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Wednesday, December 18, 2013

BBC Hindi AMERICA's REACTION: अमरीका में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ़्तार भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को जेल में निर्वस्त्र कर तलाशी लिए जाने को अमरीका ने अपने क़ानून के तहत ''सामान्य प्रक्रिया'' बताया है. http://bbc.in/18QkXjb


डा. मनमोहन सिंह के ईश्वरत्व और उनकी अगुवाई में अमेरिकी व्हाइट हाउस से जारी कारपोरेट राज का कायाकल्प होने जा रहा है सीधे पेंटागन, सीआईए, मोसाद, नाटो के राज में। नंदन निलेकणि और माफ करें, विदेशी फंडिंग से परिवर्तनकारी अरविंद केजरीवाल नये ईश्वर बन रहे हैं।
भारत के पलटवार स‌े स‌ाबित हो गया कि इस बीच भारत कितना अमेरिका हुआ है और अमेरिका को कितनी छूट मिली है भारतीय बाजार कब्जाने की!

Tough-talking India retaliates diplomatically against envoy's humiliation

याद करें अदम की पंक्तियां भीः'जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब भुखमरी की धूप में जलते किसान हों/ मुंह में जुबान रखते हुए बेजुबान हों/ नफरत के ॠतु में दंगों के शोले जवान हों/ जम्हूरियत के तन पर जिना के निशां हो/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब खुदसरी की राह पर चलते हों रहनुमां/ कुर्सी के लिए गिरते-संभहलते हों रहनुमां/ गिरगिट की तरह रंग बदलते हों रहनुमां/ टुकडों पे जमाखोर के पलते हों रहनुमां/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब खुद को कोई मुल्क की तकदीर समझ ले/ हर शय को अपने ख्वाब की ताबीर समझ ले/ अपना बयान वेद की तहरीर समझ ले/ जन-गण को खानदान की जागीर समझ ले/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का...'

पलाश विश्वास

Parliament passes historic Lokpal Bill

The Lokpal will consist of a chairperson and a maximum of eight members, of which fifty percent are judicial members


स‌त्य नारायण जी,आपसे शत प्रतिशत स‌हमत हूं। भारत के पलटवार स‌े स‌ाबित हो गयाकि इस बीच भारत कितना अमेरिका हुआ है और अमेरिका को कितनी छूट मिली है भारतीय बाजार कब्जाने की!आप लोग मेहनतकश तबके के मुद्दों को लगातार स‌ंबोधित कर रहे हैं।यह और अच्छी बात है।

उदय जी,इशारों में क्यों कवित्व कर रहे हैं।सामाजिक यथार्थ को बेनकाब कीजिये।आपकी कलम तो हम स‌बसे ज्यादा धारदार है।उस कलम की कुछ तो परवाह करें। प्रगति और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जिस तरह जस्टिस गांगुली का बचाव हो रहा है,आगे किस्से खुलते जायेंगे तो तमाम लोग हमाम में नंगे पकड़े जायेंगे। स‌ामाजिक स‌क्रियता का क्षेत्र बिग बास का फुटेज में तब्दील हो रहा है आहिस्ते आहिस्ते ।हमने तो खामखां अपने परम मित्र स‌ुरेंद्र ग्रोवर की आलोचना कर दी। हर कोई तो हऊ मांग रहा है आजकल।


चाहे तुरत फुरत लोकपाल कानून पास करने में सर्वदलीय संसदीय समन्वयहो या फिर खास समुदाय की भारतीय राजनयिक के साथ होने वाली बदसलूकी के  खिलाफ अमेरिका के खिलाफ दिखावे की मोर्चाबंदी, सबकुछ सत्तावर्ग के लिए गहराते अस्तित्व संकट से निबटने के तंत्र यंत्र मंत्र हैं।


अमेरिका ने किसी भारतीय नागरिक के खिलाफ पहलीबार ऐसा किया हो,ऐसा भी नहीं है।बालीवूड के बादशाह से लेकर भारतीय राजनीति के शीर्षस्थ लोगों को निर्वस्त्र करने के अनेक मामले हुए हैं। भारत सरकार ने कभी औपचारिक विरोध दर्ज कराने की जरुरत तक नहीं महसूस की और न मुक्त बाजार अमेरिकी उपनिवेश निर्माण के विरुद्ध भारतीय राजनीति में कभी ऐसी हलचल मची है।यह सारी कवायद किसी खास वोट बैंक को कब्जाने की है।जाहिर है कि अबाध पूंजी निवेश और रक्षा क्षेत्र तक को खोल देने के संकल्प,आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध में भारत अमरेकी इजराइल गठजोड़,परमाणु  रासायनिक विध्वंस की साझेदारी, नाटो सीआईए और मोसाद की आंतरिक सुरक्षा बंदोबस्त,भारत में अमेरिकी हितों के पक्ष में मोर्चाबंदी जैसे बुनियादी चाक चौबंद बंदोबस्त में कोई समीकरण बदलने वाला नहीं है।


अगर नौकरानी के पासपोर्ट में फर्जीवाड़ा का मामला सही है तो अमेरिकी कानून के मुताबिक देवयानी की गिरफ्तारी का मामला कोई बड़ा मामला नहीं है।देवयनी राजनयिक हैं,स्त्री हैं और वंचितसमुदायों में से हैं,उनको निर्वस्त्र करने का मामला जरुर मानवाधिकार का बनता है। लेकिन भारत में हर रोज वंचित तबकों,आदिवासियों और बहिस्कृत अस्पृश्य भूगोल की औरतों के लिए यौन उत्पीड़न रोजमर्रे की जिंदगी का रोजनामचा है जहां अमूमन राजनीति उत्पीड़कों,दमन और बलात्कारियों के साथ खड़ी दिखती है।


वंचित समुदायों की होने की वजह से नहीं,बल्कि उनका मामला वंचितसमुदायकी राजनयिक यानी खास स्त्री होने के कारण आईकानिक बन गया है,जो वट बैंक साधने के माफिक है।


हमने लगातार 1993 से 2001 तक अमेरिका से सावधान के जरिये और उसके बाद लगातार अपने लेखन में भारत के आहिस्ते आहिस्ते अमेरिकी उपनिवेश बनते जाने और मृत्यु उपत्यका में तब्दील हने की कथा ही सुनायी है।आपनो गौर किया हो या न किया हो।


अब मैं लगातार नंदन निलेकणि और बायोमेट्रिक डिजिटल नागरिकता का मामला उठाकर भारत के सत्ता समीकरण में हो रहे दूसरे अमोघ समीकरण की बात कर रहा हूं।डा. मनमोहन सिंह के ईश्वरत्व और उनकी अगुवाई में अमेरिकी व्हाइट हाउस से जारी कारपोरेट राज का कायाकल्प होने जा रहा है सीधे पेंटागन, सीआईए, मोसाद, नाटो के राज में। नंदन निलेकणि और माफ करें, विदेशी फंडिंग से परिवर्तनकारी अरविंद केजरीवाल नये ईश्वर बन रहे हैं। लोकपाल कानून बना तो है पर यह अमेरिकी उपनिवेश को और साकार करने के लिए कारगर होगा।


अब अमेरिका देवयानी की गिरफ्तारी के मामले पर पुनर्विचार करने जा रहा है।राजनयिक स्तर पर यह मामला बहुत जल्द सुलट भी जायेगा।अमेरिकी हित में जिन विशेषाधिकारों पर पाबंदी लगी है,उन पर पाबंदी भी बहुत जल्द हटने वाली है।

अब यह मौका है कि भारत के नागरिक यह समझ लें कि भारत बेचो नरमेध अभियान के सत्तावर्ग ने अमेरिकियों को आम बारतीय नागरिकों के मुकाबले क्या क्या खास हक हकूक दे रखे हैं,जो हर हाल में फिर बहाल होने हैं।


भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े के साथ अमेरिका में हुए दुर्व्यवहार पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास पर कई तरह की बंदिशें लगा दी हैं। भारत ने ऐसे कड़े कदम उठाए हैं जिनकी कूटनीतिक हलकों में अपेक्षा नहीं की जा रही थी। प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:


1) अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों को विशेषाधिकारों में कटौती कर दी गई है।


2) अमेरिकी राजनियकों से सभी एयरपोर्ट पास वापस लौटाने को कह दिया गया है।


3) अमेरिकी दूतावास को शराब सहित विभिन्न वस्तुओं के आयात में मिलने वाली छूट समाप्त कर दी गई है।


4) दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के आसपास किए गए सुरक्षा प्रबंध हटा लिए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने इन इलाकों से नाकेबंदी हटा ली है।


5) अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के सभी कर्मचारियों और उनके परिवार वालों से कहा गया है कि वे अपने सभी भारतीय पहचानपत्र तुरंत लौटा दें।


6) सरकार ने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और उसके पदाधिकारियों द्वारा नियुक्त तमाम भारतीय कर्मचारियों (घरेलू नौकर-नौकरानियों समेत) से जुड़ी अहम जानकारियां (जैसे वेतन आदि) भी मुहैया कराने को कहा है।


कृपया इस पर भी ध्यान दें कि कहीं सत्तावर्ग के गुस्से की असली वजह तो यह नहीं है क्योंकि 1984 सिख दंगा: अमेरिकी अदालत ने सोनिया से मांगा जवाब मांगा है।


अमेरिका की संघीय अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दो जनवरी तक सिख संगठन को जवाब देने के आदेश दिए हैं। यह आदेश 1984 के सिख दंगे में कांग्रेस नेताओं पर लगे आरोप से उन्हें कथित रूप से बचाने के मामले में दिए गए हैं।


सिख्स फार जस्टिस (एसएफजे) ने सोनिया के खिलाफ चार दिसंबर को शिकायत दर्ज की थी, जिसमें 84 के दंगे में शामिल रहे कांग्रेस के नेताओं एवं पुलिस अधिकारियों को दंड से बचाने, उनकी पदोन्नति करने और उन्हें पार्टी का टिकट देने का आरोप है।


इस आरोप के बाद संघीय अदालत ने एलियन टार्ट स्टेच्युट और 1992 के टॉर्चर विक्टिम प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सोनिया को तलब किया है। यह कानून मानवाधिकार उल्लंघन मामले में पीड़ित को अमेरिका में मामला दर्ज करने का अधिकार देता है।


38 पृष्ठों वाले इस शिकायत में सोनिया पर जानबूझ कर द्वेषपूर्ण व्यवहार किए जाने का आरोप लगाते हुए न्यायालय से सुनवाई तथा कांग्रेस अध्यक्ष से हर्जाना या मुआवजा देने की मांग की गई है।



लोकपाल को संसद की मंजूरी


भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर प्रावधानों वाले बहुचर्चित और दशकों से लंबित लोकपाल विधेयक संसद की आज मंजूरी मिल गई।

राज्यसभा मंगलवार को कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित कर चुकी है और लोकसभा ने भी आज उन संशोधनों को समाहित करते हुए संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2011 दो साल से उच्च सदन में लंबित था जिसे कल रात राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा ने भी आज उस पर अपनी मुहर लगादी। सपा ने हालांकि इस विधेयक को देश हित के विरूद्ध करार देते हुए चर्चा के दौरान सदन से वाकआउट किया।

प्रधानमंत्री के पद कुछ सुरक्षा प्रावधानों के साथ इस कानून के दायरे में लाने के साथ लोकसभा ने विधेयक पर लाये गये सभी सरकारी संशोधनों को ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया।

लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी लेकिन राज्यसभा द्वारा नए सरकारी संशोधनों अपनाए जाने के कारण विधेयक पर निचले सदन आज दोबारा मंजूरी लेनी पड़ी।

गौरतलब है कि समाजसेवक अन्ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्धि में लोकपाल विधेयक संसद से पारित कराने की मांग पर अनशन कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा सरकारी लोकपाल विधेयक का पुरजोर समर्थन किया है। हजारे यह भी घोषणा कर चुके हैं कि मौजूदा विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद वह अपना अनशन खत्म कर देंगे।

भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन में आज लोकपाल की जोरदार वकालत की।

विधेयक पारित कराए जाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस के कुछ सदस्यों सहित सीमांध्रा क्षेत्र के कई दलों के सदस्य आसन के सामने आकर लगातार नारे लगाते रहे। विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल ने कहा, उन्हें खुशी है कि 45 साल से जो नहीं हुआ, वह आज होने जा रहा है। इंदिरा गांधी के समय 1968 में ऐसा विधेयक लाने की शुरूआत हुई थी और आज इसे पारित करके हमें इतिहास बनाने का अवसर मिला है।

उन्होंने शीतकालीन सत्र की अवधि और बढाने की मांग की ताकि छह और विधेयक पारित किये जा सकें, जो भ्रष्टाचार रोधी व्यापक ढांचे के तहत हैं।

राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक ही अकेले भ्रष्टाचार से लडने के लिए काफी नहीं है। हमें भ्रष्टाचार रोधी व्यापक संहिता की आवश्यकता है। संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार रोधी ढांचा तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि संप्रग ने आरटीआई लाकर भ्रष्टाचार पर पहली बडी चोट की थी। हमें सत्र संपन्न होने से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में अधूरे पडे कार्य को पूरा करना चाहिए। भ्रष्टाचार रोधी छह विधेयक (4 लोकसभा में और 2 राज्यसभा में) लंबित हैं। आवश्यकता हो तो क्या हम इस सत्र की अवधि नहीं बढा सकते।

राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक इसी व्यापक ढांचे का हिस्सा है। भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक, उत्पाद एवं सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति का नागरिकों का अधिकार, सार्वजनिक खरीद, विदेशी रिश्वत, न्यायिक जवाबदेही और व्हिसल ब्लोअर विधेयक लंबित हैं।

नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन इसका श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इस देश की जनता को जाना चाहिए और उस बूढे को जाना चाहिए, जो भूखा होकर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की लडाई लड़ रहा है।

कांग्रेस की ओर से इस विधेयक को पारित कराने का श्रेय राहुल को दिए जाने के बीच उन्होंने कहा कि किसी को इसका श्रेय देने की होड में नहीं पड़ना चाहिए।

सुषमा ने दावा किया कि कांग्रेस इस विधेयक को लाने का श्रेय ले रही है लेकिन हकीकत ये है कि इसने दबाव बनाने पर ही इस विधेयक को आगे बढाया है और इसमें आवश्यक संशोधन किये।

उन्होंने कहा कि शुरूआत में सरकार द्वारा लाया गया विधेयक बेहद कमजोर था और भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में अक्षम था।

सुषमा ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान विधेयक अत्यंत सशक्त और प्रभावी है इसलिए वह इसका पुरजोर समर्थन करती हैं।

कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान संसद के भीतर और बाहर इस विधेयक को लेकर चर्चा हुई है। लोकसभा ने विधेयक को दिसंबर 2011 में पारित कर दिया था।

उन्होंने आग्रह किया कि राज्यसभा द्वारा संशोधनों के साथ लौटाये गये इस विधेयक को निचला सदन पारित करे।

सपा और शिवसेना ने विधेयक का विरोध किया। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इससे सरकारी कामकाज ठप पड़ जाएगा क्योंकि सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी का निर्वाह करने में डरेंगे। इससे नौकरशाही में भय फैलेगा और कोई भी अधिकारी किसी दस्तावेज पर न तो फैसला करेगा और न ही दस्तखत करेगा।

यादव ने कहा कि कानून के मुताबिक एक दरोगा प्रधानमंत्री की जांच करेगा। एक दरोगा वरिष्ठ राजनीतिकों और सरकारी कर्मचारियों से सवाल करने और उनकी जांच करने का अधिकार रखेगा। ये गंभीर मसला है। ''हमें इस तरह के विधेयक की क्यों आवश्यकता है।''

उन्होंने सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर मुखातिब होते हुए इस विधेयक को आगे बढाने से रोकने का आग्रह किया।

मुलायम ने कहा कि ये खतरनाक विधेयक है और इससे ''10 साल पीछे की भी हमारी जांच होगी। लोकतंत्र में जन प्रतिनिधि सर्वोच्च होता है और अब एक दरोगा उस जन प्रतिनिधि की जांच करेगा।''

जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि वह विधेयक का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि वह सरकार के कामकाज में और बाधाएं नहीं पैदा करना चाहते।

उन्होंने लोकपाल विधेयक को लेकर कुछ आपत्तियां प्रकट कीं। इनमें प्रधानमंत्री को लोकपाल के तहत लाने के प्रावधान शामिल है। ''ऐसा करके प्रधानमंत्री की जवाबदेही संसदन के प्रति नहीं होगी बल्कि कहीं और होगी।''

बसपा के दारा सिंह चौहान ने कहा कि इस विधेयक का श्रेय लेने की होड मची है। ये भी एक तरह का भ्रष्टाचार है।

उन्होंने कहा कि कोई भी नीति अच्छी होने के बावजूद तब तक बेकार है, जब तक उसका कार्यान्वयन अच्छी नीयत से न किया जाए।

विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्यसभा द्वारा पारित विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को आज ही उपलब्ध करायीं गयीं। नियमों के तहत सदस्यों को दो दिन का नोटिस मिलना चाहिए।

