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Tuesday, June 5, 2012

Fwd: Fw: Dargah Ajmer sharif and Hindus ignorance



---------- Forwarded message ----------
From: Mohan Gupta <mgupta@rogers.com>
Date: 2012/6/5
Subject: Fw: Dargah Ajmer sharif and Hindus ignorance
To: S.Poshakwala51@yahoo.com


 
 
Sent: Monday, June 04, 2012 6:52 PM
Subject: Dargah Ajmer sharif and Hindus ignorance
 
                                                                     Dargah Ajmer sharif and Hindus ignorance

www.agniveerfans.wordpress.com/2012/04/08/ajmer-2/

http://truthclub.wordpress.com/2009/07/04/khwaja-muinuddin-chisti-the-real-face/

From: vivek

Khwaja Muinuddin Chisti – the real face

Khwaja Muinuddin Chisti is regarded as foremost preacher of Sufism among Sufis of India. the belief of Akbar , the Mughal emperor that it was his blessings which lead him a son and the heir for the Mughal throne started trend among people for fulfilling wishes by offering prayer at his Mazar. Though people sings more about his miracles but very few are aware of the fact about real stand of last Hindu ruler of our country Prithviraj Chauhan and Khwaja Muinuddin Chisti. Stories have been exaggerated to show Khwaja as mystic with high spiritual powers but truth is non the else. The belief of Khwaja in shariat and support to Muslim invader Muhammad Gori in establishment of Islamic rule in India clearly outlines his inclination towards Islam. We will take few examples from his life which will create doubts in our mind about his so called secular? Stand.

The fawaidu'l –fu'ad says that when Khwaja arrived in Delhi from Lahore seven hundred people (Hindus), besides hamidu'din – din dihlawi, embrace Islam (ref- page 117 vol. 1 a history of Sufism in India –Saiyid Athar Abbas Rizvi).

Khwaja Ajmer visit is mentioned as full of miracles (exaggerated stories). Since Khwaja arrival in Ajmer caused lot of disputes with prithviraj.

1. Reaching there he decided to sit under a tree, but camel keepers ordered him away as the area belonged to the raj.

(The truth was that camels keeping area was Prithviraj army area in which locals were not allowed. A story has been propagated that due to Khwaja wished that none of the camels were able to stand on their legs. It was only when raI's officials came and pleaded for guilty Khwaja made them well. )

2. The Khwaja and his followers moved to a place near the Anasagar Lake. His servants killed a cow and cooked kebabs for him. Some members of the khwaja's party went to Anasagar and the others to Pansela Lake for ablutions. There were one thousand temples on the two lakes. The Brahmans stopped the ablutions and the party complained to the Khwaja. He sent his servant to bring water for his ewer. As soon as the ewer touched the Pansela Lake, all the lakes, tanks and wells around became dry. The Khwaja went to the Anasagar lake temple and asked the name of the idol. He was told it was called Sawi deva. The Khwaja asked whether the idol had talked to them. On receiving a negative reply he made the idol recite kalmia and converted it into a human being, naming it sa'di. This caused a sensation in the town. Prithviraj ordered his Prime Minister Jaipal who was also a magician, to avert the evil influence of the Khwaja. Jaipal proceeded to fight the Khwaja with 700 magical dragons, 1500 magical discs and 700 disciples. The Khwaja drew a circle bringing his party within it under his protection, and succeeded in killing all the dragons and disciples. Pithaura and jaipal begged the Khwaja forgiveness. The Khwaja prayer restored water to the lakes, tanks and wells. A large number of people accepted Islam. Pithaura refused to accept Islam and the Khwaja prophesied he would be handed over to the Islamic army.(ref- ali asghar chisti- jawahir-I faridi , Lahore 1884, pp.155-160 )

