21 जनवरी से रेल किरायों में बढ़ोतरी! संसद के बजट सत्र में भारत की मैंगो जनता के लिए शामत आने वाली है।
उत्तराधिकार टैक्स लगाने की तैयारी।बजट पर रेटिंग संस्थाओं का दबाव बढ़ता जा रहा है।अगस्त तक पूरा होगा पीएसयू का विनिवेश!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
रेल बजट से पहले ही सरकार ने रेल किरायों में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। 21 जनवरी से रेल किरायों में बढ़ोतरी का फैसला किया गया है। रेल मंत्री पवन बंसल का कहना है कि 10 साल से किराया नहीं बढ़ने से रेलवे को भारी नुकसान हुआ है। रेल मंत्री ने सेकंड क्लास और एसी क्लास के रेल किरायों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है।रेल में सफर करना भी महंगा होने वाला है। रेलवे स्टेशन और रेल में मिलने वाले खाने के दाम पहले ही बढ़ा दिए गए हैं।
उपनगरीय रेलवे के सेकेंड क्लास का किराया 2 पैसे प्रति किलोमीटर से बढ़ाया गया है। वहीं गैर उपनगरीय सेकेंड क्लास का किराया 3 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ा दिया गया है।
मेल एक्सप्रेस का सेकेंड क्लास का किराया 4 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ाया गया है। साथ ही स्लीपर क्लास का रेल किराया 6 पैसे प्रति किलोमीटर से बढ़ाया गया है। एसी चेयरकार के किराए में 10 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की गई है।
एसी 3टियर के किराए में प्रति किलोमीटर 10 पैसे की बढ़त की गई है। वहीं एसी फर्स्ट क्लास का किराया 10 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ाया गया है।
रेल मंत्री पवन बंसल के मुताबिक रेलवे का राजस्व बढ़ाने के सभी उपाय किये जा रहे हैं। हालांकि रेल बजट के दौरान रेलवे के किराए में और बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
संसद के बजट सत्र में भारत की मैंगो जनता के लिए शामत आने वाली है। प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार रंगराजन ने अमीरों पर टैस्स लगाने की सलाह दी है, जिसपर अमल कैसे होने वाला है, यह देखने की चीज है।बजट पर रेटिंग संस्थाओं का दबाव बढ़ता जा रहा है और वित्तीय अनुशासन के नाम पर विदेशी पूंजी के लिए सारे दरवाजे खोल देने पर जोर है।योजना व्यय में कटौती तय है।सरकार गार से नाराज निवेशकों को मनाने का हर प्रयास कर रही है जबकि बीमा संशोधन विधेयक और दूसरे लंबित वित्तीय विधेयक पास करके ार्थिक सुधार के दूसरे चरण को लागू करना सरकार का बजटसत्र एजंडा है। इसी बीच सुधारों के लिए ब्रह्मास्त्र असंवैधानिक गैरकानूनी डिजिटल बायोमेट्रिक नागरिकता को नकद सब्सिडी के बहाने वैधता देने का काम शुरु हो चुका है।महंगाई की मार झेल रही जनता को एक बार फिर बड़ा झटका लग सकता है। इस बार न सिर्फ गैस सिलेंडर, डीजल और केरोसिन महंगा होगा बल्कि देश भर में फ्री रोमिंग लागू होने के बाद कॉल महंगी होना तय है। देश भर में कॉल दरें एक रुपया प्रति मिनट हो सकती हैं। स्पेक्ट्रम बिक्री के लिये दूसरे दौर की नीलामी मार्च में शुरू होगी। यह नीलामी मंत्रिमंडल द्वारा 800 मेगाहर्ड्ज बैंड में आरक्षित मूल्य घटाने के निर्णय के बाद होगी। इस बैंड के स्पेक्ट्रम का उपयोग सीडीएम आधारित मोबाइल सेवाओं के लिये होता है।सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह इजाजत मांगी है कि क्या ये कंपनियां मार्च में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी तक अपनी मोबाइल फोन सेवाएं जारी रख सकती हैं?सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जा चुके 122 मोबाइल फोन लाइसेंस से जुड़ी कंपनियां कुछ राहत पाने की उम्मीद कर सकती हैं। इन कंपनियों को अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए कुछ और वक्त मिल सकता है। मार्च 2013 में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी में कंपनियां अधिक-से-अधिक दिलचस्पी दिखाएं।मालूम हो कि बीते साल नवंबर महीने में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में टेलीकॉम कंपनियों ने जीएसएम स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने में कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी।
