दम तोड़ने लगे हैं ईएसआई अस्पताल!
जिन कर्मचारियों के पास बायोमेट्रिक कार्ड नहीं हैं, वे इलाज से वंचित हो सकते हैं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
चिकित्सा अब क्रयशक्ति पर निर्भर है। अस्पतालों में जगह नहीं मिलती।आम आदमी के लिए बीमारी के हाल में कहीं से कोई राहत की उम्मीद नहीं है। पर कम वेतन पाने वाले र्मचारियों में ईएसआई अस्पतालों में अबभी इलाज कराने का विकल्प है। पर बंगाल में वर्षों से उपेक्षित बदहाल चिकित्सा व्यवस्था में ईएसआई अस्पताल भी दम तोड़ने लगे हैं।राज्य के ईएसआई अस्पतालों के बारे में सरकारी रपट में ही खतरे की घंटी है। १७७ विशेषज्ञ चिकित्सकों के होने की बत हैं, पर इन अस्पतालों में १०१ विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद खाली है। सरकार की माली हालत के मद्देनजर देर सवेर इन रिक्तियों में भर्ती की संभावना नहीं है।सामान्य चिकित्सकों के भी २४४ पद खाली हैं।ईएसआई क्षेत्रीय परिषद ने इन अस्पतालों की सेहत जांचने के लिए एक टास्क फोर्स बनायी थी।नौ सदस्यीय टास्क पोर्स ने हाल में राज्य के श्रम मंत्री को जो रपट दी है, उसी में ऐसा खुलासा हुआ है।रपट में कहा गया है कि इन अस्पतालों में पर्याप्त शय्याएं नहीं है , जो हैं उनकी बुरी गत है।चिकित्सकों के अलावा नर्स और दूसरे स्टाफ की भी भारी कमी है।इस पर तुर्रा यह कि सन २०१३ में अनेक चिकित्सक, नर्स,फार्मासिस्ट औक तकनीशिटन रिटायर होने वाले हैं। नई नियुक्तियों का अभी कोी इंतजाम नहीं हो पाया है।रपट के मुताबिक अस्पताल भवनों की लंबे ्रसे से मरम्त नहीं हुई हैं और वे जीर्ण दशा में हैं।किसी ईएसआई अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए क्रिटिकलकेयर यूनिट नहीं है।सही मायने में अग्निदग्ध मरीजों के इलाज के लिए बर्न यूनिट भी नहीं है।कहीं कहीं गैरसरकारी अस्पतालों के साथ सहयोग करार हो जाने के बावजूद बकाया भुगतान न होने के कारण गैरसरकारी मदद भी नदारद है।
देश में डिजिटल बायोमेट्रिक नागरिकता का कमाल यह कि अब सर्वत्र यह नियम देर सवेर लागू होने जा रहा है कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के अस्पतालों, डिस्पेंसरियों एवं टाइप अप हॉस्पिटलों में एक दिसंबर से कर्मचारियों का इलाज बायोमेट्रिक कार्ड के बिना नहीं हो सकेगा। बिना कार्ड के अब केवल तीन माह तक ही वे अपना इलाज करा सकेंगे। यह छूट भी उन्हीं कर्मचारियों के लिए होगी, जिनके बायो-मेट्रिक्स कार्ड अब तक नहीं बन पाए हैं। ईएसआई से जुड़े प्रत्येक कर्मचारी के पास परिवार के सदस्यों वाला बायोमेट्रिक कार्ड आवश्यक होगा। जिन कर्मचारियों के पास बायोमेट्रिक कार्ड नहीं हैं, वे इलाज से वंचित हो सकते हैं।
ईएसआई अस्पतालों का जो हाल है, इस वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्था के देर सवेर ढह जाने की आशंका है। बहरहाल राज्य के श्रम मंत्री पुर्णेंदु बसु ने भरोसा दिया है कि उन्हें रपट मिल गयी है और इस सिलसिले में उचित कार्रवाई की जायेगी।
गौरतलब है कि १९५० में शुरु हुए राज्य के ईएसआई अस्पातालों के संचालन का दायित्व बंगाल सरकार पर है, जबकि दूसरे राज्य में ये अस्पातल केंद्र सरकार के मातहत है।आईएनटीटीय़ूसी की नेता दोला सेन का दावा है कि मां माटी मानु, की सरकार इन अस्पतालों के दिन बहुरें, ऐसा इंतजाम जरुर करेगी।कर्मचारी राज्य बीमा स्कीम 1952 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक स्कीम है जिसका लक्ष्य था कामगारों को सामाजिक - आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना । कर्मचारी व रोज़गार प्रदाता दोनों हर माह वेतन का एक छोटा भाग जमा करवाते जाते हैं, और आपात स्थिति में ईएसआई केन्द्रों द्वारा यह धन प्राप्त कर लेते हैं । इस स्कीम के लिए वह व्यक्ति योग्य है जिसे बीमारी, विकलांगता, दुर्घटना या काम के वक्त चोट आदि के लिए नकद लाभ मान्य हैं । ईएसआई नियम, 1948 के अनुसार लोग बीमा सुलभ रोज़गार शुरू करने के दिन से ही इसका लाभ उठा सकते हैं ।
देश में असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे करोड़ों कामगारों के लिए एक अच्छी खबर है। अब ये सार कामगार भी कर्मचारी राज्य बीमा स्कीम (ईएसआईसी) के तहत मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। सरकार द्वारा शुक्रवार को कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 में संशोधन का निर्णय लिए जाने से ही इस चिकित्सा सुविधा का रास्ता साफ हुआ है। देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा काफी विस्तृत करने के मकसद से ही सरकार ने यह फैसला किया है।
