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Thursday, November 1, 2012

क्या​ ​ हम नपुंसकों और अंधों के देश में मर मरकर जी रहे हैं?

क्या​ ​ हम नपुंसकों और अंधों के देश में मर मरकर जी रहे हैं?

एक और पर्दाफाश। रिलायंस पर केजरीवाल के खुलासे से कारपोरेट राज की परतें खुलने लगीं तो हिंदुत्व की ताकतें प्रेम प्रसंगों की सनातन कथानक में पंसाने लगी हमें। स्त्री की अस्मिता का सवाल प्रमुख हो गया। भ्रष्ट मंत्रियों की जगह कैमरे का रुख शशि थरूर और नरेंद्र मोदी के निजी जावन की तरफ मुड़ गया। रिलायंस बम फिस्स हो गया इसतरह। और अब जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरुवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर फिर निशाना साधा और नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करने वाली कंपनी के अधिग्रहण पर सवाल खड़े किए। इस कंपनी को कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का ऋण दिया। वहीं, सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोपों को 'पूरी तरह से झूठा, निराधार और मानहानिपूर्ण' बताते हुए राहुल गांधी ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों पर दबाव देखने को मिल रहा है।लेकिन बाकी देश पर इसका क्या असर हुआ? कोलकाता में मीडिया ने तो इस खबर को लगभग ब्लैक आउट कर दिया।यहां हल्दिया उत्सव के तहत सिंगुर और नंदीग्रम प्रतिरोध का मातम मनाया जा रहा है। आनंद बाजार ने रिलायंस की सपाई के साथ भातर खबर दी तो टेलीग्रफ को कोई जगह नहीं मिली इस खबर के लिए। यह है मीडिया का मिशन!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

सत्तावर्ग के भ्रष्टाचार के एक के बाद एक खुलासे के बीच आर्थिक नीतियों के जरिये आम आदमी का आखेट बदस्तूर जारी है। बल्कि​ ​ पर्दाफाश के इस घनघोर बवंडर में नीति निर्धारण और नीतियों के कार्यान्वन की खबरें सिरे से गायब है।ध्यान बंटाने के लिए सनसनी की ​​कोई कमी नहीं है। राजनीतिक वर्ग का जो चेहरा खुलने लगा है, उससे तो हर भारतवासी को या तो मारे शर्म के आत्महत्या कर लेनी ​​चाहिए या फिर क्रोध में इतना पागल हो जाना चाहिए कि खुले बाजार का खुल्ला खेल तुरंत बंद हो जाये। पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। क्या​ ​ हम नपुंसकों और अंधों के देश में मर मरकर जी रहे हैं?समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल के बारे में कहा है कि वह सत्ता के भूखे हो सकते हैं। गुरुवार को उन्होंने कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के सदस्य अरविंद केजरीवाल कभी अमीर नहीं बनना चाहते हों लेकिन ऐसा नहीं है कि वह सत्ता लोभ से बचे रह सकें। अन्ना ने केजरीवाल के एक के बाद एक पर्दाफाश करने के मामलों पर सवाल उठाया। अन्‍ना ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आप एक ही समय पर हर किसी को नहीं पकड़ सकते। आपको हर किसी को एक-एक करके निशाने पर लेना चाहिए। मैंने छह मंत्रियों को इस्तीफा देने पर मजबूर किया और यह सब रणनीति के तहत हुआ। केजरीवाल को भी ऐसा ही करना चाहिए।
अन्‍ना ने केजरीवाल द्वारा सियासी पार्टी बनाने की घोषणा के बाद उनका साथ छोड़ा था। जब अन्‍ना हजारे ने जनलोकपाल विधेयक को लेकर सरकार के खिलाफ मुहिम शुरू की थी, तब केजरीवाल उनके सबसे सक्रिय सहयोगी थे।