75 फीसदी से ज्यादा प्रोमोटर होल्डिंग वाली सभी सरकारी कंपनियों का विनिवेश अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा। सरकार ने इसका सेबी को लिखित भरोसा दिया है। सेबी चेयरमैन यू के सिन्हा ने आज एक सेमिनार में ये बात कही।यूके सिन्हा ने कहा कि शेयर होल्डिंग कम करने के मामले में किसी भी कंपनी को छूट नहीं मिलेगी और समय भी नहीं बढ़ाया जाएगा।
यू के सिन्हा के मुताबिक सरकार ने सेबी को अगस्त तक शेयर होल्डिंग कम करने का भरोसा दिया है। सरकार अगस्त तक सभी सरकारी कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी कम करेगी। सरकार सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी तक ले आएगी।
सेबी के नियम के मुताबिक किसी भी कंपनी में प्रोमोटर होल्डिंग 75 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। शेयर होल्डिंग कम करने के लिए सरकारी कंपनियों के लिए अगस्त 2013 की आखिरी तारीख दी गई है। वहीं निजी कंपनियों के लिए जुलाई 2013 की डेडलाइन दी गई है। सेबी ने डेडलाइन बढ़ाने से भी इंकार कर दिया है।
दुनिया के बाजारों की नजर जिस फिस्कल क्लिफ पर टिकी थी वो फिलहाल टल गया है। सीनेट के बाद आज अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने भी फिस्कल क्लिफ को टालने वाले बिल पर अपनी सहमति दे दी।सरकार को बजट में वित्तीय घाटा काबू करने की कोशिशें करनी होंगी क्योंकि इसके बढ़ने की सूरत में जीडीपी ग्रोथ पर दबाव देखा जा सकता है। इसके अलावा सरकार को खर्चों में कटौती करने और टैक्स ना बढ़ाने जैसे उपाय भी करने होंगे जो विकास के लिए अहम कारक हैं। जनवरी में आरबीआई प्रमुख दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। इस पूरे साल में 0.75-1 फीसदी तक के रेट कट देखने को मिल सकते हैं। ऋतु अरोड़ा के मुताबिक मार्च अप्रैल तक बजट और कंपनियों के नतीजों पर बाजार की चाल निर्भर करेगी। हालांकि तीसरी तिमाही नतीजों से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं।अगर जीडीपी ग्रोथ में तेजी आती है और सभी बाजार के अनुकूल रहती हैं तो इस साल निफ्टी में 15 फीसदी की रिटर्न मिल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि एफआईआई निवेश में कमी ना हो और बाजार के फंडामेंटल मजबूत रहें।बजट में सरकार द्वारा खर्चों में कटौती करने के आसार कम नजर आ रहे हैं। राजस्व बढाने के लक्ष्य को लेकर सरकार टैक्स में बढ़ोतरी कर सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीति को और अधिक अनुकूल, तार्किक एवं आसान बनाया गया है।
केंद्र सरकार मार्च तक जनता को महंगाई का कई जख्म दे सकती है। डीजल के दाम डेढ़ रूपए तक बढ़ाए जाए सकते हैं। हर महीने डेढ़ रूपए के हिसाब से तीन महीने में इसका दाम साढ़े चार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह सिलेंडर के दाम हर महीने पचास रूपए तीन महीने तक बढ़ाए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात का पहले ही संकेत दे दिया था। यदि डीजल के दाम बढ़ते हैं तो देश में महंगाई एक बार फिर उफान पर आ जाएगी। क्योंकि डीजल के दाम बढ़ने का असर सब्जी से लेकर दूध तक पर पड़ता है। डीजल का दाम बढ़ने से माला भाड़ा में भी इजाफा हो जाएगा।
आने वाले बजट में सरकार कुछ नए तरह के टैक्स लगा सकती है। सरकार को पैसे की दरकार है और अब वो टैक्स बढ़ाने के उपाय सोच रही हैं। उसकी इस कोशिश के संदर्भ में सुझाव आया है उत्तराधिकार टैक्स का। यानी अगली पीढ़ी को संपत्ति ट्रांसफर करने पर टैक्स लगाया जाए।
कल वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने चुनिंदा अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की। इस बैठक में अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने उत्तराधिकार टैक्स लगाने की सिफारिश की। यानि अगर किसी व्यक्ति को विरासत में पैसे या संपत्ति मिलती है, उस पर सरकार टैक्स लगाए।
हालांकि इस बैठक में ज्यादातार लोगों ने सुपर रिच यानि बहुत पैसे वाले लोगों पर ज्यादा टैक्स लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को आमदनी के दूसरे जरिए तलाशने चाहिए और ऐसे तरीके जिससे टैक्स चोरी की गुंजाइश नहीं हो और इसके लिए उत्तराधिकार टैक्स बहुत सही होगा।
