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Sunday, August 4, 2013

हिंदी के लेखकीय जगत में कोकतंत्र का काला सूरज सिर पर बमक रहा है। साथ में चौतरफा मवाद बरस रहा है। संपादक, लेखक, अनुवादक, अपराधी, छुटभैये बौद्धिक, एक अभूतपूर्व-अनपेक्षित आखेटक गिरोह बना चुके हैं जो कभी भी किसी का भी वध कर पाने में सक्षम हैं। अगले कुछ दिनों में हम पाएंगे कि यह गिरोह सेकुलर-सेकुलर चिल्‍लाते हुए यादव पप्‍पू से गांधी पप्‍पू का चारण बन चुका है। यही इसकी नियति है। इसलिए समय रहते चेतावनी जारी कर रहा हूं। जो सुने, उसका भला। जो नहीं, उसका भाला...

हिंदी के लेखकीय जगत में कोकतंत्र का काला सूरज सिर पर बमक रहा है। साथ में चौतरफा मवाद बरस रहा है। संपादक, लेखक, अनुवादक, अपराधी, छुटभैये बौद्धिक, एक अभूतपूर्व-अनपेक्षित आखेटक गिरोह बना चुके हैं जो कभी भी किसी का भी वध कर पाने में सक्षम हैं। अगले कुछ दिनों में हम पाएंगे कि यह गिरोह सेकुलर-सेकुलर चिल्‍लाते हुए यादव पप्‍पू से गांधी पप्‍पू का चारण बन चुका है। यही इसकी नियति है। इसलिए समय रहते चेतावनी जारी कर रहा हूं। जो सुने, उसका भला। जो नहीं, उसका भाला... 

जिन लोगों के पास कोई संस्‍थान, मंच, गॉडफादर नहीं है... 
जिन लोगों के पास किसी ताकतवर को खुश करने/रखने की निजी वजह नहीं है... 
जो न किसी की सिफारिश करते हैं, न ही किसी से अपने लिए करवाते हैं... 
जिन लोगों के विचार उनके आकाओं के हितों के हिसाब से तय नहीं होते... 
जो 'सफलता की चंद्र छाया में घुग्‍घू या सियार' बनने की आकांक्षा नहीं रखते... 
जिनके पैर के नीचे खाई है और आकाश सिर पर है... 
जिनकी कमाई का एक-एक पैसा मेहनत के बदले मिला होता है...
जो मुफ्त में किसी बेग़ैरत की शराब तो क्‍या पान तक नहीं लेते... 
और जो किसी को गलत बात पर गरियाने से परहेज़ नहीं करते... 

...उन्‍हें आज और अभी से डरना शुरू कर देना चाहिए। (जनहित में जारी) 

नोट: मित्रता दिवस है, इसलिए खासकर रंगनाथ सिंह आपके लिए यह पोस्‍ट। Co-opt करने वालों से सावधान।

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