एक और पर्दाफाश। रिलायंस पर केजरीवाल के खुलासे से कारपोरेट राज की परतें खुलने लगीं तो हिंदुत्व की ताकतें प्रेम प्रसंगों की सनातन कथानक में पंसाने लगी हमें। स्त्री की अस्मिता का सवाल प्रमुख हो गया। भ्रष्ट मंत्रियों की जगह कैमरे का रुख शशि थरूर और नरेंद्र मोदी के निजी जावन की तरफ मुड़ गया। रिलायंस बम फिस्स हो गया इसतरह। और अब जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरुवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर फिर निशाना साधा और नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करने वाली कंपनी के अधिग्रहण पर सवाल खड़े किए। इस कंपनी को कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का ऋण दिया। वहीं, सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोपों को 'पूरी तरह से झूठा, निराधार और मानहानिपूर्ण' बताते हुए राहुल गांधी ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी।लेकिन बाकी देश पर इसका क्या असर हुआ? कोलकाता में मीडिया ने तो इस खबर को लगभग ब्लैक आउट कर दिया।यहां हल्दिया उत्सव के तहत सिंगुर और नंदीग्रम प्रतिरोध का मातम मनाया जा रहा है। आनंद बाजार ने रिलायंस की सपाई के साथ भातर खबर दी तो टेलीग्रफ को कोई जगह नहीं मिली इस खबर के लिए। यह है मीडिया का मिशन! सरकार ने रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरापों का गुरुवार को खंडन किया। उसने कहा है कि रिलायंस ने यह ब्लॉक खुली अंतरराष्ट्रीय बोली के तहत हासिल किया, नामांकन के आधार पर सीधे इसका आवंटन नहीं किया गया।सरकार ने वर्ष 1999 में नई तेल उत्खनन लाइसेंसिंग पॉलिसी (नेल्प) के तहत केजी डी-6 तथा 23 अन्य ब्लॉक के लिए खुली बोलियां आमंत्रित की थी। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार नेल्प को चार साल तक व्यापक सार्वजनिक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया और इसमें दुनियाभर में अपनाई जाने शर्तों को शामिल किया गया है।केजरीवाल ने नीरा राडिया और अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य की बातचीत का टेप सुनाते हुए दावा किया कैसे कांग्रेस और बीजेपी दोनों रिलायंस की जेब में हैं। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने रिलायंस को 45 हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि यूपीए और पहले की एनडीए सरकार, दोनों ने ही रिलायंस इंडस्ट्रीज को केजी बेसिन में गैस खोजने का कॉन्ट्रैक्ट देने में फायदा पहुंचाया है। इसके अलावा, रिलायंस केजी बेसिन में गैस का प्रॉडक्शन कम करके न केवल सरकार को ब्लैकमेल कर रही है, बल्कि इसके जरिए गैस की कीमत बढ़ाने का दबाव भी डाल रही है।बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने दोहराया कि पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाए गए जयपाल रेड्डी को रिलायंस का विरोध करने का ही खमियाजा उठाना पड़ा। केजरीवाल के मुताबिक, 2006 में पेट्रोलियम मंत्री के पद से मणिशंकर अय्यर को हटाकर मुरली देवड़ा को लाने की वजह भी रिलायंस को फायदा पहुंचाना था। केजरीवाल ने मांग की कि केजी बेसिन का ठेका रद्द कर दिया जाए।केजरीवाल के मुताबिक, साल 2000 में रिलायंस ने एनटीपीसी को बिजली उत्पादन के लिए गैस देने का एक कॉन्ट्रैक्ट किया। इसके मुताबिक, रिलायंस को अगले 17 साल तक 2.34 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से गैस देनी थी लेकिन 2007 में रिलायंस ने कहा कि वे 4.2 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से गैस देंगे। इसका विरोध करने के बजाए प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में बनी जीओएम ने ज्यादा दाम देना मंजूर कर लिया।केजरीवाल ने कहा कि सरकार के रिलांयस को मुनाफा देने की वजह से ही देश में महंगाई बढ़ी है। अगर रिलायंस की गैस के दाम बढ़ाने की मांग मान ली गई तो देश में कई गैस बेस्ड पावर प्लांट बंद हो जाएंगे और बिजली और फर्टिलाइजर की कीमत में जबर्दस्त इजाफा होगा।केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे पहले, कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया और रंजन भट्टाचार्य (अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद) की बातचीत के टेप सुनाए गए। बाद में केजरीवाल ने कहा कि एनडीए की सरकार के दौरान ही रिलायंस को केजी बेसिन में तेल और गैस शोधन का ठेका मिला।

भारत के कॉम्प्ट्रोलर और ऑडिटर जनरल ने बुधवार को रिलायंस के प्रतिनिधियों से मिलने को इनकार कर दिया। उनका कहना था कि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री द्वारा तैयार किया गया मीटिंग का अजेंडा प्राइवेट सेक्टर की इस बड़ी कंपनी के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। आरआईएल पर जांच का जोर देने वाले फेडरल ऑडिटर ने कहा, उन्हें रिलायंस द्वारा आदेश मिलना हरगिज़ बर्दाश्त नहीं होगा। इससे पहले उन्होंने आरआईएल द्वारा कृष्णा गोदावरी बेसिन में गैस फील्ड बनाने के लिए दिखाए गए उसके खर्चों की जांच करने पर जोर दिया था।

रसोई गैस के लिए एक बार फिर ज्यादा दाम देने के लिए तैयार हो जाइए। तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने चारों मेट्रो शहरों में एलपीजी सिलिंडर के दामों में 26.5 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। कमर्शियल गैस सिलिंडर के साथ बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर अब 922 रुपये प्रति सिलिंडर के भाव पर मिलेगा। कीमतों मे ये बढ़ोतरी आज से ही लागू होगी।दिल्ली में अब 14.2 किलोग्राम का एलपीजी सिलिंडर का दाम बढ़कर 922 रुपये, मुंबई में 933 रुपये, चेन्नई में 915 रुपये और कोलकाता में 950 रुपये हो गया है। हालांकि बिना सब्सिडाइज्ड वाला सिलिंडर 399 रुपये में ही मिलेगा। केंद्र सरकार ने सितंबर में ही एक परिवार के लिए 6 सब्सिडाइज्ड सिलिंडर की सीमा हर साल के हिसाब से तय की थी।

सरकार ने रबी मौसम की पांच फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 20 प्रतिशत तक वृद्धि को गुरुवार को मंजूरी दे दी लेकिन मंत्रालयों के बीच मतभेदों के चलते गेहूं के एमएसपी पर फैसला आगे के लिये टाल दिया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने विपणन वर्ष 2013-14 की रबी मौसम की फैसलों के लिये एमएसपी को मंजूरी दे दी, लेकिन गेहूं के मामले में और विचार-विमर्श की जरुरत को देखते हुए फैसला नहीं लिया गया। सीसीईए की बैठक के बाद एक केबिनेट मंत्री ने कहा गेहूं के लिए नये सिरे से केबिनेट नोट जारी किया जाएगा।

स्पेक्ट्रम रिफार्मिंग पर टेलिकॉम कंपनियों को थोड़ी राहत मिली है। एंपावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में ये फैसला किया गया कि पूरे 900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की रीफार्मिंग नहीं होगी। ईजीओएम के फैसले के मुताबिक 2.5 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा स्पेक्ट्रम की रीफार्मिंग होगी। अभी इस फैसले को कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत होगी।बुधवार को टेलिकॉम कमीशन ने सुझाव दिया था कि 2.5 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा या पूरे स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए। रीफार्मिंग के तहत कंपनियों को लाइसेंस रिन्युअल के वक्त मौजूदा स्पेक्ट्रम वापस देना होगा। साथ ही उन्हें 900 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी के बजाए 1800 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम से काम चलाना होगा।