अगले महीने पेश होने वाले बजट में सरकार सिगरेट, बीड़ी और गुटखा जैसे आइटम पर ड्यूटी में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि इनकी कीमत के 70 फीसदी हिस्से के बराबर ड्यूटी लगाई जाए। लेकिन वित्त मंत्रालय अचानक इतनी बढ़ोतरी के पक्ष में नहीं है।सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही, बजट के बाद ये पॉकेट के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है। क्योंकि सरकार तंबाकू से बनने वाले प्रोडक्ट जैसे सिगरेट, बीड़ी, पान, मसाला, गुटखा जैसे आइटम पर ड्यूटी बढ़ा सकती है।स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि तंबाकू से तैयार होने वाले प्रोडक्ट की कुल कीमत में 70 फीसदी हिस्सा टैक्स का हो। चाहे वो एक्साइज ड्यूटी हो या फिर वैट या कोई सेस लगाया जाए। फिलहाल बीड़ी की रिटेल प्राइस में 10 फीसदी और सिगरेट में 38 फीसदी हिस्सा टैक्स का होता है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक तम्बाकू से बनने वाले प्रोडक्ट पर ड्यूटी बढ़ाना एक बेहतर विकल्प है। लेकिन ड्यूटी में अचानक उतनी बढ़ोतरी नहीं की जाएगी जितना कि स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है। इस पर अंतिम फैसला 15 फरवरी तक लिया जाएगा। और अगले महीने पेश होने वाले बजट में इसका ऐलान किया जा सकता है।
तंबाकू वाले प्रोडक्ट्स पर टैक्स बढाने से राजस्व में बढ़ोतरी तो होगी ही और आम लोगों की नाराजगी भी नहीं झेलनी होगी। पिछले बजट में भी सरकार ने सिगरेट, बीड़ी, गुटखा जैसे आइटम पर ड्यूटी में बढ़ोतरी की थी।
इस बार योजना आयोग ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना में सिगरेट, बीड़ी, गुटखा जैसे आइटम पर ड्यूटी में भारी बढ़ोतरी की सिफारिश भी की है। ताकि इससे सरकार को जो आमदनी हो और उसका इस्तेमाल कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की रोकथाम में किया जा सके।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर तम्बाकू वाले प्रोडक्ट की ड्यूटी में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाती है तो बीड़ी की खपत में करीब 9 फीसदी और सिगरेट की खपत में करीब 2.5 फीसदी की कमी आती है।
सरकार द्वारा अनेक अहम आर्थिक सुधारों की घोषणा किए जाने के बावजूद भारत की क्रेडिट रेटिंग (साख) पर अब भी खतरा मंडरा रहा है।वित्त मंत्रालय ने कहा, वह सही रास्ते पर कदम उठा रहा है। राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 5.3 फीसदी पर सीमित रखने में मिलेगी कामयाबी।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय एजेंसी 'फिच रेटिंग्स' ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग पर अपने 'नकारात्मक' आउटलुक को बरकरार रखते हुए उसकी साख को घटाने की धमकी फिर से दी है। फिच ने मंगलवार को यह जिक्र करते हुए भारत में धीमी पड़ती आर्थिक विकास की रफ्तार, लगातार जारी महंगाई के दबाव और अनिश्चित फाइनेंशियल आउटलुक पर चिंता जताई है।वैसे तो फिच के विश्लेषक आर्ट वू ने बीते साल भारत में घोषित किए गए आर्थिक सुधारों को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है, लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए तय किए गए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने को लेकर वह अब भी आश्वस्त नहीं हैं।
फिच के सॉवरेन एनालिस्ट आर्ट वू ने इस आशय की टिप्पणी की है। इससे यही पता चलता है कि फिच द्वारा भारत को मिली 'इन्वेस्टमेंट ग्रेड' रेटिंग को घटाए जाने का खतरा अब भी बना हुआ है। हालांकि, सरकार रेटिंग घटाए जाने की धमकी से कतई परेशान नहीं है।वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे फिच द्वारा भारत की रेटिंग को डाउनग्रेड किए जाने की धमकी से वह चिंतित नहीं है। दरअसल, वित्त मंत्रालय का कहना है कि वह सही रास्ते पर कदम उठा रहा है।यही नहीं, मंत्रालय का यह भी कहना है कि वह राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 5.3 फीसदी पर सीमित रखने में कामयाब रहेगा।
आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव अरविंद मायाराम ने कहा, 'लोग अब भी विश्वास नहीं कर रहे हैं और हमसे पूछ रहे हैं कि क्या हम राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रहेंगे? हालांकि, हम देश की राजकोषीय स्थिति को दुरुस्त करने के लिए तैयार किए गए रोडमैप के अनुरूप कदम उठाते रहेंगे।' उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने के कदम आने वाले वर्षों में भी उठाए जाएंगे।
मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी नीलामी मार्च में होगी। सीडीएमए नीलामी के बारे में उन्होंने कहा कि सभी सर्किलों में 800 मेगाहर्ड्ज बैंड के लिये बोली आमंत्रित की जाएगी।
इस बीच, सूत्रों ने कहा कि ईजीओएम ने सीडीएमए स्पेक्ट्रम मूल्य में 30 से 50 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव किया है और इस बारे में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल करेगा।
सूत्र ने कहा कि मंत्रिमंडल सीडीएमए स्पेक्ट्रम कीमत के बारे में निर्णय करेगा। नीलामी 11 मार्च को शुरू होगी। सरकार पिछले साल नवंबर में हुई सीडीएमए स्पेक्ट्रम की नीलामी करने में विफल रही। उच्च आरक्षित मूल्य के कारण कोई भी इसके लिये बोली लगाने आगे नहीं आया। 1800 मेगाहर्ड्ज बैंड में जीएसएम स्पेक्ट्रम के लिये आरक्षित मूल्य के मुकाबले सीडीएमए स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य 1.3 गुना अधिक था। देश भर के लिये 1800 मेगाहट्र्ज बैंड में 5 मेगाहर्ड्ज स्पेक्ट्रम हेतु आरक्षित मूल्य 14,000 करोड़ रुपये रखा गया था।
पिछली नीलामी में सरकार को स्पेक्ट्रम बिक्री से केवल 9,407 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जबकि इससे 28,000 करोड़ रुपये की आय की उम्मीद की जा रही थी। इसका कारण उच्च आरक्षित मूल्य था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल फरवरी में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में 122 लाइसेंस रद्द कर दिये। इसमें सिस्तेमाल श्याम टेलीसर्विसेज को 21 सर्किलों में मिला लाइसेंस तथा तीन सर्किलों में टाटा टेलीसर्विसेज को मिला लाइसेंस शामिल हैं।
इन कंपनियों के लिये संबद्ध सर्किलों में सेवा में बने रहने के लिये स्पेक्ट्रम लेना जरूरी है। इस मामले में उनका लाइसेंस 18 जनवरी को समाप्त होगा। लेकिन उच्च आरक्षित मूल्य के कारण दोनों कंपनियों ने नीलामी में भाग नहीं लिया।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा कि विश्व में व्याप्त आर्थिक संकट के बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था विकास की ओर अग्रसर है। शर्मा कोच्चि में 11वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर पूर्ण अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी और इसके फलस्वरूप रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति को और भी अधिक तर्कसंगत और अनुकूल बनाया गया है। मंत्री महोदय ने कहा कि राष्ट्रीय निवेश दर 33 से 34 प्रतिशत के आसपास है और 12वीं योजना के अंत तक इसे 36 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ ने कहा कि भारत, विशेषकर, शहरी क्षेत्र में आधारभूत विकास की चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय लगभग 43 करोड़ लोग शहरों में बसते हैं और अगले दशक में यह संख्या बढ़कर लगभग 60 करोड़ हो जाएगी।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहुवालिया ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दीर्घकालिक प्रवाह को प्रोत्साहित करना और भी अधिक फलदायक होगा। इस अवसर पर केरल के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पी के कुन्हालिकुट्टी और फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