(The truth was that This area was considered as sacred by Hindus and killing cow who is also considered as sacred was heinous crime. the visit of Khwaja to Anasagar lake temple caused many controversies as Hindus were not in favor of cow meat eater. second if Khwaja was so powerful then why Muhammad Gori was defeated in first war against Prithviraj Chauhan, it was only in second war and that also along with combined forces of king jaichand, father of prithviraj wife sayogita helped Mohammad Gori Prithviraj lost the war. Rest all stories are myths in which no wise person will belief. )

3. Sheikh nizamuddin-din auliya believed that when Khwaja muinuddin reached Ajmer, India was ruled by Pithaura raI's and his capital was Ajmer. Pithaura and his high officials resented the sheik's presence in their city, but the latter's eminence and his apparent power to perform miracles, prompted them to refrain from taking action against him. A disciple of the khwaja's was in the service of prithviraj rajs. After the disciple began o receive hostile treatment from the rajs, the Khwaja sent a message to Pithaura in favor of the Muslim. Pithaura refused to accept the recommendation, thus indicating his resentment of, the khwaja's alleged claims to understand the secrets of the unseen. When Khwaja mu'inu'd-din heard of this reply he prophesied: "we have seized Pithaura alive and handed him over to the army of Islam." about the same time sultan Muhammad Gori arrived from ghazna, attacked the forces of Pithaura and defeated them. Pithaura was taken alive and thus the khwaja's prophesy was fulfilled.

(Ref- amir khwurd, siyaru'l – auliya, delhi,1885,pp.45-47)

(The above reference is by a renowned Sufi nizamuddin auliya for another Sufi clears their stand for Islam. they are considered as preachers of brotherhood and humanity. the above reference exposes their attitude towards Hindus.)

दरगाह अजमेर शरीफ और हिन्दूयों कि अज्ञानता

डॉ विवेक आर्य

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी की भारत यात्रा का नया शगूफा अजमेर की यात्रा और ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह पर जाकर मन्नत मांगना. इस यात्रा के दो मुख्य पहलु हैं एक राजनैतिक जो इस लेख का विषय नहीं हैं दूसरा धार्मिक जिसमें विशेष रूप से अजमेर की यात्रा हैं.

यह ख्वाजा मुइनुद्दीन चिस्ती जिन्हें गरीब नवाज़ भी कहा जाता हैं कौन थे?

यह इतने प्रसिद्ध कैसे हो गए?

क्या उनकी दरगाह पर जाकर मन्नत मांगने से हिंदुयों का भला होता हैं?

क्या उनकी दरगाह पर मन्नत मांगने वालो की सभी मन्नते पूरी होती हैं?

कहाँ से आये थे?

इन्होने हिंदुस्तान में क्या किया और इनकी कब्र पर चादर चदाने से हमे सफलता कैसे प्राप्त होती हैं?

गरीब नवाज़ का जन्म ११४१ में अफगानिस्तान में हुआ था .गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले , हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करने वाले ,भारत के अंतिम हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान को हराने वाले व जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने वाले मुहम्मद गौरी के साथ भारत में ??शांति का पैगाम?? लेकर आये थे.पहले वे दिल्ली के पास आकर रुके फिर अजमेर जाते हुए उन्होंने करीब ७०० हिन्दुओ को इस्लाम में दीक्षित किया(Ref- page 117 vol. 1 a history of Sufism in India –Saiyid Athar Abbas Rizvi). अजमेर में वे जिस स्थान पर रुके उस स्थान पर तत्कालीन हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान का राज्य था. ख्वाजा के बारे में चमत्कारों की अनेको कहानियां प्रसिद्ध हैं की जब राजा पृथ्वी राज के सैनिको ने ख्वाजा के वहां पर रुकने का विरोध किया क्योंकि वह स्थान राज्य सेना के ऊँटो को रखने का था तो पहले तो ख्वाजा ने मना कर दिया फिर क्रोधित होकर शाप दे दिया की जाओ तुम्हारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा. जब राजा के कर्मचारियों नें देखा की वास्तव में ऊंट उठ नहीं पा रहे हैं तो वे ख्वाजा से माफ़ी मांगने आये और फिर कहीं जाकर ख्वाजा ने ऊँटो को दुरुस्त कर दिया.