मार्केट रिसर्च व कंसल्टेंसी की एक जानी-मानी फर्म की एक ताजा रिपोर्ट में अनुमान है कि धोखाधड़ी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को बीते वित्त वर्ष में 6,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार इसके चलते सबसे बड़ी मार बैंकों पर पड़ती है। बैंक ही धोखाधड़ी के सबसे आसान शिकार बनते हैं। रिसर्च फर्म अर्नेस्ट ऐंड यंग इंडिया की इस रिपोर्ट 'फ्रॉड इंडीकेटर्स इन इंडिया' में यह निष्कर्ष निकाला गया है। संस्था के अरपिंदर सिंह ने बताया, 'रिपोर्ट के इस संस्करण में हमने पाया कि सूचित धोखाधड़ी मामलों में 61 पर्सेंट भेदिया यानी अंदरूनी जानकारों से जुड़े हैं।'

धीमी पड़ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी मंत्रिपरिषद को तीन सूत्री नुस्खा सुझाया है। प्रधानमंत्री का मानना है कि बुनियादी ढांचे, निर्यात और राजकोषीय संतुलन पर जोर देकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने खास तौर पर इन तीनों क्षेत्रों से जुड़े अपने मंत्रियों को प्रयास तेज करने की सलाह दी।अपनी पूरी मंत्रिपरिषद के साथ बैठक में प्रधानमंत्री का पूरा जोर अर्थव्यवस्था में सुधार पर रहा। सूत्र बताते हैं कि बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा में भी प्रधानमंत्री ने आर्थिक विभागों से जुड़े अपने मंत्रियों को फैसलों की रफ्तार बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने खास तौर पर देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली की मांग और सप्लाई में अंतर को कम करने पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय की स्वतंत्र प्रभार के तौर पर जिम्मेदारी संभालने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रधानमंत्री ने इसके लिए खास हिदायत दी। पीएम ने बैठक के प्रारंभ में ही बताया कि देश मुश्किल आर्थिक हालात से गुजर रहा है और इस परिदृश्य को बदलने के लिए सरकार को फोकस होकर काम करना होगा। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ वित्त मंत्री से राजकोषीय संतुलन को बनाने और वित्तीय घाटा कम करने के उपाय करने को कहा, बल्कि इस लक्ष्य को पाने के लिए वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा से निर्यात बढ़ाने के उपाय तलाशने को भी कहा। हालांकि प्रधानमंत्री का पूरा जोर बुनियादी ढांचे के विकास पर रहा और उन्होंने कहा भी कि इसके लिए सरकार ने 12वीं योजना में एक खरब डालर का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्यात लगातार गिर रहा है और राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटे के लिए सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 5.1 प्रतिशत का लक्ष्य तय किया था। लेकिन पहली छमाही खत्म होते होते यह लक्ष्य 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि अब इस घाटे में और इजाफा न हो। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत की संभावनाओं को लेकर बहुत अधिक नकारात्मक होने की आवश्यकता नहीं हैं। लेकिन हमें इन चुनौतियों से पार पाने के अपने प्रयासों की रफ्तार को दोगुना करना होगा।