कर्मचारी राज्य बीमा स्कीम पर कारगर अमल के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन का निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। सूत्रों ने बताया कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों को ईएसआई की सुविधाएं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मिलेंगी। इसके लिए ईएसआई कॉरपोरशन के तमाम अस्पतालों और डिस्पेंसरियों का अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा। मालूम हो कि मौजूदा समय में इन अस्पतालों और डिस्पेंसरियों का बहुत कम उपयोग होता है। नई व्यवस्था उन तमाम जगहों पर लागू होगी जहां दस या उससे अधिक कामगार कार्यरत हैं। इसके तहत घर से कार्य स्थल जाते वक्त और कार्य स्थल से घर लौटते समय दुर्घटना होने पर भी कामगारों को ईएसआई सुविधा मिलेगी।
बीमित लोगों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की खातिर किसी थर्ड पार्टी की भागीदारी के जरिए ईएसआई अस्पताल खोलने अथवा संचालित करने के लिए कॉरपोरशन को किसी भी स्थानीय अथॉरिटी या निजी संस्था से करार करने का अधिकार दिया जाएगा। केंद्र से अनुमति लेने के बाद राज्य सरकारें ईएसआईसी की तर्ज पर स्वायत्त संगठन स्थापित कर सकेंगी।
आई पेड ए ब्राइब के पास इस प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में भी कई शिकायतें आई हैं ।
बंगलूरु के एक प्रतिवादी लिखते हैं कि उनकी बहन को अपने कोमा में जा चुके पुत्र की रक्षा के लिए समय पर यह निधि पाने में बहुत बाधाओं का सामना करना पड़ा । वे बताते हैं कि हालांकि उनकी बहन का अस्थाई ईएसआई कार्ड के लिए पंजीकरण नवंबर, 2011 में हुआ था, उनके वेतन में से ईएसआई के लिए धन मार्च-अप्रैल 2011 से ही काटा जा रहा था ! बीमारी के समय लाभ लेने के लिए बीमे के तहत आने वाले कर्मचारी को 6 महीने की योगदान अवधि में 78 दिन योगदान करना होता है । दुर्भाग्य से उनका भांजा गुज़र गया, और उनकी बहन को
लाज का खर्च भी वहन करना पड़ा ।
बंगलूरु से अन्य प्रतिवादी लिखते हैं कि वे अपनी पत्नी के प्रसव के समय धन निकालने में असमर्थ रहे । उन्हें एक फोन कॉल प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें 14,000 रुपए के चेक के लिए 1,500 रुपए घूस देने के लिए कहा गया । उन्हें जरा भी संज्ञान नहीं था कि अधिकारी उन्हें धोखा देंगे । अधिकारियों ने गलत स्पेलिंग व अन्य तकनीकी कमियों के आधार पर उनका क्लेम नकार दिया, और इस सब में इतनी देरी हो गई कि उन्होंने क्लेम के बारे में सोचना ही त्याग दिया !
मार्च, 2011 के आंकड़ों के अनुसार ईएसआई की कवरेज इस प्रकार है :
रोज़गार प्रदाता - 4.43 लाख
कर्मचारियों की संख्या - 1.54 करोड़
कुल लाभार्थी - 6.02 करोड़
बीमे के तहत आने वाले परिवार - 1.55 करोड़
बीमे के तहत आने वाली महिलाएं - 0.25 करोड़
ईएसआई जैसा विश्वसनीय तंत्र और अधिक कारगर बन सकता है यदि यह विभाग लोगों की परेशानियों के प्रति जागरूक हो जाए ।
राजस्थान पत्रिका में 18 दिसम्बर,2009 को प्रकाशित रवीन्द्र मिश्रा की खबर के अनुसार,कर्मचारी राज्य बीमा योजना से जुड़े देशभर के कल-कारखानों व निजी कम्पनियों में कार्यरत पांच करोड़ से ज्यादा श्रमिक व उनके परिवार के सदस्य अब किसी भी ईएसआई अस्पताल में इलाज करवा सकेंगे। यह संभव होगा स्मार्ट बायोमेट्रिक कार्ड के जरिए। देश भर में ईएसआई के लगभग 200 अस्पताल व डिस्पेंसरियां हैं। केन्द्रीय श्रम मंत्रालय के अधीन देशभर के ईएसआई अस्पतालों को ऑनलाइन करने का काम चल रहा है। "प्रोजेक्ट पंचदीप" के तहत राज्य कर्मचारी बीमा निगम से जुड़े नियोजकों, बीमित व्यक्तियों, देशभर में निगम के क्षेत्रीय व शाखा कार्यालयों, डिस्पेंसरियों और अस्पतालों को इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। निगम में ऑन लाइन व्यवस्था लागू होने के बाद प्रत्येक बीमित व्यक्ति को दो स्मार्ट बायोमेट्रिक कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। एक कार्ड स्वयं बीमित व्यक्ति के लिए व दूसरा परिवार के सदस्यों के लिए होगा। इसके माध्यम से बीमित व्यक्ति देश के किसी भी शहर में चिकित्सा सुविधा प्राप्त कर सकेगा। परिजन भी अपने गांव या शहर की निकटतम डिस्पेंसरी अथवा अस्पताल में कार्ड दिखाकर उपचार करवा सकेंगे। कर्मचारी को अस्वस्थता प्रमाण पत्र भी ऑन लाइन जारी हो सकेगा और किसी भी शहर की निगम शाखा से नगद हितलाभ का भुगतान प्राप्त किया जा सकेगा। निगम ने राज्य में गत अक्टूबर से "प्रोजेक्ट पहचान" कार्यक्रम के तहत वर्तमान में पंजीकृत नियोजकों व बीमितों का रिकॉर्ड नए सिरे कम्प्यूटर में दर्ज करना शुरू कर दिया है। देशभर में यह है स्थिति... * बीमित कर्मचारी- 1.01 करोड़ * बीमित महिला कर्मचारी- 18 लाख * नियोजकों की संख्या- 3.31 लाख * लाभार्थी परिवारों की सदस्य संख्या 3.94 करोड़ * क्षेत्रीय व उपक्षेत्रीय कार्यालय 45 * कर्मचारी राज्य बीमा अस्पताल 144 * कर्मचारी राज्य बीमा अनैक्सी 42 (सभी आंकड़े 31. 03. 2007 तक के)
