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Sunday, August 4, 2013

केदार घाटी में आये भीषण आपदा के एक माह पश्चयात भी आपदा ग्रस्त क्षेत्र में लोगों का जीवन भयावह व भीषण तांडव के आतंक में सिमटा हुआ है

केदार घाटी में आये भीषण आपदा के एक माह पश्चयात भी आपदा ग्रस्त क्षेत्र में लोगों का जीवन भयावह व भीषण तांडव के आतंक में सिमटा हुआ है I एक ओर जहाँ विभिन्न समाजिक व सरकारी संघठन अपने -अपने दायित्व का निर्वाह कर रहे है वहीँ उनकी कार्य की पहुँच से कुछ गाँव अभी भी दूर है I दुख:द बात यह है की आपदा के नाम पे राहत की पहुँच ज्यादातर सड़क में बसे या समीपवर्ती गाँव तक ही सीमित रह गए हैं, जहाँ बद्री घाट में आवाजाही का मार्ग खुला है वहां राहत का संचार काफी संतोषजनक है वहीँ दूसरी तरफ केदार घाटी की बात करें तो गुप्तकाशी तक या मस्ता/ नारायण कोटी तक राहत का बर्चस्व दिख सकता है लेकिन खुमेरा के आगे केदारनाथ की तरफ राहत उतनी मात्रा में नहीं मिल पा रही है, खुमेरा से लेके सोनप्रयाग या गौरीकुंड तक राहत संतोषजनक मात्रा में नहीं पहुँच पा रही है I वहीँ कालीमठ घाटी की बात करें तो आवाजाही के सारे मार्ग टूट जाने के कारण BSF के जवानो द्वारा रोप वे के सहारे संपर्क में हैं, व राहत पहुचाई जा रही है I ऊखीमठ का सड़क मार्ग से राहत सामग्री पहुच रही है I
लेकिन इन सब बातों से यह अवलोकन करना जरुरी है की किस राहत की जरुरत है वहां के वाशिंदों को या आने वाले समय में कौन सी राहत की बाह जोट रहा होगा यहाँ का नागरिक I सर्वे करने के दौरान वास्तविक व मूल हानि को परिभाषित किया जा सकता है, इस आपदा से जहाँ 80% गाँव सुरक्षित हैं वहीँ इन गाँव के परिवोरों की आजीविका पे बहुत बड़ा प्रहार हुआ है I इन परिवारों की पालन हार जो राम बाड़ा/ गरुड़ चट्टी/गौरी कुंड/ केदारनाथ में जाके अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान, घोड़े खच्चर हाकने, होटलों में काम, मजूरी, साफ़ – सफाई कर्मचारी, पुजारी, आदि के कार्य करते थे और इस दो-तीन महीने की आय से साल भर का गुजारा करते थे, उन्ही के परिवार आज आने वाले समय में अपने चूल्हे को जलाने के लिए पसोपेश में हैं, गम से साथ – साथ वे आने वाले समय में अपने को असहाय देख पा रहे हैं I कहीं परिवार के सारे पुरुष बच्चे सहित मौत के आघोष में समा गए तो कहीं बुडे माँ- बाप अपने बेटे का आने का अब भी इन्तजार कर रहे हैं I कुछ गाँव की महिलाये जो एक दुसरे को झूठी आस देके सान्तावना दे रहे हैं की क्या पता इस प्रलयंकारी घटना से बच के आ जाए I कहीं स्कूल तो खड़े हैं लेकिन अब वहां छात्र नहीं है, कहें खेत हैं लेकिन उनको जोतने वाला अब नहीं है I कुछ माँ अपनी बेटी की भविष्य, शादी की चिंता में अपने ऊपर पड़े पहाड़ के दर्द को भी समा रही है I 
गौरीकुंड से आगे चलके अगर किसी को झकझोड़ने वाला दृश्य है तो वे अध-जली लाशें हैं जिनको लकड़ी के माध्यम से अलग करने के प्रयास में अंग शरीर से झड रहे हैं, नदी के दोनों छोर में खच्चरों की लाशो के झुण्ड जो भूख से अपने दम तोड़ गए I 
