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Friday, June 28, 2013

हिमालय को बचाना है तो तुरंत तमाम यात्राएं बंद हो जानी चाहिए।धर्मोन्मादी राजनीति ऐसा होने नहीं देगी।

बहुत मीठा बोल लिये।अब अगर इस नस्ली भेदभाव वाले मुल्क के खुले बाजार में जीना है,तो थोड़ा कटु वचन बोलना भी सीख लीजिये!


हिमालय को बचाना है तो तुरंत तमाम यात्राएं बंद हो जानी चाहिए।धर्मोन्मादी राजनीति ऐसा होने नहीं देगी।


बीबीसी के दस्तावेजी सबूत से खुलासा हो ही गया कि कैसे धर्म पर्यटन के लिए हिमालय, हिमालयी जनता और आम पर्यटकों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया गया!नतीजा सामने है।

Reported Missing - 11025


पलाश विश्वास


Reported Missing - 11025


राजीव भाई,बिल्कुल सही लिखा है।संकट राहुल गांधी,विजय बहुगुणा या नरेंद्र मोदी का नहीं है।संकटहै हिमालयऔर हिमालयी जनता का।बहुत मीठा बोल लिये।अब अगर इस नस्ली भेदभाव वाले मुल्क के खुले बाजार में जीना है,तो थोड़ा कटु वचन बोलना भी सीख लीजिये!हम बोलेंगे तो कहेंगे कि बहुत बोलता है।पहाड़ी नहीं है।यह आवाज तो पहाड़ से उठनी चाहिए।हिमालय को बचाना है तो तुरंत तमाम यात्राएं बंद हो जानी चाहिए।धर्मोन्मादी राजनीति ऐसा होने नहीं देगी। बीबीसी के दस्तावेजी सबूत से खुलासा हो ही गया कि कैसे धर्म पर्यटन के लिए हिमालय, हिमालयी जनता और आम पर्यटकों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया गया!नतीजा सामने है।महाविनाश से बचना है, तो खामोशी की चादर को सबसे पहले हटायें।हर घाटी से प्रतिरोध की आवाज उठनी चाहिए ताकि हालात बदलें।गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है।


पिथौरागढ़ में पचास गांव खत्म हो गये। नेपाली सेना ने धारचूला से तस्वीरें जारी करके व्यापक तबाही की खबर हफ्तेबर पहले दे दी थी।पर उत्तराखंड सरकार याभारत सरकार को दरमा घाटी व्यास घाटी और काली नदी के आरपार तबाह जनपदों की सुधि नहीं आयी।


अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरु हो चुकी है।ऊपर पहाड़ों में खैरियत का माहौल कतई नहीं है। पगडंडियां टूट रही हैं। तवाघाट फिर भूस्खलन के चंगुल में है। उत्तराखंड सरकार को राजनीतिक समीकरम के मुताबिक राज्य में व्यापक जनाधार वाले संघ परिवार से निपटने की रणनीति ही समझ में आयी और वक्त रहते मौसम चेतावनी के मद्देनजर बद्री केदार यात्रा रोकने की हिम्मत नहीं हुई। कर देते तो अब लाशों की गिनती न करना पड़ती और इस विपर्यय में उत्तरकाशी के जोशियाड़ा से लेकर गंगोत्री के धाराली तक, पिथौरागढ़ के समूचे धारचूला अंचल, जौनसार भाबर, टिहरी, पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा के दर्जनों तबाह गांव और कस्बे इस तरह अनाथ नहीं हो जाता कि केदार बद्री में कारोबारी राहत अभियान से निस्तार के बाद मीडिया और सरकारों को खबर करने की जरुरत नहीं पड़ती कि हिमालय की गोद में इस विपर्यय में आम पहाड़ी जिंदा तो नहीं बच गये!


