्हें वैधानिकता प्रदान करती है।" अखबार के लिए लिन सू ने अपने लेख में लिखा है, "भारतीय लोकतंत्र अब कुछ चुनिंदा कुलीनों और हितसाधक समूहों के हाथों की कठपुतली होकर रह गया है। इसी ने देश में मौजूदा विरोध प्रदर्शनों और अगस्त महीने में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को बल दिया।" सू ने नई दिल्ली की सड़कों पर चल रहे प्रदर्शन को चीन के लिए एक सबक बताया है।

दिल्ली गैंगरेप मामले के चलते नए साल के मौके पर भी जंतर-मंतर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने के लिए लोगों का जुटना जारी है। मौसम का सबसे सर्द दिन होने के बावजूद सुबह से ही यहां लोग आ रहे हैं। जंतर-मंतर पर बीते आठ दिनों से एक शख्स राजेश गंगवार अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आज उनकी भूख हड़ताल का नौवां दिन है। गौरतलब है कि भीषण ठंड के बावजूद यहां लोग जुटे हुए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए प्रदर्शनकारी सिर्फ और सिर्फ इंसाफ की मांग कर रहे हैं।

दिल्ली में 23 वर्षीय पैरा मेडिकल स्टूडेंट से गैंगरेप की घटना ने आम भारतीय का ही नहीं देश का भी सिर नीचा किया है। पड़ोसी चीन के मीडिया ने इस घटना को लेकर भारत के समाज और सिस्टम पर एक तरह से 'ताना' कसा है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस तरह की घटनाएं भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली और राष्ट्र की अक्षमता का दिखाती हैं। रिपोर्ट में चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा गया है कि भारत आर्थिक विकास में चीन से करीब एक दशक पीछे है और सामाजिक विकास में तीन दशक पीछे चल रहा है।

दिल्ली में रविवार 16 दिसंबर की रात चलती बस में गैंगरेप की शिकार 23 वर्षीय छात्रा की सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के बाद शनिवार तड़के मौत हो गई थी। चीन का अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 'भारत में महिलाओं का उत्पीड़न चौंकाने वाला है।' उसने लिखा है, 'नई दिल्ली में 2011 में बलात्कार के 572 मामले आए और पिछले 40 सालों में इनकी संख्या में सात गुना बढ़ोतरी हुई है।'

अखबार ने 'भारतीय बलात्कार मामले स्त्री-पुरुषों के बीच वास्तविक समानता का अभाव दिखाता है' हेडिंग के साथ लिखा है कि इससे तो समस्या का एक बहुत छोटा पहलू ही सामने आया है। अखबार ने लिखा है, 'छह दशक पहले चीन और भारत का विकास स्तर एक जैसा था, लेकिन चीन द्वारा सुधारों को लागू करने और अपनी सीमाएं खोलने के बाद अंतर काफी बड़ा हो गया है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 'हालांकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को उसकी बेहतर प्रणाली के लिए पश्चिम में महान संभावनाओं से युक्त माना जाता है। लेकिन एक अक्षम और असमान लोकतंत्र अपनी संभावनाओं का उचित उपयोग नहीं कर सकता है।'

लेखक ने कहा है, "छह दशक पहले चीन और भारत समान विकास दर वाले देश थे, लेकिन चीन के सुधार कार्यक्रम शुरू करने और खुलापन लाने के बाद दोनों में भारी अंतर आ गया। विश्लेषण करने पर पता चलता है कि आर्थिक विकास के लिहाज से भारत, चीन से एक दशक पीछे और सामाजिक विकास के लिहाज से तीन दशक पीछे है।"

लेख में यह भी कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को पश्चिम में इसकी व्यवस्था के कारण अत्यंत संभावनाशील की निगाह से देखा जाता है। लेकिन, एक अक्षम और विषम लोकतंत्र इस संभावना का दोहन करने में सक्षम नहीं होता।