इस पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि उन्होंने दो दिन की आवश्यकता को समाप्त करने की सहमति दी थी और विधेयक आज सुबह ही सदन पटल पर रखा गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान तेलंगाना समर्थक और विरोधी आसन के सामने नारेबाजी करते रहे।

तेलंगाना और सीमांध्र से तेदेपा और कांग्रेस के सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते रहे।

बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के एस के बिस्वमुतियारी भी असम में आदिवासियों पर हमले के विरोध में आसन के सामने आकर नारेबाजी कर रहे थे।

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http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/56543-2013-12-18-08-07-57



कृपया गौर करें कि  भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे की न्यूयॉर्क में हुई गिरफ्तारी के मामले में अमेरिकी प्रशासन की तरफ से बयान आया है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि देवयानी खोबरागडे की गिरफ्तारी किन हालातों में हुई इसकी जांच की जा रही है।


इस घटना के सामने आने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनातनी बढ़ गई है। भारत सरकार ने अमेरिकी राजनयिकों को मिलने वाली कई सुविधाओं पर रोक लगा दी है। इस मामले में अमेरिकी विदेशमंत्रालय का कहना है कि वह मामले की जांच कर रहा है। अमेरिकी मीडिया की मानें तो भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी और उनके साथ कथित बदसलूकी पर भारत की प्रतिक्रिया बदले की भावना से प्रेरित थी।


'द हिल' ने इसे 'बदले की कार्रवाई' बताया जबकि न्यूयार्क टाइम्स और द वाशिंगटन टाइम्स ने इसे 'प्रतिशोध' की कार्रवाई करार दिया। दूसरी मीडिया संस्थाओं का भी यही रूख रहा। फॉक्स न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया, 'सहयोगी माने जाने वाले दो देशों के बीच झड़प न्यूयार्क में भारत की वाणिज्य उप महादूत देवयानी खोबरागड़े की पिछले हफ्ते की गिरफ्तारी के बाद बहुत तेजी से बढ़ी। उनपर अपनी मैनहट्टन की घरेलू सहायिका का कार्य वीजा हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप है।'


वाल स्ट्रीट जर्नल ने कहा, 'भारत ने न्यूयार्क में अपनी एक राजनयिक की गिरफ्तारी का बदला नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के गिर्द सड़कों पर सुरक्षा बेरियर हटा कर और अमेरिकी राजनयिक अधिकारियों को दिए गए कुछ विशेषाधिकार निरस्त कर के लिया।'


न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने जिस तरह एक भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी की उससे भारत में हंगामा हो गया जहां तमाम राजनीतिक पार्टियों ने नाराजगी जताई और दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बेरियर हटा कर प्रतिशोध लिया जो अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा के लिए था।'


द हिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पिछले हफ्ते न्यूयार्क में एक भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी के बाद बदले की कार्रवाई में भारत में अधिकारियों ने मंगलवार को नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा बेरियर हटा लिया।'

भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागाडे की न्यूयार्क में गिरफ्तारी और उनके साथ किए गए अमानवीय बर्ताव को लेकर राज्यसभा सदस्यों ने बुधवार को सदन में सख्त नाराजगी जाहिर की। नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने देश की विदेश नीति की समीक्षा की मांग की, वहीं दूसरी ओर वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस घटना को `राष्ट्रीय आक्रोश` का विषय बताया और कहा कि सरकार का रुख इस पर बेहद सख्त है। शर्मा ने सदन में इस मामले पर आधिकारिक वक्तव्य देने का वादा किया।


वरिष्ठ राजनयिक देवयानी खोबरागडे की गिरफ्तारी मामले पर भारत की तरफ से बढते दवाब के बीच अमेरिका ने कहा कि वह मामले के तथ्यों पर गौर कर रहा है। जबकि, अमेरिकी मार्शलों ने आज स्वीकार किया कि 'मानक प्रक्रिया' के तहत उनकी कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गयी थी। विदेश विभाग की प्रवक्ता मैरी हर्फ ने कहा, 'हम जानते हैं कि यह भारत में कईयों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। इस गिरफ्तारी को लेकर हम इन तथ्यों पर हम गौर कर हैं कि क्या उचित प्रक्रिया का पालन किया गया और शिष्टाचार का पालन हुआ।'


दूसरी तरफ जेटली ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत बराबरी के बर्ताव पर जोर दे। उन्होंने कहा कि अगर हम विदेश नीति का संचालन इस तरह करते हैं, जिसमें अपनी ही अहमियत न हो, तो ऐसी घटनाएं दोबारा होंगी। जेटली ने आगे कहा कि हमें आत्मविश्लेषण करना होगा कि हमारी विदेशी नीति कैसी हो। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि जिस राजनयिक के साथ यह घटना हुई वह दलित समाज से आती हैं। मायावती ने केंद्र सरकार पर इस मामले में देर से प्रतिक्रिया देने का आरोप भी लगाया।


मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संप्रग एवं राजग की सरकारों में ऐसे काबीना मंत्री रहे हैं, जिन्हें ऐसे बर्ताव का सामना करना पड़ा है, किसी भी संप्रभु देश के लिए यह स्वीकार्य नहीं हो सकता..। हमें अपना रवैया बदलना होगा। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रेन और डीएमके की कनिमोझी ने भी इस मामले पर संसद में अपनी नाराजगी जाहिर की। राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को शुरू होते ही इस मुद्दे पर बहस की मांग की गई। सदन में मुद्दे पर बहस शुरू होने से पहले राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर सभी सदस्यों से विचार-विमर्श किया।


अमेरिका में भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी की घटना का असर दोनों देशों के रिश्तों पर दिखने लगा है। दिल्ली पुलिस ने दूतावास के बाहर लगे सारे बैरिकेड्स हटा दिए हैं। भारत ने देश में मौजूद सभी अमेरिकी राजनयिकों को अपना आई-कार्ड जमा कराने का आदेश दिया है।


साथ ही अमेरिकी राजनयिकों के एयरपोर्ट पास वापस लिए जा रहे हैं। अमेरिकी दूतावास में काम करने वाले सभी भारतीय कमर्चारियों की सैलरी की जानकारी मांगी गई है। राजनयिकों के घरेलू नौकरों की भी सैलरी पूछी गई है। भारत में अमेरिकी स्कूलों के सभी टीचरों के वीज़ा की जानकारी मांगी जा रही है। टीचरों की सैलरी और बैंक खातों की जानकारी मांगी जा रही है। अमेरिकी दूतावास के आयात पर पाबंदी लगाई जा रही है।


इधर, भारतीय राजनयिक के साथ न्यूयॉर्क में हुए गलत व्यवहार के विरोध में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया है।


इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और बीजेपी नेता नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दल से मिलने से इनकार कर दिया था। इससे पहले वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने भी अपना विरोध दर्ज कराया था।


दरअसल, न्यूयॉर्क में तैनात भारतीय काउंसलेट की अधिकारी देवयानी खोबरागडे को अपनी नौकरानी के वीजा के लिए फर्जी दस्तावेज देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जिस तरह से उनकी गिरफ्तारी की गई थी उस पर भारत सरकार ने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था।


इससे पहले खबरें आई थीं कि अमेरिका के न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागडे की गिरफ्तारी के समय सघन तलाशी (कपड़े उतारकर) ली गई थी और उसे नशेड़ियों के साथ जेल में रखा गया था।


अमेरिका ने कहा है कि हम समझते हैं कि भारत के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं। अमेरिका इस मामले में भारत के साथ सहयोग करेगा। गिरफ्तारी के दौरान नियमों की पालन हुआ है या नहीं इसकी जानकारी ली जाएगी।


अमेरिकी विदेश विभाग की उप-प्रवक्ता मैरी हर्फ ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि इस घटना का असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़े। हम इस बारे में न्यूयॉर्क और यहां चर्चा कर रहे हैं।


हम समझते हैं कि भारत के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा है और हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं, जिससे यह पता चले कि  गिरफ्तारी किन हालात में हुई। हम साफ करना चाहते हैं कि इस मामले में सिर्फ विदेश मंत्रालय नहीं, यूएस मार्शल्स भी शामिल है।

अमेरिकी मार्शल के मुताबिक, अमेरिकी मार्शल की हिरासत के दौरान गिरफ्तारी के बाद की, जो तय प्रक्रियाएं हैं उस पर अमल किया गया। इसके तहत भारतीय राजनयिक के कपड़े उतारकर तलाशी शामिल है। भारतीय राजनयिक को न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की जेल में रखा गया।


अमेरिकी मार्शल सर्विस गिरफ्तार करने वाली एजेंसी नहीं है और उसने गिरफ्तार भारतीय राजनयिक को लेकर अपना अलग रुख नहीं अपनाया।


अमेरिका में अपनी एक राजनयिक की गिरफ्तारी और उसके साथ हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर भारत द्वारा उठाए गए कई प्रतिक्रिया कदमों के बाद वाशिंगटन ने नई दिल्ली से अपील की कि वह विएना संधि के सिद्धांतों को कायम रखे और भारत में तैनात अमेरिकी राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।


अमेरिकी विदेश विभाग की उप-प्रवक्ता मैरी हर्फ ने अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमने उच्च स्तर पर भारत सरकार को अपनी उम्मीदों से अवगत कराया है कि भारत विएना संधि के तहत राजनयिक संबंधों तथा वाणिज्य दूत संबंधों को लेकर अपने सभी दायित्वों को निभाना जारी रखे।

हर्फ ने कहा, हम भारत के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम करते रहेंगे कि हमारे राजनयिकों और वाणिज्य दूत अधिकारियों को पूर्ण अधिकार और सुरक्षा मुहैया हो। हमारे प्रतिष्ठानों की रक्षा सुरक्षा हो..हम इस पर भारतीयों के साथ काम करते रहेंगे। वह देवयानी खोबरागडे के साथ कथित अमानवीय व्यवहार को लेकर भारत द्वारा अमेरिकी राजनयिकों के कुछ विशेषाधिकार छीने जाने के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रही थीं।


हर्फ ने दावा किया कि भारत सरकार को सितंबर में खोबरागडे के खिलाफ वीजा फर्जीवाड़े के आरोपों के बारे में सूचित कर दिया गया था।


उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, विदेश विभाग ने भारतीय दूतावास को सितंबर में एक भारतीय नागरिक द्वारा न्यूयॉर्क में तैनात भारत की उप-महावाणिज्य दूत के बारे में लगाए गए आरोपों के बारे में लिखित में सूचित कर दिया था। हर्फ ने कहा कि अमेरिका अपने प्रतिष्ठानों की उचित सुरक्षा के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेगा।


उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों के संपर्क में हैं ।


वहीं देवयानी खोब्रागडे के अटार्नी (वकील) का कहना है कि अपने राजनयिक दर्जे के कारण उन्हें मुकदमे से छूट हासिल है और जो हुआ वह अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की शर्मनाक असफलता है।


उनके वकील डेनियल एन अर्शहाक ने कहा, अपने राजनयिक दर्जे के कारण डॉ खोब्रागडे को मुकदमे से छूट मिली हुई है। उन्होंने कहा, यह पूरा अभियोजन फैसले में बेहद गंभीर भूल को दर्शाता है और यह अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की शर्मनाक असफलता है।


उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि मामले को जल्द राजनयिक और भारतीय तथा अमेरिकी सरकार के उच्चतर स्तर के प्राधिकार द्वारा हल कर लिया जाएगा और एक गलत अभियोजन जारी रखना हमारे देशों के बीच आपसी हितों के लिए ठीक नहीं होगा।


अमेरिकी प्रशासन की ओर खोब्रागडे के साथ हुए सलूक पर अर्शहाक ने कहा कि उनकी बेटी के स्कूल के सामने सड़क पर गिरफ्तारी और कपड़े उतारकर तलाशी लेने की कोई वजह ही नहीं है।


अमेरिकी मार्शल्स सर्विस (यूएसएमएस) ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले सप्ताह न्यूयार्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार किए जाने के बाद उनकी कपड़े उतारकर तलाशी ली गई थी और यही प्रक्रिया अन्य गिरफ्तार लोगों के साथ भी अपनाई गई थी।

   

यूएसएमएस की प्रवक्ता निक्की क्रेडिक-बैरेट ने बताया कि जांच की प्रक्रिया पर मैं इस बात की पुष्टि कर सकती हूं कि न्यूयार्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट में यूएसएमएस द्वारा गिरफ्तार अन्य लोगों के साथ जो प्रक्रिया अपनाई जाती है उनके साथ भी वही प्रक्रिया अपनाई गई। उन्होंने इस बात जोर दिया कि जांच के दौरान मानक प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

   

उन्होंने बताया, यूएसएमएस हिरासत के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ हम मानक प्रक्रियाओं का अनुकरण करते हैं। क्या उन्हें कारागार में मादक पदार्थ सेवनकर्ताओं के साथ रखा गया था, इस प्रश्न की प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि गिरफ्तार की गईं राजनयिक को अदालती कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रही बचाव पक्ष की अन्य महिला कैदियों के साथ एक ही कोठरी में रखा गया था।

   

हालांकि उन्होंने उनकी गिरफ्तारी को लेकर यह कहते हुए किसी भी दष्टिकोण से इंकार किया, यूएसएमएस कोई गिरफ्तार करने वाली एजेंसी नहीं है।

यूएसएमएस प्रवक्ता ने कहा कि यूएसएमएस ने देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी की स्वयं समीक्षा की थी और यह सुनिश्चित किया कि न्यूयार्क में सदर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएसएमएस, जांच यूएसएमएस नीति निर्देशों के अनुसार और प्रोटोकॉल के अनुरूप किया होगा।

   

खोबरागड़े को 12 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी को उसी दिन अदालत में उनके दोषी नहीं होने की दलील के बाद 2,50,000 अमेरिकी डॉलर के मुचलके पर छोड़ दिया गया था।



Tue, 17 Dec 2013 20:00:00 GMT | By Agencies

Diplomatic row: 9 things India did

The country takes retaliatory measures to express its disapproval of US action against diplomat


PTI

India has reacted strongly to the treatment meted out to its diplomat, Devyani Khobragade,including initiating tough measures against US diplomats across the country. Here is what it did to express its protest.

1. India seeks salary details of Indian staff employed in American consulates, including those working as domestic help at the homes of US diplomats in India. It seeks visa and salary details of teachers at US schools in India to check if they are paying tax or not.

2. Police lift barricades outside US embassy in Delhi. India stops import clearances for embassy.

3. External Affairs Minister Salman Khurshid says, "It is completely unacceptable...  We have put in motion what we believe will be an effective way to address this issue and protect her dignity... Everything that can be done, will be done."

5. Senior BJP leader Yashwant Sinha says: "The media has reported that we have issued visas to a number of US diplomats' companions. Companions means they are of the same sex. After the Supreme Court ruling, it is illegal in our country, just as paying fewer wages is illegal in the US. So why doesn't India arrest all of them?"

6. Congress vice-president Rahul Gandhi and Home Minister Sushil Kumar Shinde refuses to meet a visiting US Congressional delegation. BJP's prime ministerial candidate Narendra Modi says he too has refused to meet the delegation.

7. Lok Sabha Speaker Meira Kumar and National Security Advisor Shiv Shankar Menon cancelled meetings in Delhi with US delegation. Menon terms Khobragade's treatment "despicable and barbaric".

8. India claims the US has violated the Vienna Convention. As per the convention, Indian Deputy Consul General enjoys immunity from jurisdiction of US courts.

9. Foreign secretary Sujatha Singh summons US ambassador Nancy Powell, lodges protest over "unacceptable treatment" meted out to its senior consular officer.