राजनीति जब धर्मोन्माद में तब्दील हो और धर्म राष्ट्रवाद जब दिलोदिमाग को कुंद कर दें तब नैतिकता का तकाजा खत्म हो जाता है।​​ रणनीति उजागर होती है।पूंजीवादी देशों में ध्यान बंटाने के लिए महिलाओं के इस्तेमाल के अनेक उदाहरण हैं। आर्य सभ्यता के विजय ​​अभियानों में, अश्वमेध यज्ञ में नारी का कूब इस्तेमाल हुआ। पौराणिक प्रसंग तो ऐसी गाथाओं का कोलाज है। अब खुले बाजार के इस अंधे ​​युग में एक मुश्त उत्तरआधुनिक विकसित पश्चिम और सामंती सनातन भारत के मनुस्मृति दर्शन का अद्बुत समायोजन दीखने को मिल ​​रहा है। मनुष्य की सब्यता जिस उत्पादन प्रणाली के विकास पर निर्भर है, उसे आपने ध्वस्त कर दिया।उत्पादक बहुसंखयक जनता का कत्लेआम हो रहा है या ऐसी परिस्थितियां सुधारों के नाम पर, बायोमैट्रक नागरिकता की आड़ में बाजारू संसकृति के कार्निवाल में गढ़ दी जाती है कि लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो जाये।उपभोक्ता संसकृति में बाजार और कारपोरेट राज के नायकों और प्रवक्ताओं से आप क्या उम्मीद कर ​​सकते हैं?बहरहाल,  राजनीतिक भाषा में क्या कोई लक्ष्मण रेखा होती है-ये सवाल नरेंद्र मोदी के बाद अब दिग्विजय सिंह से पूछा जाए, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने जो लक्ष्मण रेखा लांघी उसे दिग्गी राजा भी लांघ गए। न नरेंद्र मोदी ने एक महिला की प्रतिष्ठा, सम्मान और शख्सियत का ध्यान रखा न दिग्विजय सिंह को एक महिला का नाम लेकर कीचड़ उछालने से परहेज हुआ। मानव संसाधार राज्य मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर को 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड कहकर मोदी तो सुर्खियों में आ गए और अब मोदी को उनकी मिसेज की याद दिला कर दिग्गी राजा मुस्कुरा रहे हैं।दिलचस्प ये है कि ये सारे बयान हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनाव प्रचार के दौरान दिए और लिए जा रहे हैं। हिमाचल की जनता को न सुनंदा पुष्कर से कोई लेना देना है न ही नरेंद्र मोदी की पत्नी से, लेकिन चुनावी भाषणों में तालियां बटोरने के लिए एक महिला के सम्मान की बोली लगाने से हमारे नेता बाज नहीं आते। मोदी ने थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर को पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड करार दिया था। शशि थरूर को कोसते कोसते मोदी उनकी निजी जिंदगी में घुसपैठ कर गए थे।फर्जी मुठभेड़ के दो मामलों में आरोपी गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह करीब दो साल के वनवास के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सारथी बनकर उभरे है। भाजपा कार्यकर्ताओं में तगड़ी पैठ तथा बूथ मैनेजमेंट में महारत के चलते मोदी व भाजपा का उन पर पूरा दारोमदार है। शाह कुख्यात गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख व उसके साथी तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामलों में आरोपी हैं।

दूसरी तरफ,विदेश मंत्री केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की धमकी के बावजूद अरविंद केजरीवाल उनके गढ़ फर्रुखाबाद में जमकर दहाड़े। केजरीवाल ने कहा कि 2014 के चुनावों तक कांग्रेस और सरकार के खिलाफ उनके हमले जारी रहेंगे। जनसभा के बाद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ फर्रुखाबाद से लौट गए। सलमान खुर्शीद ने कुछ दिनों पहले चुनौती दी थी कि वे (अरविंद केजरीवाल) फर्रुखाबाद आएं और वापस जाकर दिखाएं। इस बयान के लिए उनकी बहुत आलोचना हुई थी।लेकिन सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट के खिलाफ गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को फर्रुखाबाद में कांग्रेसियों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। केजरीवाल और उनके समर्थकों ने पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक यहां रैली कर सलमान को अगले चुनाव में वोट नहीं देने की अपील की। केजरीवाल ने कहा कि हम गिने चुने विकलांग लोगों के साथ प्रधानमंत्री जी से मिलने गए। लेकिन वहां पर पुलिस ने हमें गिरफतार कर लिया। जब हमने कारण पूछा तो कहा गया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को खतरा है। केजरीवाल ने मांग की कि ऐसे प्रधानमंत्री को तुरंत इस्‍तीफा दे देना चाहिए, जिसे अपने ही देश के चंद गिने चुने विकलांगों से डर लगता है। लौटने से पहले केजरीवाल ने सलमान खुर्शीद से सीधे पूछा कि वह किसे डराना चाहते हैं। यहां कोई डरने वाला नहीं है। सलमान खुर्शीद के समर्थकों ने कुछ जगहों पर काले झंडे दिखाए। कुल 25-30 आदमी थे। मेरा कहना है कि सलमान खुर्शीद 25-30 आदमियों के बल पर चुनाव कैसे जीतेंगे। उन्‍होंने कहा कि अभी भी हम लोगों को वापस जाने में कुछ घंटे का वक्‍त है। कुछ कर सकते हैं सलमान खुर्शीद तो कर लें। मंच से इतर भी माहौल गरम रहा। दोनों के समर्थकों में झड़प हुई। रैली स्‍थल के आसपास स्‍थानीय कांग्रेस नेताओं ने 'मैं सलमान हूं' लिखी टोपी पहन रखी थी। केजरीवाल की रैली मे शामिल होने जा रहे भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं पर भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया। उन्‍हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। यह घटना कायमगंज इलाके की है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) ने गत दिनों फर्रुखाबाद में प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। इस पर खुर्शीद ने अपने समर्थकों के बीच केजरीवाल को फर्रुखाबाद जाकर लौटने की चुनौती दी थी। इसी कारण केजरीवाल की सभा से पहले सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। केजरीवाल ने खुद हमले की आशंका भी जताई थी। इन सबके मद्देनजर पुलिस ने दोनों पक्षों के 102 समर्थकों को एहतियातन हिरासत में भी लिया था। स्‍थानीय प्रशासन ने फर्रुखाबाद में बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात किए थे। लेकिन इन सबके बावजूद आईएसी और कांग्रेसियों के बीच झड़पें हुईं।

गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के बाद अब सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। वाड्रा पर अरविंद केजरीवाल के खुलासों से पैदा हुई गरमी अभी थमी नहीं थी कि जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने दस्तावेजी सुबूतों के साथ सीधे संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी पर हमला कर सियासी भूचाल ला दिया है। आरोप है कि इन दोनों ने एक निजी कंपनी बनाकर अखबारों की 1600 करोड़ की जायदाद हासिल कर ली है।

सोनिया गांधी और उनके परिवार के खिलाफ वर्षो से विवादास्पद बयान देते रहे स्वामी ने इस बार इन पर कंपनी कानून, आय कर कानून और भारतीय दंड संहिता और निर्वाचन कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। स्वामी के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी ने मिल कर 'यंग इंडिया' नाम की कंपनी बना कर न सिर्फ दिल्ली, लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में अखबार के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध करवाई गई जमीन पर कब्जा कर लिया, बल्कि इस दौरान कई कानूनों का भी जम कर उल्लंघन किया। स्वामी ने इस पूरे मामले में सीबीआइ या गंभीर अनियमितता जांच कार्यालय [एसएफआइओ] की जांच करवाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि वह केजरीवाल की तरह सिर्फ हवा में आरोप नहीं लगाएंगे, बल्कि संबंधित कागजात के साथ अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

राजग में शामिल हो चुके पूर्व सांसद के मुताबिक गांधी परिवार की इस निजी कंपनी ने पिछले साल फरवरी में 'नेशनल हेराल्ड' और 'कौमी आवाज' नाम के अखबार निकालने वाली कंपनी 'एसोसिएट जर्नल्स' [एजेपीएल] को खरीद लिया। स्वामी ने कंपनी रजिस्ट्रार के कागजात पेश कर दावा किया है कि एजेपीएल कंपनी को हासिल करने में बहुत सी अनियमितताएं हुई हैं। इसे कांग्रेस पार्टी की ओर से 90 करोड़ का बिना जमानत का कर्ज दिया गया था, जबकि कानूनन कोई पार्टी किसी कंपनी को कर्ज नहीं दे सकती।

राहुल गांधी की कंपनी ने दिल्ली के आइटीओ के पास अखबार चलाने के लिए दी गई कीमती जमीन पर बने 'हेराल्ड हाउस' को किराए पर दे दिया। पिछले दिनों विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इसी बिल्डिंग में पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन किया, जिसके लिए नई कंपनी को सरकार मोटा किराया दे रही है। यहां तक कि इस कंपनी ने रजिस्ट्रार को दी गई जानकारी में माना है कि कंपनी के शेयर धारकों की बैठक सोनिया गांधी के सरकारी आवास दस जनपथ में हुई। जबकि कानूनन सरकारी आवास का काम किसी व्यावसायिक काम के लिए नहीं किया जा सकता।