स्वतंत्र भारत में श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 पहला प्रमुख विधान है | उस वक्त उद्योग प्रारंभिक अवस्था में थे तथा देश भारी विकसित या तेजी से विकासशील देशों से आयातित माल पर निर्भर था | विनिर्माण प्रक्रिया में जनशक्ति की तैनाती जूट कपड़ा, रसायन जैसे कुछ चुनिंदा उद्योगों तक ही सीमित थी |
उस वक्त जबकि भारत की अर्थव्यवस्था स्वयं ही प्रारंभिक अवस्था में थी, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्छा प्रदान करने हेतु एक व्यापक तंत्र के निर्माण हेतु विधान का पारित होना एक बड़ा कदम था | इस प्रकार वैधानिक प्रावधानों द्वारा श्रमिक वर्ग को संथागत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में भारत ने नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई |
ईएसआई अधिनियम 1948, श्रमिकों के स्वास्थ्य जनित समस्याओं यथा बीमारी, प्रसूति, अस्थायी या स्थायी विकलांगता, व्यावसायिक रोग या रोजगार चोट के कारण मौत के रूप में मजदूरी की हानि (आंशिक अथवा पूर्ण) में सुरक्षा प्रदान करता है | विधान में किये गए सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों में श्रमिकों के मन सम्मान की रक्षा करती हैं तथा समाज को एक उत्पादक एवं सामाजिक रूप से योग्य श्रमिक वर्ग प्रदान करती हैं |
ईएसआई अस्पतालों की अपनी स्वास्थ्य सेवा होगी :वर्मा
Sep 18, 2003, 03.51PM IST
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली: कर्मचारी राज्य बीमा निगम(ईएसआईसी) के तहत आने वाले देश भर के सभी अस्पतालों के लिए अलग से स्वास्थ्य सेवा गठित की जाएगी। इन अस्पतालों के कर्मचारियों और डाक्टरों का अपना एक काडर तथा वेतनमान होगा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें निगम की तरफ से ही पेंशन सुविधा प्राप्त होगी।
केन्द्रीय श्रम मंत्री साहिब सिंह वर्मा ने ईएसआईसी की सेवा योजना में सुधार पर आयोजित राज्यों के श्रम मंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों की सहमति से इस योजना की अवधारणा को शीघ्र ही मूर्त रूप दे दिया जाएगा। इस योजना से केन्द्र व निगम पर लगभग पांच सौ करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। श्री वर्मा ने कहा कि देश भर में कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत आने वाले अस्पतालों को लेकर लगातार अंसतोष व्यक्त किया जाता रहा है। आम धारणा है कि चूंकि ये अस्पताल श्रमिकों के लिए होते हैं इसलिए इनके रखरखाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसी आलोचना को दूर करने के लिए जरूरी है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिल कर ईएसआई अस्पतालों की व्यवस्था में गम्भीरता से सुधार लाएं। अभी इन अस्पतालों में काम करने वाले डाक्टर दूसरी सेवाओं से लिए जाते हैं। वेतनमान में अनियमितताओं को लेकर भी आवाज उठती रहती है। जरूरी है कि निगम के अस्पतालों और डिस्पेंसरियों के लिए उनकी अपनी स्वास्थ्य सेवा का गठन हो। ईएसआई के मॉडल अस्पतालों की स्थापना की जा रही है। पर निगम का लक्ष्य सभी अस्पतालों को आदर्श अस्पतालों में परिवर्तित करना है। श्री वर्मा ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों और श्रम मंत्रियों से अनुरोध किया कि वे इस योजना को मूर्त रूप देने में अपना सक्रिय सहयोग दें।
श्री वर्मा ने कहा कि संसाधनों की कमी नहीं है पर प्रबंधन की कमी लगातार खल रही है। पिछले चार दशकों से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है। अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में डाक्टरों की कमी , दवाईयों का न मिलना या फिर उनका घटिया होने जैसी शिकायतें बराबर बनी रहती हैं।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन को मजबूत बनाने के लिए प्रत्येक ईएसआई अस्पताल में एक सलाहकार समिति गठित की जाएगी जिसमें दो कर्मचारियों को भी नामित किया जाएगा। ऐसी समितियों के मुखिया अस्पताल के इंचार्ज ही होंगे ताकि उन्हें अपनी जिम्मेदारी का बोध कराया जा सके। सलाहकार समितियां राज्य सरकारों को हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देंगी। राज्य सरकारों से केन्द्र यह रिपोर्ट प्राप्त कर अस्पतालों और डिस्पेंसरियों की दवाईयों की खरीद और अन्य खामियों को सुधारने के लिए एक निश्चित अवधि के अंदर कदम उठाएंगे।
श्री वर्मा ने सभी राज्यों से राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी सिद्धांत का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ठेका श्रमिकों के लिए एक नया कानून बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर विचार हो रहा है। सरकार चाहती है कि श्रमिकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले। उन्होंने राज्य सरकारों से अपनी वार्षिक योजनाओं में कौशल विकास को उच्च प्राथमिकता देने पर भी जोर दिया है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/188330.cms
झारखण्ड क्षेत्र
वर्ष २००० में झारखण्ड राज्य के गठन के फलस्वरूप क्षेत्रीय कार्यालय, झारखण्ड का गठन १ मई २००३ को किया गया था | क्षेत्रीय कार्यालय झारखण्ड ने जून २००३ से पूर्ण रूप से कार्य प्रारंभ कर दिया था |
क्षेत्रीय कार्यालय झारखण्ड की स्थापना के समय बीमाकृत व्यक्तियों की संख्या करीब ५९००० ही थी | बाद के वर्षों में गहन कवरेज अभियानों के फलस्वरूप कवरेज में काफी वृद्धि हुई |
इसके अतिरिक्त झारखण्ड सरकार द्वारा ई. एस. आई. अधिनियम १९४८ के प्रावधानों को शैक्छ्निक संसथानों के सम्बन्ध में १९-०४-२००७ से तथा चिकित्सा सम्बन्धी संस्थानों में २०-०५-२०१० से लागु कर दिया गया है. इस कारन भी ऐसे संस्थानों तथा उनके कर्मचारियों के कवरेज में काफी वृद्धि हुई |
दिनांक ३१-०३-२०११ को कुल बीमाकृत व्यक्तियों की संख्या २१७६११ थी तथा इस प्रकार क्षेत्रीय कार्यालय के गठन के पश्चात कुल बीमाकृत व्यक्तियों की संख्या में ३१५.३७% की वृद्धि हुई |
इसी प्रकार क्षेत्रीय कार्यालय के गठन के पश्चात कुल नियोजकों की संख्या २२६७ थी जो अभी ३४२% की वृद्धि के पश्चात ७७५३ हो गयी है |
वर्तमान में ईएसआई योजना राज्य में 12 केन्द्रों पर लागू है और एक चरणबद्ध कार्यक्रम के तहत ईएसआई योजना को 10 नए केंद्रों में लागू करने का प्रयास किया जा रहा है |
बीमित व्यक्तियों के लिये 11 शाखा कार्यालयों और एक वेतन कार्यालय तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित २२ औषधालयों के माध्यम से बीमित व्यक्तियों और इस क्षेत्र के लाभार्थियों को नकद लाभ और चिकित्सा लाभ दिए जा रहे हैं | इसके अलावा, इस क्षेत्र में तीन अस्पताल (१ राज्य सरकार द्वारा तथा दो अस्पताल निगम द्वारा ) चलाए जा रहे हैं |
क्षेत्रीय कार्यालय, ईएसआईसी, Namkum, रांची, झारखंड एक आईएसओ 9001-2008 अभिप्रमाणित कार्यालय है और यह कंप्यूटरीकरण परियोजना Panchdeep द्वारा अपने कार्यकलाप में सतत सुधार हेतु प्रयासरत है | सभी शाखा कार्यालयों, अस्पतालों और औषधालयों को भी कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है जिससे उनकी कार्यकुशलता में और वृद्धि होगी |
हितधारकों को बेहतर सेवा प्रदान करने की दिशा में इकाइयों और उनके कर्मचारियों का ऑन-लाइन पंजीकरण पहले से ही शुरू कर दिया गया है| जुलाई 2011 तक 207,330 (103,665 कर्मचारियों * 2) स्मार्ट कार्ड तैयार किया गया है और 206,584 (103292 employees * 2) स्मार्ट कार्ड कर्मचारियों को वितरित की जा चुकी थी | तैयार कार्ड का प्रतिशत कुल संख्या का 58.98% है | बीमाकृत व्यक्तियों को सभी आवधिक भुगतान ईसीएस के माध्यम से लगभग 100% किया जा रहा है| अन्य भुगतानों को भी ईसीएस के माध्यम से किया जा रहा है, इस प्रकार यह क्षेत्र सभी दिशायों में दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है |
ठेका मजदूरों को भी ईएसआई की सुविधा
गुडग़ांव। ठेकेदारों के माध्यम से काम करने वाले मजदूरों को नए साल पर ईएसआई की सुविधा मिलेगी। 21 गांवों के सर्वे में कर्मचारी राज्य बीमा निगम ठेकेदारों के यहां काम करने वाले 20 हजार कर्मियों को अच्छे स्वास्थ्य का तोहफा देगा। ईएसआईसी निदेशक एमएस दहिया ने कहा कि मजदूरों की सेहत ठीक रहेगी, तभी वे काम कर सकेंगे। ईएसआई के तोहफे से सभी मजदूर काफी खुश हैं। वर्ष 2013 इन कर्मियों के लिए अच्छे स्वास्थ्य का संदेश लेकर आया है।
ईएसआई ने कराया सर्वे
कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने 21 नए गांवों का सर्वे कराया है। इनमें बादशाहपुर गांव व उसके आसपास क्षेत्र का धनवापुर, दौलताबाद, कनाही, बेगमपुर, खटौला, हरसरू, हयातपुर, ढोरका आदि प्रमुख गांव शामिल हैं। इसमें 20 हजार से अधिक काम करने वाले कर्मचारी हैं, जिन्हें यह सुविधा मिलेगी।
