हरियाणा के भगाणा गाँव की चार दलित युवतियों के सामूहिक बलात्कार के मामले में न्याय की मांग को लेकर एक महीने से दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे गांववालों को आज चार जून तडके दिल्ली पुलिस ने जबरन धरने से उठाने के लिए उनका टेंट उखाड़ दिया और दोपहर तक धरना स्थल छोड़ने के लिए धमकी दी.
इसके विरोध में चार जून दोपहर दो बजे प्रदर्शनकारी और उनके समर्थन से दिल्ली के अनेक संगठनों, जिनमें महिला संगठन, दलित संगठनों के कार्यकर्ता, छात्र, शिक्षक आदि शामिल थे, ने संसद मार्ग पुलिस थाने जाकर एक ज्ञापन सौंपने का प्रयत्न किया , जिसमें भगाणा के पीड़ितों के धरने को न हटाने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग थी. लेकिन इस समूह को दिल्ली पुलिस ने थाने के बाहर ही बैरिकेड लगाकर रोक दिया, और उन्हें पुलिस अधिकारियों से मिलने नहीं दिया जा रहा था. ड्यूटी पर तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने हरयाणवी में भगाणा के लोगों से वापस लौट जाने और हंगामा न करने को कहा जिसपर भगाणा की महिलाओं ने विरोध किया और अधिकारियों से मिलने देने की मांग की !
इस बहस के दौरान अचानक पुलिसकर्मियों ने बैरिकेड से प्रदर्शनकारियों को बल प्रयोग द्वारा पीछे खदेड़ना शुरू कर दिया. महिलाओं के गुप्तांगो को छूते हुए उन्हें धकेला गया, इस तरह का उत्पीडन एड. समाजवादी जन परिषद् की दिल्ली सचिव प्योली स्वातिजा, राष्ट्रीय दलित महिला आन्दोलन की सुमेधा बौद्ध, एनटीयूआई की राखी और भगाणा बलात्कार पीड़िताओं की माओं के साथ यह दुर्व्यवहार किया गया. इसके बाद पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी, जिसने अपना नामपट्ट हटा रखा था, बाहर आकर चिल्लाया, ‘अरे ये ऐसे नहीं मानेंगे, लाठी घुसाओ’. जिस पर चार-पांच महिला पुलिसकर्मियों ने आगे आकर प्रदर्शनकारियों पर हमला करते हुएउनके गुप्तांगों में लाठियां घुसाने की कोशिश की, आगे खड़ी महिलाओं ने इसका विरोध और पुलिसकर्मयों से संघर्ष किया, कई पुरुष पुलिसकर्मी भी इस धक्कामुक्की में महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला कर रहे थे.
एक महिला पुलिसकर्मी (सुमन डी) को छोड़कर बाकी सभी पुलिसकर्मियों ने अपने नाम के बैज हटा रखे थे, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि दोषी पुलिसकर्मियों, तथा उस अफसर जिसने यौन हमले का आदेश दिया, को पीड़ितों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है.
समाजवादी जनपरिषद, ने अनेक महिला संगठनों, दलित संगठनों के साथ मिलकर यह मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों, तथा हमले का आदेश देने वाले अफसर को तत्काल निलंबित किया जाए, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच तथा कार्रवाई की जाए.
इस सम्बन्ध में मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत की गयी है तथा आने वाले समय में इस पर आन्दोलन का रास्ता अख्तियार करना होगा, ऐसा समस्त समस्त आन्दोलनकारियों, एवं दलित, महिला संगठनों ने ऐलान किया है.
यह हमला दिखाता है कि किस तरह राज्य एवं केंद्र सरकार, पुलिस एवं प्रशासन, दलितों –गरीबों के शोषण के प्रतिरोध को दबाने के लिए हिंसा और यौन अपराधों का सहारा लेती है. यह सरकार शोषितों- पीड़ितों के साथ नहीं खडी है बल्कि, खुद हत्यारी-बलात्कारी बन गया है. समाजवादी जन परिषद् तमाम न्यायप्रिय लोगों, संगठनों, नागरिकों से अपील करती है कि इस सरकारी दमन का पुरजोर विरोध कर अन्याय के खिलाफ न्याय और समता की लड़ाई में साथ दे.