भारत सरकार की आलोचना धीमी प्रतिक्रिया के लिए की जाती है और देश की कानून लागू करने वाली पद्धति लापरवाह मानी जाती है।

अखबार ने लिखा है कि भारत में अदालतों तक पहुंचे दुष्कर्म के मामलों में 26 प्रतिशत में ही सजा हो पाती है। इसके अलावा देश की महिलाओं को दोयम दर्जे का बनाने वाली परंपरागत समाजिक संस्कृति की निंदा की जानी चाहिए।

लोकतंत्र राष्ट्रीय राजनीति और सरकार की निगरानी में लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करे। प्रभावी लोकतंत्र का दायरा चुनावी राजनीति से कहीं ज्यादा बड़ा होता है। अपने धुर विचारों के लिए माने जाने वाले ग्लोबल टाम्स ने नई दिल्ली में 2011 में 572 दुष्कर्म की घटनाओं का आंकड़ा पेश करते हुए कहा है कि बीते 40 सालों में देश में दुष्कर्म की घटनाओं में सातगुनी वृद्धि हुई है।

सरकार आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के लिए रिफॉर्म पर जोर दे रही है। मार्केट में रौनक वापस लौटाने और डिमांड में तेजी लाने के लिए प्रयास जारी है। ऐसे में वह कई महत्वपूर्ण फैसले इस साल ले सकती है। ऐसे में आर्थिक सेक्टर में कुछ फैसले आम लोगों को राहत देंगे।

ब्याज दरों में कटौती: सरकार और आरबीआई जनवरी या मार्च में ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। बैंकिंग एक्सपर्ट के अनुसार साल 2013-14 में ब्याज दरों में आधे से एक प्रतिशत की कटौती होने की संभावना है।

सब्सिडी वाले सिलिंडरों की संख्या बढ़ेगी: सरकार नए साल में लोगों को सब्सिडी वाले सिलिंडर बढ़ने की खुशखबरी दे सकती है। दबाव के चलते वह इसकी संख्या को छह से बढ़ाकर नौ करने का प्रस्ताव है। सूत्रों के अनुसार पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद ने इस पर सहमति की मुहर लगा दी है।

कैश सब्सिडी का विस्तार: नए साल से डायरेक्ट कैश सब्सिडी स्कीम का लाभ गरीब और लाभार्थियों को सीधे तौर पर मिलना शुरू हो जाएगा। सरकार की योजना 2013 के अंत तक अधिकतर जिलों में इसे लागू करने की है।

शेयरों में तेजी, सोने में नरमी: जनवरी में सरकारी कंपनियों के शेयरों की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इससे शेयर मार्केट का सेंटिमेंट सुधरेगा। डीएसई के पूर्व प्रेसिडेंट बी.बी. साहनी के अनुसार शेयर मार्केट के लिए नया साल काफी माकूल रहने की संभावना है। शेयर मार्केट में सुधरने की खबर से सोने में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो गया है। अगर इंटरनैशनल लेवल पर निवेशक शेयरों की तरफ गए तो सोने में गिरावट आना तय है।

पेंशन और इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई: सरकार बजट में पेंशन सेक्टर में एफडीआई की अनुमति और इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक पारित कर सकती है। इससे शेयर मार्केट के साथ इंश्योरेंस मार्केट में मनी फ्लो में तेजी आने की उम्मीद है।

जीएसटी और डीटीसी पर फैसला: गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स के साथ डायरेक्ट टैक्स कोड को सरकार किसी भी हालत में नए साल में लागू करने की कोशिश में है। इससे मार्केट में वस्तुओं की आवाजाही आसान होगी। वहीं आम आदमी के लिए इनकम टैक्स स्लैबों में परिवर्तन होगा। इसका सीधा असर निवेश पर पड़ेगा।