Satya Narayan
तमाम सारे नेताओं ने देवयानी खोब्रागड़े को अमेरिका द्वारा गिरफ्तार करने पर नाराजगी जताई है। ऐसा करने वालों में मायावती भी शामिल है। उन्‍होने तो यहां तक कह दिया है कि सरकार इस मामले में इसलिए कारेवाई नहीं कर रही है क्‍योंकि खोब्रागड़े दलित है। वैसे मायावती ने उस नौकर के बारे के बारे में एक बार भी जिक्र नहीं किया जिसकी तनख्‍वाह मारने के जुर्म में देवयानी को गिरफ्तार किया गया है। वर्ग भाईचारा क्‍या होता है, इस मामले में खुलकर सामने आ रहा है। एक जुर्म करने के अपराध में जब किसी को गिरफ्तार किया जाता है तो भी शासक वर्ग के तमाम नुमाइंदे अपराधी के पक्ष में खड़े होते हैं ना कि पीडि़त के पक्ष में। वैसे जब अमेरिका में एक नौकर की तनख्‍वाह मारने पर भी ये अपराधी को सजा नहीं होने देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं तो भारत के मेहनतकशों के लिए न्‍युनतम मज़दूरी कानुन कितने अच्‍छे से लागु हो रहा है, आप खुद अन्‍दाजा लगा सकते हैं।

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आप की महिमा अपरंपार।डरी हुई स‌ंसद ने कैसे आनन फानन में 46 स‌ाल स‌े लटका मामला रफा दफा कर दिया स‌ामाजिक शक्तियों की गोलबंदी के डर स‌े। स‌िंहद्वार पर दस्तक बहुत तेज है भइया,जाग स‌को तो जागो।


देवयानी गिरफ्तारी मामले पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने खेला दलित कार्ड

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 12:29

राजनयिक देवयानी खोबरागडे मामले पर बसपा की मुखिया मायावती ने दलित कार्ड खेला है।


লোকসভাতেও পাশ হল লোকপাল

18 Dec 2013, 13:40রাজ্যসভার পর লোকসভাতেও পাশ হয়ে গেল ঐতিহাসিক লোকপাল বিল। দীর্ঘ ৪৬ বছরের প্রতীক্ষার পর অবশেষে আইনে রূপান্তরিত হওয়ার পথে প্রায় সব বাধা কাটল লোকপালের।

দেবযানীকে সসম্মানে ফেরাতে না পারলে সংসদে ফিরব না, বললেন খুরশিদ

18 Dec 2013, 15:00

নিউ ইয়র্কে ভারতের ডেপুটি কনসাল জেনারেল দেবযানীর সঙ্গে যে দুর্ব্যাবহার করা হয়েছে তার প্রতিবাদে বুধবার উত্তাল হয়ে ওঠে লোকসভা এবং রাজ্যসভা।

আত্মহত্যা করলেন ধর্ষণে অভিযুক্ত ডিরেক্টার

18 Dec 2013, 14:55

আত্মহত্যা করলেন একটি এনজিও-র ধর্ষণে অভিযুক্ত এগজিকিউটিভ ডিরেক্টার। দিল্লি গণধর্ষণ কাণ্ডের বিরোধিতায় ইন্ডিয়া গেটে বিরোধ প্রদর্শনে সক্রিয় অংশগ্রহণকারী এনজিও-র এক সদস্যের ধর্ষণে অভিযুক্ত ছিলেন ইনস্টিটিউট ফর সোশাল ডেমোক্রেসির এগজিকিউটিভ ডিরেক্টার খুরশিদ আনওয়ার।

http://eisamay.indiatimes.com/

गुटबाजी खत्म कर चुनाव की तैयारियों में जुटें: सोनिया

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 13:08

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के लोगों से गुटबाजी खत्म कर 2014 के लोकसभा की तैयारियों में जुटने की आह्वान किया है।

PM का AAP पर निशाना, 'जनता से वही वादे हों जो निभा सकें'

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 14:57

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर निशान साधा है। उन्होंने कहा है कि देश की जनता से वही वादे किए जाने चाहिए जो निभाएं जा सकें।

अमेरिका ने गलती की, देवयानी को न्याय मिलेगा: शिंदे

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 09:48

भारतीय भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ बदसलूकी मामले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया है।

लोकपाल बिल लोकसभा में भी पास, अन्ना ने खुश होकर तोड़ा अनशन

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 15:27

भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल का सपना साकार होने के करीब है।

भारतीय एयरलाइंस ने 11 माह में 550 लाख लोगों को कराई सैर

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 14:01

भारतीय विमानन कंपनियों ने इस साल के 11 महीनों में 558.39 लाख लोगों को हवाई सैर कराई जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 4.52 प्रतिशत अधिक है।

अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में भारतीय निवेश 59.9 अरब डालर

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 13:54

अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में भारत का निवेश अक्तूबर महीने में बढ़कर 59.9 अरब डालर हो गया जो कि चार महीने में सबसे अधिक है।

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की खास बातें

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 12:48

आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने उच्च मुद्रास्फीतिक दबाव के बावजूद नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखकर बाजार को आज चकित किया। भारतीय रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही मौद्रिक समीक्षा की कुछ मुख्य बातें हैं--

आरबीआई ने नहीं बढ़ाया रेपो रेट, सीआरआर में भी बदलाव नहीं

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 13:08

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। लिहाजा रेपो रेट 7.75 फीसदी पर बरकरार रहेगा। वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 6.75 फीसदी पर ही बना रहेगा। साथ ही आरबीआई ने सीआरआर में भी कोई बदलाव नहीं किया है।

शेयर बाजारों के शुरुआती कारोबार में तेजी

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 11:06

देश के शेयर बाजारों में बुधवार को शुरुआती कारोबार में तेजी दर्ज की गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह लगभग 9.18 बजे 23.93 अंकों की तेजी के साथ 20,636.07 पर तथा निफ्टी भी लगभग इसी समय 13.10 अंकों की तेजी के साथ 6,152.15 पर कारोबार करते देखे गए।

बैंककर्मी आज हड़ताल पर, कामकाज हो सकता है प्रभावित

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 00:15

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने वेतन-भत्ते तथा सेवा शर्तों में संशोधन से जुड़ी अपनी मांगों पर जोर देने के लिये 18 दिसंबर को एक दिन की देशव्यापी बैंक हड़ताल का से वित्तीय क्षेत्र का काम काज प्रभावित हो सकता है।

बाजार में आया नोकिया आशा 502, कीमत 5739 रुपए

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 00:10

सस्ते मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली मोबाइल कंपनी नोकिया ने भारतीय बाजार में नोकिया आशा-502 पेश किया है। कंपनी की वेबसाइट पर इस हैंडसेट को बिक्री के लिए पेश किया गया है जिसकी कीमत 5739 है।

भारत में बहु-ब्रांड खुदरा दुकानें खोलेगी टेस्को

Last Updated: Tuesday, December 17, 2013, 20:55

ब्रिटेन की खुदरा कंपनी टेस्को पीएलसी भारत में टाटा समूह के साथ मिलकर 11 करोड़ डॉलर के निवेश से बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार शुरू करेगी और इसके लिए उसने सरकार से अनुमति मांगी है।

सहारा ने सेबी के खिलाफ सैट में नई अर्जी लगाई

Last Updated: Tuesday, December 17, 2013, 17:49

सहारा समूह ने बाजार नियामक सेबी के खिलाफ एक नई याचिका मंगलवार को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में पेश की। इसमें उसने सेबी द्वारा सहारा इंडिया रीयल इस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) के खिलाफ शुरू की गई जुर्माने की प्रक्रिया को चुनौती दी है।

जनवरी से सभी कारों की कीमत बढ़ाएगी हुंडई

Last Updated: Tuesday, December 17, 2013, 17:39

हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) जनवरी से अपनी सभी कारों की कीमतों में 5,000 से 20,000 रुपये तक की बढ़ोतरी करेगी। यह फैसला लागत बढ़ने और रुपये की विनिमय दर में गिरावट और ऊंची मुद्रास्फीति को देखते हुये किया जा रहा है।


BBC Hindi

भारतीय संसद के निचले सदन, लोकसभा, में लोकपाल विधेयक पारित कर दिया है. ये विधेयक मंगलवार को राज्य सभा में पास हो गया है.


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Navbharat Times Online

'आप' को दिल्ली दे रही है जवाब


अरविंद केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से पार्टी के फेसबुक पेज, वेबसाइट और टि्वटर पर आम जनता की राय तो धड़ाधड़ आ रही है लेकिन...

पढ़िए पूरी खबर http://nbt.in/HaFJra

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Aaj Tak

BREAKING NEWS: ये लोकपाल बिल खतरनाक है, सोनिया जी इसे वापस लें: मुलायम सिंह... ‪#‎Aajtak‬... http://bit.ly/Live_Breaking_News

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ibnlive.com

Lok Sabha passes Lokpal Bill amid protests over Telangana

http://ow.ly/rS4iP


‪#‎LokSabha‬ ‪#‎LokpalBill‬ ‪#‎Telangana‬

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जनज्वार डॉटकॉम

समाज में स्त्री की उपस्थिति बदली है, स्थिति नहीं. जैसे स्त्री का शैक्षणिक या वर्गीय रूप से सशक्त होना उसे यौन-हिंसा से मुक्ति की गारंटी नहीं प्रदान करता, उसी तरह मर्द का सड़कछाप न होकर सफेदपोश होना भी अपने-आप में स्त्री के लिए लैंगिक हिंसा से राहत का सबब नहीं बनता...http://www.janjwar.com/society/1-society/4613-purush-varchasv-par-muhar-lagati-yaun-hinsa-for-janjwar-by-vikas-narain-ray-special

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S.r. Darapuri

कल राज्यसभा में समाजवादी पार्टी को छोड़ कर शेष सभी पार्टियों ने लोकपाल/लोकायुक्त बिल का समर्थन किया. समाजवादी पार्टी के बहिष्कार के दो कारण हो सकते हैं. एक तो यह कि लोकपाल/लोकायुक्त व्यवस्था की कोई भी ज़रुरत नहीं है क्योंकि देश में कोई भ्रष्टाचार ही नहीं है जो कि सही कारण प्रतीत नहीं होता है. दूसरा कारण यह हो सकता है कि उसे इस बात का डर है कि शायद लोकपाल/लोकायुक्त को उस तरीके से मैनेज करना संभव नहीं होगा जैसा कि वह कांग्रेस की मदद से सीबीआई को अब तक करती आई है.

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Anita Bharti

आज फेसबुक पर चल रही तमाम चर्चाओं से लग रहा है कि "स्त्री उत्पीडन" से ज्यादा बडा मुद्दा "धर्मनिरपेक्षता" है।

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Faisal Anurag

खुर्शीद तुमने येसा क्यों किया. तुम तो येसे नहीं थे. तुम मुझे हमेशा समझते थे की हर एक स्थिति का डट कर सामना करना चाहिए. यह सदमा हम सब कैसे सहेंगें यह व् नहीं सोचा. व्यथित मन और सुन्न दिमाग. क्या कहूँ.इस दुःख को झेलना आसान नहीं .

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24 Ghanta
১৬ ডিসেম্বর থেকে ২৯ ডিসেম্বর দামিনীর ১৩ দিনের কঠিন লড়াইয়ে ২৪ ঘণ্টার বিশেষ উদ্যোগ "শপথ নিন-‪#‎RespectWomen‬ "....প্রতিবাদ করুন স্লোগানে, পোস্টারে..আপনার লেখা স্লোগান, পোস্টার ইমেল করুন web@24ghanta.com ..আপনার প্রতিবাদের ভাষা পৌঁছিয়ে দেব অগণিত পাঠকের কাছে...
বিস্তারিত জানুন
http://zeenews.india.com/bengali/respect-women.aspx
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Mohan Shrotriya

‪#‎शोक‬...


अभी फ़ेसबुक खोली तो खुर्शीद अनवर के निधन की ख़बर देखी, मित्र‪#‎जगदीश्वरचतुर्वेदी‬ की पोस्ट में, तो यक़ीन ही नहीं हुआ. उनके बड़े भाई, और अपने मित्र अली जावेद को फ़ोन किया तो उन्होंने इसकी पुष्टि की. जावेद अभी भी सफ़दरजंग ट्रौमा सेंटर में हैं. इससे ज़्यादा कुछ भी कहने की स्थिति में वह नहीं हैं, इस वक़्त.


यह ख़बर बेहद दुखद है. खुर्शीद के इस तरह चले जाने का कष्ट बहुत समय तक बना रहेगा.


लगता है वह इंडिया टीवी की ख़बर का सदमा नहीं झेल पाए !


जावेद के परिवार के साथ, तथा खुर्शीद की पूर्व पत्नी मीनाक्षी व उनके बेटे के साथ इस बड़े दुख की घड़ी में एकजुटता !

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BBC Hindi

AMERICA's REACTION: अमरीका में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ़्तार भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को जेल में निर्वस्त्र कर तलाशी लिए जाने को अमरीका ने अपने क़ानून के तहत ''सामान्य प्रक्रिया'' बताया है. http://bbc.in/18QkXjb


Like ·  · Share · 25312346 · about an hour ago ·


Ashutosh Kumar

हम ने आज सुबह एक नोट लिखा था , जो दिवंगत खुर्शीद अनवर से जुड़े एक आरोप की कल आई रिपोर्ट से सम्बंधित थी . उनके निधन की खबर मिलने के बाद दिवंगत के प्रति सम्मान और अपने निजी सदमे की वज़ह से उसे हाइड कर दिया है . उसके बारे में अब गलत खबरें फैलाई जा रही हैं और कुछ लोगों ने मर्मान्तक घटना के कुछ घंटों के भीतर ही अपनी सियासत शुरू कर दी है . मैं ने उस नोट में निष्पक्ष जांच की मांग करने के साथ यह भी स्पस्ट लिखा था कि आरोपियों को अपना बचाव करने का पूरा मौक़ा मिलना चाहिए . शोक और सदमे की घड़ी बीतते ही उसे , अगर जरूरत हुयी , फिर से सार्वजनिक किया जा सकता है .

हम एक विराट और बहुआयामी त्रासदी में घसीट लिए गए हैं . जहां क़ानून पीछे छूट जाता है और सामने रह जाती है जीवन की अनेक आयामी विडम्बना . यह फैसले देने या लेने की घड़ी नहीं है .

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Avinash Das

खुर्शीद भाई, क्या कहूं...? दुखी हूं. वो शामें अब कैसे दोहराएंगे, जब हम जादुई बेहोशी में डूबे आपको कविता और सिनेमा पर बोलते हुए सुनते थे. आधी रात गये हमें जगा कर हमारा जहाज पकड़वाते थे. अभी मत दफन होना, हम आधे रास्ते में हैं.

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Amalendu Upadhyaya

अलविदा कॉमरेड खुर्शीद अनवर। सच में हार गए हम.....

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  • Shesh Narain Singh Khurshid Anwar ke hatyaare vaastav mein fascizm kee sena ke bhaade ke sainik hain . inhone tay kiya hai ki jisko haraa naheen paayegen ,uskee charitr hatya karegen, Afsos yah hai ki in bhaade ke sainikon mein kuchh vey log bhee shaamil hain jinhone Munirka kee pahadiyon mein qasam khaayee thee ki Fascism ka virodh kar haal mein kiya jaayegaa . Alvida Dost.

  • about an hour ago · Like · 3

  • Harishankar Shahi लफंगो की विजय गाथा सुनने के लिए हम अभिशप्त हैं...

  • about an hour ago · Like · 2

  • Ashu Bhatnaagar शेषनारायण जी कौन ये लोग वो लडकी जिसने ये आरोप लगया या वो लोग जो उसके साथ खड़े हुए या वो टीवी चैनेल जिसने महीनो से दबे इस मुद्दे को सबके सामने लाया ///क्या मैं आपकी बातों से ये समझू की खुर्शीद अनवर पर लगे आरोप गलत थे और उन्होंने सिर्फ आहत हो कर आत्महत्या कर ली / कहीं आप इस बहम के शिकार तो नहीं हो गये के कामरेड कुछ गलत कर ही नहीं सकते

  • 29 minutes ago · Like

  • Shailendra Dhar Ashu Bhatnagar, aap jyaada jaanate hai shayad. Please tell us what you know. And on what basis and why did you counter shesh Narayan singh ?

  • 8 minutes ago · Like


Reyazul Haque via Felix Padel

can't open this (in India) - can others??

CIA Leak Gives "Incontrovertible Evidence" That 9/11 Was State Sponsored | The Top Information Post

topinfopost.com

If you have ever questioned the official narrative for the September 11th attacks then you have, without a doubt, been dubbed a conspiracy nut by the establishment media and those who hang on their every word.

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Sunil Khobragade

Like ·  · Share · December 14 at 12:16am ·



24 Ghanta

১৬ ডিসেম্বর থেকে ২৯ ডিসেম্বর দামিনীর ১৩ দিনের কঠিন লড়াইয়ে ২৪ ঘণ্টার বিশেষ উদ্যোগ "শপথ নিন-‪#‎RespectWomen‬ "....প্রতিবাদ করুন স্লোগানে, পোস্টারে..আপনার লেখা স্লোগান, পোস্টার ইমেল করুন web@24ghanta.com ..আপনার প্রতিবাদের ভাষা পৌঁছিয়ে দেব অগণিত পাঠকের কাছে...

বিস্তারিত জানুন

http://zeenews.india.com/bengali/respect-women.aspx


পোস্টার পাঠিয়েছেন সুজয় কাঞ্জিলাল...এই লড়াইয়ে সঙ্গে থাকার জন্য ধন্যবাদ।

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Avinash Das

मैंने कल टीवी देखा और सुबह अखबार भी पढ़े। कांग्रेस के जवाब के बाद Aam Aadmi Party का क्‍या रुख है, इस पर बहुत स्‍पष्‍ट समाचार देखने-पढ़ने को नहीं मिला। मेल बॉक्‍स में यह चिट्ठी मिल गयी। पढ़िए आपलोग भी।

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Rajiv Nayan Bahuguna

चेतावनी

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आजकल देश भर में नरेंद्र दामोदर दास मोदी नामक भारतीय लोक तंत्र का जघन्य ग्रहण जगह जगह देखा जा रहा है . यह लोक तांत्रिक मूल्यों को ग्रस लेता है , तथा आधुनिक भारत का एक क्रूर पाप ग्रह है . इसका प्रकोप कांग्रेस के भ्रष्टाचार तथा परिवार वाद के कारण हुआ है . . इसे देखने - सुनने से बचें . दुर्भाग्य वश देखना - सुनना पड़ जाए तो इसे देखने के तुरंत बाद किसी पवित्र सरोवर या नदी में स्नान करें . सुनने के बाद भगत सिंह , गांधी , पटेल या मौलाना आज़ाद की कोई पुस्तक पढ़ें . वरना आपकी आँखों पर साम्प्रदायिकता की रतौंधी छा सकती है . इस चेतावनी को जन हित में अधिकाधिक प्रसारित करें

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Uday Prakash

A new FIR is going to unveil another face if a devil, disguising as a saviour of humanity ! (These all are member if a notorious club)

Friends, don't ask me details, it all be out in public soon.