यहां तक कि कंपनी ने पिछले साल रजिस्ट्रार के पास अपने शेयर धारकों की जो लिस्ट दी है, उसमें 80 फीसद नाम ऐसे हैं, जिनका काफी पहले निधन हो चुका है। यहां तक कि इसमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और जीडी बिरला तक के नाम शामिल हैं। स्वामी के मुताबिक राहुल पुरानी कंपनी एजेपीएल में भी बड़े शेयर धारक थे, लेकिन चुनाव आयोग को दिए शपथपत्र में उन्होंने इसकी जानकारी छुपा ली।

स्वामी के खिलाफ अदालत जाएंगे राहुल गांधी

सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों का पहली बार गांधी परिवार ने भी सीधा और तीखा प्रतिकार किया है। स्वामी की ओर से लगाए गए आरोपों को आधारहीन और तथ्यहीन बताते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के कार्यालय ने स्वामी के नाम पत्र के जरिये चेताया है कि उनके आरोपों के खिलाफ सभी संभव कानूनी कार्रवाई किए जाएंगे ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो।

कांग्रेस महासचिव की ओर से उनके सहयोगी एस रामाकृष्णन के लिखे इस पत्र में कहा गया है कि स्वामी के आरोप पूरी तरह से दुर्भावना से प्रेरित और गैर-जिम्मेदाराना हैं। लिहाजा इसके खिलाफ कानून में उपलब्ध हर तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि स्वामी जैसे व्यक्ति और उनकी पार्टी जैसा संगठन लिखने और बोलने की स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल न करे।

योजना आयोग चाहता है सरकार नकद सब्सिडी से रियायती सामान के साथ-साथ दूसरे सामान खरीदने की भी छूट दे। साथ ही सरकार ने ये भी साफ कर दिया कि सीधे नकद सब्सिडी की व्यवस्था लागू होने से राशन की सरकारी दुकानें बंद नहीं की जाएंगी।अगर योजना आयोग का सुझाव मान लिया गया तो आप नकद सब्सिडी से साबुन, तेल, सब्जी, दुध जैसे आइटम भी खरीद सकेगें। दरअसल नकद सब्सिडी की व्यवस्था लागू करने के फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि राशन की सरकारी दुकानों को चलाना कितना फायदेमंद होगा। राज्य सरकारों की इस चिंता को दूर करते हुए सरकार ने साफ कर दिया कि राशन की दुकानें बंद नहीं होंगी।सार्वजनिक वितरण प्रणाली आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी। लेकिन राशन की दुकानों को बचाए रखने के लिए नए-नए तरीके अपनाने होंगे। पीडीएस सिस्टम सुधारने के लिए राज्यों के खाद्य मंत्रियों की बुलाई गई बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने एक नया तरीका सुझाया।मोंटेक सिंह आहलूवालिया के मुताबिक राशन के सरकारी दुकानों पर रियायती सामानों के साथ-साथ दूसरे जरूरी सामान भी बेचे जाएं। और लोगों को इस बात की छूट दी जाए कि वो निर्धारित नकद सब्सिडी से चाहें तो गैर-रियायती सामान भी खरीद सकें।हालांकि फूड मिनिस्ट्री ने योजना आयोग के इस सुझाव पर फिलहाल तुरंत फैसला नहीं लिया है। लेकिन खाद्य मंत्रालय इस बात की कोशिश में जुट गया है कि नकद सब्सिडी व्यवस्था शुरू होने के साथ ही राशन की सरकारी दुकानों का कारोबार कैसे फायदेमंद बनाया जाए। इसके लिए दुकानदारों को बेहतर मार्जिन देने जैसे विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।इसके अलावा नकद सब्सिडी की व्यवस्था तुरंत पीडीएस में लागू करने के लिए राज्य सरकारों से जरूरी कदम उठाने को कहा गया है। राशन दुकानों की गड़बड़ी रोकने के लिए एक खास पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। यानि आने वाले दिनों में राशन की सरकारी दुकानों की शक्लों-सूरत बाजार में दिखने वाले आम किराना स्टोर की तरह हो सकती है।