चिदंबरम ने बताया कि विधानसभा चुनावों के चलते सरकार गुजरात और हिमाचल प्रदेश के 8 जिलों के लिए डायरेक्ट ट्रांसफर स्कीम के लिए बेसिक फ्रेमवर्क नहीं तैयार कर पाई है, इसलिए शुरुआत में 43 जिलों में ही इसे लॉन्च करने की योजना है।

उन्होंने आगे कहा, 'सभी 26 स्कीम रोलआउट के लिए तैयार हैं। 1 जनवरी को जिन सात स्कीम्स में भुगतान (सेलेक्टेड 20 जिलों के) करना बाकी है, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर सिस्टम के जरिए वहां पेमेंट कर दिया जाएगा। इसके लिए यूआईडीएआई प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल होगा।' 1 जनवरी से जिन सात स्कीम्स को भुगतान के तैयार किया गया है, उनमें एससी, एसटी और ओबीसी के लिए प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप, इंदिरा गांधी मातृत्व सहायता योजना, धनलक्ष्मी स्कीम और एससी-एसटी बेरोजगारों के लिए स्टाइपेंड शामिल हैं।

वित्त मंत्री ने बताया कि लाभार्थियों के पास आधार नंबर न होने पर भी उनके बैंक खातों में सब्सिडी भेज दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'अगले कुछ दिनों या हफ्तों में हमारा मकसद 100 फीसदी आधार लाभार्थियों तक पहुंचना है।' सरकार विदड्रॉल अरेंजमेंट को मजबूत बनाने के लिए बैंकिंग सिस्टम को भी तैयार कर रही है। चिदंबरम ने बताया कि इन 43 जिलों की 7,900 बैंक ब्रांचेज़ में ऑनसाइट एटीएम होंगे। बैंकों ने 20 लाख इंटर-ऑपरेबल माइक्रो-एटीएम के टेंडर भी मंगाए हैं। इनमें बायोमीट्रिक स्कैनिंग और आधार अथॉन्टिकेशन के लिए फसिलिटीज़ होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि शुरुआत में इस स्कीम को चलाने में कुछ तकनीक दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन जो अधिकारी इसकी देख-रेख में लगे हुए हैं, वे धीरे-धीरे इन्हें दुरुस्त कर लेंगे।

आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन घटा

उद्योगों के आठ बुनियादी क्षेत्रों में नवंबर माह में वृद्धि की दर १.८ फीसद घटा। बीते साल के इसी माह में यह ७.८ फीसद की थी। कोयला, प्राकृतिक गैस व सीमेंट के उत्पादन में गिरावट के कारण यह कम रही है। सबसे ज्यादा नुकसान सीमेंट के उत्पादन में रहा। यह ०.२ फीसद घटा, जो इसके पूर्व वर्ष की समीक्षाधीन अवधि में १७ फीसद बढ़ा था। अक्टूबर माह में इन आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर ६.५ फीसद की थी। इन उद्योगों में नवंबर माह में गिरावट का कारण ऊपर दर्शाई चीजों के उत्पादन में गिरावट तो है ही साथ ही बिजली, स्टील और पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन भी कम रहा है। सोमवार को यहां जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आठ उद्योगों में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस सीमेंट, कोयला, बिजली, स्टील, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरकों के समग्र विस्तार में अप्रैल से नवंबर माह के दौरान ३.५ फीसद की गिरावट आई है। इससे पूर्व वर्ष में यह इस दौरान ४.८ फीसद का था। आठ उद्योगों का वजन औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में ३७.९ फीसद का रहा है। प्राकृतिक गैस और कोयले का उत्पादन क्रमशः १५.२ फीसद और ४.४ फीसद घटा। सीमेंट का उत्पादन ०.२ फीसद घटा, जबकि बीते वर्ष की समान अवधि में यह १७ फीसद ज्यादा था।

आर्थिक सुधारों से 2013 में बढ़ेगा निवेश

वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के चलते निवेश में नरमी आने से सरकार को 2012 में एफडीआई नीति में ढील देने को बाध्य होना पड़ा जिसका असर 2013 में एफडीआई में तेज बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिल सकता है।

विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र, एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र, जिंस एक्सचेंज, बिजली एक्सचेंज, प्रसारण, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति उदार की।

इस साल के 10 महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 33 प्रतिशत तक घटकर 21 अरब डॉलर पर आ गया जो बीते साल की इसी अवधि में 31 अरब डॉलर था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में एक अधिकारी ने हालांकि उम्मीद जताई कि कई महत्वपूर्ण निर्णयों को देखते हुए 2013 में देश में और एफडीआई आ सकता है।

इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा कि सरकार को अधिक निवेश हासिल करने के लिए और सुधार करने होंगे। उन्होंने कहा, 'वर्ष 2012 वैश्विक एवं घरेलू कारकों से अच्छा नहीं रहा, लेकिन 2013 में चीजों में सुधार आने की उम्मीद है।'

महीनों तक नीतिगत निर्णय लेने में लाचार रहने के आरोप का सामना करने वाली सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देकर निवेशकों में उत्साह पैदा की।

साथ ही उसने विमानन क्षेत्र में विदेशी विमानन कंपनियों को 49 प्रतिशत निवेश करने की भी अनुमति दी। इसके अलावा, प्रसारण क्षेत्र में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई और साथ ही बिजली एक्सचेंजों में विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई। सरकार ने प्रसारण क्षेत्र में डीटीएच जैसी कंपनियों में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को सरकार से बगैर पूर्व मंजूरी लिए कमोडिटी एक्सचेंजों में 23 प्रतिशत तक निवेश करने की भी अनुमति दे दी गई। वहीं, संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई।

इस समय देश में 14 संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां परिचालन कर रही हैं जिनमें से 9 कंपनियों में विदेशी निवेश नहीं है।

इस दौरान, सरकार ने घटिया मशीनों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए पुरानी मशीनों के आयात के बदले इक्विटी देने की सुविधा वापस ले ली।

दीर्घकालीन दृष्टि के तहत औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 2017 तक वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाकर 5 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा है जो 2007 में 1.3 प्रतिशत था।

2011-12 में 40 अरब डॉलर बाहरी कर्ज बढ़ा

देश का बाह्य कर्ज मार्च 2012 को समाप्त वित्त वर्ष में 39.9 अरब डॉलर बढ़कर 345.8 अरब डॉलर रहा। उच्च वाणिज्यिक उधारी तथा गैर-प्रवासी भारतीयों का जमा बढ़ने से देश का बाह्य कर्ज बढ़ा है।वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार मार्च 2011 को समाप्त वर्ष में देश का बाह्य ऋण 305.9 अरब डॉलर था। बाह्य कर्ज देश के निवासियों की देनदारी को बताता है।बयान के अनुसार वाणिज्यिक कर्ज, अल्पकालिक ऋण तथा गैर-प्रवासी भारती जमा में वृद्धि से कर्ज बढ़ा है।

हर भारतीय पर 14,699 रुपए का विदेशी कर्ज

देश के प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन 14 हजार 699 रुपए का विदेशी कर्ज है। लोकसभा में भीष्म शंकर के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने यह जानकारी दी।

मंत्री ने बताया कि भारत ने 2011-12 के दौरान सरकारी खातों पर ऋण के रूप में 22,836 करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं। इस अवधि में विभिन्न द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय एजेंसियों से अनुदान के रूप में 2,872 करोड़ रुपए प्राप्त किये हैं। जापान, जर्मनी, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन भारत को बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता हैं।

मीणा ने कहा कि 2011-12 के दौरान जर्मनी से।,536 करोड़ रुपए का ऋण एवं अनुदान प्राप्त हुआ जबकि अमेरिका से 55.10 करोड़ रुपए का अनुदान मिला। जापान से 6,083 करोड़ रुपए, रूस से 35.92 करोड़ रुपए और ब्रिटेन से।,689 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ।