दूसरी कहानी अजमेर स्थित आनासागर झील की हैं. ख्वाजा अपने खादिमो के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने एक गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया.कुछ खादिम पनसिला झील पर चले गए कुछ आनासागर झील पर ही रह गए .उस समय दोनों झीलों के किनारे करीब १००० हिन्दू मंदिर थे, हिन्दू ब्राह्मणों ने मुसलमानों के वहां पर आने का विरोध किया और ख्वाजा से शिकायत करी.ख्वाजा ने तब एक खादिम को सुराही भरकर पानी लाने को बोला.जैसे ही सुराही को पानी में डाला तभी दोनों झीलों का सारा पानी सुख गया. ख्वाजा फिर झील के पास गए और वहां स्थित मूर्ति को सजीव कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया.ख्वाजा के इस चमत्कार की सारे नगर में चर्चा फैल गयी. पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधान मंत्री जयपाल को ख्वाजा को काबू करने के लिए भेजा. मंत्री जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर डाली पर असफल रहा और ख्वाजा नें उसकी सारी शक्तिओ को खत्म कर दिया. राजा पृथ्वीराज चौहान सहित सभी लोग ख्वाजा से क्षमा मांगने आये. काफी लोगो नें इस्लाम कबूल किया पर पृथ्वीराज चौहान ने इस्लाम कबूलने इंकार कर दिया. तब ख्वाजा नें भविष्यवाणी करी की पृथ्वी राज को जल्द ही बंदी बना कर इस्लामिक सेना के हवाले कर दिया जायेगा..(Ref- ali asghar chisti- jawahir-I faridi , Lahore 1884, pp.155-160 ) .बुद्धिमान पाठकगन स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं की इस प्रकार के करिश्मो को सुनकर कोई मुर्ख ही इन बातों पर विश्वास ला सकता हैं

निजामुद्दीन औलिया जिसकी दरगाह दिल्ली में स्थित हैं ने भी ख्वाजा का स्मरण करते हुए कुछ ऐसा ही लिखा हैं. उनका लिखना हैं की न चाहते हुए भी ख्वाजा की चमत्कारी शक्तियों के कारण पृथ्वीराज चौहान को ख्वाजा का अजमेर में रहना स्वीकार करना पड़ा. ख्वाजा का एक खादिम जो की मुस्लिम था से पृथ्वीराज किसी कारण से असंतुष्ट हो गया. तब ख्वाजा ने पृथ्वीराज को उस पर कृपा दृष्टि बनाये रखने के लिए कहा जिसे पृथ्वीराज ने मना कर दिया. इस पर ख्वाजा ने भविष्यवाणी कही की कुछ ही समय में पृथ्वीराज को पकड़ कर इस्लाम कि सेना के हवाले कर दिया जायेगा और कुछ समय बाद मुआम्मद गोरी ने आक्रमण कर पृथ्वीराज के राज्य का अंत कर दिया.(Ref- amir khwurd, siyaru'l – auliya, delhi,1885,pp.45-47)

भारत से सदा सदा के लिए हिन्दू वैदिक धर्म का राज्य मिताने वाले ख्वाजा गरीब नवाज़ कि दरगाह पर जाकर मन्नत मांगने वालों से , पूरे देश में स्थान स्थान पर बनी कब्रों पर हर वीरवार को जाकर मन्नत करने वालों से मेरे कुछ प्रश्न हैं-

१.क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि हैं वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती हैं?

२. सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे?

३. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा ३३ करोड़ देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं?

४. जब गीता में श्री कृष्ण जी महाराज ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?

५. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं?

६. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता हैं?

७. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रहीं हैं जो वेदों- उपनिषदों में कहीं नहीं गयीं हैं?

८. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ?

आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा . अगर आप आर्य राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में बता कर उनका अंध विश्वास दूर करे.

