अभी खतरे में हैं कपकोट के गाँव
16 जून की रात बागेश्वर के कपकोट तहसील में काफी तबाही मची। यहाँ मल्लादानपुर क्षेत्र के पिंडर घाटी में पिंडर नदी में आई भयंकर बाढ़ नदी में बने दर्जनों पुल बहा ले गई। पिंडर का तांडव इतना भयानक था कि इसने अपने किनारे बसे कई गाँवों की बुनियाद तक हिला दी।
पिंडारी ग्लेशियर से निकलने के बाद द्वाली में पिंडर नदी का संगम कफनीगाड़ से होता है। यहाँ दोनों नदियों की बाढ़ ने पैदल रास्ते समेत सारे पैदल पुल ध्वस्त कर दिए। खाती गाँव के पास सुंदरढुँगा गाड़ का भी संगम पिंडर में होता है। यहाँ से पिंडर छोटे-बड़े सभी पुलों को बहा ले गई। मानमति, देवाल, नंदकेसरी, थराली, नारायण बगड़, सिमली आदि स्थानों में भारी तबाही मचाने के बाद कर्णप्रयाग में पिंडर अलकनंदा में मिल गई। पिंडर की बाढ़ से कर्णप्रयाग में पिंडर किनारे के आशियाने व बाजार जलमग्न हो गए थे।
कपकोट तहसील के मल्ला दानपुर में तीन दिन लगातार हुई बारिश से जहाँ एक ओर उफनाई पिंडर ने भारी तबाही मचाई वहीं जगह-जगह भूस्खलन होने से यहाँ बसे दर्जनों गाँवों का आपसी सम्पर्क कट गया। सुंदरढूँगा व पिंडारीग्लेशियर की यात्रा पर गए करीब अस्सी पर्यटक मय गाईड व खच्चरों के फँस गए। उच्चहिमालयी क्षेत्रों में यारसागम्बू के दोहन के लिए गए कई गाँवों के सौ से भी ज्यादा ग्रामीण भूस्खलन से रास्ते बंद होने से वही ंफँसे रह गए। भूस्खलन व आसमानी बिजली की चपेट में आने से सरकारी व ग्रामीणों की लगभग बारह सौ से भी ज्यादा भेड़-बकरियों की मौत हो गई। जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई दो रैसक्यू टीम जब खाती गाँव से आगे नहीं जा सकी तो सेना को बुलाना पड़ा। सेना ने सुंदरढुँगा ग्लेशियर तथा पिंडारी ग्लेशियर मार्गों में दो रेसक्यू टीम बना कर अपना अभियान शुरू किया। इधर 22 जून को बागेश्वर के पिंडारी ग्लेशियर मार्ग में द्वाली में फँसे सभी पर्यटक व गाइड देर रात दूसरे खतरनाक चट्टानी रास्ते से पैदल चलकर खातीगाँव के पास पिंडर नदी के पार पहुँचे। यहाँ सेना ने उन्हें रस्सियों के सहारे से बचा लिया। सुंदरढुँगा में फँसे पर्यटकों को भी दो दिन बाद सेना ने निकाल लिया।
पुलों के बह जाने से अलग-थलग पड़े गाँवों में राशन सहित रोजमर्रा की चीजों की कमी दो हफ्तों तक रही। हैलीकॉप्टर से राशन भेजने की व्यवस्था भी खराब मौसम के चलते कई दिनों तक बाधित रही। कपकोट के विधायक ललित फस्र्वाण पैदल गाँवों का भ्रमण कर जनता को ढाँढ़स बंधाते रहे। यहाँ तक कि वो खुद भी भूस्खलन की चपेट में आकर घायल हो गए थे। मौसम खुलने के बाद हैलीकॉप्टर से कई गाँवों में राशन भेज उन गाँवों में फँसे कई ग्रामीणों को निकाला गया। इस क्षेत्र में पुल बहने से सोराग, बदियाकोट, कुँवारी, किलपारा, जातोली, वाछम आदि गाँवों में लोगों को भारी कठिनाई हो रही है। कुँवारी कपकोट तहसील का अंतिम गाँव है। गाँव की तलहटी में शंभू तथा पिंडर नदी से लगातार कटान होने से पूरा गाँव खतरे में है। ग्रामीण अति संवेदनशील गाँवों को अन्यत्र विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं।
कपकोट क्षेत्र में आपदा का हवाई दौरा करने के बाद बागेश्वर में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने जिलाधिकारी से आपदा से हुए नुकसान की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी को प्रभावित पिंडर घाटी में खाद्यान्न की आपूर्ति के साथ ही स्वास्थ्य टीम भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने तबाह हो चुके पुलों का आंगणन बनाने को कहा। मुख्यमंत्री ने आपदा में पूर्ण क्षतिग्रस्त मकानों को दो लाख, खेत टूटने पर दो सौ रुपये नाली, एक भेड़-बकरी मरने पर तीन हजार रुपये, खच्चर मरने पर बीस हजार रुपया मुआवजा देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने 11 करोड़ रुपये आपदा से हुए नुकसान के लिए स्वीकृत किए।
http://www.nainitalsamachar.in/kapot-villages-are-still-in-danger/
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