वित्तीय घाटा 4.12 लाख करोड़ रु पर पहुंचा

अप्रैल-नवंबर के दौरान वित्तीय घाटे का आंकड़ा 4.12 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसप्रकार, सरकार ने वित्त वर्ष 2013 के बजटीय आवंटित 5.13 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 80.4 फीसदी खर्च कर दिया है।

इस साल नवंबर महीने में वित्तीय घाटे में गिरावट देखने को मिली है। साल दर साल आधार पर नवंबर में वित्तीय घाटा 46,400 करोड़ रुपये से घटकर 45,000 करोड़ रुपये रहा। नवंबर में सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ गया है।

सालाना आधार पर नवंबर में सरकार का टैक्स कलेक्शन 48,100 करोड़ रुपये से बढ़कर 57,600 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। नवंबर में सरकार की कमाई बढ़ी है। सालाना आधार पर सरकार की कमाई 34,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 43,200 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।

हालांकि नवंबर में सरकार के खर्चों में भी बढ़ोतरी दिखी है। सालाना आधार पर सरकार का खर्चा 80,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 88,200 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार के राजस्व घाटे में भी कमी आई है। सालाना आधार पर सरकार का राजस्व घाटा 37,400 करोड़ रुपये से घटकर 34,200 करोड़ रुपये हो गया है।

इस बीच सूत्रों का कहना है कि सरकार को भरोसा है कि वो वित्त वर्ष 2013 के लिए 5.3 फीसदी के वित्तीय घाटे को हासिल कर लेगी। साथ ही वित्त वर्ष 2013 में विनिवेश का लक्ष्य भी हासिल करने का भरोसा है। हालांकि वित्त वर्ष 2013 में स्पेक्ट्रम से हासिल होने वाली आय में गिरावट आ सकती है। स्पेक्ट्रम से होने वाली आय में आने वाली 15,000-20,000 करोड़ रुपये की कमी को पूरा कर लिया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक सरकार के पास अच्छी खासी नकदी मौजूद है। साथ ही सरकार ने अब वित्त वर्ष 2013 के लिए लक्ष्य के मुताबिक कम खर्च करने का फैसला किया है।

उच्च आर्थिक वृद्धि को बेहतर भुगतान संतुलन जरूरी : प्रणब

हैदराबाद : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि 12वीं योजना में उच्च आर्थिक वृद्धि लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार को भुगतान संतुलन के मोर्चे पर बेहतर स्थिति बनाये रखने के ठोस उपाय करने होंगे।

मुखर्जी ने आज यहां एक समारोह में कहा, 'मेरा मानना है कि यह सही फैसला है कि आठ प्रतिशत के आसपास का कुछ महत्वकांक्षी लक्ष्य वृद्धि लक्ष्य रखा गया है जो हासिल हो सकता है।' हालांकि, उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यदि अभी सुधारात्मक उपाय नहीं किये गये तो भुगतान संतुलन संकट बढ़ सकता है। वित्त मंत्रालय और योजना आयोग को इसका ध्यान रखना होगा।'

सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012 से 2017) के लिये सालाना औसत आठ प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कल नयी दिल्ली में हुई राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में योजना को मंजूरी दे दी गई। राष्ट्रपति ने कहा कि 12वीं योजना के दौरान सकल पूंजी निर्माण जीडीपी का 37 प्रतिशत अनुमानित किया गया है और इसमें कहा गया है कि इसके लिये 35.1 प्रतिशत संसाधन सकल घरेलू बचत और 2.9 प्रतिशत विदेशी समर्थन से जुटाये जाएंगे।

