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Thursday, August 29, 2013

एक छोटी सी खबर से उठते इन सवालों को मैं यहाँ इसलिये सामने रख रहा हूँ कि इनसे हमें भारत की एक बदलती हुयी तस्वीर देखने में मदद मिलती है और यदि आज भी हमारे बीच कहीं भीष्म साहनी जैसे प्रतिभाशाली लेखक हैं तो उन्हें इन सवालों से अपनी रचनाओं के लिये नए विषय मिल सकते हैं। ऐसे नए विषयों पर रचना की बात इसलिये कि थैचर और रीगन के जमाने से बढ़ते-बढ़ते नवसाम्राज्यवादी ताकतों ने जिस तरह से भारत सहित लगभग समूचे विश्व को अपनी जकड़ में ले लिया है, उस पर हिन्दी जगत में सैद्धान्तिक चर्चा तो बहुत हुयी है, लेकिन रचनात्मक साहित्य के रूप में उसका प्रकाशन लगभग नहीं के बराबर हुआ है। यदि साहित्य समाज का दर्पण है तो यह कहने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए कि हिन्दी के कवि और कथाकार आज के दौर में अपनी जिम्मेदारी को अपेक्षित गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं। साफ-साफ दिखाई देता है कि पिछले तीस वर्षों के दौरान भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक ढाँचे में बहुत बड़ा बदलाव आया है। एक समय मुंबई की दलाल स्ट्रीट और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का हमारे दैनंदिन जीवन में सामान्यत: कोई स्थान नहीं था। आज पूँजी बाजार का सट्टा आर्थिक गतिविधि का

फासीवादी ताकतों के वफादार सिपाही हैं मुलायम सिंह- सुभाष गाताड़े


दमनकारी सत्ता के खिलाफ मुसलमानोंदलितों और आदिवासियों की साझी लड़ाई  हो- अभिषेक श्रीवास्तव

बेगुनाहों की लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाएगा रिहाई मंच- जाहिद खान

धरने के सौंवे दिन इंसाफ की इस लड़ाई को जारी रखने का अवाम ने लिया संकल्प,

तय करना होगा मानसून सत्र में सपा को कि वह अवाम के साथ है या आईबी के
निमेष रिपोर्ट को लागू करनेमौलाना खालिद को इंसाफ दिलाने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये रिहाई मंच ने 100 वें दिन किया विधानसभा मार्च

निमेष रिपोर्ट को लागू करने, मौलाना खालिद को इंसाफ दिलाने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये रिहाई मंच ने 100 वें दिन किया विधानसभा मार्चलखनऊ 29 अगस्त। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार चुनाव के वक्त मुसलमानों से उनकी बेहतरी के किये गये अपने सारे वादे भूल चुकी है। इस भूल की कीमत सपा सरकार को 2014 के आम चुनाव में उठानी पड़ेगी। मुलायम सिंह यादव मुसलमान वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिये सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के साथ मैच फिक्सिंग कर रहे हैं। बेगुनाहों की रिहाई के सवाल सहित 84 कोसी परिक्रमा में यह बात उजागर हो चुकी है।मुलायम का संघ प्रेम खुल कर सामने आ चुका है। अब मुलायम प्रदेश के मुसलमानों को और बेवकूफ नहीं बना सकते।

उपरोक्त बातें प्रख्यात पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गताड़े ने मौलाना खालिद मुजाहिद की हिरासत में की गयी हत्या के नामजद आरोपियों, पुलिस तथा आई बी के आतंकी अधिकारियों की तुरन्त गिरफ्तारी की माँग तथा आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से फँसाये गये बेगुनाह मुसलमान नौजवानों की अविलम्ब रिहाई की माँग को लेकर विधानसभा पर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने के 100 वें दिन आयोजित विधानसभा मार्च के बाद धरने पर उपस्थित आवाम के सामने कहीं।