शेयर बाजार ने बुधवार को रिकवरी का जो मूड दिखाया था, वो आज भी जारी रहा। शुरुआत तो हल्की गिरावट के साथ हुई थी, लेकिन 2 घंटे के कारोबार के बाद खरीदारी का माहौल लौटा और सेंसेक्स-निफ्टी हरे निशान में आ गए। कारोबार खत्म होने पर सेंसेक्स करीब 0.25 फीसदी और निफ्टी करीब 0.5 फीसदी बढ़त के साथ बंद हुए। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मिले खराब संकेतों के चलते घरेलू बाजारों में गिरावट नजर आयी। साथ ही एफएमसीजी, ऑयल एंड गैस, मेटल, बैंक और पीएसयू कंपनियों के शेयरों में बिकवाली के दबाव से बाजार टूट गया। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो, पावर और हेल्थकेयर शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिल रही है। हालांकि दिग्गजों की तरह मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में ज्यादा गिरावट हावी नहीं हुई।

बुधवार की ही तरह आज भी छोटे-मझोले शेयरों में दिग्ग्जों के मुकाबले ज्यादा खरीदारी हुई। मिडकैप इंडेक्स 1 फीसदी मजबूत हुआ वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.75 फीसदी की तेजी दिखी। आज बाजार को मजबूती देने वाले सेक्टरों में ऑटो और रियल एस्टेट सबसे ऊपर रहे। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, सरकारी बैंक और मेटल शेयरों ने भी बाजार की बढ़त में अच्छा सहारा दिया। हालांकि एफएमसीजी और ऑयल-गैस शेयरों में आज बिकवाली का दबाव हावी रहा।

इस बीच आखिरकार बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 56 अंक यानि 0.3 फीसदी की मजबूती के साथ 18,561.50 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 25 अंक यानि 0.4 फीसदी की बढ़त के साथ 5,645 पर बंद हुआ।

आज के कारोबार में टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, सिप्ला, आईडीएफसी, विप्रो, पावर ग्रिड, रिलायंस इंफ्रा, एमएंडएम, एक्सिस बैंक और बजाज ऑटो जैसे दिग्गज शेयर 5-2 फीसदी की मजबूती के साथ बंद हुए। इसके अलावा मारुति सुजुकी, हीरो मोटोकॉर्प, जेपी एसोसिएट्स, कोटक महिंद्रा बैंक, पीएनबी, ग्रासिम, एसीसी, टाटा स्टील, बैंक ऑफ बड़ौदा, सीमंस और सन फार्मा 2-1 फीसदी के आसपास बढ़त हासिल कर बंद हुए। हालांकि एचयूएल, ओएनजीसी, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक, गेल, हिंडाल्को और केर्न जैसे दिग्गज शेयर 1.8-0.7 फीसदी टूटकर बंद हुए।

मिडकैप शेयरों में अरबिंदो फार्मा, टाटा ग्लोबल, जिंदल सॉ, पैंटालून रिटेल और दीवान हाउसिंग सबसे ज्यादा 7.3-5.3 फीसदी चढ़कर बंद हुए। हालांकि शॉपर्स स्टॉप, ब्लू डार्ट, हिंद ऑयल, बीएफ यूटिलिटीज और कोरोमंडल इंटरनेशनल जैसे मिडकैप शेयर 4.7-2 फीसदी टूटकर बंद हुए। वहीं स्मॉलकैप शेयरों में फ्लेक्सिटफ इंटरनेशनल, सांघी इंडस्ट्रीज, थंगामाइल, उषा मार्टिन और जेके सीमेंट 17.25-10 फीसदी उछलकर बंद हुए। स्मॉलकैप शेयरों में जायलॉग सिस्टम्स, प्रदीप ओवरसीज, जेएमसी प्रोजेक्ट्स, कल्पतरू पावर और सोम डिस्टिलिरीज सबसे ज्यादा 10-5.7 फीसदी लुढ़ककर बंद हुए।

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