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Abhishek Srivastava

खुर्शीद अनवर पर बलात्‍कार के मामले में हुई एफआइआर के संदर्भ में इस अपील को ज़रूर पढ़ें: ''अहम की लड़ाई के इस शोर में और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की रस्साकशी में ये लड़की सिर्फ मोहरा बनकर रह गई। कृपया अपनी ताकत इस खेल में न लगाएं। एक कानूनी प्रक्रिया शुरु हुई है। दुआ करें कि ये प्रक्रिया अंजाम तक पहुंचे।''

Abhishek Upadhyay

लोग स्टोरी का लिंक मांग रहे हैं। दे रहा हूं। पहला लिंक है ये। बता दूं कि इस मामले में अब एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। आईपीसी की धारा 376 और 328 के तहत। 16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप की शिकार दामिनी या निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए उठी आवाजों का प्रतीक बनकर उभरी थी ये लड़की। ये वो लड़की है जो इस पूरे आंदोलन का सबसे जाना पहचाना चेहरा थी। विरोध की गवाह थी। जिन्हें भी वो दौर याद होगा, जब पूरा देश दामिनी को इंसाफ के लिए उबल रहा था, वो इस चेहरे को नहीं भूले होंगे। मगर तीन महीने पहले ये लड़की खुद इसी दिल्ली में बलात्कार का शिकार हुई। बलात्कार का आरोप है, इंस्टीट्यूट फार सोशल डेमोक्रेसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर खुर्शीद अनवर पर। उन सभी का आभारी हूं जिन्होंने इस लड़की को इंसाफ दिलाने की कोशिश की। खास तौर पर आल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन एसोसिएशन की कविता कृष्णन का जिनकी पहल पर खुद खुर्शीद अनवर के एनजीओ के कुछ बोर्ड मेंबर्स ने अपने ही एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के खिलाफ जांच शुरु की। इस जांच कमेटी से खुर्शीद अनवर को अलग कर दिया गया। 26 नवंबर 2013 को बाकायदा इस लड़की को एनजीओ के 6 बोर्ड मेंबर्स की ओर से चिट्ठी भेजी गई। उससे पूछा गया कि क्या वह अपनी उस वीडिया टेस्टिमनी पर कायम है, जो उसने डरकर दिल्ली छोड़ने से पहले दी थी। सलाम इस लड़की को जिसने हमारे सामने आकर पूरी हिम्मत से कहा कि वो अपनी टेस्टिमनी की एक एक बात पर कायम है। सलाम इस्टीट्यूट फार सोशल डेमोक्रेसी की उन तीन महिला सदस्यों को जिन्होंने खुर्शीद अनवर के इन हालातों में अपने पद पर बने रहने के खिलाफ इस एनजीओ से इस्तीफा दे दिया। मधु किश्वर जिन्होंने इस लड़की की वीडियो टेस्टिमनी दर्ज की। राष्ट्रीय महिला आयोग जिसने दिल्ली पुलिस को 48 घंटे में एक्शन लेने का निर्देश दिया। अब एफआईआर दर्ज हो चुकी है। मामला कानून के मुताबिक तय होगा और यही चाहिए था। एक गुजारिश है कि कृपया सोशल मीडिया पर इसे लेकर अपने अपने अहम की लड़ाई न लडें। इस लड़की का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है। नुकसान दोनो ही पक्षों ने किया है। उन्होंने भी जो कथित तौर पर इसके पक्ष मे मुहिम चलाकर सिर्फ दूसरे खेमे से हिसाब चुकता करने के लिए तड़प रहे थे और उन्होंने तो खास तौर पर जो सोशल मीडिया पर बिन बाप की और कर्ज में डूबे परिवार की इस लड़की को झूठा साबित करने के लिए जमीन आसमान एक किए हुए थे। अहम की लड़ाई के इस शोर में और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की रस्साकशी में ये लड़की सिर्फ मोहरा बनकर रह गई। कृपया अपनी ताकत इस खेल में न लगाएं। एक कानूनी प्रक्रिया शुरु हुई है। दुआ करें कि ये प्रक्रिया अंजाम तक पहुंचे। ये लड़की किसी मेट्रोपोलिटन सिटी की चमकदार गलियों से नहीं आती है, ऐसे में इसकी आवाज का वजन वैसे ही हल्का दिखता है, कृपया इसे और हल्का करने की कोशिश न करे। लिंक ये रहा---http://www.indiatvnews.com/video/aaj-ki-baat-17th-december-part-1-34249.138.html

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Alok Putul shared a link.

दूसरी 'निर्भया' इस बार वो थी 'डायन' - BBC Hindi - भारत

bbc.co.uk

एक ओर देश भर में दिल्ली गैंगरेप के एक साल पूरे होने पर बहस हो रही थी, तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के गांव में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए एक थाने से दूसरे थाने भटक रही थी.

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MC Raj Author

Indians are up in arms against the US in the case of Devyani Khobragade, the Indian diplomat. One angle of the story that is not explored by Indians is the involvement of other Indian diplomats in the US who could have wanted to harass Devyani because she is said to be a Dalit women rights activist. If this is true then it falls into diplomatic logic that they make use of the mechanisms that do not understand much about underlying caste equations.

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Vidya Bhushan Rawat

while the protest by govt is appropriate on Devyani case, it is time for introspection. Cant we do without domestic help? This issue need to be resolved at the highest level as it will come to humiliate others. Human rights watch defense is hypocratic. It also open eyes of those who see everything great in us. It also validate that we also become part of establishment and maltreat our domestic servants. It is not for nothing that india is called the biggest country employing slaves. Serious introspection for everyone. The humiliation of Devyani must be fought at all level but let us not ignore that such issues are going to haunt us in future too ?

Strip-search raises questions, but allegations on Devyani remain: US Human Rights Watch

ibnlive.in.com

The US Human Rights Watch has come out in support of the US government, saying that Strip-search raises questions, but allegations on Deputy Consul General Devyani Khobragade remain. In an article, the US Human Rights



मेरे लिए अदम

जनज्वार विशेष

WEDNESDAY, 18 DECEMBER 2013 11:28

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अदम गोंडवी की पुण्यतिथि 18 दिसम्बर पर विशेष

अदम ने जनता की पीड़ा से सरोकार जोड़ा तो पाया पीपल की छांवों में शीतलता नहीं, शोलों जैसी आंच है. उसे उजागर करने के लिए लोगों को चमारों की गली तक खींच लाए. उन लोगों को हकीकत से दो-चार कराया, जिनका दावा था कि 'का लोटा लइके गोहूं टोटियाई रामराज्य. लोकरंजन हो जहां शम्बूक वध की आंड़ में...' कहते हुए रामराज्य के खोखलेपन को उजागर किया...

ऋषि कुमार सिंह

अदम गोंडवी को याद करने का पहलू थोड़ा भावनात्मक है. काफी हद तक अपराधबोध का मसला भी. अदम से परिचय था, उनकी कविता ब्लॉग की टैग लाइन बना रखी थी. अदम का जिक्र चाहे मैं करूं या कोई और, यह बताना नहीं भूलता था कि मेरे जिले (बहराइच) के पड़ोसी जिले गोंडा से हैं.

मिलने का मन बनाया, फोन नंबर भी मिल गया. मगर बस मुलाकात करने के लिए जाने की योजना नहीं बन सकी. इस दौरान स्थानीय अखबारों में उनके बीमार होने की खबर आई. फोन मिलाया और कहा कि अदम जी से बात करनी है. सामने से बिना किसी औपचारिकता के अपने अदम होने का परिचय आया. अपने स्वस्थ होने की जानकारी दी. बताया कि अब गांव आ गए हैं.

मुलाकात करने के बारे में पूछा तो छूट मिली कि कभी भी आ जाओ. दोबारा बीमार होने की खबर सुनी, लेकिन लखनऊ जाने की स्थिति नहीं बन पाई. बड़ी आंटी के असमय निधन ने कंपा दिया था कि खबर आई कि अदम नहीं रहे. देखते-ही-देखते अदम से मुलाकात की योजना को टालने का अफसोस अपराधबोध में बदल गया. अदम से मिलने जाने की योजना में साले साहब भी शामिल थे, मेरी लापरवाही से उन्हें भी निराशा हुई.

जहां तक अदम को पढ़ा या जाना, पाया कि अदम ने कविता को विचारों की शक्ल देकर चेतना को समृद्ध करने का औजार बनाया था. इसलिए वे लिखते हैं- 'याद रखिए यूं नहीं ढलते हैं कविता में विचार/ होता है परिपाक धीमी आंच पर एहसास का...'

और अदम यह जानते थे कि जिस जातीय पृष्ठभूमि से आते हैं, वह धीमी आंच पर एहसास को पकाने में मददगार नहीं होगी, इसलिए उन्होंने रामनाथ सिंह की जगह अदम गोंड़वी होना जरूरी स्वीकार किया और हो गए. जनता की पीड़ा से सरोकार जोड़ा तो पाया कि पीपल की छांवों में शीतलता नहीं, बल्कि शोलों जैसी आंच है.

जिन्दगी के ताप को महसूस करने के लिए अपने को समाज के धरातल तक उतार ले गए. वे आजादी के बाद बदस्तूर जारी स्याह पक्ष से परेशान हुए और उसे उजागर करने के लिए लोगों को चमारों की गली तक खींच लाए हैं और उन लोगों को हकीकत से दो-चार कराया, जिनका दावा था कि 'का लोटा लइके गोहूं टोटियाई रामराज्य.' लोकरंजन हो जहां शम्बूक वध की आंड़ में, कहते हुए रामराज्य के खोखलेपन को उजागर किया.

वे अपने लेखन में शोषण और मक्कारी की केवल रिपोर्टिंग ही नहीं करते हैं, बल्कि सत्ता को चेतावनी भी देते हैं. कहते हैं- 'बम उगाएंगे अदम दहकान गंदुम के एवज, आप पहुंचा दें हुकूमत तक हमारा ये पयाम है.'

अदम को जानने के क्रम में उनके मित्र टीकमदत्त जी से मेरी मुलाकात कोई लगभग सालभर पहले हुई. उन्होंने बताया कि अदम शुरुआती दिनों में मंच पर जाने में संकोच करते थे. वास्तव में वे (अदम) मंचीय कवि नहीं थे, बल्कि जनांदोलनों के कवि थे. इसीलिए अदम कहते हैं-

'जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब भुखमरी की धूप में जलते किसान हों/ मुंह में जुबान रखते हुए बेजुबान हों/ नफरत के ॠतु में दंगों के शोले जवान हों/ जम्हूरियत के तन पर जिना के निशां हो/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब खुदसरी की राह पर चलते हों रहनुमां/ कुर्सी के लिए गिरते-संभहलते हों रहनुमां/ गिरगिट की तरह रंग बदलते हों रहनुमां/ टुकडों पे जमाखोर के पलते हों रहनुमां/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का/ जब खुद को कोई मुल्क की तकदीर समझ ले/ हर शय को अपने ख्वाब की ताबीर समझ ले/ अपना बयान वेद की तहरीर समझ ले/ जन-गण को खानदान की जागीर समझ ले/ जनता को हक है हाथ में हथियार उठाने का...'

अदम से वर्ष 1974 के आसपास अपनी पहली मुलाकात को टीकमदत्त जी याद करते हुए कहते हैं कि अदम कविता सुनाने में संकोच कर रहे थे, बड़ी मनुहार करने के बाद एक कविता सुनाई, 'शोलों जैसी आंच आ रही है पीपल की छांव में,/ सिवा भूख और बेकारी के क्या रखा है गांव में./ खिन्नमना यक्षणी यहीं है कविवर कालीदास की,/ बंधुवा हो गया आज कनैहिया प्रजातंत्र की छांव में...'

अदम का जीवन आर्थिक संकट में बीता. मौत के वक्त कर्जदारी थी, लेकिन अदम की इन तमाम मुश्किलों को जनता की समस्याओं से अलग करके नहीं समझा जा सकता है और न ही समझा जाना चाहिए. वे आम जनमानस की मुसीबतों को जी रहे थे और उन्हीं के बीच रहकर उनकी बेजुबान हकीकत को शब्द दे रहे थे.

वास्तव में अदम अपने या अपने परिवार के लिए किसी विशेषाधिकार (चर्चित कवि होने के नाते) या विशेष आर्थिक सुरक्षा के लिए चिंतित होते तो शायद यह न लिखते- 'मेरी खुदूदारी ने अपना सिर झुकाया दो जगह,/ वो कोई मजलूम हो या साहिबे-किरदार हो.' या ये कैसे लिखते, 'आप कभी आयें गांव की चौपालों में/ मैं रहूं या न रहूं भूख मैजबां होगी...'

शोषण, अन्याय, गैर-बराबरी के विरुद्ध विगुल फूंकने वाले अदम आमजुबान में आमजन के कवि के रूप में हमारी चेतना को ताकत देते रहेंगे.ऋषि कुमार सिंह युवा पत्रकार हैं.


S.r. Darapuri shared Dhruv Gupt's photo.

भिखारी ठाकुर : एक सच्चे जन कवि की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रधान्जली !

जयन्ती / भिखारी ठाकुर (18 दिसंबर) कहेले भिखारी नाई, सुन भोजपुरिया भाई ! भोजपुरी माटी और भोजपुरी अस्मिता के प्रतीक भिखारी ठाकुर भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाते हैं। अपनी जमीन और अपनी जमीन की सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं तथा राग-विराग की जितनी समझ भिखारी ठाकुर को थी, उतनी किसी अन्य किसी भोजपुरी कवि में दुर्लभ है। बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर गांव में एक गरीब नाई परिवार में जन्मे भिखारी ठाकुर को नाम मात्र की स्कूली शिक्षा प्राप्त हुई। किशोरावस्था में ही रोजगार की तलाश में वे खडगपुर और फिर जगन्नाथपुरी गए जहां साथियों के बीच गायकी का ऐसा चस्का लगा कि सब छोड़ छाड़कर घर लौटे आए। गाँव में दोस्तों के साथ उन्होंने रामलीला मंडली बनाई। रामलीला में सफलता मिली तो खुद नाटक और गीत लिखने और उन्हें मंचित करने लगे। नाटकों में सीधी-सादी लोकभाषा में गांव-गंवई की सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं होती थीं जिनसे लोग सरलता से जुड़ जाते थे। लोक संगीत इन नाटकों की जान होती थी। फूहड़ता का कहीं नामोनिशान नहीं। 'विदेसिया' आज भी उनका सबसे लोकप्रिय नाटक है जिसमें एक ऐसी पत्नी की विरह-व्यथा है जिसका मजदूर पति रोजी कमाने शहर गया और किसी दूसरी स्त्री का हो गया। जिन अन्य नाटकों की उन्होंने रचना की, वे हैं - गबरघिचोर, भाई विरोध, बेटीबेचवा, कलयुग प्रेम, विधवा विलाप, गंगा अस्नान, ननद-भौजाई संवाद, पुत्र-वध, राधेश्याम बहार और द्रौपदी पुकार। उनकी नाटक मंडली का यश पहले बिहार और फिर देश के बाहर उन-उन जगहों पर पहुंचा जहां बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग बसते थे। उनकी मंडली ने उत्तर भारत के शहरों के अलावा मारीशस, फीजी, केन्या, नेपाल, ब्रिटिश गुयाना, सूरीनाम, यूगांडा, सिंगापुर, म्यांमार, साउथ अफ्रीका, त्रिनिदाद आदि देशों की यात्राएं की और वहां बसे भारतीय मूल के लोगों को उनकी जड़ों से परिचित कराया। भोजपुरिया मिट्टी के लाल भिखारी ठाकुर की जयन्ती पर उन्हें हार्दिक श्रधांजलि, विदेसिया की कुछ पंक्तियों के साथ ! करिके गवनवा भवनवा में छोडि कर अपने परईलन पुरूबवा बलमुआ। अंखिया से दिन भर गिरे लोर ढर ढर बटिया जोहत दिन बितेला बलमुआ। गुलमा के नतिया आवेला जब रतिया तिल भर कल नाही परेला बलमुआ। का कईनी चूकवा कि छोडल मुलुकवा कहल ना दिलवा के हलिया बलमुआ। सांवली सुरतिया सालत बाटे छतिया में एको नाही पतिया भेजवल बलमुआ। घर में अकेले बानी ईश्वरजी राख पानी चढ़ल जवानी माटी मिलेला बलमुआ। ताक तानी चारू ओर पिया आके कर सोर लवटो अभागिन के भगिया बलमुआ। कहत 'भिखारी' नाई आस नइखे एको पाई हमरा से होखे के दीदार हो बलमुआ।

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Updated: Wed, 18 Dec 2013 08:30:00 GMT | By PTI

Nilekani meets KPCC chief, fuels speculation about political entry

The former Infosys CEO has been maintaining silence on reports about his political plans, which gained more currency after the KPCC reportedly shortlisted his name for Bangalore south

AP

Bangalore: Infosys co-founder and face of the Aadhar programme Nandan Nilekani on Tuesday met KPCC president G Parameshwara, amid rumours that he would contest the forthcoming Lok Sabha elections.

