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Sunday, September 6, 2015

प्रयाग पाण्डे लंबे अरसे बाद आज नैनीताल की जड़ से लगे बलियानाले की तरफ जाना हुआ । बलियानाले की लाइनिंग और सुरक्षात्मक कार्यों में पिछले दो - तीन दशकों के दरम्यान करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं ।इस सबके बावजूद बलियानाले के हालात दुरुस्त नजर नहीं आ रहे हैं । इन तमाम सुरक्षात्मक कामों के चलते नाले का भू - स्खलन रुकना तो दूर उल्टा भू- स्खलन का दायरा साल - दर - साल बढ़ता ही जा रहा है । आजाद भारत के इंतजामियां बलियानाले के भू - स्खलन को स्थायी तौर पर रोकने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी गठित करने के बजाय नाले की सुरक्षा के नाम पर मिट्टी - पत्थरों के मानिंद रुपए बहाये जा रहे हैं । तात्कालिक सोच की मौजूदा सियासत के दौर में हुक्मरानों से गंभीर परिणामों की उम्मीद करना भी शायद बेमानी हो ।

प्रयाग पाण्डे 
लंबे अरसे बाद आज नैनीताल की जड़ से लगे बलियानाले की तरफ जाना हुआ । बलियानाले की लाइनिंग और सुरक्षात्मक कार्यों में पिछले दो - तीन दशकों के दरम्यान करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं ।इस सबके बावजूद बलियानाले के हालात दुरुस्त नजर नहीं आ रहे हैं । इन तमाम सुरक्षात्मक कामों के चलते नाले का भू - स्खलन रुकना तो दूर उल्टा भू- स्खलन का दायरा साल - दर - साल बढ़ता ही जा रहा है । आजाद भारत के इंतजामियां बलियानाले के भू - स्खलन को स्थायी तौर पर रोकने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी गठित करने के बजाय नाले की सुरक्षा के नाम पर मिट्टी - पत्थरों के मानिंद रुपए बहाये जा रहे हैं । तात्कालिक सोच की मौजूदा सियासत के दौर में हुक्मरानों से गंभीर परिणामों की उम्मीद करना भी शायद बेमानी हो ।

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