ओहो रे वैज्ञानिको.....कहाँ हो रे ! जरा ये बता दो कि बारिश कब होगी ? तुम तो सर्वज्ञ-सर्वशक्तिमान हो रे. मंगल ग्रह तक तुम पहुँच गये. एक मिनट में श्रृष्टि का विनाश करने की ताकत तुम्हारे पास है. पेस्टिसाइड, इंसेक्टिसाइड और जेनेटिक फसलें तैयार कर तुमने खेती का उत्पादन न जाने कितना गुना बढ़ा दिया, अगर उनसे कोई बीमारियाँ पैदा भी हुई हों तो तुमने महंगी दवाइयां बना कर उनका इलाज ढूँढने का दावा ठोंक दिया. तुम्हारी खोजों से भले ही शौचालय न बन पाए हों, मगर मोबाइल तो दरिद्र व्यक्ति के हाथ में भी आ ही गया है.
यहाँ उतरैणी बीत गयी, मगर दो बूँद बारिश नहीं पड़ी. पहाड़ के किसान के माथे पर चिंता की रेखाएँ पड़ने लगी हैं. सामान्य आदमी डरने लगा है कि गर्मियों में पानी भी मिलेगा कि नहीं. पहले के ओझा-गणतुए होते वह उनसे पूछता. मगर उनका तो तुम पिछले 100-150 सालों में वंशनाश कर चुके. अब तुम्हीं उसे तसल्ली दो. आखिर, अब तुम्हीं तो हमारे ईश्वर हो. इतनी कृपा कर डालो भगवन.
यहाँ उतरैणी बीत गयी, मगर दो बूँद बारिश नहीं पड़ी. पहाड़ के किसान के माथे पर चिंता की रेखाएँ पड़ने लगी हैं. सामान्य आदमी डरने लगा है कि गर्मियों में पानी भी मिलेगा कि नहीं. पहले के ओझा-गणतुए होते वह उनसे पूछता. मगर उनका तो तुम पिछले 100-150 सालों में वंशनाश कर चुके. अब तुम्हीं उसे तसल्ली दो. आखिर, अब तुम्हीं तो हमारे ईश्वर हो. इतनी कृपा कर डालो भगवन.
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