साल के अंत तक सभी गांवों में बैंकिंग सुविधा पहुंच जाएगी। सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से कहा है कि वो इस साल के अंत तक हर गांव में बैंकिंग सुविधा पहुंचाए। इसका मकसद जल्द से जल्द पूरे देश में डायरेक्ट नकद सब्सिडी को लागू करना है। सरकार की गेम चेंजर योजना डायरेक्ट कैश सब्सिडी की शुरुआत भले ही आधी अधूरी तैयारी के साथ हुई हो। और 43 की बजाए सिर्फ 20 जिलों में ही योजना शुरू करके सरकार को संतोष करना पड़ा हो। लेकिन आगे ऐसी हालत ना हो इसके लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से कहा है कि वो 31 दिसंबर 2013 तक देश के सभी गांवों तक बैंकिंग सुविधा पहुंचा दे। जिन गांवों की जनसंख्या कम से कम 1,000 है वहां या तो बैंक का ब्रांच हो या फिर बैंकिंग कॉरेसपॉन्डेंड हो। पहले सरकार ने इसके लिए 31 मार्च 2015 की डेडलाइन तय की थी। लेकिन डायरेक्ट कैश सब्सिडी योजना को देखते हुए सरकार चाहती है कि इस लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। पिछले 2 साल में 74,000 से ज्यादा गांवों तक बैंक पहुंच चुके हैं। जबकि करीब 2.5 लाख से ज्यादा गांवों में अभी भी बैंकिंग सुविधा पहुंचना बाकी है। इसके लिए रिजर्व बैंक ने भी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वो जितने भी नए ब्रांच खोले उनमें से 25 फीसदी गांवों में होना जरूरी है।
साथ ही बैंकिंग कॉरेसपॉन्डेंड की भर्ती की शर्तों में भी ढील दी गई है। और 1 लाख बैंकिंग कॉरेस्पॉडेंड नियुक्त किया जाएगा। हालांकि डायरेक्ट कैश सब्सिडी ट्रांसफर में बैंकों की कमी आड़े ना आए इसके लिए सरकार ने 10 लाख किराना स्टोर, 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस, 1.5 लाख फर्टीलाइज सेल्स सेंटर पर माइक्रो एटीएम खोलने का भी लक्ष्य रखा है।
बजट सत्र में पेश होगा खाद्य सुरक्षा बिल
सरकार की योजना
गरीबों को हर महीने 7 किलो चावल, गेहूं या फिर मोटे अनाज देने की गारंटी
3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल और 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं
गरीबों को एक रुपये प्रति किलो की दर से बाजरा देने का प्रावधान
गरीबी रेखा से ऊपर वाले परिवार में हर सदस्य को प्रति महीने 3 किलो अनाज
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल को संसद के बजट सत्र में पेश किये जाने की संभावना है। खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि संसद की स्थाई समिति द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल पर अपनी संस्तुतियों चालू सप्ताह के अंत तक दिए जाने की उम्मीद है।
खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के वी थॉमस ने स्वयं द्वारा लिखित पुस्तक फॉर द ग्रेनर्स के विमोचन के अवसर पर कहा कि संसद की स्थाई समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल में आवश्यक बदलाव किए जायेंगे।
उसके बाद इस विधेयक को कैबिनेट कमेटी में पेश किया जायेगा। खाद्य सुरक्षा बिल में खास बात यह है कि गरीबों को हर महीने 7 किलो चावल, गेहूं या फिर मोटे अनाज देने की गारंटी दी गई है।
गरीबों को 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल, 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और एक रुपये प्रति किलो की दर से बाजरा देने का प्रावधान है। इसके अलावा गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले परिवार के सदस्य को हर महीने 3 किलो अनाज मिलेगा, यह अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से आधी कीमत पर दिया जाएगा।
हालांकि बिल के लागू होने के बाद सरकार के वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी होगी। इससे पहले साल में फूड सब्सिडी बिल 67,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 94,973 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस अवसर पर कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि मेरे पिछले 7-8 वर्ष के अनुभव के अनुसार देश का खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री केरल राज्य से ही होना चाहिए।
प्रो. के वी थॉमस ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जलवायु में हो रहा बदलाव कृषि क्षेत्र के लिए चिंताजनक है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में नारियल का मार्केटिंग सिस्टम ठीक नहीं है। उपभोक्ताओं को जहां ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं वहीं उत्पादकों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है इसलिए इसमें सुधार की आवश्यकता है।
बजट सत्र में आएगा लोकपाल बिल!