एक जनवरी से योजना के अधीन होंगे ये गांव
इन गांवों के अंतर्गत आने वाले कारखाने, संस्थाएं और ठेकेदार कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा 1 जनवरी 2013 से उसके अधीन हो जाएंगे। हजारों कर्मियों के लिए नए वर्ष में ईएसआई के अंतर्गत लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
संस्थाओं व कारखानों को रजिस्टर्ड कराना जरूरी
ईएसआई अधिकारियों के मुताबिक इन कर्मचारियों में वे भी शामिल होंगे, जो ठेकेदार के माध्यम से काम कर रहे हैं। इन क्षेत्रों के सभी संस्थानों एवं कारखानों को तत्काल रजिस्टर्ड करने के आदेश जारी किए गए हैं।
राजस्थान में कर्मचारी राज्य बीमा(ईएसआई) योजना के अंतर्गत 5 लाख 6 हजार 126 श्रमिक लाभान्वित होंगे
राजस्थान में कर्मचारी राज्य बीमा(ईएसआई) योजना के अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष में 5 लाख 6 हजार 126 श्रमिकों को लाभान्वित किया जायेगा। जबकि इस योजना के अन्तर्गत देश भर में 1 करोड़ 55 लाख 30 हजार 49 श्रमिकों को कॅवर किया गया है।
यह जानकारी सांसद श्री गोपाल सिंह शेखावत की ओर से पूछे गये अतारांकित प्रश्न के उत्तर में केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्राी, श्री मल्लिकार्जुन खरगे ने लोक सभा में दी।
उन्होंने बताया कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना की तर्ज पर ''पहचान कार्ड्स'' नामक दो स्मार्ट, एक बीमित व्यक्ति और दूसरा उसके आश्रित परिवार के लिये जारी कर रहा है, जिससे बीमित व्यक्ति स्वयं एवं आश्रितों का भारत में कहीं भी और किसी भी समय इन कार्डो से चिकित्सकीय उपचार करवा सकता है।
श्री मल्लिकार्जुन ने बताया कि इन स्मार्ट कार्डो का जारी किया जाना अनवरत प्रक्रिया है चूंकि नये सदस्य इस योजना में लगातार शामिल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार 30 नवम्बर 2011 तक संपूर्ण भारत में लगभग 80 लाख लाभार्थियों को कार्ड प्रदान कर दिये गये हैं और शेष बीमित व्यक्तियों को स्मार्ट कार्ड जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
बीमा अस्पताल देने को राजी हुआ ईएसआई
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अधीन सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम कर्मचारी राज्य बीमा योजना का शुभारम्भ तत्कालीन प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू के कर-कमलों द्वारा 24 फरवरी, 1952 को कानपुर नगर से हुआ। यह योजना विद्युत तथा गैर विद्युत से चलने वाले प्रतिष्ठानों में कम से कम 10 कामगार कार्य करने वाले कारखानों से उन कर्मचारियों पर लागू है जिनकी मासिक वेतन की अधिकतम सीमा रूपया 15000/- तक है। इस योजना से आच्छादित श्रमिकों के वेतन से 1.75 प्रतिशत तथा संवायोजक से आच्छादित श्रमिकों के वेतन का 4.75 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से कर्मचारी राज्य बीमा अंशदान कर्मचारी राज्य बीमा निगम भारत सरकार द्वारा जमा होता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 613079 बीमांकित व्यक्ति इस योजना से सम्बद्ध हैं, जिनके परिवारजनों को चिकित्सा सुविधाएं उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित 15 कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालयों तथा 102 एलोपैथिक औषधालयों, 11 आयुर्वैदिक एवं 11 होम्योपैथिक क्लीनिकों द्वारा प्रदान की जा रही है या जिसमें 5 औषधालयों के सम्बन्ध में शासन द्वारा यह निर्णय लिया जा चुका है कि इनको योजना के अन्तर्गत वापस लेकर संचालित किया जाए।
उत्तर प्रदेश में कर्मचारी राज्य बीमा (श्रम एवं स्वास्थ्य) अस्पताल कर्मचारी राज्य बीमा निगम का हिस्सा हो सकते हैं। कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) ने इस पर रजामंदी जताते हुए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।