"Nandan Nilekani met me this morning (Tuesday) and shared his views... I have conveyed to him whatever I should as KPCC president," Karnataka PCC chief G Parameshwara said.

After demitting office as CEO of Infosys in 2007, the billionaire former software czar had taken charge as head of the Unique Identification Authority of India, mandated to give a billion Indians an identity card, an ambitious programme touted as a showpiece of its achievements by the UPA.

Nilekani has been maintaining silence on reports about his political plans, which has gained more currency after the KPCC reportedly shortlisted his name among the three probable candidates for Bangalore south recently.

BJP national general secretary Ananth Kumar has maintained his winning streak from the middle-class centric Bangalore south, known for its antipathy towards the Congress since the late 1970s, which has returned him as MP five times.

"Let us see the next developments," Parameshwara told reporters after the 30-minute meeting with Nilekani in New Delhi.

Asked by a Kannada TV channel whether Nilekani had given indications about his interest to contest the 2014 Lok Sabha polls, Parameshwara said, "It appears so." Parameshwara said it would be a "good development if such people enter politics."


Wed, 18 Dec 2013 10:15:00 GMT | By AFP

US reviewing Indian diplomat's arrest

India has launched a series of reprisals against US diplomats in the country after last week's arrest of its deputy consul general


PTI

Washington: The United States is reviewing the circumstances surrounding the arrest in New York of an Indian diplomat, a US official said Tuesday, seeking to defuse a growing row with New Delhi.

India has launched a series of reprisals against US diplomats in the country after last week's arrest of its deputy consul general, Devyani Khobragade, which it denounced as "humiliating."

State Department deputy spokeswoman Marie Harf acknowledged it was a "sensitive issue" but insisted it was a "separate and isolated incident" which should not "be tied together" and allowed to affect broader close US-Indian ties.

"Thus far all indications are that appropriate procedures were followed. But nonetheless... we understand this is a very sensitive issue, and we're continuing to review exactly what transpired," Harf told journalists.

Khobragade was arrested after dropping her children off at school for allegedly underpaying her domestic helper, who is also an Indian national, and for lying on the helper's visa application form.

Harf confirmed that she had been arrested by the State Department's diplomatic security office, but had then been handed to local law enforcement officials and the US Marshal service which had been responsible for processing her case at the federal courthouse.

Harf could not confirm reports that Khobragade had been strip searched as part of the proceedings, saying the reason for the review was to find out exactly what happened.

In the escalating row over the arrest, the Indian government Tuesday ordered a range of measures including the return of identity cards for US consular officials that speed up travel into and through India, Indian foreign ministry sources said.

Indian security forces also removed barricades outside the US embassy in New Delhi, raising fears for the safety of personnel.

Harf urged the Indian government to uphold all its obligations to protect US diplomats in the country.

"Obviously the safety and security of our diplomats and consular officers in the field is a top priority. We'll continue to work with India to ensure that all of our diplomats and consular officers are being afforded full rights and protections," she said.

Harf also revealed that the State Department had written to the Indian embassy back in September to warn them "of allegations of abuse made by an Indian national against the deputy consular general of India in New York."

The case is the latest involving alleged mistreatment of domestic workers by wealthy Indian families. Many are poorly paid in India and rights groups regularly report cases of beating and other abuse.

Harf said in an earlier statement that while it was a US "law enforcement issue" which will have to go through the official channels, "we will continue to work this issue with India in the spirit of partnership and cooperation that marks our broad bilateral relationship."

"The United States and India enjoy a broad and deep friendship, and this isolated episode is not indicative of the close and mutually respectful ties we share," she added.

Tue, 17 Dec 2013 21:45:00 GMT | By IANS

Tough-talking India retaliates diplomatically against envoy's humiliation

India has sought to take steps that include withdrawing all airport access passes for consular officials in a move that is being seen to send a stern message to the US authorities over the Devyani Khobragade incident

AFP

New Delhi: A new tough-talking India Tuesday upped the ante against the US and sought an "unconditional apology" over the arrest and humiliating strip-search of its ranking diplomat Devyani Khobragade in New York and also took a slew of steps to pare down the privileges of American diplomats here in a retaliatory measure.

Describing the treatment of Khobragade as "barbaric and despicable", India sent a formal communication to the US asking its diplomats in the embassy and four consulates to surrender their Diplomatic Identity Cards issued to them and their families.

They would be treated as equivalent to Indian diplomats in US consulates, in effect, being deprived of numerous diplomatic privileges they enjoy in India. There are two international conventions that govern diplomatic relations between countries, one the Vienna Convention on Diplomatic Relations and the other the Vienna Convention on Consular Relations (see IANS sidebar).

India has withdrawn all airport access passes for consular officials and import clearances for the embassy. This helped them to import liquor without paying customs fees.

The airport pass helped US diplomats and their families to enter the airport without security checks. They would now be required to request for airport passes each time they take a flight, said officials. Indian consulate staff in the US are not given airport passes.

According to informed sources, India could also consider taking action against gay US diplomats who bring along their same-sex partners as homosexuality has now been criminalised by the Supreme Court (see IANS story).

Parliamentary Affairs Minister Kamal Nath, asserting that India was not a "Banana republic", said the US should tender an "unconditional apology" to India over the public humiliation of its diplomat and that "more steps need to be taken to awaken the US (because) it's (now) a changed world".

Sending a clear message of its anger, Congress vice president Rahul Gandhi and union Home Minister Sushilkumar Shinde Tuesday declined to meet a US Congressional delegation. On Monday, Lok Sabha Speaker Meira Kumar and National Security Advisor Shivshankar Menon had cancelled their meetings with the four-member US delegation of Democrat and Republican lawmakers.

BJP's prime ministerial candidate Narendra Modi too declined to meet the US team.

Khobragade, India's deputy consul general in New York, was charged last week with visa fraud and making false statements for seeking residence and employing her Indian housemaid.

The 39-year-old diplomat was strip-searched, confined in a cell with drug addicts and also subjected to DNA swabbing, sources confirmed to IANS.

The NSA described the treatment meted out to her as "despicable" and "barbaric". External Affairs Minister Salman Khurshid said India has expressed "deep distress and sense of disquiet" over the incident.

Khobragade's father Tuesday met Shinde and requested that UPA chairperson Sonia Gandhi to intervene in the matter. "It is the government who has send my daughter. It is a political issue between these two countries and my daughter is being made a scapegoat," Devyani's father Uttam Khobragade, a former bureaucrat, said here.

India is also seeking details of the salaries paid to Indian staff employed in the US consulates, including those working as domestic helps with the families of American officials. The government has also asked for salary details of teachers at US schools here to see if they are paying tax.

Khobragade was charged with paying lower salary - in comparison to US standards - to the Indian help she had taken along. She was accused by Manhattan's Indian American US Attorney Preet Bharara of visa fraud and exploiting her babysitter and housekeeper. She was handcuffed in public by law enforcement authorities in New York last Thursday while she was dropping her daughter at school.

Khobragade was covered under the Vienna Convention for consular staff, which did not carry the same privileges as for embassy diplomats.



देवयानी को निर्वस्त्र कर तलाशी ली थी

अमरीकी पुलिस का कहना है कि वीज़ा नियमों में धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार भारतीय राजनयिक को निर्वस्त्र करके तलाशी ली गई और उनके साथ वही बर्ताव किया गया जो किसी और क़ैदी के साथ किया जाता है.

अमरीकी विदेश विभाग ने भारतीय राजनयिक की गिरफ़्तारी की पूरी प्रक्रिया की जाँच के आदेश दिए हैं.

अपराधियों को अदालत तक ले जाने के लिए ज़िम्मेदार अमरीकी मार्शल सर्विस का कहना है कि देवयानी खोबरागड़े के साथ कोई अलग व्यवहार नहीं किया गया. उनके साथ वही तलाशी प्रक्रिया अपनाई गई जो हर क़ैदी पर लागू होती है.

खोबरागड़े के वकील डैनियल आर्शैक ने बताया कि जिस तरह तलाशी ली गई वो शर्मनाक है.

उनका कहना था, "अमरीकी मार्शल सर्विस के लिए अपराधियों की इस तरह की तलाशी असामान्य नहीं है लेकिन एक राजनयिक के साथ इस तरह का व्यवहार विएना समझौते का उल्लंघन है."

न्यूयॉर्क की उप वाणिज्य दूत को जिस तरह से हथकड़ी लगाकर गिरफ़्तार किया और जिस तरह से उनकी तलाशी ली गई उस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है.

जांच

अमरीकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मैरी हार्फ़ का कहना है कि फ़िलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं जो गिरफ़्तारी के बाद नियमों की अवहेलना की ओर इशारा करें.

लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरी प्रक्रिया की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

भारत ने अपनी नाराज़गी प्रकट करते हुए दिल्ली में अमरीकी दूतावास के बाहर लगे सुरक्षा नाकों को हटा दिया है और साथ ही अमरीकी वाणिज्य दूतों को दिए जानेवाले विशेषाधिकारों को भी वापस लेने का एलान किया है.

विदेश विभाग की प्रवक्ता ने भारत सरकार से अपील की है कि विएना समझौते के तहत अमरीकी राजनयिकों को सुरक्षा देने की ज़िम्मेदारी को पूरी तरह से निभाया जाए.

उनका कहना था कि राजनयिकों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है और अमरीका भारत के साथ अपने राजनयिकों और वाणिज्य दूतों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए बातचीत जारी रखेगा.

उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों में भारत और अमरीका के उच्च राजनयिकों की कई बार बैठक हो चुकी है और इस मामले का हल निकालने की कोशिश की जा रही है.

लेकिन उनका कहना था कि ये क़ाऩूनी मामला है और उसकी एक अपनी प्रक्रिया होती है.

नई दिल्ली में अमरीकी दूतावास

मैरी हार्फ़ का कहना था कि वाणिज़्य दूतों को गिरफ़्तारी से माफ़ी तभी मिलती है अगर वो मामला उनके सरकारी काम से जुड़ा हो.

उल्लंघन

उन्होंने बताया कि विदेश विभाग ने भारत सरकार को सितंबर में ही इस बात से अवगत कराया था कि न्यूयॉर्क स्थित उप वाणिज्य दूत के ख़िलाफ़ एक भारतीय नागरिक ने ही शोषण का आरोप लगाया है.

उप वाणिज्य दूत खोबरागड़े पर आरोप है कि उन्होंने अपने घरेलू सहायक के वीज़ा आवेदन में ग़लत दस्तावेज़ पेश करवाए और जानबूझ कर ग़लत जानकारी पेश करके वीज़ा हासिल किया.

अमरीकी विदेश विभाग की तरफ़ से अदालत में पेश दस्तावेज़ के अनुसार 2012 में इस सहायक के लिए वीज़ा हासिल करने के लिए जो दस्तावेज़ पेश किए गए उनमें कहा गया कि उसे अमरीकी क़ानून के अनुसार 4500 डॉलर वेतन दिया जाएगा लेकिन असलियत में उसे 600 डॉलर से भी कम वेतन दिया जाता था.

खोबरागड़े पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अमरीकी क़ानून के तहत कामगारों को दी जानेवाली दूसरी सुविधाओं का भी उल्लंघन किया.

उनपर वीज़ा धोखाधड़ी और ग़लत बयान देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है और अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो पहले आरोप के तहत दस साल और दूसरे आरोप में पांच साल की सज़ा हो सकती है.

अमरीका में इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी.

(बीबीसी के लिए बृजेश उपाध्याय)



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देवयानी प्रकरण .. अमेरिका ..खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे


-हरेश कुमार||

अमेरिका में भारत के उप वाणिज्य दूत, देवयानी खोबरागड़े के साथ जिस तरह का दुर्व्यवहार किया गया, उससे साफ-साफ संकेत मिलता है कि यह सब पूर्व-नियोजित था। तभी अमेरिका, भारतीय कर्मचारियों के साथ अपनी भड़ास निकाल रहा है। क्या आईटी कंपनियों में कार्यरत लोगों को इतना ही पैसा दिया जा रहा है जितना कि उनसे वादा किया गया य़ा, जबकि उन्हें तो अब वीजा नियमों के नाम पर सताया जाने लगा है। यब सबको पता है कि अमेरिका का आईटी उद्योग भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की बदौलत ही चल रहा है।

अपने हथियारों की बिक्री कम होने और ईरान के परमाणु मसले पर भारत का आंख मूंदकर समर्थन हासिल ना करने के कारण अमेरिका खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे पर उतर आया है। वैसे भी यह कोई पहला मौका नहीं है, जब अमेरिका ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल से ऐसा किया हो। हां, इस बार मामला महिला कर्मचारी का है और यह हद से गुजर चुका है। इसी अमेरिकियों ने भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री, जॉर्ज फर्नांडीस की तलाशी ली थी, उस समय भी काफी हंगामा हुआ था, लेकिन इसे दबा दिया गया था। फिर पूर्व राष्ट्रपति, एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब उनके कपड़े उतारकर तलाशी ली गई थी। उसके बाद, बॉलीवुड फिल्मों के शहंशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान के साथ भी ऐसा ही बर्ताब हुआ था। अभी साल भर भी नहीं हुआ होगा जब उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव के नेतृत्व में वहां गया था तो आजम खां के साथ भी ऐसा हुआ था, जिसके कारण सारा प्रतिनिधिमंडल अपने कार्यक्रम को रद्द करके बीच में ही वापस आ गया था।

यह सही है कि 9/11 के हमले के बाद से अमेरिका ने अपने यहां सुरक्षा नियम कड़े कर दिए हैं और ऐसा होना लाजिमी था, लेकिन किसी देश के राजनयिक और जाने-माने लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार क्या दर्शाता है। यह अमेरिका अच्छी तरह जानता है! आज अमेरिकियों को लगता है कि वह जिस तरह चाहेगा विश्व को अपने इशारों पर नचा लेगा तो यह उसकी अब तक की सबसे भयंकर भूलों में से एक हो सकती है। 1990 के दशक में ऐसा पल आया था जब सोवियत संघ के विघटन/टूटने से विश्व एक ध्रुवीय हो गया था, लेकिन अब रूस भी मजबूत स्थिति में आ चुका है, हालांकि सोवियत रूस वाली स्थिति शायद ही कभी हो। चीन भी अमेरिका को आंखें दिखाता रहता है और वह उससे कभी टकराव नहीं मोलता है तो आखिर क्या कारण है कि भारत के साथ सदा इस तरह का व्यवहार अमेरिका प्रशासन करता है। पाकिस्तान के साथ वही अमेरिकी प्रशासन दोगला रवैया अपनाता है। जबकि उसे पूरी सच्चाई मालूम है कि विश्व में कहीं भी आतंकी हमला हो, उसमें पाकिस्तानी तत्व निश्चित तौर पर पाये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है, लेकिन अमेरिका को यह सब दिखता नहीं है क्योंकि पाकिस्तान और सउदी अरब जैसे देश उसके लिए मुस्लिम मुल्कों में पहुंचने का आधार है। परमाणु बम के नाम पर पहले इराक फिर अफगानिस्तान जैसे देश को अमेरिकियों के दखलअंदाजी कारण ही तबाही का सामना करना पड़ा है।

मौजूदा दौर में लीबिया, सीरिया, मिस्र जैसे देशों में आई अरब क्रांति के पीछे अमेरिका का खुले आम समर्थन है। हां, यह सच है कि इन देशों तानाशाही शासन थे या हैं लेकिन अमेरिका यहां के निवासियों को उनके कुशासन से मुक्ति नहीं चाहता, अगर चाहता तो सउदी अरब जैसे देश में पहले क्रांति आती। सउदी अरब के शासक उसके अनुसार चलते हैं, सो वहां उसे कुछ दिखता नहीं है। उसकी नजर तो तेल और खनिज संपदा से भरपूर इन क्षेत्रों का अपने लाभ के लिए दोहन करना है और वह ऐसा करता भी रहा है। पहले तानाशाही के शासन के दौरान भी और अब उनके खात्मे के बाद भी। भारत को अमेरिका के इस तरह के रवैये का डटकर विरोध करना चाहिए और उसके राजनयिकों के साथ भी अगर यहां इसी तरह का व्यवहार हो तो शायद अक्ल ठिकाने आ जाये, जो सातवें आसमान पर है। अब वो भारत ना रहा जिसे आप सदा आंखें तरेरते रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी मजबूत अर्थव्यवस्था में से है और आज की स्थिति में भारत की अनदेखी शायद ही कोई देश ज्यादा दिनों तक कर पायेगा। आज ना तो अमेरिका में इतनी कूबत है कि वह भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है और ना ही हथियारों का प्रतिबंध। एक से एक देश हैं जो भारत से साथ तकनीक से लेकर आर्थिक सहयोग के लिए मुंह बाये खड़े हैं। आज की स्थिति तो ऐसी है कि खुद अमेरिका में बरोजगारी, महंगाई अपने चरम पर है और वहां की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है जिसका एक प्रमुख कारण अमेरिकी हथियारों की बिक्री कम होना भी है। अमेरिका और पश्चिम जगत में आये दिन भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें आती रहती हैं। यहां तक कि पश्चिमी मुल्कों में दाढ़ी रखने या पगड़ी बांधने के कारण कई भारतीयों को अपनी जान गंवानी पड़ी है और वहां की सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेती है, जिसके कारण आए दिन ऐसे हादसों में किसी ना किसी भारतीय को अपनी जान गंवानी पड़ती है। भारत के सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियों ने अमेरिका के द्वारा भारतीय उप वाणिज्य दूत, देवयानी खोबरागड़े के साथ इस तरह के व्यवहार पर ना सिर्फ चिंता जताई है बल्कि वहां से आये प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर उसे कड़ा संदेश भी दिया है। यहां तक कि नईदिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित अमेरिकी दूतावास से पुलिस सुरक्षा हटा ली गई है और अमेरिका दूतावास में कार्यरत कर्मचारियों का वीजा रद्द करते हुए उन्हें अपना पासपोर्ट जमा कराने को कहा गया है। उनकी सारी सुविधायें रद्द कर दी गई हैं, उनके कर्मचारियों को कितना वेतन दिया जाता है, इसकी भी जानकारी देने को कहा गया है। सभी दलों के नेताओं ने एकसुर से इस घटना की घोर निंदा की है।