सरकार ने बताया कि लोकपाल विधेयक पर संसदीय समिति की अधिकतर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है और संसद के बजट सत्र में यह विधेयक पारित करने के लिए लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने यहां बताया कि संशोधित विधेयक को पहले केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंजूर किया जाएगा और उसके बाद संसद में लाया जाएगा।
नारायणसामी ने कहा कि संसद के बजट सत्र में इसे लाए जाने की संभावना है। समिति के अधिकतर विचारों पर सहमति बन गई है। सरकार की असहमति वाले बिन्दुओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा वह बहुत गौण बिन्दु हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट द्वारा इस पर विचार किए जाने से पहले मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं।
लोकसभा द्वारा 2011 में पारित भ्रष्टाचार निरोधी लोकपाल विधेयक के कई प्रावधानों को राज्यसभा में विरोध का सामना करना पड़ा। इनमें राज्यों द्वारा लोकायुक्तों की नियुक्ति को अनिवार्य बनाने वाले प्रावधान का सबसे कड़ा विरोध हुआ। कई दलों ने कहा कि यह देश की संघीय व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।
विधेयक पर तीखे मतभेद उभरने पर इसे अवर समिति को भेज दिया गया। समिति ने पिछले साल नवंबर में अपनी सिफारिशें उच्च सदन के पटल पर रख दी थीं।
राज्यसभा में लोकपाल विधेयक के पारित हो जाने के बाद इसे फिर से लोकसभा को भेजा जाएगा, ताकि संशोधित प्रारूप को मंजूरी मिल सके।
मार्च तक नए बैंकों को लाइसेंस संभव
बैंक खोलने की योजना बना रही दिग्गज कंपनियों के लिए यह महीना काफी अहम साबित होगा। इस महीने रिजर्व बैंक नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के अंतिम दिशानिर्देश जारी करने जा रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान कुछ नए बैंकिंग लाइसेंस जारी भी किए जा सकते हैं। आर्थिक सुधारों को जारी रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार रिजर्व बैंक पर नए बैंक लाइसेंस जारी करने का लगातार दबाव बनाए हुए है।
सूत्रों के मुताबिक बैंकिंग लाइसेंस के प्रस्तावित नियमों पर वित्त मंत्रालय के विचार इस हफ्ते केंद्रीय बैंक को भेज दिए जाएंगे। इस बारे में पिछले हफ्ते वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अगुवाई में हुई एक बैठक में मंत्रालय के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया गया। रिजर्व बैंक इन सुझावों के आधार पर नियमों को अंतिम रूप देगा। केंद्रीय बैंक की तरफ से नए बैंक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया दो वर्ष पहले शुरू की गई थी। इस बारे में नियमों के मसौदे पर सभी वर्गो के सुझाव भी आ चुके हैं। इसमें हो रही देरी पर वित्त मंत्री पी चिदंबरम सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष के दौरान नए लाइसेंस जारी करने की शुरुआत कर दे ताकि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आर्थिक सुधारों का एजेंडा ठीक तरह से लागू किया जा सके। अंतिम बार वर्ष 2003-04 में निजी क्षेत्र के दो बैंकों यस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को खुदरा बैंकिंग का लाइसेंस दिया गया था। उसके पहले 1993-94 में एकमुश्त 10 बैंकों को लाइसेंस दिया गया था। इनमें से पांच बैंकों का विलय किसी दूसरे बैंक से करना पड़ा। पुरानी गलती से सबक सीखते हुए केंद्रीय बैंक इस बार धीरे-धीरे लाइसेंस जारी करेगा।
