Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Wednesday, January 27, 2016

निर्विरोध मनुस्मृति गरजी भी बरसी भी कि इस नूरा कुश्ती के क्या कहने! दीदी की पुलिस देखती रही,रोहित के लिए न्याय मांगने वाले छात्रों को बजरंगियों ने धुन डाला और वाम को दी खुली चुनौती खिलाफत की जुर्रत भी करके देख लें!प्रकाश साव पर सन्नाटा। पलाश विश्वास

निर्विरोध मनुस्मृति गरजी भी बरसी भी कि इस नूरा कुश्ती के क्या कहने!

दीदी की पुलिस देखती रही,रोहित के लिए न्याय मांगने वाले छात्रों को बजरंगियों ने धुन डाला और वाम को दी खुली चुनौती खिलाफत की जुर्रत भी करके देख लें!प्रकाश साव पर सन्नाटा।

पलाश विश्वास

बंगाल कुछ जियादा ही मनुस्मृति के शिकंजे में है।हिंदी जनता बंगाल में कुल मिलाकर हिंदुस्तानी अछूत हैं और सत्ता वर्चस्व के आगे वे मिमिया भी नहीं सकते।ताजा मसला प्रकाश साव की खुदकशी का मामला है।इसी परिदृश्य में संघियों ने कोलकाता में रोहित के लिए न्याय मांग रहे छात्रों को धुन डाला।


गौरतलब है कि रोहित वेमुला की मौत के बाद देश भर में भारी आंदोलन चल रहा है। रोहित ने 17 जनवरी को हॉस्टल के एक कमरे में आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि रोहित समेत चार अन्य दलित छात्रों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता से कथित तौर पर मारपीट के आरोप में हैदराबाद विश्वविद्यालय ने निलंबन की कार्रवाई की थी।


कोई साहित्य अकादमी अद्यक्ष जब अकादमी अध्यक्ष भी न था,कोलकाता के हिंदी वाले तब उनके आगे पीछे दुम हिलाकर घूमते थे,जबकि उनने खुल्ला ऐलान कर दिया था,वह भी वाम स्वर्ण काल में कि वे हिंदी भाषियों को चुटिया पकड़कर बंगाल की खाढ़ी में फेंक देंगे।


बहरहाल  हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की घटना के विरोध स्वरूप बुधवार को यहां जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों के एक वर्ग ने कक्षाओं का बहिष्कार किया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वे देबर्षि चक्रवर्ती के प्रति भी एकजुटता दर्शा रहे हैं। देबर्षि एक शोध छात्र हैं और प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, जिन्होंने वेमुला की आत्महत्या के संबंध में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय के इस्तीफे की मांग को लेकर शुक्रवार से भूख हड़ताल शुरू किया है।


चक्रवर्ती जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर के बाहर एक अस्थायी शिविर में भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।


एक छात्र ने कहा, "हम उनके भूख हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।" रोहित वेमुला की आत्महत्या के खिलाफ शहर में मंगलवार को अति वामपंथी युनाइटेड स्टूडेंट्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने एक रैली निकाली थी, जिसने हिंसक रूप धारण कर लिया था।

आईआईटी खड़गपुर के छात्रों और शिक्षकों ने भी रोहित के लिए न्याय मांगा है।


देश भर में आंदोलन के बावजूद निर्विरोध मनुस्मृति जैस गरजकर बरसी बंगाल में,वह बंगाल की प्रगति और धर्मनिरपेक्षता के बारे में कमसकम कोई दावा भी न करें।


हमें चिंता यह है कि बंगाल के शिक्षा परिदृश्य का भी केसरियाकरण हो गया तो विश्वविद्यालयों और आईआईटी आईआईएम जैसे संस्थानों में कितनी स्वायत्तता बची रहेगी और कितनी बची रहेगी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।


हिंदी भाषी गायपट्टी की आत्मा इससे खास परेशां हो,इसका भी कोई सबब नहीं।फजलुल हक की मंत्रिमंडल कांग्रेस के गिराये जाने के बाद नेताजी के अंतर्धान के तुरंते बाद हिंदू महासाभ के जिस नेता ने सारे मुसलमानों को बंगाल की खाड़ी में पेंकन का ऐलान किया था,आज के फासिज्म के राजकाज का विष वृक्ष उन्हीने रोपा था।


अब उन्हीं की संतानें बंगाल का केसरियाकरण कर रहीं हैं।आलम यह है कि जिस मनुस्मृति के केसरिया अश्वमेध उत्पीड़न बहिस्कार का शिकार हुआ दलित या ओबीसी कवि प्रकाश साव ,उनके लिए कोई आवाज उठाने को वैसे ही तैयार नहीं है,जैसे कि बंगाल के हिंदी बांग्ला भाषी बहुजन सिरे से रोहित के मामले में  खामोश है।


हिंदी जगत में उसी तरह प्रकास साव की कोई चर्चा नहीं है जैसे रोहित वेमुला को लेकर सन्नाटा है।


मजा यह भी है कि बांग्ला अखबारों में देश भर में रोहित हत्या के खिलाफ जारी आंदोलन की खबरें लगातार लीड बन रही है,लेकिन बंगाल में इसके खिलाफ हो रहे विरोध की कोई खबर नहीं हो रही है।


इसलिए मनुस्मृति को बंगाल में कोई विरोध झेलना नहीं पड़ा हैरतअंगेज केशरिया अश्वमेध के बेलगाम घोड़े और सांढ़ दौड़ाने के बावजूद और बंगाल में पेशवा बाजीराव के अनेकानेक सिपाहसालार अभूतपूर्ऴ घृणा अभियान छेड़कर बंगाल का धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण उसीतरह कर रहे हैं ,जैसे विभाजन के पूर्व हिंदू महासभा केनेताओं ने किया था।