तबाह गांव और कस्बों से बाहर,तमाम नदियों के आर पार, भूस्खलित बगी घाटियों की गोद में किसी तरह बच्चों को बचाने की कवायद में सबकुछ गवांकर अंधेरे में दस बारह दिनों से भूखे प्यासे लोगों पर अब खबर बन रही है।


मुख्यमंत्री तो यह दावा भी बेशर्मी से करने लगे हैं कि टिहरी बांध न होता तो और तबाही होता। 2012 में भी उत्तरकाशी में बाढ़ आयी थी। इस चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया होता तो आज हालात इतने बुरे नहीं होते।यह कोई अंतिम जलप्रलय नहीं है। पर लगाता है कि टिहरी बांध का तिलिस्म टूटने पर ही दिल्ली को होश आयेगा और देहरादून की नींद में भी तभी खलल पड़ेगी


हमने हिमालय से डेढ़ हजार मील की दूरी से अपनी मामूली हैसियत के मुताबिक बार बार फेसबुक के जरिये, संपादकों को खुली चिट्ठी लिखकर अपील की कि पर्यटकों के अलावा आम हिमालयी जनता की भी खबर लें। न प्रिंट और न इलेक्ट्रानिक मीडिया ने कोई नोटिस नहीं लिया।


कविता कहानी से तोबा कर लिया था।पर कोई उपाय न बचा तो कविता का सहारा लिया तोकि लोगों के दिलों पर दस्तक दी जा सकें। पर इस बेरहम देश में खुले बाजार और कारपोरेट राज में दिल नामक कोई बदतमीज चीज का वजूद ही नहीं रहा।हमें कालजयी नहीं बनना है।अपने लोगों के जख्मों का खून सीधे हमें समुंदर की गहराइयों में उठाकर फेकता है,इसीलिए हम लिखते हैं।वरना किताबे छपवा रहे होते या फिर अखबारों और पत्रपत्रिकाओं के संपादकों ,प्रकाशकों और आलोचकों की मर्जी से चल रहे होते।


रेडियो अब खत्म है। सूचना का कोई साधन है नहीं। दुर्योग में पहाड़ में माबाइल और वायरलैस तक बेकार।संचार तंत्र तहस नहस। थ्रीजी फोर जी घोटालों के लिए माकूल होंगे,पर पहाड़ के कोई  काम नहीं आया।


हिमालय से बाहर हम जो हैं,डिजिटलाइजेशन के काऱम मनोरंजन पैकेज के सेटटाप बाक्स से बड़ी चालाकी से सूचना हाईवे से हाशिये पर डाल दिये गये।अब पहले की तरह बीबीसी सीएन एन वगैरह विदेशी चैनल से लेकर देसी अंग्रेजी चैनल तक सुलभ नहीं। कुकुरमुत्तों की तरह पेड भाषाई चैनल हैं। जिनके पत्रकारों को हवाई यात्रा का लुत्फ उठाने का बेहतरीन मौका मिल गया।पर पूरे देश को मालूम ही नहीं पड़ा कि हिमालय की जख्में कितनी संगीन हैं और हिमालयी जनता किस हाल में है।


उत्‍तराखंड में आई आपदा को 11 दिन बीत गए हैं। अब भी करीब 2500 लोग बद्रीनाथ में फंसे हुए हैं। मौसम साफ होने के बाद राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी आ गई है। शुक्रवार को 17 हेलिकॉप्‍टरों ने उड़ान भरी है और पहाड़ों पर फंसे लोगों को सुरक्षित स्‍थान पर लाया जा रहा है। इस बीच, हर्षिल हेलिपैड पर पवनहंस के एक हेलिकॉप्‍टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई है। हालांकि कोई हताहत नहीं है। सूबे में आई त्रासदी दि‍नों-दि‍न वीभत्‍स होती जा रही है। उत्‍तर प्रदेश की वि‍भि‍न्‍न नदि‍यों से गुरुवार को दस लाशें और बरामद हुई हैं। छह लाशें इलाहाबाद में गंगा से, दो लाशें मुजफ्फरनगर और हापुड़ से बरामद हुई हैं। इसके साथ ही उत्‍तर प्रदेश से बरामद होने वाली लाशों की संख्‍या 26 हो गई हैं। उत्‍तराखंड के कुमायूं अंचल में गुरुवार को भूकंप के हलके झटके महसूस कि‍ए गए। पि‍थौरागढ़ के धारचूला में 4.2 की क्षमता का भूकंप आया। भूकंप से कि‍सी की तरह की जान माल की हानि होने की सूचना अभी नहीं है। उधर, गढ़वाल के आपदाग्रस्‍त इलाकों में जैसे-जैसे मलबे की खुदाई हो रही है, लाशों के ढेर बढ़ते जा रहे हैं। केदारनाथ में बुधवार को 18 शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके अपनों को शायद यह पता भी नहीं कि उस भयावह रात को साथ छोड़ चुके मां-बाप, भाई या बहन को चिता नसीब हो गई है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सत्यव्रत के मुताबिक सभी के डीएनए व शवों के पास से बरामद वस्तुओं को सुरक्षित रख लिया गया है। सभी शवों के फोटो भी लिए गए हैं। शवों के दाह-संस्कार तेजी से कि‍ए जा रहे हैं। गंगा से लाशें निकालने के लिए हरिद्वार में नेवी की तैनाती की गई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबि‍क आपदा में अब तक 822 लोगों की मौत हो चुकी है, 436 घायल हैं और 344 लापता हैं। इसके अलावा 1829 लोग अभी तक पहाड़ों में फंसे हुए हैं। एनडीएमए के मुताबि‍क आपदा में 2232 मकान ढह चुके हैं। अब तक 1,04,095 लोगों को बचाया जा चुका है। उत्‍तराखंड सरकार के मुताबि‍क अभी तक 2500 लोग लापता हैं।