इस बार देश की कई दिग्गज कंपनियां बैंक लाइसेंस पाने की कोशिश में हैं। इनमें टाटा समूह की टाटा कैपिटल लिमिटेड, अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की रिलायंस कैपिटल लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो की एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग भी शामिल हैं। इसके अलावा सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआइसी अपनी होम फाइनेंस कंपनी एलआइसी हाउसिंग फाइनेंस, बिड़ला समूह की आदित्य बिड़ला फाइनेंस कंपनी सहित दर्जन भर कंपनियां भी बैंकिंग कारोबार में उतरना चाहती हैं।
नए बैंक के फायदे
1. बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी
2. सेवा की गुणवत्ता बढ़ने से ग्राहकों को मिलेगी तवज्जो
3. गैर-शहरी क्षेत्रों में बैंकों का प्रसार बढ़ेगा
4. आर्थिक सुधारों को मिलेगा बल, निवेशकों में बहाल होगा भरोसा
गैर कॉरपोरेट को लाइसेंस में मिले प्राथमिकता
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद [पीएमईएसी] के चेयरमैन सी रंगराजन ने सुझाव दिया है कि गैर कॉरपोरेट को बैंकिंग लाइसेंस में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे उन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सहूलियत मिलेगी जिन्हें वित्तीय क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव है।
एक इंटरव्यू में रंगराजन ने उम्मीद जताई कि यह संभव है कि मानकों पर खरे उतरने वाले गैर कॉरपोरेट क्षेत्र को आरबीआइ नए बैंकिंग लाइसेंस देने से शुरुआत करे। इसके बाद ही दूसरे आवेदकों पर विचार किया जाना चाहिए। अभी देश में कई तरह के वित्तीय संस्थान हैं जो बैंक खोलने की पात्रता रखते हैं। केंद्रीय बैंक को इनके बारे में फैसला करना चाहिए।
बैंकिंग कानून में संशोधन विधेयक के पिछले महीने संसद सेपास होने के बाद से रिजर्व बैंक नए बैंकिंग लाइसेंस के अंतिम दिशानिर्देश तैयार करने में जुटा है। नए मसौदे के तहत उन्हीं कंपनियों को बैंक खोलने का लाइसेंस मिलेगा जिनका पूंजी आधार न्यूनतम 500 करोड़ रुपये हो और उनका कारोबारी रिकॉर्ड भी बेहतर हो। इसके अलावा जिन कंपनियों या समूहों की 10 फीसद आमदनी रीयल एस्टेट कारोबार या शेयर ब्रोकिंग कारोबार से होती है उन्हें बैंक खोलने की इजाजत नहीं मिलेगी।
बिजनेस के बिगड़ते माहौल से चिंतित रतन टाटा
रतन टाटा को देश में बिजनेस करने के बिगड़ते माहौल की चिंता सता रही है। रतन टाटा ने कहा कि आज देश में बिजनेस का माहौल 1991 से ज्यादा कठिन और जटिल हो गया है।
टाइम मैगजीन को दिए इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा कि जब वो 21 साल पहले टाटा ग्रुप के चेयमरैन बने थे, तब बिजनेस का माहौल इतना कठिन नहीं था। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल में स्थिति और बिगड़ गई है।
रतन टाटा ने कहा कि भ्रष्टाचार से निवेशकों का भरोसा हिलने लगा है, हालांकि उनके मुताबिक भ्रष्टाचार के बावजूद देश ने पिछले सालों में अच्छी तरक्की की थी।
रतन टाटा ने ये माना कि भ्रष्टाचार से तरक्की के लिए सबको एक-समान मौका नहीं मिलता है। 2जी विवाद पर उन्होंने कहा कि अभी ग्रुप को जांच एजेंसियों से क्लीनचिट नहीं मिली है, लेकिन ग्रुप ने इस मामले में कुछ गलत नहीं किया है। उन्होंने ये भी कहा कि टाटा ग्रुप भारत के अलावा अमेरिका और अफ्रीका के बाजार पर ज्यादा ध्यान देगी।
2013 में बाजार नई ऊंचाई पर जाएगा
स्रोत : CNBC-Awaaz