देवयानी के साथ इस तरह का व्यवहार अमेरिका के दुस्साहस को ही दिखाता है और उपर से हेंकड़ी तो देखिए कि वहां का प्रशासन इसे अपनी गलती मानने तक को तैयार नहीं। देवयानी को उस समय हथकड़ी लगाई गई जब वो अपनी लड़की को लाने उसके स्कूल गई थी और उन्हें ना सिर्फ नंगा करके तलाशी ली गई बल्कि हार्डकोर अपराधियों के साथ उनके सेल में रखा गया। हमारे देश को चाहिए कि अगर अमेरिका का प्रशासन बिना शर्त इस पर माफी नहीं मांगता है तो हमें उससे अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि हम हर बार नंगे होने के लिए वहां क्यों जाते हैं। जब हमारे पास दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा मौजूद है तो उसे दूसरे देशों में क्यों काम करने जाना होता है। यहां क्यों नहीं उन्हें उचित अवसर प्रदान किए जाते हैं। हमें अपनी कमियों को जल्द से जल्द दुरुस्त करना होगा और जितना हो सके, नौकरशाही और राजनीतिज्ञों के दखल को कम करना होगा। प्रतिभा को उनका सम्मान देना ही होगा, वरना ये दूसरे देशों में ही जाते रहेंगे। आजादी के बाद से हम अपने देश में अच्छे शिक्षा संस्थान विकसित नहीं कर सके हैं। जो शिक्षा संस्थान थे भी उनका कबारा कर दिया है, हमारे राजनेताओं और उनकी मिलीभगत से शिक्षा के ठेकेदारों ने। यहां शिक्षा एक व्यवसाय हो चुका है, जहां गरीबों के बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सिर्फ कागजों में उपलब्ध है। जिसे जिंदगी के लिए मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है, उसे शिक्षा कहां से मिल पायेगी, यह लाख टके का सवाल है। देश का काला धन, राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों के सहयोग से प्रतिवर्ष विदेशों में जमा होता है और अगर उसी का सही उपयोग हो जाये तो भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस युग में अब कोई भी सूचना छुपाना किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है या यूं कहिए कि नामुमकिन है।

साधारण सी बात है सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले करोड़ों लोगों को आप नहीं खरीद सकते, चाहे आपके पास कितनी भी पूंजी क्यों ना हो? सभी भारतीय एक सुर से इस घटना की तीव्र निंदा करते हैं और इस घटना के प्रति जिम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हैं तथा इसके साथ ही हम चाहते हैं कि अमेरिकी प्रशासन बिना शर्त माफी मांगे। यह सब पूर्वनियोजित कार्यक्रम है, किसी भी राजनयिक को सार्वजनिक तौर पर इस तरह से हथकड़ी लगाना और दुर्व्यवहार करना। जबकि सबको पता है कि उसी अमेरिकी में भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमले के मुख्य आरोपियों में से एक डेविड हेडली उसकी हिरासत में मौजूद है, लेकिन उसने भारत को सौंपने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसके साथी पाकिस्तान की कलई खुल जाती। 1984 में भोपाल गैस रिसाव कांड के दोषी अमेरिका का ही है और क्या अभी तक उसे कोई सजा हुई है। भारत का ही एक और आरोपी अमेरिका में है जो नेपाल के रास्ते अमेरिका बाग गया था और वह दोहरे जासूसी मे संलग्न था। इस तरह के कई मामले हैं। जिस पर अमेरिका को जवाब देना है। या तो भारत सरकार की नींद अचानक से खुली है या फिर नजदीक में चुनाव है औऱ सभी दलों को लगता है कि यह एक अच्छा और संवेदनशील मुद्दा हो सकता है, तो भगवान मालिक। क्योंकि राजनीतिज्ञों की नजर में भारतीयों की यही औकाद है, सिर्फ वोटर औऱ कुछ खास नहीं।



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Expert Views: RBI surprises by holding interest rates steady

in.reuters.com

NEW DELHI (Reuters) - The Reserve Bank of India (RBI) unexpectedly kept the country's policy interest rate on hold on Wednesday, despite calling current inflation too high, citing the prospect of easing

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देवयानी पर भारत के 'बदले' से बौखलाया अमेरिकी मीडिया

वॉशिंगटन

अमेरिका में भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोब्रागड़े की गिरफ्तारी और बदसलूकी पर भारत के कड़े कदमों से अमेरीकी मीडिया बौखलाया हुआ है। उसने भारत के इस कदम को बदला करार दिया है।


अमेरिकी अखबार 'द हिल' ने इसे 'बदले की कार्रवाई' बताया, जबकि 'न्यू यॉर्क टाइम्स' और 'द वॉशिंगटन टाइम्स' ने इसे 'प्रतिशोध' की कार्रवाई करार दिया। दूसरी मीडिया संस्थाओं का भी यही रुख रहा।


'फॉक्स न्यूज' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया, 'सहयोगी माने जाने वाले दो देशों के बीच झड़प न्यू यॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े की पिछले हफ्ते की गिरफ्तारी के बाद बहुत तेजी से बढ़ी। उन पर अपनी घरेलू सहायिका का वर्किंग वीजा हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप है।'


'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने कहा, 'भारत ने न्यू यॉर्क में अपनी एक राजनयिक की गिरफ्तारी का बदला नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के पास सड़कों पर सुरक्षा बैरियर हटाकर और अमेरिकी राजनयिक अधिकारियों को दिए गए कुछ विशेषाधिकार रद्द करके लिया।'


'न्यू यार्क टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने जिस तरह एक भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी की, उससे भारत में हंगामा हो गया। जहां तमाम राजनीतिक पार्टियों ने नाराजगी जताई और दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बैरियर हटाकर प्रतिशोध लिया, जो अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा के लिए था।'


'द हिल' ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पिछले हफ्ते न्यू यॉर्क में एक भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी के बाद बदले की कार्रवाई में भारत में अधिकारियों ने मंगलवार को नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा बैरियर हटा लिया।'


देवयानी से दुर्व्यवहार पर उबला भारत

नवभारतटाइम्स.कॉम | Dec 17, 2013, 03.40PM IST

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डिप्लोमैट की इन्सल्ट पर भारत-अमेरिका में तनातनी बढ़ीSee photo

नई दिल्ली/वॉशिंगटन


भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोब्रागड़े के साथ हुई बदसलूकी का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सख्ती बरतते हुए भारत ने नई दिल्ली स्थित यूएस एम्बेसी के सामने से सारे बैरिकेड हटा लेने के निर्देश दिए हैं। भारत ने यूएस एम्बेसी के लिए भेजे जाने वाले खाने, शराब आदि सब चीज़ों के क्लियरेंस रोक लिए हैं। साथ ही सरकार ने सारे डिप्लोमैटिक स्टाफ के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिये हैं। अमेरिकी कॉन्स्युलेट्स में कार्यरत भारतीय स्टाफ को दी जाने वाली सैलरी की डीटेल्स भी मांगी गई हैं।


इससे पहले अमेरिका में भारतीय डिप्लोमैट के साथ हुए दुर्व्यवहार पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सभी कार्यरत अमेरिकी डिप्लोमैट्स से अपने भारतीय आई कार्ड वापस करने के लिए कहा है। सूत्रों की मानें तो भारत में अमेरिकी डिप्लोमैट्स के अधिकारों पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है। भारत में अमेरिकी डिप्लोमैट्स को मिल रही इम्युनिटी के बारे में भी फिर से सोचा जा सकता है।


पढ़ें खबरः भारत के इन 6 कड़े कदमों से कूटनीतिक जगत सकते में


मंगलवार को बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अमेरिका से आए डेलिगेशन से मिलने से इनकार कर दिया।


इससे पहले सोमवार को कड़ा आक्रोश जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की यूएस कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात का कार्यक्रम कैंसिल कर दिया। भारत ने अमेरिका को इस बात से अवगत करा दिया है कि मुलाकात देवयानी के साथ हुए दुर्व्यवहार के कारण ही रद्द की गई। हालांकि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।


भारत का मानना है कि डिप्टी कौंसुल जनरल होने के नाते देवयानी को कुछ खास इम्युनिटीज़ मिलनी चाहिए थीं जो इस केस में उन्हें नहीं दी गईं। भारत ने देवयानी के वकील की इस दलील का भी समर्थन किया है कि अगर देवयानी का अपराध इतना ही गंभीर था, तो उन्हें दो घंटे बाद ही ज़मानत क्यों दे दी गई।


अमेरिका ने किया बचाव, कहा स्टैंडर्ड प्रैक्टिसेज अपनाई गईं


अमेरिका ने भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े के साथ जांच के दौरान हुई बदसुलूकी को लगभग जायज़ बताया और कहा कि उनकी जांच के दौरान स्टैंडर्ड प्रोसीजर ही फॉलो किया गया।


अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उप-प्रवक्ता मारी हर्फ ने यहां अपनी डेली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, 'डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी विदेश मंत्रालय के दायरे में है और उनकी (देवयानी की) गिरफ्तारी में उसने मानक प्रक्रियाओं का ही पालन किया।


मारी ने यह बात तब कही जब उनसे मीडिया की इन रिपोर्टों के बारे में पूछा गया कि क्या न्यू यॉर्क में भारत की 39 वर्षीय डिप्टी कौंसुल जनरल देवयानी खोबरागड़े की कपड़े उतार कर तलाशी ली गई और क्या गिरफ्तारी के बाद उन्हें नशेड़ियों के साथ रखा गया। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि देवयानी का डीएनए स्वाब लिया गया।


1999 बैच की आईएसएस अफसर, खोबरागड़े को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जा रही थीं। उन्हें वीज़ा फ्रॉड करने के आरोप में सरेआम हथकड़ी लगाई गई थी। कोर्ट में निर्दोष होने की गुहार लगाने के बाद उन्हें 250,000 यूएस डॉलर के बॉन्ड पर रिहा किया गया था।


मारी ने कहा, 'डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी के लोगों ने हमारी मानक प्रक्रियाओं का पालन किया जिसे मैं डिप्लोमैट्स के लिए मानक मान रही हूं क्योंकि हमारी डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी का काम ही डिप्लोमैट्स से डील करना है।


हालांकि, उन्होंने अमेरिकी मार्शलों द्वारा देवयानी के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी विभाग ने देवयानी को उन्हें सौंपा था।


हार्फ ने कहा कि विएना कन्वेंशन के तहत देवयानी को सिर्फ उन्हीं कार्यों में अदालत न जाने की छूट मिलती है जो कौंसुल संबंधी हैं। उन्होंने कहा, 'इम्युनिटी के कई प्रकार होते हैं। ऐसा सिर्फ अमेरिका में नहीं है, दुनिया के सभी देशों में है। इस केस में, वह विशेष प्रकार की इम्युनिटी के अंडर आती हैं और उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किये जा सकते हैं और पेंडिंग ट्रायल के लिए उन्हें अरेस्ट भी किया जा सकता है।'


भारत ने इस पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की है और विरोध जताते हुए लगभग सभी बड़े भारतीय नेताओं ने अमेरिकी डेलिगेशन से मिलने से भी इनकार कर दिया है। संसद ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है।


न्यूयॉर्क में महिला राजनयिक के साथ शर्मनाक व्यवहार, भारत ने किया पलटवार


Wednesday, 18 December 2013 09:00

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जनसत्ता ब्यूरो /भाषा

नई दिल्ली / अमदाबाद/ वाशिंगटन। न्यूयॉर्क में तैनात अपनी उप महावाणिज्य दूत देवयानी खोबरागडे की गिरफ्तारी और उनकी शर्मनाक जामा तलाशी पर भारत ने कड़ा एतराज जताने के साथ पहली बार अमेरिका को सबक सिखाने वाला कदम उठाया है।

राजनयिक के साथ कथित 'कानूनी' हरकत को बर्बर कार्रवाई बताते हुए सरकार ने मंगलवार को अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवारियों के विशेषाधिकार छीन लिए। साथ ही उनके सभी हवाईअड्डा पास वापस लेने और अमेरिकी दूतावास के लिए आयात मंजूरी रोकने सहित कई सख्त कदम उठाए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से इनकार कर भारत सरकार के रुख और देश की नाराजगी को जाहिर कर दिया। हालांकि अमेरिका ने भारतीय कार्रवाई पर अफसोस जताते हुए राजनयिक की गिरफ्तारी को मानक प्रक्रिया के तहत करार दिया है।

भारतीय राजनयिक से अमेरिकी में हुए अवांछनीय व्यवहार को लेकर सियासी हलकों में जबरदस्त नाराजगी जताई गई है। विपक्ष ने भी अमेरिका के रवैए की घोर निंदा की है। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि केंद्र ने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के सभी कर्मियों और उनके परिवार के लोगों को अपना परिचय-पत्र फौरन जमा करने को कहा है, जिन्हें अब उसी स्तर की सुविधाएं दी जाएंगी जो अमेरिका हमारे वाणिज्य दूतों को वहां मुहैया कराता है।

अमेरिकी स्कूलों में नियुक्त सभी शिक्षकों के वीजा और अन्य ब्योरे व इन स्कूलों में भारतीयों के वेतन, बैंक खाते की जानकारी के अलावा वाणिज्य दूतावासों में नियुक्त सभी भारतीय कर्मचारियों को भुगतान किए जाने वाले वेतन, दूतावास अधिकारियों और उनके घरेलू सहायकों को दिए जाने वाले वेतन जैसी अहम सूचनाए भी मांगी गई हैं। अमेरिकी अधिकारियों की कार्रवाई को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताते हुए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत ने अमेरिकी सरकार को गहरे दुख और चिंता से अवगत कराया है और जो कुछ भी किए जाने की जरूरत है, वह किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हमें इस मुद्दे के समाधान के लिए जो प्रभावी तरीका लगा, उसे शुरू  कर दिया है। साथ ही ऐसे कदम भी उठाए हैं जो उनकी मान-मर्यादा की खातिर उठाया जाना जरूरी है।  खुर्शीद ने कहा कि हम मित्र देशों से संबंधों में राजनयिक जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं। लेकिन हम इसमें शामिल मानवीय तत्व को लेकर अत्यधिक दुख भी महसूस कर रहे हैं। इसमें कुछ बड़े मुद्दे शामिल हैं और सरकार बाद में उनका निपटारा करेगी।  इस तरह का अपमान पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि जो कुछ भी किए जाने की दरकार है, किया जा रहा है। यह प्रक्रिया शुरू  हो गई है।

खास कदमों के अलावा सरकार ने अमेरिकी दूतावास को शराब सहित सभी आयात मंजूरी पर रोक लगा दी है। उधर कड़ी चौकसी का हक भी छीन लिया गया है और न्याय मार्ग पर स्थित अमेरिकी दूतावास के यातायात अवरोधकों को भी हटा लिया गया और सिर्फ चौकी रहने दी गई है। इससे पहले विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल को तलब किया था और इस सिलसिले में विरोध दर्ज कराया था।

इस मुद्दे को लेकर नेताओं और भारत सरकार के अधिकारियों में भी नाराजगी दिखी, जिन्होंने भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी कांग्रेस के शिष्टमंडल के साथ बैठक करने से इनकार कर दिया। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने देवयानी के साथ किए गए बरताव का विरोध जताते हुए अमेरिकी दल के साथ अपनी बैठक रद्द कर दी। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इसी वजह को लेकर सोमवार को अमेरिकी कांग्रेस के शिष्टमंडल के साथ अपनी बैठक रद्द कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने भी संभवतया इसी वजह से पांच सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक नहीं की, जबकि उनकी बैठक का कार्यक्रम था।