राहत के काम में लगी सेंट्रल एजेंसियों का मानना है कि अभी और भी लाशें बरामद होंगी। वहीं, दूसरी तरफ पानी लाशों को मैदानों तक बहा ले गया है। उत्‍तराखंड से ये लाशें यूपी में जा चुकी हैं। इनकी हालत देखकर साफ पता चलता है कि जलजला कि‍तना भयानक रहा होगा। ऊंचाई पर फंसे लोग जैसे-जैसे नीचे सुरक्षि‍त स्‍थानों पर लाए जा रहे हैं, त्रासदी की ऐसी नई कहानी बता रहे हैं, जि‍से सुनकर कि‍सी की भी आंख नम हो जाए।


'क्या हम चीन चले जाएं?'

(प्रातःकाल से)


देहरादून। शाम के करीब 4 बजे मेरा मोबाइल फोन बजा। देखा तो नंबर कुछ अजीब सा था। मैं जौलीग्रांट में आपदा में लापता लोगों के परिजनों से बात कर रही थी, सोचा कि फोन न उठाऊं, लेकिन जब उठाया और बात की तो मैं सन्न रह गई। मेरे पास कोई जवाब नहीं रहा।

फोन उठाने पर आवाज आई, हेलो मैडम, आप पत्रकार हैं ना। मैंने कहा, हां... सामने से आवाज आई मैं नांगलिंग से हरीश भंडारी बोल रहा हूं। आप लोग केदारनाथ, बद्रीनाथ सबके बारे में तो बता रहे हैं लेकिन हम लोगों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा। हम यहां 17 जून से फंसे हुए हैं। 400 लोग गांव के हैं और करीब 40 टूरिस्ट हैं। क्या हमारी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है? हमारे पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं है। बूढ़े और बच्चे बीमार पडऩे लगे हैं। हमारा सारा अनाज खत्म हो गया है। सब रास्ते टूट गए हैं। हमें यहां हेलिकॉप्टर तो उड़ते हुए दिखते हैं, लेकिन कोई हमें लेने नहीं आता, न ही कोई खाने पीने का सामान गिराता है। क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं... क्या हमें चीन चले जाना चाहिए?

मैंने पूछा कि अगर वहां कुछ साधन नहीं हैं तो आप फोन कैसे कर रहे हैं? हरीश ने बताया कि गांव में एक शख्स के पास सैटेलाइट फोन है तो मैं उसी से फोन कर रहा हूं। कहीं से आपका नंबर मिल गया तो ट्राई कर लिया। मेरे पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं था। बस इतना कह पाई कि जरूर आपके बारे में भी देश को बताएंगे। उसने आगे कहा कि आज हमें गांव वाला होने और साहब न होने पर तरस आ रहा है। हरीश ने कहा कि गांव के एक आईपीएस को तो हेलिकॉप्टर भेज कर 4 दिन पहले ही बचा लिया गया लेकिन हमारे लिए कोई नहीं आया। क्या आप सब वीआईपी की ही सुनते हैं? उसकी बात सुनकर मैं कुछ देर के लिए भूल गई कि मैं जौलीग्रांट में खड़ी हूं। नांगलिंग पिथौरागढ़ जिले में धारचूला से आगे चीन बॉर्डर पर बसा एक गांव है। नांगलिंग की तरह ही यहां चल गांव, सेला, बालिंग में भी सैकड़ों लोग फंसे हैं, जिन तक कोई मदद नहीं पहुंच पा रही है।


उत्तराखंड : सड़ते शवों और मलबे से महामारी का खतरा, बचावकार्य जारी



देहरादून/केदारनाथ/बद्रीनाथ: उत्तराखंड में बचाव का काम आज भी जारी है। यहां के पहाड़ी इलाकों में अभी भी करीब 4000 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकाला जाना बाकी है।


धरासु, हर्षिल और गौचर इलाके में मौसम साफ है और वायुसेना ने इन इलाकों में रेसक्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, लेकिन बद्रीनाथ में बचावकर्मी मौसम साफ होने का इंतजार कर रहे हैं।


इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड के कई इलाकों में तेज बारिश हुई, जिससे राहत और बचावकार्य में काफी दिक्कतें आईं।


बुधवार दोपहर तक हर्षिल से 350 लोगों को निकाला गया, जिसके बाद बारिश की वजह बचाव का काम धीमा पड़ गया। राज्य सरकार का कहना है कि जल्द से जल्द फंसे हुए लोगों को निकाल लिया जाएगा।


वहीं मौसम विभाग का कहना है कि उत्तराखंड में अगले 48 घंटे तक बारिश के आसार हैं। फिलहाल बड़ी चुनौती केदारनाथ और दूसरे इलाकों में फंसे शवों को निकालने और उनका अंतिम संस्कार करने की है। बुधवार को केदारनाथ में शवों का सामूहिक दाह-संस्कार शुरू किया गया, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी पूरी नहीं पड़ रहीं। दरअसल, यहां बीमारियों के फैलने का खतरा है, जो इलाके में मलबे और शवों की वजह से फैल सकती हैं। हालांकि एनडीएमए अब इन शवों को निकालने के लिए जोर लगाने की बात कह रहा है।


दारमा और व्यास घाटी में जहां 16 तारीख की रात तबाही तो पहुंची, लेकिन उसके बाद मदद के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा। वक्त पर न तो कोई सरकारी मदद मिली और न ही मीडिया के लोग ही वहां पहुंच पाए। यहां का हाल जानने के लिए एनडीटीवी की टीम सबसे पहले पहुंची।


16 तारीख को आई तबाही का मंजर यहां हर ओर दिखाई दे रहा है। लोगों के मकान और दुकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं हांलाकि अब यहां राहत और बचाव टीम पहुंच चुकी है और फिलहाल 137 लोगों को यहां से निकाल लिया गया है। इसमें कुछ लोग कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री हैं। दरअसल, व्यास घाटी से ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू होती है और इस इलाके की सीमा नेपाल के साथ चीन से भी जुड़ती है।


वहीं उत्तराखंड के ऊखीमठ के इलाके के कई गांवों में इन दिनों मातम छाया हुआ है। बताया जा रहा है कि सिर्फ ऊखीमठ के ही 800 लोग अपने घर नहीं पहुंचे हैं। यात्रा के सीजन में इन गांवों के ज्यादातर पुरुष केदारनाथ में ही रहते हैं। कुछ पंडित हैं तो कइयों की वहां दुकानें हैं।

NDTVIndia, Last Updated: जून 27, 2013 12:21 PM IST

कुमाऊं में भी भारी तबाही, हजारों फंसे

पूनम पाण्डे ॥ नई दिल्ली

नवभारत टाइम्स | Jun 21, 2013,

प्रकृति का कहर उत्तराखंड के कुमाऊं में भी बरसा है। आलम यह है कि यहां के कई ऊंचे इलाकों में अभी तक राहत और बचाव टीम पहुंच नहीं पाई है। खराब मौसम की वजह से हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं और अब तो वहां सेना के पास हेलिकॉप्टर के लिए तेल की भी कमी हो गई है। नेपाल-चीन सीमा से लगे इस इलाके के जो लोग जैसे-तैसे नेपाल तक पहुंच पा रहे हैं, वे वहां से फोन कर आपबीती सुना रहे हैं।


पिथौरागढ़ जिले में धौलीगंगा और काली नदी के किनारे बसे धारचूला, तपोवन, एलागाड़, जौलजीबी, बलवाकोट इलाकों में बारिश ने भारी तबाही मचाई है। करीब 200 मकान भूस्खलन की भेंट चढ़ गए हैं या काली नदी में समा चुके हैं। सड़क और फोन कनेक्टिविटी 16 जून से ही पूरी तरह ठप है। यहां 16 जून से ही प्रकृति का तांडव शुरू हो गया था, लेकिन इस बारे में पता 18 जून को चल पाया वह भी तब जब किसी तरह लोग धारचूला में नेपाल को जोड़ने वाले पुल तक पहुंचे और नेपाल जाकर वहां से फोन पर आपबीती बताई। बारिश से नेपाल में भी तबाही हुई है, लेकिन फिलहाल वहां फोन कनेक्टिविटी ठीक है।