2012 में आई जोरदार तेजी के बाद 2013 में बाजार किस तरह के रिटर्न देंगे इस पर निवेशकों की नजर है। जानकारों का मानना है कि 2013 में 2012 की तरह रिटर्न नहीं मिलेंगे लेकिन बाजार इस साल नई ऊंचाई पर जरूर जा सकता है।
एक्सिस डायरेक्ट के नीलेश शाह का कहना है कि 2012 में बाजार की तेजी 2 कारणो से हुई है। साल की पहली छमाही में घरेलू बाजार काफी सस्ते थे इसलिए बाजार में नया निवेश देखने को मिला। 2012 की दूसरी छमाही में सरकार द्वारा उठाए गए रिफॉर्म के कदमों के चलते निवेशक खुश हुए और बाजार में निवेश देखे गए।
2012 की तरह की तेजी 2013 में देखने को नहीं मिलेगी लेकिन नीलेश शाह का मानना है कि इस साल बाजार अभी तक के सर्वाधिक उच्च स्तर पर जा सकता है। 2012 में करीब 25 फीसदी की तेजी के बाद बाजार के वैल्यूएशन सही स्तर पर आ गए हैं।
नीलेश शाह के मुताबिक 2013 में भी एफआईआई का निवेश जारी रहेगा लेकिन उभरते बाजारों की स्थिति सुधरने से कुछ पूंजी उन बाजारों में भी जा सकती है। 2013 में कंपनियों के नतीजों में सुधार होने और सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए कदमों के आधार पर बाजार में तेजी आ सकती है। 2013 में कंपनियों की कमाई में 8-9 फीसदी की बढ़त का अनुमान है।
जनवरी में आरबीआई द्वारा प्रमुख दरों में कटौती की उम्मीद है लेकिन इसका बाजार को पहले से ही अनुमान है और इसके चलते बाजार जितना ऊपर जाने थे वो चले गए हैं। अब अगर दरों में कटौती होती है तो भी बाजार में ज्यादा उछाल देखनो को नहीं मिलेगा।
नीलेश शाह के मुताबिक वित्त वर्ष 2013 की तीसरी तिमाही में टेलीकॉम कंपनियों की आय में गिरावट की आशंका है और एफएमसीजी, बैंकिंग और फार्मा कंपनियों की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है। तीसरी तिमाही नतीजों के बाद सरकारी बैंको के बजाए निजी बैंकों, एनबीएफसी, फार्मा और एफएमसीजी कंपनियों में निवेश करना चाहिए। निवेशकों को पूरे सेक्टर की बजाए चुनिंदा शेयरों में निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए।
सरकार को रोड, पावर, पोर्ट, टेलीकॉम सेक्टर के प्रोजेक्ट को फास्टट्रैक करना चाहिए जिससे देश की ग्रोथ बढ़ सके और बाजार को फायदा मिल सके।
बजट में सरकार की सोने के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने की योजना है। इस पर नीलेश शाह का मानना है कि अगर सोने पर ड्यूटी ज्यादा बढ़ाई जाती है तो इसकी तस्करी होने का खतरा बढ़ सकता है। सरकार को सोने की ज्वेलरी की मांग कम करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा निवेशकों को सोने के अलावा अन्य आर्थिक संसाधनों जैसे म्यूचुअल फंड, सरकारी बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज, डिबेंचर आदि में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
फाइनस्ट्रीम फाइनेंशियल एडवाइजर्स के डायरेक्टर अमित त्रिवेदी का कहना है कि निकट समय में निफ्टी 5800-6400 के दायरे में कारोबार करता दिखाई देगा। इसके चलते कंपनियों के तीसरी तिमाही नतीजे आने के बाद चुनिंदा शेयरों में निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए।
ऑटो सेक्टर में टाटा मोटर्स में लंबी अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है। कमाई के नतीजे आन के बाद एचयूएल मौजूदा स्तरों के आसपास ही घूमता नजर आएगा। इसके अलावा सिप्ला में निवेश किया जा सकता है। कंपनी की ईपीएस में लगातार बढ़त बनी रहेगी।
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