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Thursday, June 5, 2014

मेरठ में नेशनल दुनिया अखबार के न्यूज रूम पर इन दिनों हड़ताली मीडियाकर्मियों का कब्जा है. इन तस्वीरों में मैंने जान बूझकर आंदोलित मीडियाकर्मियों का चेहरा नहीं फोकस किया है. इसलिए कि उनका और अपना मकसद संघर्ष को अंजाम तक ले जाना है, चेहरों को चमकाना या नेतागिरी करना नहीं है.

Yashwant Singh added 3 new photos.
11 hrs · Edited · 
मेरठ में नेशनल दुनिया अखबार के न्यूज रूम पर इन दिनों हड़ताली मीडियाकर्मियों का कब्जा है. इन तस्वीरों में मैंने जान बूझकर आंदोलित मीडियाकर्मियों का चेहरा नहीं फोकस किया है. इसलिए कि उनका और अपना मकसद संघर्ष को अंजाम तक ले जाना है, चेहरों को चमकाना या नेतागिरी करना नहीं है.
पहली तस्वीर में नेशनल दुनिया अखबार के मेरठ आफिस की बिल्डिंग और मेन गेट पर टंगा अखबार की होर्डिंग दिख रही है.
दूसरी तस्वीर में न्यूज रूम के सूनेपन के बीच छिटपुट जारी कामकाज है ताकि अखबार छपता निकलता रहे.
तीसरी पिक्चर में आंदोलित कर्मियों की लड़ने की भावना प्रतिबिंबित करता हुआ एक नारा न्यूजरूम की दीवार पर चिपका है.
संपादक महोदय भाग चुके हैं. बताया जा रहे है कि वो नोएडा में बैठने लगे हैं. सेलरी न मिलने से खुद जनरल मैनेजर नाराज होकर इस्तीफा दे चुके हैं और मेरठ छोड़ चुके हैं. मालिक शैलेंद्र भदौरिया कान में तेल डाले महाचिरकुटई पर उतारू है. चार-चार महीने की सेलरी दबाए बैठा है यह शख्स. सेलरी संकट के कारण किसी मीडियाकर्मी के घर खाने के लाले पड़े हैं तो किसी का मकान मालिक किराया न देने पर सामान फेकने पर उतारू है. किसी की बेटी के इलाज का मामला है तो किसी के बेटे की पढ़ाई जारी रखने के लिए फीस देने की समस्या है.
दो रोज पहले मेरठ मैं गया तो नेशनल दुनिया के आफिस पहुंचा, आंदोलित मीडियाकर्मियों को नैतिक सपोर्ट देने के लिए. वहां न्यूज रूम कब्जाए साथियों ने मेरा दिल खोलकर स्वागत किया. उन लोगों ने पूरे हालात का पूरा वर्णन किया. भड़ास पर पूरे प्रकरण को जोरशोर से उठाने के लिए उन लोगों ने शुक्रिया कहा. आंदोलित साथियों का भड़ास और मेरे प्रति सम्मान भाव देखकर मैं गदगद हो गया. मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि भड़ास हमेशा की तरह आगे भी बड़े बड़े मीडिया घरानों और मीडिया प्रबंधन की ब्रांडिंग करने की जगह उनका बैंड बजाते रहने का काम करता रहेगा. तय हुआ कि जल्द ही शैंलेंद्र भदौरिया के दिल्ली स्थित ह्वाइट हाउस वाले घर के सामने धरना प्रदर्शन फिर आमरण अनशन किया जाएगा, भले ही यह सब करते हुए जेल जाने की स्थिति आए.
मैंने आंदोलित साथियों को उनके साहस के लिए सलाम किया. साथ ही उनसे कहा कि जो लोग दुनिया को न्याय दिलाने के लिए लड़ते हैं, अगर खुद के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ इसी तरह लड़ना शुरू कर दिया तो वो दिन दूर नहीं जब मीडिया समेत अन्य स्तंभों में प्रबंधन व अफसरशाही के गलत कदमों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने का दौर शुरू होगा और इस तरह खुलापन आएगा. संसाधनों पर कब्जा जमाए लोगों को औकात में रखने के लिए उनकी आंखों में आंख डालकर गलत को गलत कहने की आदत डालनी ही होगी.
आप सभी सोशल मीडिया वाले साथियों से अपील है कि नेशनल दुनिया अखबार के मेरठ संस्करण के साथियों की लड़ाई को सपोर्ट करिए और इस अखबार के मालिक शैलेंद्र भदौरिया पर दबाव डलवाइए कि वो अपने इंप्लाइज को सेलरी देकर सम्मान से जीवन जीने का राह प्रशस्त करे. अगर मीडियाकर्मी भूखा रहा तो यह तय बात है कि मीडिया मालिक भी संकट में आएगा, चाहे वह खुद को कितना भी पावरफुल माने. इस धरती पर बड़े बड़े लोगों का अहंकार टूटा है.
नेेशनल दुनिया मेरठ के आंदोलित साथियों ने तय किया है कि वो शैलेंद्र भदौरिया के फ्राड के खिलाफ एक श्वेत पत्र जारी करेंगे और उसे शैलेंद्र भदौरिया द्वारा संचालित कालेजों-विद्यालयों में बड़े पैमाने पर बंटवाएंगे, आनलाइन ब्लाग पोर्टलों सोशल मीडिया माध्यमों पर शेयर कराएंगे ताकि सभी लोग शैलेंद्र भदौरिया की असलियत जान सकें और इसके झांसे में आने से बच सकें. पूरे प्रकरण के बारे में जानने समझने के लिए ये एक लिंक भी है...http://goo.gl/HEdD4O
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