Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Tuesday, May 31, 2016

इंद्रेश मैखुरी ने लिखा हैःदून विश्वविद्यालय भी छात्र संघर्ष का केंद्र बना हुआ है.

 इंद्रेश मैखुरी ने लिखा हैःदून विश्वविद्यालय भी छात्र संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. 

देहरादून।देश के तमाम विश्वविद्यालय जिस तरह जंग का मैदान बने हुए हैं,उसी तरह देहरादून में स्थित दून विश्वविद्यालय भी छात्र संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. दून विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त कहा गया था कि यह अकादमिक श्रेष्ठता का केंद्र (centre of excellence) होगा. लेकिन एक लम्बे अरसे से,विशेष तौर पर प्रो.वी.के.जैन के कुलपति रहने के दौरान,विश्वविद्यालय अकादमिक श्रेष्ठता के प्रयासों के लिए नहीं बल्कि मनमानेपन, तानाशाही और नियमों को धता बताने वाले आचरण के लिए ही चर्चा में है.

हिमालयी जनता के जनांदोलनों में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने यह जानकारी अपने फेसबुक वाल पर लगायी है।
 इंद्रेश मैखुरी ने लिखा हैः

देश के तमाम विश्वविद्यालय जिस तरह जंग का मैदान बने हुए हैं,उसी तरह देहरादून में स्थित दून विश्वविद्यालय भी छात्र संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. दून विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त कहा गया था कि यह अकादमिक श्रेष्ठता का केंद्र (centre of excellence) होगा. लेकिन एक लम्बे अरसे से,विशेष तौर पर प्रो.वी.के.जैन के कुलपति रहने के दौरान,विश्वविद्यालय अकादमिक श्रेष्ठता के प्रयासों के लिए नहीं बल्कि मनमानेपन, तानाशाही और नियमों को धता बताने वाले आचरण के लिए ही चर्चा में है.
कुलपति के रूप में दूसरा कार्यकाल पाए हुए प्रो.जैन ने इस वर्ष के प्रॉस्पेक्टस में छात्र-छात्राओं पर ऐसे प्रतिबंधों की घोषणा कर दी,जिन प्रतिबंधों की टक्कर की पाबंदियां,बड़े-बड़े तानाशाह नहीं लगा सकेंगे. विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के समूह में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने और उन के सामने बात रखने को अनुशासनहीनता की श्रेणी में डाल दिया गया.छात्र-छात्राओं के विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से पुस्तकों को फोटोस्टेट करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया.धरना,प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध लग जाए,बोलने की आजादी न हो,यह तो हर तानाशाह की दिली तम्मना होती है ,सो दून विश्वविद्यालय और उसके कुलपति जैन साहब ने भी अपनी इस चाहत के तहत धरना,प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया.यहाँ तक मीडिया बुलाना भी एक दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया.आखिर किस बात की पर्देदारी कर रहा है,दून विश्वविद्यालय का प्रशासन कि मीडिया के आने को भी दंडात्मक श्रेणी में रख रहा है?लेकिन दून विश्वविद्यालय के जुझारू छात्र-छात्राओं ने इन तानाशाही फरमानों की चिंदी-चिंदी उड़ा दी और इन अलोकतांत्रिक तथा अवैध प्रतिबंधों के खिलाफ ही आन्दोलन छेड़ दिया.
31 मई को दून विश्वविद्यालय के इन संघर्षरत साथियों को दून विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो.वी.के.जैन के संरक्षण में अयोग्यों को नियुक्त करने की कोशिशों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई.31 मई को स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के अंतर्गत अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के दो पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किया गया था.लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दो पदों के लिए दो ही लोगों को शार्टलिस्ट किया गया .इससे स्पष्ट हो गया था कि एसोसिएट प्रोफेसर के लिए करवाया जा रहा साक्षात्कार "फिक्स मैच" है. चर्चा तो यह भी थी कि जिन दो लोगों को एसोसिएट प्रोफेसर बनाने के लिए दून विश्वविद्यालय 31 मई को साक्षात्कार आयोजित कर रहा है,उन में से एक का चयन अभी कुछ दिन पहले देहरादून में ही स्थित पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भी नहीं हुआ था और जैन साहब उन्ही हजरत को दून विश्वविद्यालय में दो एसोसिएट प्रोफेसरों(जो कि असिस्टेंट प्रोफेसर से ऊपर का पद है) के पदों में से एक पर, नियुक्त करना चाहते थे.बहरहाल,छात्र-छात्राओं ने साक्षत्कार स्थल को घेर लिया.प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों अभ्यर्थियों के दस्तावेजों में भी फर्जीवाडा पाया गया.छात्रों को डराने के लिए पुलिस बुलाई गयी पर छात्र-छात्राओं के प्रतिरोध के सामने दून विश्वविद्यालय प्रशासन को मजबूरों इंटरव्यू रद्द करना पड़ा.
यह दून विश्वविद्यालय के अन्दर चल रहे फर्जीवाड़ा की बानगी भर है.इस तरह की नियम विरुद्ध नियुक्तियां करने वाले और छात्र-छात्राओं के प्रति शत्रुतापूर्ण भाव रखने वाले कुलपति प्रो.वी.के.जैन और उनके दरबारियों को किसी सूरत में एक सार्वजनिक धन से चलने वाले विश्वविद्यालय को तबाह करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए.राज्य सरकार,इस बात को सुने या न सुने,लेकिन दून विश्वविद्यालय के बहादुर छात्र-छात्राओं को ही विश्वविद्यालय को बचाने की लडाई निर्णायक मुकाम तक ले जानी होगी.इस संघर्ष में तमाम वामपंथी, न्यायपसंद और भ्रष्टाचार विरोधी संगठन और व्यक्ति दून विश्वविद्यालय के जुझारू छात्र-छात्राओं के पक्ष में खड़े होंगे.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors