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हिंदी न्यूज़ अपडेट 10.09.15
Dalit Foundation:
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गोपालगंज में स्कूली छात्र की आंख फोड़ी - हिन्दुस्तान
http://www.livehindustan.com/news/bihar/news/article1-story-404-404-493989.html
कन्नौज में दलित युवक की निर्मम हत्या, कुल्हाड़ी गर्दन काटी - गुलिस्तां समाचार
http://newsgulistan.com/lko_detail.aspx/?state=2174#sthash.m5k5Zlzh.dpbs
दलित कार्मिकों को रिवर्ट करने पर अनुसूचित जाति आयोग ने जताई चिंता - हिन्दुस्तान लाइव
'यूपी में लगातार बढ़े हैं दलितों के साथ अपराध' - अमर उजाला
http://lucknow.amarujala.com/feature/city-news-lkw/crimes-against-dalits-rise-in-up-hindi-news-rm/
आरक्षण बचाओ आंदोलन 21 को - नई दुनिया
http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/harda-harda-news-471604
हिन्दुस्तान
गोपालगंज में स्कूली छात्र की आंख फोड़ी
http://www.livehindustan.com/news/bihar/news/article1-story-404-404-493989.html
जिले के बैकुंठपुर थाने के जादोपुर निवासी व मिडिल स्कूल हेमूछपरा के छात्र विजय कुमार मांझी की आंख स्कूल से लौटने के दौरान बुधवार को फोड़ दी गई। बताया गया कि पांचवीं कक्षा का छात्र विजय मध्या? के बाद स्कूल से घर लौट रहा था। इसी बीच आपसी विवाद को लेकर इसी स्कूल के छात्र व बखरी गांव निवासी राजेन्द्र राय के बेटा आलोक कुमार ने उसके साथ मारपीट की और आंख भी फोड़ दी।
परिजनों ने राजेन्द्र राय से जब इसकी शिकायत की तो उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। घायल विजय को पहले पीएचसी में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। लेकिन, डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर होने के कारण सदर अस्पताल रेफर कर दिया। वहां से भी गंभीरावस्था में उसे पीएमसीएच भेजा गया।
इस मामले में विजय के पिता उमेश मांझी ने थाने में आलोक कुमार व राजेन्द्र राय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए कहा है कि विजय की आंख फोड़ दी गई है, जो जीवन मौत से जूझ रहा है। वैसे, स्कूल के हेडमास्टर ने बताया कि घटना स्कूल परिसर की नहीं है।
लेकिन, बाद में उन्हें जानकारी मिली। प्राथमिकी में दलित अत्याचार उत्पीडन एक्ट भी लगाया गया है। थानेदार विजय महतो ने बताया कि दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
गुलिस्तां समाचार
कन्नौज में दलित युवक की निर्मम हत्या, कुल्हाड़ी गर्दन काटी
http://newsgulistan.com/lko_detail.aspx/?state=2174#sthash.m5k5Zlzh.dpbs
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है। भ्र्ष्टाचार के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद है। रिश्वतखोर पुलिस और प्रशसनिक अधिकारी अपराधियों और बाहुबलियों के सामने दुम हिलाते रहते हैं जिसके कारण पीड़ितों को न्याय और अधिकार नहीं मिल रहा है। दिनांक ०८/०९/१५ को उत्तर प्रदेश की पत्नी के क्षेत्र कनौज निवासी बहुजन समाज पार्टी के युवा नेता महेंदर कठेरिया की कुल्हाड़ी से गर्दन काट कर निर्मम ह्त्या कर दी गयी। हत्यारे रजनेश शाक्य ने कठेरिया पर अचानक कुल्हाड़ी से हमला करके गर्दन काट दिया और महेंद्र कठेरिया की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी।
आरोपी पर पहले से कई अपराधी मुकदद्मा चल रहा है और क्षेत्र में काफी रसूक वाला बताया जाता है। घटना स्थल पर निरीह गांव वाले भीड़ लगाये खड़े रहे कि कोई हमारी सहायता के लिए आएगा परन्तुं न पुलिस पहुंची न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी जिसके कारण ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा गया। क्षेत्रवासियों का कहना है जब से समाजवादी सरकार आई तब से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और गरीबों मजदूरों और दलितों का जीवन संकट में है। ग्रामीणों में कहा कि हम मिडिया के माध्यम से प्रशासन से मांग करते है कि जल्द से जल्द आरोपी हत्यारे को गिरफ्तार करके जेल भेजे नहीं तो हमें सड़क उतरना पड़ेगा।
हिन्दुस्तान लाइव
दलित कार्मिकों को रिवर्ट करने पर अनुसूचित जाति आयोग ने जताई चिंता
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन पी.एल.पुनिया ने कहा है कि प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में अदालत के निर्णय की आड़ लेकर जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार अपने दलित कार्मिकों को रिवर्ट कर रही है, वह पूरी तरह असंतोषजनक है। इसी तरह प्रदेश में दलितों के प्रति बढ़ते अपराधों को काबू करने में भी प्रदेश सरकार विफल साबित हो रही है।
श्री पुनिया ने ये बातें बुधवार को यहां आयोग द्वारा अनुसूचित जाति के सम्बंध में उ.प्र.सरकार के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कही। प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रदेश सरकार की नीति के बाबत पूछताछ की तो बताया गया कि एक मंत्री समूह इस मसले पर विचार करने के लिए गठित करने का प्रस्ताव है।