ऐसे स्वयंभू देशभक्त जो नेताजी की विरासत भी हड़प चुके हैं और जिनकी आजादी की लड़ाई में सिर्फ इतनी सी भूमिका थी कि वे स्वतंत्रता सेनानियों की मुखबरी ही नहीं करते थे,उनको फांसी दिलाने के लिए गवाही देने से भी नहीं हिचकते थे और वे देश बांटकर,देश में अभूतपूर्व असहिष्णुता की बलात्कार सुनामी पैदा करके भी या राष्ट्रनेता हैं या फिर सबसे बड़े देश भक्त।

ये लोग बंगाल में दरअसल क्या करने जा रहे हैं अबकी दफा और जैसे बंगाल में हिंदूमहासभा की कारगुजारियों के वजह से,मुस्लिम लीग के साथ युगलबंदी से देश का बंटवारा हुआ तो अब वे क्या करने वाले हैं,उनके नये ग्लोबल नेता डोनाल्ड ट्रंप के इस्लाम विरोधी हिंदुत्व एजंडे की रोशनी में यह खतरा मनुष्यता,सभ्यता और कायनात के लिए सबसे बड़ा खतरा है।


आलम यह है कि इस नूरा कुश्ती के क्या कहने,दीदी की पुलिस देखती रही,राहित के लिए न्याय मांगने वाले छात्रों को बजरंगियों ने धुन डाला और वाम को दी खुली चुनौती खिलाफत की जुर्रत भी करें!इस पर तुर्रा बंगाल की मुख्यमंत्री ने केसरिया हिंदुत्व के खिलाफ जब जी में आये तब युद्धघोषणा करके मुसलमानों का वोट लूट ले जाती हैं जैसे उनने आज रेड रोड पर पुलिस समारोह में अपना प्रिय राग अलापा कि बंगाल में अमन चैन है।पहाड़ हंस रहा है और जंगल महल मुस्करा रहा है।कानून व्यवस्था को कोई एकमामला नहीं है।उनकी दलील है कि बंगाल के पुलिस अफसरों को बाइस पदक मिले हैं,तो इस पुलिस की काबिलियत पर शक बदतमीजी है।पुलिसवालों को तो सोनी सोरी की योनी में पत्थर डालने पर भी राष्ट्रपति पदक मिले हैं।सीमाई इलाकों में राजकाज या अपराध कर्म के हिंसामुखर लहूलुहान परिदृश्य बताते हैं कि दीदी कितनी सच कह रही हैं।


रोहित वेमुला के लिए न्याय मांग रहे जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र अनशन पर है और पुलिस की मौजूदगी में संघी मनुस्मृति के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्रों को जमकर धुन रहे हैं और जो एसएफआई देश भर में इस आंदोलन को नेतृत्व दे रही है,उस और तमाम वापपंथियों धर्मनिरपेक्ष ताकतों को खुल्ली चुनौती दे रही है कि विरोध करने की जुर्रत तो दिखाये।एसएप आी बंगाल में है या नहीं,पता नहीं चल रहा है।यह रोहित मामले में एसएफआई रकी क्या भूमिका है,इस बारे में हम अंधेरे में हैं।


राज्य भाजपा के संघी अध्यक्ष ने खुलकर कहा है कि संघ परिवार और भाजपा के कार्यकर्ताओं को खूब मालूम है कि किससे कैसे निबटना है।अब लगता है कि प्रगतिशील बंगाल में भी दाभोलकर,कुलबर्गी पनेसर जैसे वाचाल लोगं की जान की खैर नहीं है क्योंकि वर्गी हमला बेहद तेज है और बंगल की सरकार को वरदहस्त और संरक्षण के सहारे बजरंगी बाहुवली खुलकर मैदान में उतर कर त्रशुल चमकाने लगे हैं।


भास्कर पंडित का दौरा हो चुका है और पंत प्रधान के तमाम सिपाहसालर घूम घूमकर केसरिया कमल रोप रहे हैं।


इसके बावजूद देवी मनुस्मृति को शिकायत है कि हैदराबाद में दलित छात्र की आत्महत्या के मुद्दे पर दीदी वोट बैंक की राजनीति कर रही है।


मनुस्मृति ने कहा, "तृणमूल के नेता डेरेक ओब्रायन दलित छात्र के लिए न्याय की मांग करने हैदराबाद गए। मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि मई 2015 में जब नदिया में एक तृणमूल नेता ने अपने घर में तीन दलितों की हत्या की थी, तो ओब्रायन उनके परिवारों से मिलने क्यों नहीं गए। क्योंकि उनके लिए नादिया में न्याय दिलाने से ज्यादा महत्वपूर्ण हैदराबाद में वोट बैंक तमाशा करना है।"




गौरतलब है कि राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर का दौरा कर छात्रों के साथ मिलकर न्याय की मांग की थी। ईरानी ने कहा कि मालदा में पुलिस थाने को जला दिया गया, लेकिन राज्य सरकार तमाशा देखती रही। इसके अलावा उन्होंने कोलकाता में वायुसेना अधिकारी की परेड रिहर्सल के दौरान गलत दिशा से आती कार की टक्कर से हुई मौत की घटना पर भी तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की।


दीदी का तेवर है कि जमीन पर संघी हलचलों केखिलाफ कि वे चुप रहेंगी।



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors