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Friday, November 28, 2014

10th Dec International Human rights day at Robertsganj, sonbhadra, UP and 15 dec at Delhi Jantar mantar10 दिसम्बर 2014 मानवाधिकार दिवस को रार्बटसगंज चलो 15 दिसम्बर 2014 को जंतर मंतर दिल्ली चलो

10th Dec International Human rights day at Robertsganj, sonbhadra, UP and 15 dec at Delhi Jantar mantar10 दिसम्बर 2014 मानवाधिकार दिवस को रार्बटसगंज चलो 15 दिसम्बर 2014 को जंतर मंतर दिल्ली चलो
Dear Friends,
The forest people in the forest region of Kaimur, Robertsganj, sonbhadra, UP are observing 10th Decemeber the International Human Rights Day protesting against the thousands false cases implicated on the tribal, dalit and poor people in the forest area by Forest department and the police in two acts thus criminalizing the whole society who are also deprived sections. This is happening when our August Parliament has enacted historical Act " Forest Rights Act" in 2006 to protect the rights of the forest people and end the historical injustice. But when we demanded for implementation in district Sonbhdar alone more than 10 thousand cases are filed on the activists and the tribal, dalits and poor people. We are protesting on 10 december for withdrawal of these cases and otherwise the forest people will give mass arrest. On this day we are pledging to our selves that we will not take bail for false cases and force the administration and the government to withdraw these cases unconditionally. To continue this spirit we all will also gather in New Delhi on 15th december to challenge the governments for effective implementation of the Forest Rights Act at Jantar Mantar, Demands in english given below.  pl read the link below. 
Muslims, dalits and tribals make up 53% of all prisoners in India


स्वास्थ और शिक्षा का अधिकार मानवाधिकार है                                                                                   आजीविका का अधिकार मानवाधिकार है


              ''मुन्सिफ का सच सुनहरी सियाही में छिप गया                                                                         

                                                                                     वैसे वो जानता है ख़तावार कौन है''


10 दिसम्बर 2014 मानवाधिकार दिवस को रार्बटसगंज चलो                          
15 दिसम्बर 2014 को जंतर मंतर दिल्ली चलो 