राजनयिक मुद्दे पर अपना विरोध जताने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया, वहीं भाजपा ने इस शर्मनाक बरताव के लिए अमेरिका को जम कर कोसा। सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ राहुल गांधी की सोमवार को एक बैठक होनी थी। लेकिन राहुल नहीं मिले, क्योंकि वे भारतीय राजनयिक के साथ अमेरिका में हुए गलत व्यवहार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराना चाहते थे।

इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा है कि भारत से 'बनाना रिपब्लिक' की तरह बरताव नहीं किया जा सकता और अमेरिका को भारतीय राजनयिक देवयानी की न्यूयॉर्क में हुई गिरफ्तारी और जामा तलाशी के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए । देवयानी की गिरफ्तारी और जामा तलाशी की घटना के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई की सराहना करते हुए कमलनाथ ने कहा कि अमेरिका को अपने दिमाग से यह बात निकाल देनी चाहिए कि दुनिया में अब भी 'बनाना रिपब्लिक' (अस्थिर गणराज्य ) हैं।

राजनीतिक दलों की ओर से अमेरिकी पुलिस की कार्रवाई की निंदा के बीच कमलनाथ ने कहा, अमेरिका और अन्य देशों को दूसरे देशों की गरिमा को मानना

चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। वे दूसरे देशों से इस तरह का बरताव नहीं कर सकते। केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारतीय राजनयिक के साथ हुई घटना महज दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देना इसे मामूली तरीके से पेश करने की तरह होगा। इस घटना की निंदा की जानी चाहिए ।

कमलनाथ ने कहा कि उनका मानना है कि इस मामले में जब तक अमेरिका बिना शर्त माफी नहीं मांगता तब तक ऐसे कदम उठाए जाते रहने चाहिए । उन्होंने कहा, 'अमेरिका को जागने की जरूरत है। उसे समझना चाहिए कि दुनिया बदल गई है। मेरा मानना है कि यह संदेश देने में भारत को अन्य देशों की अगुवाई करनी चाहिए ताकि अमेरिका को बात समझ में आ सके ।'

उधर भाजपा ने देवयानी के साथ न्यूयॉर्क में शर्मनाक और बर्बर व्यवहार के लिए अमेरिका की भर्त्सना करते हुए सरकार से कहा कि वह अमेरिका के साथ यह मसला पूरी मजबूती से उठाए। भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय राजनयिक के साथ जो बरताव हुआ, वह भारत और अमेरिका की दोस्ती के उस पैमाने पर खरा नहीं उतरता, जिसका दावा सरकार करती है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह उनके हाथ बांधकर उन्हें गिरफ्तार किया गया, थाने में नशाखोर अभियुक्तों के साथ रखा गया और जामा तलाशी ली गई, वह निंदनीय और अफसोसनाक है। यह संधियों और परंपराओं का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसा बरताव अमेरिका की आदत में शुमार है। पहले भी भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति के साथ बेजा व्यवहार किया गया। लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए नेताओं को वीजा नहीं दिया गया और अब हमारे राजनयिक के साथ ऐसा बरताव किया गया। भाजपा नेता और पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी इस अमेरिकी कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा कि समलैंगिक यौन संबंध के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद सरकार को भारत में अमेरिकी राजनयिकों के समलैंगिक साथियों को दंडित करना चाहिए।

सिन्हा ने कहा कि मीडिया में खबर है कि हमने अमेरिकी राजनयिकों के कई साथियों को वीजा जारी किया है। 'साथी' (कंपेनियन्स) का मतलब यह हुआ कि वे समान लिंग के हैं। अब आला अदालत के फैसले के बाद हमारे देश में यह पूरी तरह से अवैध है, जैसे कि अमेरिका में कम वेतन देना अवैध है। उन्होंने कहा, इसलिए क्यों नहीं भारत सरकार आगे बढ़ती है और उन्हें गिरफ्तार करती कर के सजा देती है।

दूसरी ओर देवयानी के पिता ने मंगलवार को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की जिन्हें सरकार के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया गया। शिंदे ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है, पूरी सरकार आपके साथ है। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया जाए। जो कुछ हुआ, वह बेहद गलत है और वे तो अपना सरकारी दायित्व निभा रही थीं।

गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि राजनयिकों के संबंध में आचार संहिता है और सभी देशों को इसका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात से इनकार कर दिया था और विदेश मंत्री ने भी प्रतिनिधिमंडल को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया था।

इस बीच राजनयिक मसले पर अमेरिका के खिलाफ विरोध जताने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया। मोदी ने ट्वीट किया, अमेरिका में हमारी महिला राजनयिक के साथ हुए गलत व्यवहार पर विरोध जताने के लिए , राष्ट्र की एकता के साथ रहते हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस सदस्य जॉर्ज होल्डिंग (रिपब्लिकन-उत्तरी कोरोलीना), पेटे ऑल्सन (रिपब्लिकन-टैक्सास), डेविड श्वीकर्ट (रिपब्लिकन-एरीजोना), रॉबर्ट वूडाल (रिपब्लिकन-जॉर्जिया) और मेडेलीन बोर्डेलो (डेमोक्रेट-गुआम) को मोदी से मुलाकात करनी थी। हालांकि यह मालूम नहीं हो सका है कि उनकी यह बैठक कब तय की गई थी।

वाशिंगटन से मिली खबर के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता मारी हर्फ ने यहां अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, राजनयिक सुरक्षा  विदेश मंत्रालय के दायरे में है और उनकी (देवयानी की) गिरफ्तारी में उसने मानक प्रक्रियाओं का पालन किया।

मारी ने यह बात तब कही जब उनसे मीडिया की इन खबरों के बारे में पूछा गया कि क्या न्यूयॉर्क में भारत की 39 वर्षीय वाणिज्य उप महादूत देवयानी की कपड़े उतार कर तलाशी ली गई और क्या गिरफ्तारी के बाद उन्हें नशेड़ियों के साथ रखा गया।

मीडिया की रपटों में यह भी कहा गया है कि देवयानी का डीएनए नमूना भी लिया गया।

मारी ने कहा, डिप्लोमेटिक सिक्योरिटी के लोगों ने हमारी मानक प्रक्रियाओं का पालन किया जिसे मैं मानक मान रही हूं क्योंकि ये वही हैं जिनसे हमारी डिप्लोमेटिक सिक्योरिटी का नाता रहता है। उन्होंने कहा कि राजनयिक रिश्तों पर वियना करार के तहत भारतीय वाणिज्य उप महादूत को सिर्फ राजनयिक कार्यों के संपादन के क्रम में की गई कार्रवाइयों में अमेरिकी अदालतों के कार्यक्षेत्र से छूट मिलती है। मारी ने कहा, वे अलग किस्म की छूट है। यह सिर्फ अमेरिका में नहीं है, यह दुनिया भर में है।




Wednesday, 18 December 2013 09:00

भारतीयों को अपमानित करना अमेरिका की पुरानी आदत

Wednesday, 18 December 2013 09:31

विवेक सक्सेना

नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा किसी भारतीय को अपमानित किए जाने का न तो यह  पहला मामला है और न ही अंतिम साबित होने वाला है। इससे पहले भी अमेरिका हमारे देश और यहां की विशिष्ट हस्तियों को अपमानित करता आया है। वह तो पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से लेकर इंदिरा गांधी तक को अपमानित करने से बाज नहीं आया था।

उप महावाणिज्य दूत देवयानी खोबरागडे को वीजा फर्जीवाड़ा के आरोप में पिछले हफ्ते गिरफ्तार कर न्यूयार्क में सरेआम उन्हें हथकड़ी पहना दी गई थी। इस घटना पर भारत ने कड़े तेवर अपनाए हैं।

बहरहाल अमेरिका द्वारा भारत को अपमानित करने की परंपरा काफी पुरानी है। जानकार बताते हैं कि जब इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री बनीं, उस समय देश अन्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। लगातार दो साल सूखा पड़ने के कारण फसलें बरबाद हो चुकी थीं। खाद्यान्न के भंडार लगभग खाली थे। इससे भी बड़ा संकट यह था कि देश के पास इतनी विदेशी मुद्रा भी नहीं थी कि वह उसका भुगतान कर गेहूं खरीद सके। ऐसे में अमेरिका भारत को 100 लाख टन पीएल 480 गेहूं देने का तैयार हो गया। इसका भुगतान रुपए में किया जाना था। इंदिरा गांधी इस सिलसिले में अमेरिका गईं और उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति लिंडन जानसन से मुलाकात की जो इसके लिए तैयार हो गए। इस बीच अमेरिका वियतनाम पर हमले तेज कर चुका था। जब उसने हनोेई पर बम बरसाए जिसमें नेपाम बमों के इस्तेमाल के कारण बड़ी संख्या में बच्चे तक जिंदा जल कर मरे तो पूरी दुनिया में उसके इस कदम की निंदा शुरू हो गई। भारत ने भी उसके इस कदम को गलत बताया। इससे अमेरिका नाराज हो गया। उसने भारत से जवाब-तलब कर डाला। उसे बताया गया कि हमने भी वही कहा है जो कि संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल और पोप ने कहा है। इस पर दो टूक शब्दों में लिंडन जानसन ने कहा कि पर वे दोनों हमसे आपकी तरह गेहूं नहीं ले रहे हैं।

उनके इस जवाब से भारत ने खुद को बेहद अपमानित महसूस किया। देश में यह मांग जोर पकड़ने लगी कि गेहूं का आयात बंद कर देना चाहिए। बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने पार्टी के अंदर चल रही इस कश्मकश पर चर्चा करने के लिए कुछ वरिष्ठ नेताओं से बात की। उनसे कहा कि अगर हम ऐसा करते हैं तो इससे उन लोगों पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा जो आयात पर रोक लगवाना चाहते हैं पर उन गरीबों के बारे में तो सोचिए जो गेहूं के अभाव में भूखे मर जाएंगे। आयात जारी रहा पर अमेरिका ने रूला दिया। उसकी आपूर्ति जब तब रोकता रहा।

पूर्व राष्ट्रपति डा कलाम को तो अमेरिका में ही नहीं भारत में भी सुरक्षा जांच के नाम पर अपमानित किया गया। जब  वे 2009 में न्यूयार्क गए तो यह जानते हुए भी कि वे पूर्व राष्ट्रपति हैं, सारे नियम कानूनों को ताक पर रख कर सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी जामा तलाशी ली। उनके जूते तक उतरवा कर देखे गए। वे लोग यह देख रहे थे कि कहीं डा कलाम अपने साथ कोेई विस्फोटक तो लेकर नहीं आए हैं। उनके साथ ऐसा ही बर्ताव दिल्ली में तब हुआ, जब वे अमेरिकन एअर लाइंस से सफर करने वाले थे। इस एअरलाइंस के स्टाफ ने उनकी तलाशी ली।

जार्ज फर्नांडीज को देश का रक्षा मंत्री होते हुए भी इस अपमान का सामना करना पड़ा। वाशिंगटन के डलास हवाई अड्डे पर उनके कपड़े तक उतरवा लिए गए। तत्कालीन अमेरिकी विदेश उपमंत्री स्ट्रैब टालबोट ने अपनी पुस्तक में इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि जब हम भारतीय रक्षा मंत्री को विदाई दे रहे थे तो हमारी टीम के एक सदस्य ने उनसे पूछा कि अब आप दोबारा कब आएंगे। इस पर जार्ज ने अपने साथ घटी घटना का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या मुझे दोबारा आना चाहिए। हांलाकि वे दोबारा अमेरिका गए और तलाशी भी दी।

फिल्म अभिनेता शाहरूख खान को 2001 में महज अपने मुसलिम नाम के कारण रोक लिया गया था। इससे ज्यादा विडंबना क्या होगी कि वे उस समय 11 सितंबर की अमेरिका की आतंकी घटना के बाद बनी अपनी फिल्म माई नेम इज खान के प्रमोशन के लिए वहां गए थे। उनसे हवाई अड्डे पर एक घंटे तक पूछताछ चलती रही। उनेक साथ दोबारा भी ऐसी ही घटना तब घटी, जब वे 2009 में येल विश्वविद्यालय में नीता अंबानी के साथ उनके विमान से भाषण देने के लिए न्यूयार्क हवाई अड्डे पहुंचे।  उनसे फिर लंबी पूछताछ की गई क्योंकि उनके नाम किसी आतंकवादी के नाम से मिलता-जुलता था।

वहां के सुरक्षा अफसर किस स्तर पर जाकर भारतीय राजनयिकों की अपमानित करते हैं, इसका उदाहरण दिसंबर 2010 में तब देखने को मिला जब मिसीसिपी हवाई अड्डे पर तत्कालीन भारतीय राजदूत मीरा शंकर की सिर्फ इसलिए तलाशी ले ली गई क्योंकि वे भारतीय पहनावा साड़ी पहने हुई थीं। तलाशी लेते समय उनके शरीर को थपथपा कर अपमानित किया गया। वे किसी कार्यक्रम में भाषण देने के लिए आमंत्रित की गई थीं और उनके पास राजनयिक पासपोर्ट भी था। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजनयिक रहते हुए हरदीप पुरी को आधे घंटे तक हवाई अड्डे पर महज इस लिए रोक कर रखा गया क्योंकि उन्होने अपनी पगड़ी उतारने से मना कर दिया था।

प्रफुल्ल पटेल को तो मंत्री रहते हुए इस अपमान को झेलना पड़ा। वे नागरिक विमानन मंत्री की हैसियत से सितंबर 2010 में शिकागो गए थे। संयोग से अमेरिका द्वारा वांछित लोगों की सूची में एक का नाम उन जैसा ही था। उनके मंत्री होने की पूर्व सूचना होने के बाद भी उनसे लंबी पूछताछ की गई। उत्तर प्रदेश के जाने माने मंत्री आजम खान को भी अपने नाम के कारण ही तलाशी व पूछताछ का कार्रवाई से अपमानित होना पड़ा था। वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हारवर्ड में महाकुंभ पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किए गए थे। बोस्टन हवाई अड्डे पर की गई इस पूछताछ से वे इतना अपमानित महसूस करने लगे कि दोनो ने ही वहां कार्यक्रम में हिस्सा लेने की जगह वापस लौट आना बेहतर समझा।

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মার্কিন কূটনীতিকদের সুরক্ষা ও

সুবিধা ছেঁটে পাল্টা জবাব দিল্লির


সংবাদ সংস্থা • নয়াদিল্লি


*ভারতীয় কূটনীতিককে হেনস্থার পাল্টা পাটকেল দিতে শুরু করেছে ভারত। তার ফলে মঙ্গলবার থেকে এক ধাক্কায় অনেকটাই কমে গিয়েছে দিল্লিতে মার্কিন দূতাবাসের নিরাপত্তা বেষ্টনী। এত দিন মার্কিন কূটনীতিকরা যে সব সুযোগ-সুবিধা পেতেন, তারও অনেকগুলি তুলে নেওয়া হয়েছে। শুধু প্রশাসনিক ক্ষেত্রে নয়, রাজনৈতিক ভাবেও বার্তা দিয়ে মার্কিন প্রতিনিধিদলের সঙ্গে বৈঠক বাতিল করেছেন রাহুল গাঁধী থেকে নরেন্দ্র মোদী, সকলেই। আমেরিকার মতো প্রবল প্রতিপত্তিশালী দেশের বিরুদ্ধে ভারতের এমন কঠোর অবস্থান রীতিমতো বিরল ঘটনা। কূটনীতিকদের কেউ কেউ বলছেন, এর ফলে দিল্লির সঙ্গে ওয়াশিংটনের সম্পর্ক কোথায় গিয়ে দাঁড়াবে, সেটাই বড় প্রশ্ন। কিন্তু দিল্লির রাজনৈতিক পরিমণ্ডলে অন্য কথা শোনা যাচ্ছে। সবিস্তার...
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তৎপর কেন্দ্র, তবু অনড় অশোক


নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি ও কলকাতা


এত দিন বিভিন্ন রাজনৈতিক দল তাঁর পদত্যাগ চেয়ে সংসদের ভিতরে-বাইরে সরব হয়েছে। এ বার আরও এক ধাপ এগিয়ে রাজ্য মানবাধিকার কমিশনের চেয়ারম্যান তথা সুপ্রিম কোর্টের প্রাক্তন বিচারপতি অশোক গঙ্গোপাধ্যায়ের বিরুদ্ধে ফৌজদারি মামলা শুরু করা সম্ভব কি না, তা খতিয়ে দেখতে শুরু করল কেন্দ্র। বিচারপতি গঙ্গোপাধ্যায়ের অপসারণ চেয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় রাষ্ট্রপতিকে যে দু'টি চিঠি লিখেছেন, তা রাষ্ট্রপতির অফিস থেকে স্বরাষ্ট্র মন্ত্রকে পাঠিয়ে দেওয়া হয়েছে। স্বরাষ্ট্র মন্ত্রক আবার চিঠি দু'টি কেন্দ্রীয় আইন মন্ত্রকের কাছে পাঠিয়ে বিচারপতি গঙ্গোপাধ্যায়ের বিরুদ্ধে কী ব্যবস্থা নেওয়া যায় সে ব্যাপারে তাদের পরামর্শ চেয়েছে। এমতাবস্থাতেও কিন্তু নিজের অবস্থানে অটল রয়েছেন বিচারপতি গঙ্গোপাধ্যায়। সবিস্তার...


