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Friday, November 7, 2014

भारतीय इतिहास में जबरदस्त पकड़ के साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और उसकी विलक्षण व्याख्या करना कामरेड की जबरदस्त क़ाबलियत थी


7 hrs · 

१९ नवम्बर २०११ की यह पोस्ट आज वापस जिन्दा कर रहा हूँ क्योंकि कामरेड ईश्वरचंद्र गत २ अक्टूबर को अपने जीवन के ७९ वर्ष पूरे कर के विदा ले चुके हैं. इनका जन्म बिजनौर जिले में अपनी ननिहाल में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा भी वही हुई थी. उन्होंने इंटरमीडियट परीक्षितगढ़ से करने के बाद मेरठ कालिज मेरठ से बी एस सी की थी. अपने छात्र जीवन से ही वह वामपंथी आन्दोलन में शामिल हुए थे भाकपा में ऍम फारुकी से बहस मुबाहिसे की कसरत के बाद वे माकपा में गए और फिर नक्सलबाड़ी आन्दोलन से जुड़ गए. माले(लिबरेशन) के साथ वह आजीवन जुड़े रहे, स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं के बावजूद जब मैं उनसे आख़िरी बार मिला था तब वह पार्टी कार्यक्रम में शिरकत के लिए पटना जाने की तैय्यारी कर रहे थे. मेरे साथ मवाना से उन्होंने उस दिन सर्दी से बचने के लिए थर्मल वियर खरीदा था. उन्हें ठण्ड बहुत सताती थी.
मुझे माकपा से माले में लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है, मैं पूर्णकालिक पार्टी सदस्य भी इन्ही के सुपरवीजन में बना था. पार्टी संगठन को मेरठ में विकसित करने की प्रक्रिया में इश्वर चन्द्र जी के साथ जाने कितनी रातें बिना सोये गुजारी है उनका हिसाब देना मुश्किल है. कानपुर, लखनऊ,इलाहाबाद,बनारस, मऊ जाने कितनी जगह ख़ाक उनके साथ छानी थी. उस ज़माने में उत्तर प्रदेश के कई शीर्ष नेता कामरेड इश्वर चन्द्र की ही देन थी जिनमे अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का नाम भी शामिल है.
२०११ तक आते आते मवाना मेरठ में पार्टी शिथिल पड़ गयी थी और ऐसे मायूसी के माहौल में वह जब तब अपने कदीमी गाँव छोटा मवाना में रुकते थे, एकदम तन्हा..तब मुझे देख कर उनकी खुशी देखी जा सकती थी जो इन तस्वीरों में ब्यान होती है.
१९५९ से वह एक पूर्ण कालिक कार्यकर्ता रहे और आजीवन विवाह नहीं किया था. भारतीय इतिहास में जबरदस्त पकड़ के साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और उसकी विलक्षण व्याख्या करना कामरेड की जबरदस्त क़ाबलियत थी. मृद भाषी, बहुत सयंमी,बेहद सादगी भरे और अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता के धनी इश्वर चन्द्र के बिना मेरठ और उत्तर प्रदेश के क्रांतिकारी आन्दोलन का इतिहास नहीं लिखा जा सकता. वह उन दिनों महाभारत और गीता पर मार्क्सवादी नज़रिए से टीका लिखना चाहते थे. इस विषय को सुनकर मेरी आँखे चमक गयी थी काश मैं उनके पास होता और उनकी गिरती सेहत के दिनों में वह सब लिखवा लेता जिसकी आने वाली पीढ़ियों को बेहद जरुरत थी.
उनसे मिलकर लौटने के बाद मेरे भीतर एक खिला जो बन गया था आज वह और गहरा गया है.
कामरेड ईश्वरचंद्र मैं आपको आज बड़ी शिद्दत से याद करता हूँ, यह स्वीकार करता हूँ कि मेरे पास आज जो भी कमोबेश अच्छा है उस पर आपका बेशकीमती प्रभाव है, मैं इसे आपकी यादों के सहारे न केवल बचाऊंगा बल्कि बेहतर बनाने की जी तोड़ कोशिश करूँगा. 
लाल सलाम कामरेड इश्वर चन्द्र-लाल सलाम ...!!!

I met Comrade Ishwar Chadra today after almost two decades. He is 76 years old, has loads of physical ailments. Eyes,ears,dental,lumber spinal,osteoporosis, hernia and many more..still he is a live wire, without any sign of surrender...heading to Patna tomorrow to participate in Khet Mazdoor Kisan Sabha's national conference. A devout communist who joined undivided communist party in 1959. A revolutionary Salam to this soldier of Indian communist revolution. He is still a power house....I am thrilled..... I wish I had many more hours in a day today.

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