 वनाधिकार कानून 2006 लागू करो, संविधान की व संसद की गरिमा की सुरक्षा करो, ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करो व सम्मानजनक जीने के अधिकार को सुनिश्चित करो 
फर्जी मुकदमें लगाना बंद करो !! वनाश्रित समुदायो के ऊपर लगे 10000 से अधिक फर्जी मुकदमे वापिस करो!!फर्जी मुकदमों के खिलाफ जिला एवं पुलिस प्रशासन पर हल्ला बोल एवं जेल भरो आंदोलन !!!जनसंगठन का ऐलान सरकार फर्जी मुकदमों को बिना किसी शर्त बिना किसी जमानत के वापस ले
हिंडालको अस्पताल द्वारा मिथिलेश गोण के हत्यारे डाक्टरों पर मुकदमा दर्ज करो!!  बलात्कारी कलवंत अग्रवाल को जेल भेजो !! ओबरा खनन हादसे के आरोपियों को गिरफ्तार करो!! मनरेगा घोटाले के दोषी अधिकारी पनधारी यादव को गिरफतार करो!! जे0पी कम्पनी द्वारा हज़ारों एकड़ वनभूमि की हेराफेरी के लिए अपराधिक मुकदमें कर जेल भेजो!! कुमार मंगलम बिड़ला पर देश के संसाधनों की लूट, जालसाज़ी व 420सी के मुकदमें कायम होने के बावजूद भी आखिर गिरफतारी क्यों नहीं?? वनविभाग द्वारा लाखों है0 भूमि पर जापान की कम्पनी जाईका से लिए गए लोन में घोटाले के तहत मुकदमा आखिर क्यों नहीं? 
 साथीयो! मानवाधिकार दिवस हमारे देश के संविधान में प्रदत्त सम्मानजनक जीने के अधिकारों को सुनिश्चित करता है, इसलिए हमारे ऊपर हो रहे अन्यायों के खिलाफ हमनें अपने आंदोलन का दिन भी 10 दिसम्बर को ही चुना है। गौरतलब है कि सरकार, न्यायालय, प्रशासन ने कैमूर क्षेत्र में हज़ारों वर्षो से रह रहे आदिवासी, दलित एवं अन्य ग़रीब वर्ग को ही इस जनपद में सबसे बड़े अपराधिक प्रवृति के तत्व करार दिया है। अगर आंकड़े इकट्ठे किए जाएं तो सबसे ज्यादा मुकदमें जिनकी संख्या दस हज़ार से भी ऊपर है, वह वनों में रहने वाले आदिवासी एवं दलितों पर हैं। जिनपर वनविभाग एवं पुलिस विभाग ने दो-दो कानूनों के तहत एक साथ गैरकानूनी तरीके से फर्जी मुकदमे किए हैं। अगर आदिवासी, दलित, ग़रीब वर्ग की महिलाऐं व मेहनकश ही देश के लिए खतरा हैं, जिनके वोट से ही सरकारें बनती हैं तो फिर आखिर यह सरकार किस के लिए काम कर रही है? इसे स्पष्ट किया जाए। 
देश की संसद ने 2006 में वनाधिकार कानून लागू ही इसलिए किया था ताकि वनों में रहने वाले लोगों के साथ ब्रिटिश काल से जो ऐतिहासिक अन्याय किया गया है, उसे खत्म किया जा सके। यह अन्याय मुख्य रूप से वनविभाग, पुलिस विभाग सांमती तत्वों व पूंजीवादी ताकतों द्वारा किया गया है। इस कानून के आने के बाद यह सारे फर्जी मुकदमे वापिस हो जाने चाहिएं थे। लेकिन उल्टे 2006 के बाद तो इन फर्जी मुकदमों को लगाने की बाढ़ सी आ गई। दुद्धी, राबर्टसगंज एवं घोरावल तहसील में ऐसी अनगिनत फाईलें हैं, जिसमें एक ही फाईल में 200/ 400/ 600 की संख्या तक लोग केवल आदिवासी और दलित शामिल हंै व जिसमें 80 प्रतिशत से ऊपर महिलाओं के नाम शामिल कर उनका आपराधिक इतिहास बनाया जा रहा है। यही नहीं हमारे यूनियन द्वारा 28 सितम्बर 2013 को रेणूकूट में हिंडालको कम्पनी के हत्यारे डाक्टरों के खिलाफ शांतिपूवर्क जुलूस में प्रशासन द्वारा संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारीयों व  200 लोगों पर लोकसेवक पर हमला करने का झूठा केस दर्ज किया गया व कई धाराऐं लगाई गई हैं। साथीयों इस मुददे पर यूनियन के 100 सदस्यीय प्रतिनिधि मंड़ल हमारे यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग की अध्यक्षता में 10 अप्रैल 2014 को मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से वार्ता कर इन फर्जी मुकदमों की सूची खासतौर पर पिपरी फर्जी मुकदमों के बारे में भी अलग से ज्ञापन सौंपा था। इस पर मुख्यमंत्री द्वारा गृहमंत्रालय को आदेश ज़ारी कर कई मुकदमों की वापसी भी हो गई है लेकिन सोनभद्र पुलिस इस मामले को दबा कर सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर फिर से नोटिस चिपका रही है व अनायास ही परेशान कर रही है। पूर्व पुलिस अधीक्षक रामबहादुर यादव द्वारा हमारे यूनियन के पदाधिकारीयों को यह बताया गया था कि यूनियन के सदस्यों के कई मुकदमें वापिस किए गए है इन मामलों पर हमारी मांग है कि सोनभद्र पुलिस पूरा खुलासा करें व मुकदमों की वापिसी को सार्वजनिक करे। मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में हम यह मांग करते हैं कि -