नए साल में शेयरबाजार चमकाएंगे किस्मत, देंगे अच्छा रिटर्न

साल 2013 की शुरुआत जोरदार तेजी के साथ हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी में अच्छी तेजी देखी जा रही है। खराब शुरुआत के बावजूद साल 2012 में सेंसेक्स ने 26 फीसदी और निफ्टी ने 28 फीसदी का रिटर्न दिया है। ऐसे में 2013 की शानदार शुरुआत के बाद पूरे साल में बाजार कैसा रिटर्न देगा और किन सेक्टरों, शेयरों में निवेश से मिलेगा मुनाफा, इस पर बाजार के जानकारों ने अपनी राय दी है।

आईआईएफएल के चेयरमैन निर्मल जैन का कहना है कि साल 2013 में सेंसेक्स और निफ्टी 15-20 फीसदी का रिटर्न दे सकते हैं। फिस्कल क्लिफ पर सहमति बन जाने से भारतीय बाजारों को भी फायदा मिल सकता है।

2012 में एफआईआई निवेशकों ने अच्छा पैसा बनाया हालांकि घरेलू रिटेल निवेशकों ने ज्यादा कमाई नहीं की लेकिन 2013 में रिटेल निवेशकों के भी अच्छी कमाई करने की उम्मीद है। 2013 में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों मे तेजी रहेगी। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में 25-30 फीसदी मुनाफा मिल सकता है।

2013 में एफआईआई निवेश बढ़ेगा। घरेलू बाजार में 1.5 लाख करोड़ डॉलर आने की उम्मीद है। अगर सरकार रिफॉर्म की राह पर और आगे बढ़ती है तो विदेशी पैसे की आमद में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

निर्मल जैन के मुताबिक अगर डीजल के दामों में हर महीने 1 रुपये की बढ़त होती है तो वित्तीय घाटा कम हो सकता है। वहीं जीएसटी लागू होना बाजार के लिए सकारात्मक होगा। इंश्योरेंस और बैंकिग संशोधन बिल की दिशा में कदम बढ़ने से इससे जुड़े सेक्टर प्रभावित होंगे। डायरेक्ट कैश सब्सिडी की योजना ठीकठाक रही तो सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम हो सकता है।

2013 में ब्याज दरों में कमी आने की पूरी उम्मीद है। इससे ऑटो, बैंकिंग सेक्टर को फायदा मिलेगा। निवेशक अच्छे निजी बैंकों में पैसा लगा सकते हैं। सरकारी बैंकों को पूंजी जुटाने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते निजी बैंकों में निवेश करने की सलाह दी जा रही है।

निवेशक ऑटो शेयरों, एफएमसीजी, आईटी, फार्मा, सीमेंट शेयरों में निवेश कर सकते हैं। ऑइल एंड गैस सेक्टर की कुछ कंपनियों जैसे बीपीसीएल में पैसा लगाया जा सकता है। हालांकि इंफ्रा और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करने से पहले सावधानी बरतने की जरूरत है।

साल 2013 में खराब विदेशी माहौल और घरेलू राजनीतिक उठापठक के चलते बाजार में गिरावट आ सकती है। अगर किन्हीं कारणों से चुनाव समय से पहले हो जाते हैं तो बाजार को झटका लग सकता है।

निवेशक अच्छे शेयरों को बेचने की बजाए उनमें निवेश बनाए रखें। निवेशक थोड़ा थोड़ा निवेश करने की रणनीति अपनाएं और बाजार में एक्सपोजर बनाए रखें। सोना और फिक्सड इन्कम उपकरणों में भी निवेश रखा जा सकता है। निवेशक एसआईपी के जरिए निवेश करें।

दारशॉ के रीगन एफ होमावजीर का कहना है कि निफ्टी मार्च 2013 तक 6300 के स्तर छू सकता है। अगर निफ्टी में 6300 का स्तर पार हो जाता है 7500 का स्तर देखा जा सकता है।