इसके विरोध में चार जून दोपहर दो बजे प्रदर्शनकारी और उनके समर्थन से दिल्ली के अनेक संगठनों, जिनमें महिला संगठन, दलित संगठनों के कार्यकर्ता, छात्र, शिक्षक आदि शामिल थे, ने संसद मार्ग पुलिस थाने जाकर एक ज्ञापन सौंपने का प्रयत्न किया , जिसमें भगाणा के पीड़ितों के धरने को न हटाने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग थी. लेकिन इस समूह को दिल्ली पुलिस ने थाने के बाहर ही बैरिकेड लगाकर रोक दिया, और उन्हें पुलिस अधिकारियों से मिलने नहीं दिया जा रहा था. ड्यूटी पर तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने हरयाणवी में भगाणा के लोगों से वापस लौट जाने और हंगामा न करने को कहा जिसपर भगाणा की महिलाओं ने विरोध किया और अधिकारियों से मिलने देने की मांग की !
इस बहस के दौरान अचानक पुलिसकर्मियों ने बैरिकेड से प्रदर्शनकारियों को बल प्रयोग द्वारा पीछे खदेड़ना शुरू कर दिया. महिलाओं के गुप्तांगो को छूते हुए उन्हें धकेला गया, इस तरह का उत्पीडन एड. समाजवादी जन परिषद् की दिल्ली सचिव प्योली स्वातिजा, राष्ट्रीय दलित महिला आन्दोलन की सुमेधा बौद्ध, एनटीयूआई की राखी और भगाणा बलात्कार पीड़िताओं की माओं के साथ यह दुर्व्यवहार किया गया. इसके बाद पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी, जिसने अपना नामपट्ट हटा रखा था, बाहर आकर चिल्लाया, ‘अरे ये ऐसे नहीं मानेंगे, लाठी घुसाओ’. जिस पर चार-पांच महिला पुलिसकर्मियों ने आगे आकर प्रदर्शनकारियों पर हमला करते हुएउनके गुप्तांगों में लाठियां घुसाने की कोशिश की, आगे खड़ी महिलाओं ने इसका विरोध और पुलिसकर्मयों से संघर्ष किया, कई पुरुष पुलिसकर्मी भी इस धक्कामुक्की में महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला कर रहे थे.
एक महिला पुलिसकर्मी (सुमन डी) को छोड़कर बाकी सभी पुलिसकर्मियों ने अपने नाम के बैज हटा रखे थे, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि दोषी पुलिसकर्मियों, तथा उस अफसर जिसने यौन हमले का आदेश दिया, को पीड़ितों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है.
समाजवादी जनपरिषद, ने अनेक महिला संगठनों, दलित संगठनों के साथ मिलकर यह मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों, तथा हमले का आदेश देने वाले अफसर को तत्काल निलंबित किया जाए, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच तथा कार्रवाई की जाए.
इस सम्बन्ध में मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत की गयी है तथा आने वाले समय में इस पर आन्दोलन का रास्ता अख्तियार करना होगा, ऐसा समस्त समस्त आन्दोलनकारियों, एवं दलित, महिला संगठनों ने ऐलान किया है.
यह हमला दिखाता है कि किस तरह राज्य एवं केंद्र सरकार, पुलिस एवं प्रशासन, दलितों –गरीबों के शोषण के प्रतिरोध को दबाने के लिए हिंसा और यौन अपराधों का सहारा लेती है. यह सरकार शोषितों- पीड़ितों के साथ नहीं खडी है बल्कि, खुद हत्यारी-बलात्कारी बन गया है. समाजवादी जन परिषद् तमाम न्यायप्रिय लोगों, संगठनों, नागरिकों से अपील करती है कि इस सरकारी दमन का पुरजोर विरोध कर अन्याय के खिलाफ न्याय और समता की लड़ाई में साथ दे.
No comments:
Post a Comment