उन्होंने कहा कि सन् 1992 के दौर में जब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि बाबरी मस्जिद पर परिंदा पर भी नही मार पायेगा तब एक आस बँधी थी कि सेक्यूलर माहौल को जिन्दा रखने वाले लोग इस देश की राजनीति में जिन्दा हैं लेकिन जिस तरह से बाबरी मस्जिद का विध्वँस किया गया और केवल प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब में मुलायम सिंह ने हालिया समय में जिस तरह से उस घटना से सम्बोधित सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किये, उससे यह साफ हो जाता है कि वे हिंदुत्ववादी एजेण्डे पर ही 2014 का चुनाव लड़ना चाहते हैं और मुस्लिम वोट बैंक की खातिर खुद के सेक्यूलर होने की भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं। वास्तव में मुलायम का चरित्र फासीवादी संघी ताकतों के वफादार सिपाही का है। इस देश की सेक्यूलर जमात को अब उनसे कोई उम्मीद नहीं है। इस प्रदेश के अन्दर सपा सरकार के एक साल के कार्यकाल में जिस तरह से 27 से ज्यादा बड़े साम्प्रदायिक दंगे हुये और उनके आरोपी आज तक खुली हवा में बेरोक-टोक घूम रहे हैं, यह बात साबित करने को पर्याप्त है कि मुलायम प्रदेश के अल्पसंख्यकों के हितों के प्रति कतई ईमानदार नही हैं।

निमेष रिपोर्ट को लागू करने, मौलाना खालिद को इंसाफ दिलाने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये रिहाई मंच ने 100 वें दिन किया विधानसभा मार्च धरने को सम्बोधित करते हुये मध्यप्रदेश से आये पत्रकार जाहिद खान ने कहा कि आतंकवाद जैसे गम्भीर सवाल पर रिहाई मंच ने जो वैचारिक और जमीनी बहस इस मुल्क के अन्दर शुरू की है इसके लिये वह बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच की सारी माँगे संविधान की सीमा के भीतर हैं। यह बात बेहद काबिले गौर है कि अगर यही सपा सरकार इस वक्त विपक्ष में होती तो इस संवेदनशील मसले पर उसका क्या रुख होता?मुसलमानों को यह बात सोचनी चाहिए कि इस देश की अन्य सियासी पार्टियों ने इस मुद्दे को अपने स्तर पर क्यों नहीं उठाया।दरअसल वे सब मुसलमानों की समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं रखते। उन्हें बस केवल मुसलमान एक वोट बैंक के रूप में ही नजर आता है। उन्होंने प्रदेश के मुसलमानों से अपील की कि वे रिहाई मंच का भरपूर साथ दें ताकि रिहाई मंच इस लड़ाई को एक तार्किक परिणाम में बदल सके। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई बहुत लम्बी है लेकिन इसे लड़कर जीतना ही होगा। इसके अलावा अब मुसलमानों के पास कोई विकल्प ही नहीं है।

इस अवसर पर दिल्ली से आये पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि आज इस देश में आतंकवाद के नाम पर सरकारें ही बेगुनाहों को फंसाने में लगी हुयी है। अब समूचा तन्त्र ही आम आदमी के खिलाफ खड़ा हो चुका है। देश की न्यायपालिका में जिस तरह से लगातार सांप्रदायिकता बढ़ती जा रही है उससे यह साबित होता है कि न्यायपालिका भी अपने आधारभूत काम न्याय को ईमानदारी से नहीं कर पा रही हैं। आज हमारा पूरा शासन, प्रशासन तन्त्र उन लोगों के खिलाफ खड़ा है जो लोग राजनीति में आज तक अपनी जगह नही बना पाये। उन लोगों के खिलाफ अब हर कदम पर साजिशे हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मामला सिर्फ मुसलमानों से ही जुड़ा हुआ नहीं है लेकिन आज पूँजीवाद के वफादार अमरीका और इजराइल की भाषा बोलते हैं। अभी हाल ही में अमेरिका में मस्जिदों को आतंकी संगठन घोषित किया गया है जो यह साबित करता है कि वहाँ पर जाने वाले मुसलमानों को भी सन्देह के दायरे में लाया जायेगा। अब उसे भी आतंकवादी समझने की नयी नीति का श्री गणेश हो चुका है। पिछले 100 दिन से चल रहे रिहाई मंच के इस धरने को अभी बहूत दूरियाँ तय करनी हैं क्योंकि जिस सवाल को यह मंच उठा रहा है वह आज इस देश के मुसलमानों के अस्तित्व का मामला है। यह लड़ाई रिहाई मंच जरूर जीतेगा।

खालिद मुजाहिद के चचा मौलाना जहीर आलम फलाहीने कहा कि रिहाई मंच ने खालिद की शहादत के बादआतंकवाद के मुद्दे पर एक आंदोेलन उत्तर प्रदेश में खड़ा किया है जिसकी गूंज पूरे देश में अब सुनी जा सकती है। सरकार खालिद की हत्या के सारे सबूत मिटाने पर आमादा है और सीबीआई जाँच के बारे में आरटीआई से हमें जो जानकारी मिली है वो इती भ्रामक है कि साफ कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि जाँच कब शुरू होगी। सपा ने खालिद की हत्या कर मुसलमानों के उस भरोसे का कत्ल कर दिया जिसे उन्होंने चुनाव के वक्त सपा से किया था।

