शोकाकुल हूं क्योंकि मेरे मुख्यमंत्री के पैर के अंगूठे में चोट लग गई है
मैं शोक में डूबा हूं
-अभिरंजन कुमार-
भाइयो और बहनो,
मैं शोक में डूबा हुआ हूं
मुझे इतना ज़्यादा शोक हो गया है कि
नींद नहीं आ रही
खाना नहीं पच रहा
मन बेचैन है
दिमाग ख़राब है।
शोक भुलाने के लिए
प्लेट में भुना हुआ काजू है
मुर्गे की टांगें हैं
और बोतल में शराब है।
शोक मुझे इसलिए नहीं है कि
छपरा में 23 संभावित लाल बहादुर शास्त्रियों को
खाने में ज़हर देकर मार दिया गया।
शोक मुझे इसलिए भी नहीं है कि
बगहा में एक छोटा जलियांवाला बाग बना दिया गया
और पुलिस ने छह लोगों को भून डाला।
इस बात का भी शोक नहीं है मुझे
कि उत्तराखंड की बाढ़ में
बहुत सारे जीते-जागते हंसते-खेलते इंसान
बिल्कुल लाचार मवेशियों की तरह
या यूं कहें कि पत्तों की तरह बह गए
और बहुतों का तो पता भी नहीं चला।
आख़िर इन मौतों का शोक मुझे क्यों होगा?
इन मौतों के लिए तो मेरे राज्य की विधानसभा भी शोकाकुल नहीं है
इन मौतों के लिए तो मेरे राज्य की सरकार भी शोकाकुल नहीं है
इन मौतों के लिए शोक प्रकट करके मैं अपनी गरिमा क्यों गिराऊं?
अपने को छोटा क्यों बनाऊं?
बड़े-बड़े लोग इन छोटे-मोटे लोगों को इंसान की श्रेणी में गिन लेते हैं
यही क्या कम अहसान है उनका?
वरना ये तो कीड़े-मकोड़े हैं
और कीड़े-मकोड़ों की मौत के लिए मैं क्यों शोक-संतप्त होने लगा?
मैं शोकाकुल हूं इसलिए
क्योंकि मेरे मुख्यमंत्री के पैर के अंगूठे में चोट लग गई है।
फ्रैक्चर हो गया है।
चोट भी ऐसी-वैसी नहीं
सीधे बोलती बंद हो गई आठ दिनों के लिए।
सोचिए अंगूठे की वह चोट कितनी भयानक होगी
कि आठ दिनों तक ज़ुबान न खुले।
आगे पीछे गाड़ियों के काफिले
सिक्योरिटी गार्ड्स के तामझाम
और डॉक्टरों की टीम की देख-रेख में
बुलेटप्रूफ कार में बैठकर भी
दो किलोमीटर तय करना मुश्किल हो।
मैं अपने मुख्यमंत्री को ऐसी भयानक चोट लगने के लिए शोकाकुल हूं।
आख़िर मेरा मुख्यमंत्री सही-सलामत रहेगा
तभी तो राज्य में "सुशासन" रहेगा।
विशेष राज्य के दर्जे पर भाषण रहेगा।
ग़रीबों के लिए सड़ा हुआ राशन रहेगा।
बच्चों का मर जाना कौन-सी बड़ी बात है
कि मैं उस पर शोक में डूब जाऊं।
यह भारत देश है
यहां एक बच्चे मरेगा, चार पैदा हो जाएंगे।
और ग़रीब तो ऐसे भी बच्चे पैदा करने में माहिर हैं।
इसलिए अगर मेरे राज्य की विधानसभा
छपरा में 23 बच्चों की मौत पर शोकाकुल नहीं है
अगर मेरे राज्य की सरकार
को बगहा में गोली से छह लोगों की मौत का अफ़सोस नहीं है
तो मुझे क्या पड़ी है ?
अभी मुझे अपने मुख्यमंत्री के पैर के अंगूठे की चोट पर शोक-संतप्त रहने दीजिए
और मारे गए बच्चों का ज़िक्र कर मूड मत ख़राब कीजिए।
- अभिरंजन कुमार
No comments:
Post a Comment