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শুনতে হবে রাজ্যের কথাই,

অধীর-জেলায় বার্তা মমতার


সঞ্জয় সিংহ ও অনল আবেদিন • রেজিনগর


*প্রশাসনিক বৈঠকে জেলা প্রশাসনকে নির্দেশ দিলেন মুখ্যমন্ত্রী। কিন্তু অধীর চৌধুরীর জেলায় সেই নির্দেশের আড়ালে রাজনৈতিক সতর্ক বার্তা দেখছে প্রশাসনেরই একাংশ। কী বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী? মঙ্গলবার মুর্শিদাবাদের রেজিনগরে জেলা প্রশাসনের কর্তাদের সঙ্গে বৈঠকে তিনি বলেন, "মুর্শিদাবাদ জেলা প্রশাসন কারও কথা শুনে কাজ করবে না। কেবল রাজ্য সরকারের কথা শুনে কাজ করবে। নিশ্চয়ই বুঝতে পারছেন, কী বলতে চাইছি। মনে হয়, ইশারাই কাফি!" মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ইশারা মুর্শিদাবাদের কংগ্রেস সাংসদ তথা রেল প্রতিমন্ত্রী অধীর চৌধুরীর উদ্দেশে বলেই প্রশাসনিক কর্তাদের অনেকের ধারণা। সবিস্তার...

এই সংক্রান্ত আরও খবর


• মেয়েকে খুঁজে পেতে মুখ্যমন্ত্রীর সভায় মা


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ফের চমক, সরকার গড়তেও

জনতার মতামত নিচ্ছে আপ


নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি


'পহেলে আপ'-এর পর্ব ছেড়ে এ বারে সরকার গড়ার চেষ্টা। আর সেখানেও চমক দেখাচ্ছে অরবিন্দ কেজরিওয়ালের আপ। দিল্লির বিধানসভা নির্বাচনে অতিমানবীয় উত্থান হলেও সরকার গড়ার মতো স্পষ্ট সংখ্যাগরিষ্ঠতা জোটেনি আপ-এর। তারা সরকার গড়ার জন্য এগিয়ে দিয়েছিল একক বৃহত্তম দল বিজেপিকে। কিন্তু স্পষ্ট সংখ্যাগরিষ্ঠতা না থাকায় বিজেপি নিজেরা পিছিয়ে এসে আপ-কে এগিয়ে দেয়। এই 'পহেলে আপ'-এর সৌজন্যে ফল প্রকাশের ১০ দিন পরেও দিল্লি সরকারহীন! এই অবস্থায় যথেষ্ট চাপে অরবিন্দের দল। বিজেপি বা কংগ্রেসের সমর্থন নিয়ে সরকার গড়া ঠিক হবে কি না, তা নিয়ে দলের অন্দরে নানা প্রশ্ন। এই অবস্থায় তাই ফের জনতার দরবারে যাচ্ছে আপ। এ বারে অবশ্য ইভিএমে নয়, অরবিন্দের দল আম দিল্লিবাসীর মতামত চাইবে এসএমএস, ওয়েবসাইট ও জনসভার মাধ্যমে। ভোট মিটে যাওয়ার পরেও এ ভাবে জনতার রায় নিয়ে সরকার গড়ার চেষ্টা কোনও দিন কোথাও হয়েছে কি না, মনে করতে পারছেন না কেউই।সবিস্তার...


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অরবিন্দ-বধে এককাট্টা সব,

লোকপাল পাশ রাজ্যসভায়


নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি


*তাঁর রাজনীতির ধরনটা মোটেই সুবিধের মনে করছে না দেশের প্রধান দুই দল ও তাদের সহযোগীরা। দিল্লিতে বড় ধাক্কা খেয়ে অরবিন্দ কেজরিওয়ালকে রাজনৈতিক ভাবে নিকেশ করাটাই তাই আশু কর্তব্য হয়ে উঠেছে দেশীয় রাজনীতির মূল স্রোতের কাছে। আর সে কারণেই সচরাচর দেখা যায় না, এমনই বিরল এক রাজনৈতিক সর্বসম্মতিতে আজ রাজ্যসভায় পাশ হয়ে গেল লোকপাল বিল। কাল লোকসভাতেও তা মসৃণ ভাবে পাশ হবে বলেই মনে করছে কংগ্রেস, বিজেপি ও অন্য দলগুলি। ছয় দশকের টানাপোড়েনের পর এটুকু অন্তত আজ বলা যাচ্ছে যে, দেশে লোকপাল গঠনের সম্ভাবনা এখন ষোল আনা। এবং সেটা সম্ভব হল লোকপাল নিয়ে রাজনীতি একেবারেই নতুন মোড় নেওয়ায়। সবিস্তার...
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ভারতের সঙ্গে যোগাযোগ

চাইছে কোণঠাসা জামাত


অগ্নি রায় • ঢাকা


এই প্রথম ভারতকে পাশে পাওয়ার বার্তা দিল বাংলাদেশে কোণঠাসা জামাতে ইসলামি। ধানমণ্ডির একটি বাড়িতে বসে জামাতে ইসলামির অ্যাসিস্যান্ট সেক্রেটারি জেনারেল আব্দুর রজ্জাক জানালেন, "ভারতে আমাদের নেতিবাচক ভাবমূর্তি রয়েছে। সেখানকার সরকার বা সমাজের সঙ্গে যোগাযোগ করার কোনও সুযোগই পাওয়া যায় না। আমেরিকা-ইউরোপের বিভিন্ন দেশের সঙ্গে নিয়মিত যোগাযোগ থাকলেও, নয়াদিল্লি আমাদের জন্য দরজা বন্ধ করে রেখেছে। ভারত-বাংলাদেশ সম্পর্কের খাতিরে সমস্ত বিষয় নিয়ে আমরা ভারতের সঙ্গে কথা বলতে চাই।" রজ্জাকের কথায়, "ভারতে যাওয়ার জন্য গত পাঁচ বছর ধরে এখানকার হাই কমিশনের কাছে আবেদন জানাচ্ছি। কিন্তু কোনও সাড়া পাইনি।" সবিস্তার...



এই সংক্রান্ত আরও খবর


• কাদের মোল্লার ফাঁসির নিন্দায় পাকিস্তান


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কড়া চিঠি রমেশের, পিছনে কি রাজনীতি


শঙ্খদীপ দাস • নয়াদিল্লি


আবার গ্রামোন্নয়ন মন্ত্রক থেকে চিঠি গেল কলকাতায়। জয়রাম রমেশ এই চিঠিতে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে জানালেন, একশো দিনের কাজ প্রকল্পে রাজ্যের অগ্রগতি মোটেও সন্তোষজনক নয়। বরং এতটাই খারাপ যে, একশো দিনের মধ্যে এ বছর এখন পর্যন্ত রাজ্যের মানুষ গড়ে কাজ পেয়েছেন মাত্র ১৮ দিন। এই কথা বলার পাশাপাশি তিনি আরও একশো কোটি টাকা বরাদ্দের কথাও জানিয়েছেন। তবে সেই টাকা খরচ করার ক্ষেত্রে জুড়ে দিয়েছেন পাঁচ দফা শর্তও। এর আগেও একাধিক বার মুখ্যমন্ত্রীকে চিঠি লিখেছেন কেন্দ্রীয় গ্রামোন্নয়ন মন্ত্রী। কখনও নরমে, কখনও গরমে। তবে মাত্র কয়েক মাস আগে পশ্চিমবঙ্গের গ্রামোন্নয়ন প্রকল্পের অগ্রগতি নিয়ে তিনি কিন্তু সন্তোষজনক কথাই বলেছিলেন। বলেছিলেন, "ওঁরা সত্যিই চেষ্টা করছেন।" সবিস্তার...


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পাইলট নেই, বিমানবন্দরে নিশিযাপন ঢাকার যাত্রীর


নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা


জীবনে প্রথম বার একা বিমান ভ্রমণের অভিজ্ঞতাটা মোটেই ভাল হল না ঢাকার যাত্রী জয়া চক্রবর্তীর। বিমান বাতিল হয়ে যাওয়ায় সোমবার শীতের রাতটা তাঁকে কাটাতে হল কলকাতা বিমানবন্দরে। মঙ্গলবার সকাল হওয়ার পরেও প্রতীক্ষা শেষ হয়নি। ২২ ঘণ্টা কলকাতা বিমানবন্দরে আটকে থেকে এ দিন দুপুরে শেষমেশ ঢাকা পাড়ি দিলেন জয়া। একই অভিজ্ঞতা ঢাকাগামী অন্য যাত্রীদেরও। জয়ার কথায়, "জীবনে এই প্রথম একা যাচ্ছিলাম। যথেষ্ট খারাপ অভিজ্ঞতা।" কলকাতা থেকে এয়ার ইন্ডিয়ার উড়ানে ঢাকা যাওয়ার জন্য সোমবার বিকেল চারটেয় বিমানবন্দরে পৌঁছন জয়া। আর তাঁর বিমান ছেড়েছে মঙ্গলবার দুপুর দু'টোর পরে। কিন্তু কেন এই হয়রানি? বিমানসংস্থা জানাচ্ছে, পাইলটের অভাবে এবং বিমানের যান্ত্রিক গোলযোগের জন্যই সোমবারের ঢাকা উড়ান বাতিল করতে হয়েছে। সবিস্তার...


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মনোনয়ন নিয়ে সংঘর্ষ জয়পুরিয়া কলেজে


নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা


*ছাত্র সংসদ নির্বাচনের আগেই অশান্ত হয়ে উঠল উত্তর কলকাতার জয়পুরিয়া কলেজ। মঙ্গলবার ওই কলেজে ছাত্র সংঘর্ষের জেরে আহত হয়েছেন এক ছাত্রী-সহ দু'জন। পুলিশ জানায়, আহত ছাত্রীর নাম শিল্পা দেবশর্মা। আহত ছাত্রের নাম সুমন বিশ্বাস। দু'জনকেই আর জি কর মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতালে চিকিৎসা করাতে হয়। পুলিশ সূত্রের খবর, কলেজ নির্বাচনে মনোনয়নপত্র জমা দেওয়াকে কেন্দ্র করে তৃণমূল ছাত্র পরিষদের দুই গোষ্ঠীর গোলমালের জেরেই এই ঘটনা ঘটেছে। তৃণমূল ছাত্র পরিষদ অবশ্য ওই অভিযোগ অস্বীকার করেছে। তাদের পাল্টা অভিযোগ, বহিরাগতেরা ওই ঘটনা ঘটিয়েছে। কলেজ কর্তৃপক্ষ অবশ্য সংঘর্ষের ঘটনা নিয়ে কোনও মন্তব্য করতে চাননি। এ দিন দুপুরের ওই গোলমালের পরে কলেজ চত্বরে ছাত্রছাত্রীদের মধ্যে আতঙ্ক ছড়িয়ে পড়ে। সবিস্তার...
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রক্ষণাবেক্ষণ নেই, নষ্ট হচ্ছে

কয়েক কোটির কটেজ


শুভাশিস ঘটক • সাগর


*নোনা হাওয়ায় ফিকে হয়ে গিয়েছে কটেজের পালিশের রং। বাংলো চত্বরে কেয়ারি করা বাগানেও অযত্নের ছাপ স্পষ্ট। দক্ষিণ ২৪ পরগনার সাগরে রাজ্য সরকারের উদ্যোগে সাড়ে চার কোটি টাকা ব্যয়ে তৈরি সেগুন কাঠ ও বেলজিয়ান কাচের কটেজের এখন এমনই হাল। গত বছর গঙ্গাসাগর মেলার আগে যুদ্ধকালীন তৎপরতায় সাগর থেকে প্রায় ৬০ ফুট দূরে অনধিক দেড় বিঘা জমির উপর তৈরি হয় আগাগোড়া সেগুন কাঠের ওই কটেজ। যার ভিতরে রয়েছে বেলজিয়ান কাচের কারুকাজ। তৈরি হয় কটেজ লাগোয়া ওয়াচ টাওয়ার। কটেজের চারিদিকে বাতিস্তম্ভে লাগানো হয় হ্যালোজেন লাইট। কটেজের চারপাশে সবুজের ছোঁয়া আনতে পোঁতা হয়েছিল লক্ষাধিক টাকার বিদেশি ঘাস। কটেজে দু'টি ঘর। দু'টিই শীতাতপ নিয়ন্ত্রিত। পুরো এলাকা ঘেরা শাল কাঠের খুঁটির প্রাচীরে।সবিস্তার...
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মাসিক কিস্তিতে এ বার চিকিৎসাও


পারিজাত বন্দ্যোপাধ্যায় • কলকাতা


*এখনই রোগীর জরুরি অপারেশন করাতে হবে। একলপ্তে লক্ষাধিক টাকা দরকার। কিন্তু হাতে যে টাকা নেই! তাতে চিকিৎসা আটকাবে না। হাসপাতালে ভর্তির সময়ে কিছু জমা রাখলে অস্ত্রোপচার হয়ে যাবে। বাকি খরচ মেটানো যাবে দু'-তিন বছর ধরে, মাসে মাসে টাকা দিয়ে। টিভি-ফ্রিজ-ওয়াশিং মেশিনের মালিক হতে সমান মাসিক কিস্তি (ইকোয়েটেড মান্থলি ইনস্টলমেন্ট, সংক্ষেপে ইএমআই)-র চল ছিলই। এই তালিকায় সংযোজন চিকিৎসার সুযোগ। রাজ্যের নানা প্রান্তে কিছু বেসরকারি হাসপাতালে তা চালু হয়েছে। আপাতত শুধুমাত্র ব্যয়সাধ্য অস্ত্রোপচারের ক্ষেত্রে। সবিস্তার...
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রাস্তা তৈরি নিয়ে কাজিয়া,

আমতায় আক্রান্ত তৃণমূল


নিজস্ব সংবাদদাতা • আমতা


*রাস্তা তৈরিকে কেন্দ্র করে সংঘর্ষে জড়িয়ে পড়লেন বিভিন্ন রাজনৈতিক দলের কর্মী-সমর্থকেরা। মঙ্গলবার সকালে ঘটনাটি ঘটেছে হাওড়ার আমতার মুক্তিরচক গ্রামে। তৃণমূলের অভিযোগ, আমতা-১ পঞ্চায়েত সমিতির দুই কর্মাধ্যক্ষ-সহ তাঁদের জনা বেশ কয়েক জন নেতা-কর্মী বিজেপি ও সিপিএম সমর্থকদের হাতে প্রহৃত হয়েছেন। চারটি মোটরবাইক পুকুরে ফেলে দেওয়া হয়। এক তৃণমূল সমর্থকের বাড়ি ভাঙচুর করা হয়। থানায় অভিযোগ জানিয়েছে তৃণমূল। যদিও সিপিএম এবং বিজেপির দাবি, প্রকল্পের কাজের সঙ্গে যুক্ত কিছু তৃণমূল কর্মী গ্রামবাসীদের কটূক্তি করেছিলেন। তার জেরেই গোলমাল বাধে। তৃণমূলের লোকজনই গ্রামবাসীদের উপরে চড়াও হয়। পাল্টা প্রতিরোধ করেন গ্রামবাসীরা। সবিস্তার...
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টস জিতলে আগে ব্যাটিং

নিতে দু'বার ভেবো না ধোনি


সৌরভ গঙ্গোপাধ্যায়


*ক্রিকেট আবার দু'দিক দিয়ে দু'টো সাদা বল, পাঁচ ফিল্ডারের বিধিনিষেধ থেকে লাল বল, চিরাচরিত ফর্ম্যাটে ফিরছে। খেলাটা ফের সাহস, সব প্রতিকূলতা সহ্য করে লেগে থাকার ক্ষমতা, মানসিক শক্তি এবং পাঁচ দিন প্রতিটা সেশনে দুই প্রতিদ্বন্দ্বী দলের একে অন্যকে টেক্কা দেওয়ার পরীক্ষা নেবে। ওয়ান ডে থেকে ক্রিকেট আজ জোহানেসবার্গে ফিরছে টেস্টের এক আর দু'নম্বর টিমের লড়াইয়ে। আশা করি, ধোনি আর ওর তরুণ দল চ্যালেঞ্জটা নেওয়ার জন্য তৈরি। ওয়ান্ডারার্সের উইকেটে বেশ কিছু ঘাস ছাড়া থাকবে। মুভমেন্ট আর বাউন্স বোলারদের কাছে পছন্দের হবে। চলতি সিরিজে প্রথম ওয়ান ডে-তে ভারতীয়রা ওয়ান্ডারার্সের স্বাদ পেয়েছে এবং সেটা মোটেই তাদের কাছে আনন্দের হয়নি। সবিস্তার...

এই সংক্রান্ত আরও খবর


• ধোনি-শ্রীনির সাম্রাজ্যে নতুন চ্যালেঞ্জ


• স্টেইন-মর্কেলকে পঞ্চম স্পেল করানোটা প্রথম লক্ষ্য হোক


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এক নজরে


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• সাইকেল চালাতে

চেয়ে মিছিল

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• ঈশানদের জীবনের দৌড়ে পাশে রাজ্য


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