अवलोकन के बाद यह बात तो साफ़ दिखाई देती है कि आजीविका खड़ा करना असली राहत है, रोजगार के क्या साधन हो सकते हैं वो राहत की प्रक्रिया है, सामने पडी बेटियों की शादी कराना यह राहत का प्रतिबिम्ब है I कई संस्थायें अपने पाने माध्यम से राहत को परिभाषित कर रही है और हिमालय बचाओ आन्दोलन दीर्धकालीन राहत को मद्द्येनजर रखते हुए राहत को आजीविका से सीधे जोडती है I अत: कुछ इस तरह के सुझाव सामने लाये गए हैं :
1. गाँव की विधवाओं के लिए दो भैंस व एक सिलाई मशीन दी जायेगी 
2. व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोने वाले व्यक्तियों को दुकान (सामान सहित) खोल के दी जायेगी जिसको वो चला सके I दुकाने राशन, कपड़ो, आदि की खोलने का कार्य करेगी I
3. लाइट के लिए ग्रामीणों को सोलर लालटेन दी जायेगी 
4. अगले छ महीनो में संभावित शादी की जिम्मेदारी ली जायेगी 
5. गाँव में क्षतिग्रस्त मकान का पुनर्निर्माण का कार्य करेगी 
6. इसके लिए केदार घाटी में शिविर रामपुर व खुमेरा व संसाधनों को इक्कठा करने के लिए एक शिविर श्रीनगर गढ़वाल में रखा जाएगा,
7. ग्रामीणों के मनोबल बढाने के लिए इन शिविरों में लोक गायक, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, इत्यादि लोगों को भी 7 से 15 दिनों तक के लिए समयानुसार बुलाया जाता रहेगा I 
8. किसी दो गाँव को चयन करके एक आदर्श गाँव बनाने का कार्य किया जाएगा जिसमें बिजली का वैकल्पिक श्रोत शौर उर्जा को लिया जाएगा जिसके लिए गाँव के घर को सोलर लाइट के सिस्टम लगाया जाएगा
9. पारिस्थितिकी का सामंजस्य बनाये रखने व आपदा की प्रबलता को कम व इनसे निपटने के लिए वृक्षारोपण को रोजगार से जोड़ा जाएगा I चिन्हित क्षेत्र में फलदार वृक्ष की खेती पर जोर दिया जाएगा जिसके लिए उन्हें प्रती वृक्ष भत्ता दिया जाएगा, अगले साल अगर वृक्ष की देखभाल की गयी तो उसे उस वर्ष भी भत्ता दिया जाएगा, यह क्रिया अगले 6-7 सालों तक चलाई जायेगी, प्रति वृक्ष भत्ता उनकी आय का साधन भी होगा I तत्पस्च्यात इन वृक्षों से उत्पन्न फल इन ग्रामीणों के आय के श्रोत बनेंगे I
योजना के तहत आर यह कार्य संपन्न हुआ तो विपणन के लिए यथा संभव कार्य किये जायेंगे I 
10. योजना के तहत स्थायी रोजगार यहाँ के संसाधनों के उपयोग के अनुसार यहाँ के लोगों की सहभागीता से किया जाएगा I 
इन सब कार्यों को करने के लिए क्षेत्र को चिन्हित किया गया है वो बाडासू से शुरु होकर सोनप्रयाग तक किया जाएगा I तीन ग्राम सभा को चिन्हित किया गया है : त्रिजुगीनारायण, रामपुर व बडासु ग्राम सभा को चिन्हित किया गया है I 
चूँकि कालीमठ के 7 गाँव को BSF ने संस्थागत विकास के लिए गोद लिया है, 11 गाँव को प्लान इंडिया व टाटा ट्रस्ट ने लिया है I गुप्तकाशी तक आपदा क्षेत्र में काफी संस्थायें काम कर रही हैं, खुमेरा से आगे बहुत कम लोग काम कर रहे हैं, अत: इस जगह का चयन किया गया है I 
चूँकि यह काम दीर्धकालीन है और जन समूह की सहायता के बगैर यह संभव नहीं अत: हम सब सामाजिक मुद्दों से जुड़े लोग, संस्थायें, दल, कंपनी, राजनितिक दल, बुद्धिजीवी, पत्रकार, कॉर्पोरेट जगत, इत्यादि लोगों से अपील करते हैं की इस दीर्धकालीन राहत के कार्य में अपना सहयोग संसाधनों के साथ-साथ अपनी उपस्तिथी भी दर्ज करायें I 