1. सभी फर्जी मुकदमों को बिना किसी शर्त वापिस किया जाए। 
2. वनाधिकार कानून-2006 को इसकी सही मंशा के अनुरूप लागू किया जाए। सामुदायिक अधिकारों को राजस्व रिकार्डो में दर्ज वनक्षेत्र को ही मान्यता दे समुदाय को उनके अधिकार सौंप दिए जाने चाहिए। इस कानून की नोडल एजेंसी समाज कल्याण विभाग नहीं बल्कि राजस्व विभाग को बनाया जाए। 
3. प्रशासन द्वारा पूर्व में बनाई गई कई सही ग्राम वनाधिकार समितियों को भंग कर सांमती तत्वों को ग्राम वनाधिकार समिति में शामिल किया गया है। जहां-जहां यह त्रुटियां हुई हैं, उन्हें ठीक किया जाए। जैसे ग्राम बसौली, बहुआर रार्बट्सगंज की पुरानी समितियों को बरकरार रखा जाए। 
4. प्रशासन द्वारा वनाधिकार कानून-2006 को केवल अनुसूचित जनजातियों के लिए लागू करने का भ्रम फैलाया जा रहा है, जिससे कि इस वनक्षेत्र में आदिवासियों एवं अन्य परम्परागत वनसमुदायों में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। जबकि जनपद में अभी भी कई आदिवासी समुदाय जनजाति में घोषित ही नहीं है व यह कानून केवल अनुसूचित जनजाति के लिए नहीं बल्कि अन्य परम्परागत वनसमुदायों के लिए भी है, जोकि एक बड़ी संख्या में यहां निवास करते हैं। सभी आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का  दर्जा दिया जाए। 
5. जनपद में वनसमुदायों एवं अन्य नागरिकों की स्वास्थ सुविधाओं के लिए किसी भी प्रकार का पर्याप्त ढांचा नहीं है। हिंडालको, जे0पी एवं अन्य औद्योगिक घरानों द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल आदिवासियों की भूमि को हथिया कर उनके स्वास्थ से ही खेला जा रहा है व कम्पनियां केवल ग़रीब समुदायों एवं आदिवासियों का शोषण ही कर रही हैं। वनाधिकार कानून-2006 के अनुसार सभी स्वास्थ एवं शिक्षा की सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाया जाए अन्यथा इन कम्पनियों द्वारा लूटी गई भूमियों को वापिस लेने का आंदोलन चलाया जाएगा। 
6. जनपद में मलेरिया, टी0बी से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किए जाए, प्रत्येक घर में मच्छरदानियों को बांटा जाए, प्रदुषण को कम किया जाए। जिले में आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल खोला जाए। कम्पनियों के निजी अस्पतालों को सरकारी अस्पतालों में बदला जाए व आदिवासी  एवं ग़रीब वर्ग के लिए मुफत सुविधाए उपलब्ध कराई जाए। प्राथमिक स्वास्थ केन्दों को पंचायत स्तर पर खोला जाए। 
7. हमारे संगठन को कम से कम 25 हज़ार मच्छरदानियां उपलब्ध कराई जाए ताकि इनका वितरण किया जा सके। 
8. इस जनपद में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अच्छे स्कूलों कालेजो व, तकनीकी विद्यालयों का निर्माण किया जाए। 
9. मुकदमें उन पर दर्ज किए जाए जो अपराधी, हत्यारे, बलात्कारी व प्राकृतिक संसाधनों को लूटने वाले भ्रष्टाचारी औद्योगिक घराने हैं। इन अपराधियों व भ्रष्टाचारीयों को बजाय राजनैतिक संरक्षण के जेल भेजा जाए। 
साथीयों अपनी इन्हीं सब संवैधानिक हकों की बहाली व राष्ट्रीय स्तर पर वनाधिकार कानून को प्रभावी ढंग से न लागू करने के लिए 15 दिसम्बर 2014 को देश के सभी जनसंगठनों एकत्रित हो कर केन्द्र एवं राज्य सरकारों को खुली चुनौती देने के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली में जंतर मंतर पहुंचे। 

अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन AIUFWP न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव NTUI
मानवाधिकार कानूनी सलाह केन्द्र, कैमूर क्षेत्र महिला मज़दूर किसान संघर्ष समिति, कैमूर मुक्ति मोर्चा, 
महिला वनाधिकार एक्शन कमेटी
संपर्क पताः टैगोर नगर, राबटर््सगंज, सोनभद्र एवं 222 विधायक आवास, ऐश बाग रोड, लखनऊ, उ0प्र0

Establish Constitutional Rights of Forest Dwelling Working People !
                  Long Live the Victory of Historic Struggles of Forest People 

On the occasion of 8th year of Forest Rights Act,2006 passed in our Parliament 

Thousands of struggling forest people, in asserting their rights are coming together to challenge the Govt for effective implementation of the Act and to safeguard all Constitutional rights of the forest people
                             on 15th December 2014
                               at Jantar mantar, 11am to 4pm 

       Many people's organizations participating in this mass protest.

 Please join in large numbers.

 Demands
  • Implement the Forest Rights Act 2006 effectively with political will across the country. The forest rights and the developmental rights of the forest people should be addressed immediately.
  • The community rights of the forest people should be granted immediately according to the Forest right Act 
  • The rights on Non Timber Forest Produce (NTFP) to be given to the forest people and formation of the cooperatives of the forest people should start immediately as per the September 2012 amendment of the Rules of the FRA. The control of Forest Department and Forest Corporation on the NTFP worth of millions of rupees should be abolished completely to bring out forest people from abject poverty. 
  • The Provision of 75 years for other forest dwellers is Unconstitutional and should  be amended. 
  •  The Forest Department and Forest Corporation  responsible for the historical injustice against the forest people since colonial days should be ousted from the forest region. 
  • The Indian Forest Act ( 1927) should be abolished, it is in contradiction with FRA and Indian Constitution Art. 39b. IFA 1927 was framed by British to colonize our forest to exploit the vast resources for establishing colonial  Eminent Domain. It is also in contravention with Art no. 13 of Part I of fundamental rights section of Indian Constitution that says that "All laws in force in the territory of India immediately before the commencement of this Constitution, in so far as they are inconsistent with the provisions of this Part, shall, to the extent of such inconsistency, be void". IFA 1927 also violates Art no 39 B of the Indian Constitution. 
 
  • Programmes should be initiated to empower forest women, their role, control and participation in all forest protection, conservation, management,procurement, development and livelihood needs to be enhanced. As women are more close to nature and for them nature is source of heritage and livelihood and not revenue earning source. 
 
  • All false criminal cases and forest cases filed by forest department and police on forest people especially adivasi/dalit/poor section/women should be immediately withdrawn to end their criminal history falsely built by the state. 
 
  • All the forest village/taungiya villages,as per the provision of Sec 3(h) in F.R.A should be converted into revenue village. The only state that has converted the forest village into revenue village is UP, village Surma, Golbojhi, Dudwa National Park, Distt Lakhimpur Khiri and various other villages. This example should be replicated in other states too. 
 
  • The multinational & Indian companies and especially mining and power companies violating the FRA should be booked under criminal Act and stringent punishment should be imparted for irreparable destruction to our environment. 
 
  • The Big dams, super power projects to corporates such as Jaypee, Birla, Reliance, Lanco, Adani, Mittal, Tata, Essar and others needs be scrutinized and the projects that are not environmentally viable should be cancelled and heavy penalties to be imposed on these companies and groups of companies.  
 
  • The PTG, nomadic tribes and other vulnerable groups in the forest area should be given special protection under FRA and their rights should be recognized cross districts and states. The process of recognition of their rights has not started till now that is a shame on the part of the government. 
 
  • Ensure labour rights and labor standards in the forest areas; ensure social security, Guarantee a Living Wage for All,Make non-payment of the Minimum Wage a Cognisable Offence,Ensure Equal Wage for Equal Work,Ensure Universal Health care and an Indexed Pension for All,Protect Livelihood Rights for all, Regularise All Contract Workers - Regularise All Honorarium Workers,Guarantee an allowance equaling half the minimum wage to all unemployed working people

     

 
  • The Indian Govt. should stop functioning as agent of corporate and should focus on the implementing the rights of the forest people as guaranteed by Indian Constitution, U.N. Human Right Charter and I.L.O Convention no.169 to safeguard the environment and democracy .
                 Long live the unity of forest people and all working people!
 
ALL INDIA UNION OF FOREST WORKING PEOPLE
-- 
Ms. Roma ( Adv)
Dy. Gen Sec, All India Union of Forest Working People(AIUFWP) /
Secretary, New Trade Union Initiative (NTUI)
Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj, 
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com






-- 
Ms. Roma ( Adv)
Dy. Gen Sec, All India Union of Forest Working People(AIUFWP) /
Secretary, New Trade Union Initiative (NTUI)
Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj, 
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 
Email : romasnb@gmail.com
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