मौजूदा तेजी में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेजी आने की उम्मीद है। फाइनेंशियल शेयरों में तेजी आने की उम्मीद है। एसबीआई 3500 का स्तर जल्द छू सकता है। वहीं पिडिलाइट छोटी अवधि में 500 रुपये का स्तर छू सकता है। हिंडाल्को में 160 रुपये का स्तर जल्द ही देखा जा सकता है। वहीं शेयर में 200 रुपये का लक्ष्य रखें। इमामी में पहला लक्ष्य 800 रुपये और दूसरा लक्ष्य 1100 रुपये का होगा। करूर वैश्य बैंक में आगे चलकर अच्छा पैसा बनाया जा सकता है।

हेलियस कैपिटल के फंड मैनेजर समीर अरोड़ा का कहना है कि अमेरिका में नरम मौद्रिक नीति भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। कमजोर ग्रोथ के अनुमान के चलते बाजार में जो गिरावट आनी थी वो पहले ही आ चुकी है।  

घरेलू बाजार में निजी बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, फार्मा और आईटी सेक्टर में निवेश करने की सलाह दी जा रही है। रुपये में गिरावट एक चिंता का विषय बना रहेगा। 2012 में रुपये पर दबाव के चलते भारत में निवेश करने वाले फंड के रिटर्न में कमजोरी देखी गई है।

समीर अरोड़ा के मुताबिक अगर आरबीआई ने दरों में कटौती नहीं की तो बाजार को निराशा हो सकती है। 2013 में कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ 14-15 फीसदी रह सकती है।

जियोस्फर कैपिटल मैनेजमेंट के मैनेजिंग पार्टनर अरविंद सांगेर के मुताबिक फिस्कल क्लिफ का मुद्दा सुलझने के बाद कर्ज पर अंकुश लगाना अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती होगा।

2013 में भारत में बजट, नीतियों का लागू होना और महंगाई पर काबू पाना बाजार के लिए अहम कारक होंगे। अगर रिफॉर्म के कदम अच्छे से उठाए जाते हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर शेयरों में तेजी आ सकती है।

अरविंद सांगेर के मुताबिक अगर आरबीआई 2013 में दरें कम करता है तो कंपनियों की कमाई में बढ़ोतरी हो सकती है। अगर चीन के बाजारों में रिकवरी होती है तो भारतीय बाजारों में एफआईआई पैसा कम हो सकता है।

वाह, नए साल में मिलेंगी 10 लाख नई नौकरियां

अनिश्चित आर्थिक हालात के बावजूद देश में अगले वर्ष एफ् एमसीजी और रिटेल समेत विभिन्न क्षेत्रों में दस लाख रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।

रोजगार सलाहकार सेवा उपलब्ध करने वाली कंपनी 'माई हायरिंग डॉट कॉम' की ओर से कराए गए ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2013 नौकरी के लिहाज से समृद्धशाली वर्ष रहेगा। मौजूदा वर्ष जहां देश में करीब 7 लाख रोजगार के नए अवसर का अनुमान लगाया गया था वहीं अगले वर्ष यह आंकडा करीब 10लाख रहेगा।

सर्वेक्षण में 12 उद्योग क्षेत्रो से जुडी करीब 4450 कंपनियों को शामिल किया गया था। हालांकि सर्वेक्षण नतीजों के मुताबिक रोजगार के सभी नए अवसर संगठित क्षेत्र में होंगे। सबसे ज्यादा नौकरियां एफ्एमसीजी और रिटेल क्षेत्र में मिलेंगी इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी और सत्कार क्षेत्र में भी रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध होंगे। सरकार की ओर से नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के फ्सैले से इस क्षेत्र में भी बडी संख्या में नियुक्तियां होंगी।

खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति से कयी विदेशी कंपनियों के देश में आने से इस क्षेत्र में भी रोजगार के बडे अवसर आएंगे1वर्ष 2012 की तुलना में इस क्षेत्र में 15 से 20 प्रतिशत अधिक रोजगार आने का अनुमान है। सर्वेक्षण के मुताबिक यदि सबकुछ अनुमान के मुताबिक सही चला तो एफएमसीजी, रिटेल और सत्कार क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा नौकरियों के अवसर पैदा करेगा।

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