चीन और नेपाल बॉर्डर से लगे धारचूला और आसपास के इलाकों में अब तक 20 मौतों की पुष्टि प्रशासन की तरफ से की जा चुकी है। लेकिन आशंका है कि मौत का आंकड़ा सैकड़ों में हो सकता है। नेपाल से जिन लोगों ने फोन कर पिथौरागढ़ में परिजनों को आपबीती बताई उन्होंने बताया कि न तो खाने के लिए कुछ बचा है न पीने के लिए। जगह-जगह पत्थर गिर रहे हैं और सैकड़ों लोगों का कोई अता-पता ही नहीं है। लोग खुद की आंखों के सामने अपने परिजनों को दम तोड़ते देख रहे हैं।


कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकला पहला दल भी बूंदी में अटका है। इसमें दिल्ली के 16, गुजरात के 14 लोगों सहित कुल 53 लोग हैं। बूंदी में आईटीबीपी का कैंप भी है, इसलिए माना जा रहा है कि यह लोग शायद सुरक्षित होंगे। लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इस सीजन में सैकड़ों लोग 10 हजार फिट की ऊंचाई पर धारचूला से टिंची और छिपलाकेदार यारसा गुंबा नाम की जड़ी बूटी को खोदने जाते हैं। उन लोगों का क्या हुआ अब तक कुछ भी जानकारी नहीं मिल पाई है।


शोबला में चीन बॉर्डर को जोड़ने के लिए सीपीडब्लूडी रोड बना रहा था, पर अब उसका नामोनिशान नहीं है। यहां आईटीबीपी का कैंप, बीआरओ का कैंप जमींदोज हो गया है। तपोवन में एनएचपीसी के 36 आवासीय भवन धौलीगंगा में डूब गए हैं। शोबला, मिलम के ज्यादातर एरिया और रालम, राजरंबा, गाला, गूंजी तक बचाव टीम नहीं पहुंच पाई है। सेना के हेलिकॉप्टर के लिए तेल ही नहीं मिल रहा है। इस वजह से शुक्रवार को हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया। दूसरी तरफ नेता हेलिकॉप्टर लेकर मुआयना कर रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है।


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ली सीमांत क्षेत्र की सुध

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने धारचूला पहुंचकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना.

उन्होंने धारचूला और मुनस्यारी में आपदा प्रभावित लोगों के आवास के लिए अविलंब 20 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की.  मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्र की कनेक्टीविटी  को शीघ्र जोड़ने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों के दुख-दर्द को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किये जायेंगे.

उन्होंने जिला प्रशासन को आपदा से हुई क्षति का तत्काल आकलन करने के निर्देश देते हुए भरोसा दिलाया कि प्रभावितों के लिए धनराशि शीघ्र ही जारी कर दी जाएगी. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि क्षेत्र में जितने पुल बह गये हैं, उन्हें प्राथमिकता के साथ बनाया जाए. साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के भी निर्देश दिये.मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश आपदा से जूझ रहा है. वह पीड़ितों का हाल जानने के लिए सभी क्षेत्रों में जाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन मौसम लगातार खराब रहने से इसमें बाधा आ रही है. बावजूद इसके प्रदेश सरकार आपदा से उबरने में पूरी तरह सक्षम है.

उन्होंने कहा कि आपदा से फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना, आईटीबीपी के जवान और अन्य एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं. आपदा से तबाह हुए प्रदेश को पटरी पर लाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे.

क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी ने मुख्यमंत्री के समक्ष आपदा प्रभावितों की पीड़ा को रखा. साथ ही उन्होंने सीएम को बताया कि दारमा, व्यास, जोहार घाटी के साथ ही मुनस्यारी के लोगों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने बताया कि ऊपरी क्षेत्र के गांवों को जोड़ने वाले सारे मार्ग ध्वस्त हो गये हैं. इन मागरें को जोड़ने वाले सभी पुल ध्वस्त हो गये हैं. अभी भी सैकड़ों लोग उच्च हिमालयी क्षेत्र में फंसे हुए हैं. इस मौके पर सांसद प्रदीप टम्टा, गंगोलीहाट के विधायक नारायण राम आर्या, मंडलायुक्त आरके सुधांशु, डीआईजी जीएन गोस्वामी, जिला प्रशासन के साथ ही सेना व आईटीबीपी के अधिकारी मौजूद थे.