धरने को सम्बोधित करते हुये मौलाना तारिक कासमी के बेटे वकार ने जो कि तारिक की गिरफ्तारी के वक्त महज दो साल का था और इस वक्त नौ साल का बच्चा है ने कहा कि मेरे अब्बा मुझे बहुत प्यार करते थे और हम उनसे यही कहेंगे कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। बेशक हमने अब्बू का प्यार नहीं पाया है लेकिन अच्छे लोग हमारे साथ खड़े हैं। हालात अच्छे होंगे। हमें भरोसा है कि अब्बू जरूर घर आयेंगे।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. सुलेमान ने कहा कि जब सरकार किसी नौजवान को आतंकवादी या फिर माओवादी साबित करने में जुट जाती है तो इसका मतलब यह है कि सरकार के पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं है। ऐसे समय में रिहाई मंच की ज्यादा जरूरत है तथा निजाम की काली करतूतों का पर्दाफाश समाज हित में जरूरी है।

मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम तथा राजीव यादव ने बताया कि रिहाई मंच सत्र के प्रारंभ दिन 16 सितंबर से डेरा डालो घेरा डालो अभियान विधानसभा धरना स्थल पर शुरू कर रहा है तथा 15 सितंबर को शाम सात बजे सरकार को चेतावनी देने के लिये एक मशाल जुलूस भी निकाला जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को आर डी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकेन रिपोर्ट के साथ विधानसभा सत्र में रखना ही होगा। उन्होंने बताया के आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों के परिजनों ने शिरकत की। रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुयी कथित आतंकी घटना में कुंडा प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई अनवर फारुकी, जंगबहादुर के बेटे शेर खान, शरीफ के भाई शाहीन और सीतापुर से आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए मोहम्मद शकील के भाई उमर भी मार्च में शामिल हुये।

रिहाई मंच के धरने के सौवें दिन निमेष रिपोर्ट को लागू करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये रिहाई मंच ने विधानसभा मार्च किया। मार्च में शामिल हजारों लोगों ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करोआतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करोसिंघल के दोस्त मुलायम आरडी निमेष आयोग रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं जवाब दोमौलाना खालिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार करोविक्रम सिंहबृजलालमनोज कुमार झा को जेल भेजोएक साल में 27 दंगा मुलायम का समाजवाद हो गया नंगा, के नारों के साथ मार्च किया

मार्च का नेतृत्व वरिष्ठ पत्रकार सुभाष गताडे, अभिषेक श्रीवास्तव, जाहिद खान, संदीप पांडे, एडवा की मधु गर्ग, सूफी उबैदुर्रहमान, मो0 सुलेमान, एपवा की ताहिरा हसन, रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, खालिद के चचा जहीर आलम फलाही, तारिक कासमी के सात साल के बेटे वकार तारिकमौलाना असलमहाफिज फैयाज आजमीमसीहुद्दीन संजरीराघवेन्द्र प्रताप सिंहजैद अहमद फारुकी और सैयद मोइद अहमद।

रिहाई मंच के विधान सभा मार्च में वाराणसी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, जौनपुर, बलिया, मऊ, प्रतापगढ़ बरेली, मुरादाबाद, बराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, सीतापुर सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लोगों ने शिरकत किया।

धरने का संचालन आजमगढ़ रिहाई मंच के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने किया। इस अवसर पर साामाजिक न्याय मंच केे राष्ट्रीय अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह,रामकृष्ण, कमल सीतापुरी,अनिल आजमी, आरिफ, देवेश, लक्ष्मण प्रसाद, प्रबुद्ध गौतम, योगेन्द्र सिंह यादव, तारिक शफीक, के.के. वत्स, हरे राम मिश्र, जौनपुर से जहीर आलम फलाही, ताहिरा हसन, हिमान्शु, रामकृष्ण, माकपा के अखिल विकल्प, राधेश्याम, आजमगढ़ से आये विनोद यादव, तेजस यादव, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, तहसीन, हमीदा खातून, सीमा रिजवी, उज्मा, एपवा की ताहिरा हसन, फिरोज तलत, शाहआलम शेरवानी, फिरोज अहमद, एकता सिंह, रवि शेखर, डा0 मोअज्जम, मुमताज इस्लाही, शाहनवाज आलम, राजीव यादव तथा रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब समेत अनेक लोगों ने धरने को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के अनेक दंगा पीडि़त परिवारों ने भी धरने में शिरकत की।

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