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Thursday, April 9, 2015

महाबोधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन

महाबोधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन
भदन्त अनागरिक धम्मपाल के बाद नागपुर के आम्बेडकरी बौद्ध युवकों की गिरफ्तारी से पुनर्जीवित हुआ था महाबोधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन - भैय्याजी खैरकर
भारत का संविधान लागू होने से पहले छल से बनाया गया था "बोध गया महाबोधि मंदिर कानून 1949". इसे निरस्त करना ही होगा - भैय्याजी खैरकर
क्या भारत में किसी चर्च का प्रबंधन ब्राम्हण करते हैं ?
क्या भारत में किसी हिन्दू मंदिर का प्रबंधन मुसलमानों के हाथों में है ?
क्या भारत के किसी जैन मंदिर का प्रबंधन ईसाईयों के हाथों में है ?
क्या गुरूद्वारे की देखरेख ब्राम्हणों के हाथों में है ?
क्या मस्जिद में पण्डे नजर आते हैं ?
क्या चर्च का फादर ब्राम्हण होता है ?
नहीं ?
फिर बौद्धों के महाबोधि महाविहार का संचालन हिन्दू ब्राम्हणों के हाथों में क्यों है ?
क्या आपको नहीं लगता कि बौद्धों के इस पवित्र स्थल का प्रबंधन बौद्धों के ही हाथों में हो ?
फिर आप खामोश क्यों हैं ?
सरकार ने एक कानुन बना कर बौद्धों के इस महाविहार का प्रबंधन हिन्दू ब्राम्हणों को सोंप दिया है.
ये कानून 1950 से पहले का है.
क्या आप नहीं चाहते कि ये कानून बदला जाये ?
अगर हाँ तो....
आइये संसद का घेराव करें.
सरकार को मजबूर किया जाए.
इस 2015 में 25 से 27 अप्रेल तक होगा संसद का घेराव दिल्ली में.
अगर आप अल्प संख्यक हैं, बौद्ध हैं, आम्बेडकरी हैं, धर्म निरपेक्ष हैं और भारत के संविधान को मानते है, तो आइये बौद्धों के पवित्र स्थल को मुक्त कराएँ, हिन्दुओं से - भैय्याजी खैरकर

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