Palash Biswas Rajiv Bhai,bilkul sahi likha hai.Karobari hai rahat abhiyan.sirf pryatan bachaane ki kasrat hai.Pithorgarh mein 50 gaon bah gye ,koi khabar nahi.Gangotri kaa Daharali kasba tabah hua,koi rahat nahi.Uttarkashiaur tauns ghati ki khabar nahi bani.darma aur byas ghati ki khabar nahi bani.Tehri aur apudi ke gaon ki khoj nahi hui.Kedar ke 60 gaon khatm hue.koi rahat nahi.Ab media wale Pithoragargh jayenge kyonki wahan kailash mansarovar yatra shuru ho chuki hai.pahar ko bachan hai to ye yatrayen turnat band ho.hum bolen to outsider kahlaayen jaayenge.yehawaz ab pahar se uthni chahiiye.Bahut mitha bol liye,jindagi chahiye to katu vachan bolna sikhiye.

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Rajiv Nayan Bahuguna
राहुल गांधी , विजय बहुगुणा या मोदी की राह न देखो . खुद एक दुसरे की हेल्प करो . तुम पर जीवी हो गए . तुम्हारे बच्चे पैदा करने को भी राहुल या मोदी आएगा क्या ? आपदा तुम्हारे ऊपर आई है , मोदी या राहुल पर नही

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  • You, Rajiv Nayan Bahuguna, Himanshu Bisht, Nomad's Hermitage and 79 others like this.

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  • Prasad Bhatt Bhatt hahahhaha. bahut badiya. kisi kisi k bache to aaj kal bidhyak. saab v paida kar dete hain

  • 4 hours ago via mobile · Like · 3

  • Manoj Istwal sundar vichaar dhaara ...shayad is samay sabse jaruri hain ye shabd

  • 4 hours ago · Like · 1

  • Anoop Chauhan बिलकुल सही कहा भाई साहब लेकिन गढ़वाल में लोग कर रहे हैं भाई जी जितना उनसे हो सकता है .....

  • 4 hours ago · Like · 2

  • Aswal Ratan patey ki bat

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Tulsi Mehta Bat to sahi kahi but trika thik nahi tha ye log bhagwan h kya jis pr ye keher brsha h uss se jake puchna kya wo kisi ki rah dekh raha h ye wqt khud jakr mdada krne ka h kisi ko sabit krne ka nahi apni zimmedari samjho yar

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Pushpandra Kumar Pandey भारत में एक बीमारी हे किसी भी ऐरे गेरे को सेलेब्रेटी बना देना और इस समय बहुत से सेलेब्रेटी पिकनिक मनाने उत्तराखंड आया रहे हे अपसोस जनता उनके पीछे भागती हे / पर जनता ये नहीं जानती ये सेलेब्रेटी मन ही मन में हस्ते हे / और राजनेतिक मुद्दा ढूंढते हे /

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Subhash Shastri Rahul sirf un logo ki rashan kha sakta hai or kuch nahi.

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Rajesh Juglan Satya bachan

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Vipin Maithani in choro ko gusne hi mat do uttrakhand mai

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Vikram Sanwal Shady Sahi baat hai.. Indians saare kaam 1 dusre par hi taalte h.. Koi b responsible nhi h.

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Vijay Kumar Nautiyal Shai likha appne sir,Rahul sirf un logo ki rashan kha sakta hai or kuch nahi............

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Anshuman Prajapati hamare uttarakhndi bhai behan jitna ho sakta hai, dusro k liye ker rhe hain...i salute them... I love uttarakhnd, i love devbhoomi...

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Birendra Dabral aapki baat se puri tarah se sahmat hoon

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Subhash Shastri Soniya chudel or uske ullu ke patthe rahul ne jo rahat samagri ko dehli me raajneeti chamkane ke liye hari jhandi dekar ravana kiya tha wo sab rishikesh me khade hai un track ke draivaro ko tail ke paise b nahi diye gaye or ab wo log us rahat samagri ko bajar me bechne par majboor hai.

  • Ye hai dust, papi, durachari, or desh drohi congress ki hakikat.

  • 3 hours ago via mobile · Like · 3

  • Dataram Chamoli अतीत के अनुभव यही बताते हैं कि आपदा के बाद पहाड़ के लोग खुद जीवन को पटरी पर लाए हैं।

  • 3 hours ago · Like · 3

  • Anita Rathi three claps on this Slap... so true, jab log huzum ke huzum bana kar 4dhaam yatra gaye thei to inko bata bata kar gaye thei kya ...?

  • 2 hours ago · Like · 1

  • Rajiv Nayan Bahuguna baat aage badhe

  • 2 hours ago · Like · 2

  • Subhash Shastri Agar kedaar naath mandir gujraat me hota to hamare rajeev bhai shayad yahi kehte ki unko isteefa dena chahiya .

  • 2 hours ago via mobile · Like · 2

  • Anita Rathi Subhash Shastriji, ....... Koi bhi Baat Sabhya Bhasha mein bhi kahi ja sakti hai, ..... jaroori nahi ... ki Asabhya shabdo ka Social Network par upyog kiya jaye. ............. treat this as suggestion only.

  • 2 hours ago · Like · 1

  • Vijay Soni accha kam kar rahe ho....

  • 2 hours ago via mobile · Like · 1

  • Subhash Shastri Rathi ji@ soniya or rahul iske layak hi nahi hai ki unke naam se pehle unhe adarniy kaha jaye.

  • 2 hours ago via mobile · Like · 1

  • Anita Rathi nahi I mean not for using any prefix or suffix, why to create problems.... leave them every body knows who is who and what a common man's anguish is ? ...regards ..

  • 2 hours ago · Edited · Like · 1

  • Poojan Negi सत्य वचन .... पता नहीं लोग कब समझेंगे इस बात को..... सरकार घरों में पानी के नल लगा सकती है..... पानी किसी दफ्तर से नहीं आता....

  • about an hour ago · Like

  • Dayasagar Dhasmana jab hum apne samaj aur desh ki jimmedari khud uthane lag jayenge to.

  • about an hour ago · Like

  • Dayasagar Dhasmana 1. Shikayat khatam ho jaygi 2. Hum powerful ho jayenge.

  • about an hour ago · Like · 1

  • Habib Akhtar राजीव आपका गुस्सा वाजिब है पर भाषा में कटुता कम करनी चाहिए

  • about an hour ago · Like · 2

  • Sanjay Pilkhwal Muzhe to Rajiv ji aap par kuch kahana hi nahi aa raha h aap es disaster se pahale vijay bahguna ji ki tarif k pul band rahe the aur modi ji ko us samay b yahi kah rahe the aur aaj b muzhe to ye lagata h ki aap vijay bahguna ya congress sarkar ko es nakami liye jimmedar sochate hi nahi esake liye modi ko jimmedar samzh rahe h. Waah ji aapka congress aur vijay bahguna pyar.

  • about an hour ago via mobile · Like

  • Rakesh Rautela मोदी और राहुल तो मजे लेने आये है।

  • 41 minutes ago via mobile · Like

  • Rajniish Kwashkov राजीव जी आपकी व अन्य लोगों की हलकी भाषा से आहत हूँ।

  • 36 minutes ago via mobile · Like

  • Shailendra Tiwari आप जैसे व्यक्तित्व को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती. .....

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  • Palash Biswas Rajiv Bhai,bilkul sahi likha hai.Karobari hai rahat abhiyan.sirf pryatan bachaane ki kasrat hai.Pithorgarh mein 50 gaon bah gye ,koi khabar nahi.Gangotri kaa Daharali kasba tabah hua,koi rahat nahi.Uttarkashiaur tauns ghati ki khabar nahi bani.darma aur byas ghati ki khabar nahi bani.Tehri aur apudi ke gaon ki khoj nahi hui.Kedar ke 60 gaon khatm hue.koi rahat nahi.Ab media wale Pithoragargh jayenge kyonki wahan kailash mansarovar yatra shuru ho chuki hai.pahar ko bachan hai to ye yatrayen turnat band ho.hum bolen to outsider kahlaayen jaayenge.yehawaz ab pahar se uthni chahiiye.Bahut mitha bol liye,jindagi chahiye to katu vachan bolna sikhiye.

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