दरअसल कर्मचारी राज्य बीमा के 15 अस्पतालों व 128 औषधालयों का संचालन प्रदेश सरकार के अधीन किया जा रहा है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम नोएडा के अस्पताल को खुद संचालित कर रहा है। निगम का प्रयास है बाकी सारे अस्पताल उसे ही दे दिये जायें क्योंकि प्रदेश सरकार के अधीन चल रहे चिकित्सालयों में चिकित्सक समय से नहीं आते हैं और न ही मरीजों को सुविधाएं मिल पा रही हैं। इससे मरीजों को काफी परेशानियां होती हैं। पिछले दिनों कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने प्रदेश सरकार से अस्पताल मांगे थे। इसके बाद हस्तांतरण को कागजी कार्रवाई शुरू हुई पर कुछ दिनों के बाद मामला शांत हो गया। अब एक बार फिर सक्रियता बढ़ी है। कर्मचारी राज्य बीमा (श्रम एवं स्वास्थ्य) निदेशक अशोक कुमार ने बताया सर्वे के लिए समिति गठित की गयी थी। जिसने अस्पतालों को ईएसआईसी के हवाले करने की सिफारिश की है। इस प्रस्ताव को श्रम सचिव शैलेश कृष्ण को भेज दिया गया है। अब शासन ही इस पर अंतिम फैसला लेगा।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में कार्यरत लाखों चूड़ी कामगारों को न केवल निर्धारित से कम मजदूरी पर काम करना पड़ रहा है बल्कि वे नारकीय परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं।
वरिष्ठ सदस्य हेमानंद बिस्वाल की अध्यक्षता वाली श्रम और रोजगार मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी 32वीं रिपोर्ट में चूड़ी कामगारों की बदहाली के आंकड़ें और हालात बयान किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूड़ी फैक्ट्रियों के मालिक कामगारों पर इतना अत्याचार करते हैं कि उन्हें दोपहर का भोजन करने तक का समय नहीं दिया जाता और वे खाना खाने के लिए हाथ तक धोने नहीं जा सकते क्योंकि मालिकों को लगता है कि वे हाथ धोने जाएंगे तो कांच गलाने वाली भट्टी के जलते रहने के कारण ईंधन के साथ ही समय की भी बर्बादी होगी।
संसदीय समिति ने असंगठित क्षेत्र के कांच तथा चूड़ी उद्योग के श्रमिकों को भी कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना के दायरे में लाने का सुझाव दिया है। समिति चाहती है कि गरीबी श्रमिकों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिले इसके लिए ईएसआई कानून में संशोधन हो।
चूड़ी कामगारों के शोषण का एक आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि जो चूडिय़ां बाजार में एक दर्जन में 12 मिलती हैं, उसी एक दर्जन में चूड़ी फैक्ट्रियों के मालिक कामगारों से 24 चूडिय़ां बनवाते हैं। यह न केवल कामगारों बल्कि बाजार में उन चूडिय़ों को खरीदने वाले उपभोक्ताओं का भी शोषण है।
इस समय अकेले फिरोजाबाद में चूड़ी का कारोबार प्रति वर्ष कई करोड़ रुपये का है। ऐसा अनुमान है कि 3 लाख से अधिक असंगठित कामगार फिरोजाबाद में चूड़ी एवं कांच उद्योग में योगदान देते हैं। यूं तो आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान और उड़ीसा समेत देश के दस राज्यों में चूड़ी बनाने का काम होता है लेकिन केवल आंध्र प्रदेश में इन कामगारों को सर्वाधिक 197 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है। बिहार में इन्हें 144 रुपये, झारखंड में 145 रुपये, उत्तराखंड में 144 रुपये तथा उड़ीसा में 92 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं। उत्तर प्रदेश में कामगारों को मजदूरी सबसे कम मिलती है और एक औसत आकार वाले परिवार को अधिकतम 80 रुपये तक दिए जाते हैं। समिति ने कहा, 'एक गुच्छे में 315 चूडियां होती हैं और एक गुच्छा पूरा करने के लिए परिवार को 2 रुपये का भुगतान किया जाता है। एक औसत आकार वाला परिवार एक दिन में 40 गुच्छे पूरे करता है, जिसका अर्थ है 80 रुपये की आय।'
ईएसआई अस्पताल में श्रमिकों को नहीं मिल रहा इलाज
भोपाल।मंडीदीप नगर के कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को राज्य कर्मचारी बीमा निगम और उसके द्वारा अनुबंधित साईं हॉस्पिटल से इलाज नहीं मिल रहा है। जबकि इन श्रमिकों की पगार से हर महीने एक निश्चित राशि कंपनी द्वारा ईएसआई को जमा की जाती है। बावजूद इसके श्रमिक निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं।
नगर के कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को राज्य कर्मचारी बीमा निगम द्वारा इलाज की सुविधा दी जाती है। निगम इसके बदले उनसे हर महीने 200 से 600 रुपए तक वसूलता है। इसके लिए डिस्पेंसरी के साथ निजी अस्पताल से भी अनुबंध किया है, लेकिन बावजूद इसके मजदूरों को इलाज नहीं मिल रहा है।
क्राउंपटन कंपनी में ठेके पर काम करने वाले दुर्गाप्रसाद बताते हैं कि बुखार आने पर जब वे अपने पापा को लेकर सांई अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने कार्ड होने के बाद भी इलाज करने से मना कर दिया।
कहा कि पहले कंपनी से लिखवाकर लाओ कि तुम अभी भी उसी कंपनी में काम करते हो। दुर्गाप्रसाद ने कहा आप इलाज तो शुरू करें तब तक मैं लिखवा कर लाता हूं, लेकिन डॉक्टर ने एक नहीं सुनीं। आखिरकार दुर्गाप्रसाद बुखार से पीडि़त अपने पापा को उसी हालत में छोड़कर लोकल ऑफिस गया। वहां से फार्म 37 लिया। उस पर ठेकेदार के सील साइन कराने के बाद अस्पताल में जमा कराया। तब कहीं जाकर इलाज मुहैया हो सका।
इस तरह के केस आए दिन घटित हो रहे हैं। बीमारी से पीडि़त मजदूरों को ईएसआई और उसकी अनुबंधित अस्पताल के डॉक्टरों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है।
बीमा निगम को सालाना 11 करोड़ की आय- नगर के 550 से अधिक औद्योगिक इकाइयों में 50 हजार से अधिक श्रमिक काम करते हैं। इनसे राज्य कर्मचारी बीमा निगम को सालाना करीब 11 करोड़ की आमदानी होती है। बावजूद इसके निगम श्रमिकों को इलाज मुहैया नहीं करा रहा है। निगम के अधिकारी भी इस ओर से उदासीन हैं। डिस्पेंसरी में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं न ही मरीजों को भर्ती करने की सुविधा। यहां तक कि आपात स्थिति से निपटने के लिए एंबुलेंस भी नहीं है।
क्या है फार्म 37- इस फार्म से जानकारी मिलती है कि उक्त श्रमिक फिलहाल में उसी कंपनी में काम कर रहा है या नहीं। इसके बाद ही डॉक्टर मरीज का इलाज करते हैं। इलाज के दौरान कार्ड, फार्म 37 एवं टेंपरेरी आइडेंटिफिकेशन कार्ड (टीआईसी) इनमें से कोई एक दस्तावेज साथ ले जाएं।
शिकायत पर होगी कार्रवाई-यह गंभीर मामला है। कार्ड पर तो इलाज देना ही चाहिए। यदि कोई डॉक्टर ऐसा कर रहा है तो इसकी शिकायत मुझसे करें। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसपी सिंह, प्रभारी ईएसआई मंडीदीप
कार्ड पर इलाज नहीं कर रहे हैं। जबकि एक मजदूर से 200 से 600 रुपए तक हर महीने काटे जाते हैं। ईएसआई को अपना सिस्टम ऑनलाइन करना चाहिए। ताकि मजदूरों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े।
रामराज तिवारी, प्रदेश संगठन मंत्री इंटक
श्रमिकों के लिए ईएसआई कार्ड अनिवार्य
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर राज्य सरकार के श्रम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न उद्योगों, कारखानों और अन्य संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों एवं कर्मचारियों को औद्योगिक दुर्घटनाओं की स्थिति में पर्याप्त मुआवजा तथा अन्य हितलाभ दिलाने का निर्णय लिया है। श्रम विभाग द्वारा इन सभी संस्थाओं में कार्यरत श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा जारी ईएसआई कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। विभाग द्वारा मंत्रालय से परिपत्र जारी कर 31 जुलाई के पश्चात सभी उद्योगों, कारखानों और अन्य संस्थानों में ईएसआई कार्ड धारक श्रमिकों का ही प्रवेश सुनिश्चित करने को कहा गया है। प्रमुख सचिव विवेक ढांड ने परिपत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ के जिन उद्योगों और कारखानों में लाखों की संख्या में नियमित और ठेका श्रमिक कार्यरत हैं। औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरूप श्रमिकों के नियोजन में लगातार वृध्दि हुई है। औद्योगिक संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग अकुशल श्रमिकों से संबंधित है। उन्होंने बताया कि नियोजकों द्वारा श्रमिकों को नियुक्ति पत्र हाजिरी कार्ड और नियोजन पत्रक नहीं दिए जाने से श्रमिकों के कारखाने में कार्यरत होने संबंधी साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण श्रमिकों के शोषण की स्थिति उत्पन्न होती है। इसी तरह औद्योगिक दुर्घटनाओं की स्थिति में श्रम कानूनों के तहत उन्हें पर्याप्त मुआवजा, अन्य हितलाभ एवं सेवा शर्तो के अन्तर्गत नियोजन संबंधी सुरक्षा तथा संरक्षण प्राप्त नहीं होता है। परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में दस या दस से अधिक श्रमिक नियोजित करने वाले अधिसूचित क्षेत्र में स्थित कारखानों और स्थापनाओं पर कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम प्रभावशील है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में स्थापित कारखानों, संस्थानों एवं स्थापनाओं में कार्यरत सभी श्रमिकों तथा कर्मचारियों को ईएसआई कार्ड प्रदान किया जाता है। अत: श्रमिकों के हित को देखते हुए राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि राज्य के अधिसूचित क्षेत्रों में स्थित कारखानों, संस्थानों और स्थापनाओं में बिना ईएसआई कार्ड के किसी भी कर्मचारी और श्रमिक से कार्य न लिया जाए।
सामाजिक सुरक्षा और क्षतिपूर्ति से संबंधित कानून