आपके सुझाव प्राथनीय है, अत: सुझाव जरुर दें :

email id: himalaya.bachao.andolan@gmail.com 
पोस्टल पता: श्रीयंत्र टापू रिसोर्ट, निकट D.G.B.R कैंप, श्रीनगर गढ़वाल – 246174 

सहयोगी संस्थायें जिनकी सहायता व पुष्ठी हो गयी है :
1. हिमालय बचाओ आन्दोलन 
2. संयुक्त संघर्ष समिति – श्रीनगर 
3. डीन- स्कूल ऑफ़ सोशल साइंस, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्व-विद्यालय, श्रीनगर संपर्क: प्रोफ. जे.पी.पचौरी 
4. पर्वतीय विकास शोध केंद्र, श्रीनगर, संपर्क: डॉ. अरविन्द दरमोड़ा - 9411358378 
5. हिमालय साहित्य कला परिषद्, श्रीनगर, संपर्क: डॉ. उमा मैंठानी : 7579428846/9411599020
6. प्रमोद राघव, निस्वार्थ कदम - (U.S.A) : pramod@expertserv.com
7. हिमालयन ड्रीमज ग्रुप, दिल्ली
8. उत्तराखंड विकास पार्टी – ऋषिकेश, संपर्क: मुजीब नैथानी – 9897133989, नरेन्द्र नेगी-9897496120 

राहत शिविर:
1. पंचवटी होटल – रामपुर (केदार घाटी)
2. खुमेरा : श्री आत्मा राम बहुगुणा 
3. श्रीनगर : कंडारी भवन – कमलेश्वर : संपर्क: श्रीयंत्र टापू रिसोर्ट 

संसाधन: 

दीर्ध्कालं राहत हेतु संसाधन राहत शिविर में पहुचाने का कष्ट करें 

आर्थिक रूप से सहायता के लिए हिमालय बचाओ आन्दोलन के खाते का विवरण:
Account No: 526002011012727
Bank: Union Bank Of India
Name : Himalaya Bachao Andolan
IFSC Code: UBIN0552607
Location: Srinagar Garhwal

संपर्क:
राजीव नयन बहुगुणा: 9456502861, 
समीर रतूड़ी : 9536010510,
जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी: 9412007059,
चंद्रशेखर करगेती: 9359933346,
दीप पाठक: 9410939421, 
हितेश पाठक: 8699023548,
हरीश बडथ्वाल: 9412029305,
अनिल स्वामी – 9760922194,
कृष्णा नन्द मैंठानी: 9456578209, 
संतोष ममगाईं : 09412030199, , 
योगेन्द्र कांडपाल : 9411431785 — with चन्द्रशेखर करगेती and 3 others.
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  • Devender Bisht समीर भाई ने यह विशलेसन काफी दिनों की मेहनत एवम मसक्कत के बाद किया है समीर भाई आपदा के बाद से आपदा क्षेत्रो का दौरा अपने समाजसेवक साथियों के साथ किया है , और क्योकि यह आपदा अपने आप मैं काफी बड़ी है जिसमे जान , माल,रोजगार, मानव जीवन की काफी क्षति हुए है...See More
  • Sameer Raturi मैप में दिशा नहीं दर्शायी गयी है, अत: दिशा से confusion न करें .................
  • Devender Bisht Friends , the rain and cloud burst has still not left the divine land and we expect more of this in this rainy season. We will really have to put our head together to come out of this great distress humans are facing in my motherland, i can only pray to god that everything settles soon.

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