कौन है दोषी उत्तराखण्ड आपदा का
निमंत्रण-पत्र
प्रिय साथी
जैसा कि आप जानते हैं कि उत्तराखण्ड की जनता इस समय बड़ी विपदा की स्थिति में है। 16-17 जून को उत्तराखण्ड में आई तबाही जो अब तक की सबसे बड़ी तबाही है, में हजारों की संख्या में लोग मारे गये और इतनी ही संख्या में लोग हताहत हुए हैं। जो लोग बच गये उनके लिए जीवन बचाने का संकट बना हुआ है।
आपदा से प्रभावित लोगों को जरूरी राहत पहुंचाने के लिए उत्तराखण्ड के मजदूर, छात्र-नौजवान, महिला और अन्य जन-पक्षधर संगठनों ने उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच का गठन किया है और नागरिक अखबार तथा प्रोग्रेसिव मेडिकल फोरम की मदद से आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में व्यापक सर्वे के बाद मेडिकल कैम्प लगाये। मेडिकल कैम्प के साथ ही मंच आपदा राहत कार्यों के लिए लोगों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर जन-हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहा है।
एक महीने से ज्यादा समय आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में कार्य कर 31 जुलाई को मंच की टीमें वापस आईं। टीमों के अनुसार यह हमारी कल्पना से भी बड़ी आपदा है। सरकार बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाने की जरूरत नहीं समझ रही है और चलाये जा रहे राहत कार्य नाकाफी हैं। टीम के अनुसार यदि जन-हस्तक्षेप कर राहत कार्यों को तेज न किया गया तो आपदा में हुई तबाही और अधिक बढ़ जायेगी।
उत्तराखण्ड में हुई आपदा का दोषी कौन है और आपदा राहत कार्यों को जन-हस्तक्षेप कर कैसे तेज किया जाये? इन विषयों पर विमर्श करने के लिए उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच एक संगोष्ठी कर रहा है।
हम सभी साहित्यकारों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकत्ताओं से आह्वाहन करते हैं कि वह इस संगोष्ठी में हिस्सेदारी कर उत्तराखण्ड के आपदा पीडि़तों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए उनके लिए समुचित व न्यायपूर्ण राहत पहुंचाने के प्रयास में साथ आयें।
संगोष्ठी 7 अगस्त, 2013, (बुधवार) सांय 5 बजे से 8ः30 तक गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, आईटीओ दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, दिल्ली।
संयोजक: उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच)
मुख्य वक्ता:-
- पंकज बिष्ट (सम्पादक: समयान्तर)
- आनन्द स्वरूप वर्मा (सम्पादक: तीसरी दुनिया)
- चारू तिवारी (वरिष्ठ पत्रकार)
- बल्ली सिंह चीमा (जन-कवि)
- मुनीष कुमार (सम्पादक: नागरिक)
सादर अभिवादन के साथ
उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच
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