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ईएसआई अधिनियम) में बीमारी, प्रसव और रोजगार के दौरान लगी चोट के मामले में स्वास्थ्य देख रेख तथा नकद लाभ के भुगतान का प्रावधान किया गया है। यह अधिनियम ऐसे सभी गैर मौसमी फैक्टरियों पर, जो विद्युत से चलाई जाती है और जहां 10 या अधिक व्यक्तियों को काम में लगाया जाता है तथा ऐसी फैक्टरियों पर लागू होता है जो बिना बिजली के चलाई जाती हैं और जहां 20 या अधिक व्यक्ति काम करते हैं। उपयुक्त सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित करके इस अधिनियम के प्रावधान किसी अन्य स्थापना या स्थापना की श्रेणी, औद्योगिक, वाणिज्यिक, कृषि या किसी अन्य श्रेणी पर भी लागू कर सकती है।
अधिनियम के अंतर्गत, नकद लाभ कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के जरिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रशासित किए जाते है; जबकि राज्य सरकारें और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन चिकित्सीय देख रेख का प्रशासन देखती हैं।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) देश की अग्रणी सामाजिक सुरक्षा संगठन हैं। यह ईएसआई अधिनियम के तहत सबसे बड़ा नीति-निर्माता और निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है और इस अधिनियम के तहत ईएसआई योजना के कार्यकरण को देखता है। निगम में केन्द्र और राज्य सरकारों, नियोक्ताओं, कर्मचारियों, संसद और चिकित्सीय व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य शामिल हैं। केन्द्रीय श्रम मंत्री निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। निगम के सदस्यों में से ही बनाई गई एक स्थायी समिति योजना के प्रशासन के लिए कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करती है।
अधिनियम के मूल प्रावधान इस प्रकार है :-
प्रत्येक फैक्टरी या स्थापना जिस पर यह अधिनियम लागू होता है, पंजीकरण इस संबंध में बनाए गए विनियमों में विनिर्दिष्ट समय में और तरीके के अनुसार किया जाना चाहिए।
इसमें समेकित आवश्यकता आधारित सामाजिक बीमा योजना की व्यवस्था की गई जो बीमारी, प्रसव, अस्थायी या स्थायी शारीरिक अपगंता, रोजगार के दौरान लगी चोट के कारण मृत्यु जिससे मजदूरी या अर्जन क्षमता खत्म हो जाए, जैली स्थितियों में कामगारों के हितों की रक्षा हो सके।
इसमें छह सामाजिक सुरक्षा लाभ भी प्रदान किए गए हैं :-
चिकित्सीय लाभ
बीमारी लाभ (एस बी)
मातृत्व लाभ (एम बी)
अपंगता लाभ
आश्रित का लाभ (डी बी)
अंत्येष्टि व्यय
केन्द्र सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित करके इस अधिनियम के प्रवधानों के अनुसार कर्मचारी राज्य बीमा योजना के प्रशासन के लिए '' कर्मचारी राज्य बीमा निगम'' नामक निगम स्थापित कर सकती है।
इस अधिनियम में निर्दिष्ट लाभों के अतिरिक्त, निगम बीमित व्यक्तियों के स्वास्थ्य सुधार और कल्याण हेतु तथा ऐसे बीमित व्यक्तियों के पुनर्वास एवं पुन:रोजगार के उपायों को बढ़ावा दे सकता है, जो अपंग या घायल हो गए हों और इन उपायों के संबंध में निगम की निधियों से ऐसी सीमाओं में व्यय कर सकती है जैसी कि केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाए।
इस अधिनियम के तहत कर्मचारी के संबंध में अंशदान में नियोक्ता द्वारा देय अंशदान और कर्मचारी द्वारा देय अंशदान शामिल होगा और निगम को देय होगा। अंशदान ऐसी दरों पर अदा किए जाएंगे जो केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
इस अधिनियम के तहत किए गए समस्त अंशदान और निगम की ओर से प्राप्त अन्य सभी धनराशियां कर्मचारी राज्य बीमा निधि नामक निधि में जमा की जाएगी जिसे इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ निगम द्वारा धारित और प्रशासित किया जाएगा।
ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो इस अधिनियम के तहत भुगतान या लाभ में वृद्धि करवाने के प्रयोजन से, या इस अधिनियम के तहत जहां कोई भुगतान या लाभ प्राधिकृत नहीं है, वहां कोई भुगतान या लाभ प्राप्त करने के प्रयोजन से, या इस अधिनियम के तहत स्वयं उसके द्वारा किए जाने वाले भुगतान से बचने या किसी और व्यक्ति को भुगतान से बचाने के प्रयोजन से जानबूझ कर गलत बयान या गलत आवेदन करता है, उस कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा दी जा सकती है।
यदि इस अधिनियम के तहत अपराध करने वाली कोई कम्पनी हैं, तो ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध के समय कम्पनी का प्रभारी था और कम्पनी के कारोबार संचालन के लिए जिम्मेदार था, वह और कम्पनी भी अपराध की श्रेणी होगी और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है और तदनुसार दण्डित की जा सकती है।
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