इस पर आयोग ने असहमति जताते हुए एक टेक्निकल कमेटी गठित करने का सुझाव दिया। प्रदेश सरकार ने जल्द ही ऐसी एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया है। श्री पुनिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत उ.प्र. में दलित कार्मिकों को 1997 से पदावनत करने की जो प्रक्रिया चल रही है वह सर्वथा गलत है। अदालत के आदेशों के तहत प्रदेश सरकार 2006 से ही ऐसे कार्मिकों को पदावनत कर सकती है।
श्री पुनिया ने बताया कि इस सम्बंध में उनकी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी बात हुई है और मुख्यमंत्री ने उन्हें इस मसले पर लीगल रिपोर्ट लेने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग केन्द्र से भी इस सम्बंध में एडवाइजरी जारी करने को कहेगा। श्री पुनिया ने स्पष्ट कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के मसले पर उ.प्र.सरकार के हर कदम पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग नजर रखेगा।
अमर उजाला
'यूपी में लगातार बढ़े हैं दलितों के साथ अपराध'
http://lucknow.amarujala.com/feature/city-news-lkw/crimes-against-dalits-rise-in-up-hindi-news-rm/
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने यूपी में तेजी से बढ़ रहे दलित अपराधों पर नाराजगी जताई है। आयोग के अनुसार वर्ष 2012 में यूपी में दलित उत्पीड़न के 6427 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2014 में 9112 मामले दर्ज हुए हैं।
इनमें हत्या, बलात्कार जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं। इसके अलावा बहुत से मामलों में एफआईआर तक नहीं लिखी जा रही है। खुद सरकार ने माना है कि 1500मामलों में कोर्ट के आदेश से प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
आयोग ने बुधवार को आठ साल बाद यूपी की समीक्षा की। इससे पहले सितंबर 2007में सूबे की समीक्षा की गई थी। हालांकि जून 2011 में भी आयोग यूपी आया था,लेकिन तब सरकार ने सूचना उपलब्ध नहीं कराई थी।
आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने बताया कि यूपी में दर्ज मामलों में 3276 में फैसला हुआ है। इनमें से 1772 में अपराधियों को सजा हुई है, जबकि 1504 बरी हुए हैं। न्यायालय में चल रहे वादों को स्पेशल कोर्ट में सुनवाई कर जल्द निपटाने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि यूपी में दलितों की 21 फीसदी आबादी है, लेकिन बीपीएल परिवारों को देखा जाए तो उसका 33 फीसदी दलित परिवार हैं। दलितों के आर्थिक उत्थान के लिए सरकार को काम करना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि जिलों में डीएम व एसपी सुबह 10 से 12 बजे तक दफ्तर में बैठकर समस्याएं जरूर सुनें।
योजना भवन में हुई समीक्षा में समाज कल्याण मंत्री व आला अफसरों के अलावा आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजकुमार वेरका, सदस्य राजू परमार, पीएम कमलम्मा व ईश्वर सिंह आदि मौजूद थे।
नई दुनिया
आरक्षण बचाओ आंदोलन 21 को
http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/harda-harda-news-471604
गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर 25 अगस्त हो हुए आंदोलन के बाद देश-प्रदेश में आरक्षण मुक्त भारत अभियान की शुरूआत हुई है। उधर आरक्षित वर्ग के लोगों ने घोषणा की है कि 21 सितंबर को हरदा जिला मुख्यालय सहित प्रदेश के अन्य जिलों में आरक्षण बचाओ आंदोलन किया जाएगा।
बुधवार को हरदा में आरक्षण के मुद्दे पर दलित और आदिवासी जनसंगठनों की एक बैठक सम्पन्ना हुई। जिसमें 7 जनसंगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता अंबेड़कर विचार मंच के अध्यक्ष लखनलाल ओसले ने की। बैठक में बताया कि दलित और आदिवासी समाज को आरक्षण 1932 में कम्यूनल अवार्ड में प्राप्त दो वोट के अधिकार को छोड़ने के बदले मे मिला था जिसे ''पुना पॅक्ट'' कहा जाता है। बैठक मे सभी संगठनों ने एक साझा मंच बनाया गया जिसका नाम ''आरक्षण बचाओ आंदोलन''रखा गया। जिसमें तय किया कि 21 सितंबर को प्रदेश में इसके लिए सभाएं और आंदोलन रैलियों का आयोजन किया जाना है। बैठक मे गुलाब निशोद, मोहन लखोरे,लखन बामने, दुर्गेश धार्मिक, लक्ष्मन सेलूकर, रामविलास रजान्या, सुखराम बामने,मीराबाई चावड़ा, राजेश सोलंकी, सदाशिव पंवार आदि उपस्थित थे।
ईमानदारी से लागू नहीं
बैठक में कहा गया कि सभी सरकारों ने आरक्षण को ईमानदारी से लागू नही किया गया। जिसका नतीजा यह है कि केवल मध्यप्रदेश मे ही दलित आदिवासी समाज को मिलनेवाले 60 हजार पद बीते 15 सालों से रिक्त हैं। वक्ताओं ने कहा कि जब आरक्षण है तब यह स्थिति है यदि आरक्षण समाप्त किया गया तो आगे क्या होगा? वक्ताओं ने जो लोग आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात करते हैं उन्हें पता कि कितनी आसानी से संपन्ना लोग बीपीएल कार्ड बनाकर लाभ ले रहे हैं। बैठक में कहा कि सबको आरक्षण देना चाहिए, लेकिन सबसे पहले अभी तक का बेकलॉग भरा जाना चाहिए उसके बाद''जिसकी संख्या जितनी भारी, उनको उतनी हिस्सेदारी'' के सिध्दांत पर आरक्षण लागू होना चाहिए। पिछड़े समाज को भी जनसंख्या के अनुपात मे 52 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। इतना ही नहीं इस तरह का आरक्षण जमीन, संपत्ति, उद्योग, व्यापार मे भी लागू हो।
News Monitored by Kuldeep Chandan & Kalpana Bhadra
On behalf of
Dalits Media Watch Team
(An initiative of "Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC")
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