इस लेख को इन्टरनेट पर इस लिंक पर पढ़ा जा सकता हैं

www.agniveerfans.wordpress.com/2012/04/08/ajmer-2/

हिन्दुओ को किसी मुस्लिम की मजार पर क्यों नहीं जाना चाहिए और गाजी बाबा की मजार पर तो कतई नहीं, क्यों...पढकर जानिए..

From: swarnimrashtra@gmail.com

हिन्दुओ को किसी मुस्लिम की मजार पर क्यों नहीं जाना चाहिए और गाजी बाबा की मजार पर तो कतई नहीं, क्यों...पढकर जानिए..

हिन्दुओ को मुस्लिमो के मजार पर नहीं जाना चाहिए; इसलिए नहीं की कोई भी मुस्लिम हिंदू मंदिरों में नहीं जाता है हिन्दुओ का दिया हुआ प्रसाद नहीं खाता है, उसका कारन बहुत ही स्पष्ट और सीधा है. कोई भी मुस्लिम कभी भी धर्म पर बहस क्यों नहीं करता है, उसके बहुत गुढ़ रहस्य हैं.

जिन मुस्लिमो के मज़ार पर हिंदू जाते हैं वे असली ईमान वाले मुस्लिम रहे थे जिसका मतलब है की उन्होंने इस्लाम को अक्षरसः माना था. इसका मतलब है की उनके लिए साम-दाम-दंड-भेद से हर काफ़िर (मुख्यतः हिंदू) को तो ईमान वाला (मुसलमान) बनाना चाहिए और यदि इतने पर भी उसकी बुद्धि नहीं खुलती है तो उसे क़त्ल कर दो तथा उसकी संपत्ति और औरतो को लुट लो. जिस आदमी ने जीतेजी सनातनियो (हिन्दुओ) के भले के बारे न सोचकर सिर्फ उसे मिटाने के बारे में ही सोचा, मरने के बाद उसका आशीर्वाद भला कैसे देगा.

गाजी का मायेने होता है वह मुस्लिम जिसने इस्लाम धर्म के प्रचार के रस्ते में आने वाले हर काफ़िर को मिटा दिया हो या सीधे सीधे जिसने हिन्दुओ का क़त्ल करके हिंदुत्व को ही मिटाने का महान काम किया हो. काफ़िर को इमान्वाला बनाने में सफलता कैसे मिली इन गाजियों को, सीधे सीधे नरसंहार किया जाता रहा है, बाबर को भी गाजी की अपाधि दी गयी जिसने अवध के सबसे बड़े अयोध्या के भव्य राम मदिर को हिन्दुओ के नरसंहार के साथ ही मिटा दिया था और इस्लामिक राज्य स्थापित किया था. इसी तरह के सभी गाजी बाबा की मजार पर हिंदू अपने को समृद्ध करने की दुआ मागने जाता है, यही सच्चाई है, इसे जो नकारे. या तो उसे कुछ भी नहीं मालूम है या वह मजबूरी में झूठ बोल रहा है.

इन्ही सच्चाइयो की वजह से हिन्दुओ को कभी भी किसी मुस्लिम की मजार पर नहीं जाना चाहिए क्योकि यदि वह हिंदू परिवार हिंदू बचा रह पाया तो अपने स्वाभिमानी पुरखो के शौर्य के बल पर और उस हिंदू को अपने इन महान पुरखो की समाधी पर जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए नाकि उसके पुरखो को मिटाने वाले जेहादी मुस्लिमो की मजार पर शीश नवाना चाहिए.

यदि आप शिक्षित हैं तो क्षितित होने के लक्षण भी दिखाएँ. और यदि आप ऊपर में लिखी किसी भी बात से असहमत हैं तो उसे अवश्य ही व्यक्त करे जिससे की गलत फहमी का निराकरण किया जा सके. धार्मिक विद्वानों की भी मदद लिया जा सकता है. अपनी टिप्पणी जरुर देवें.

जय भारत,

अयोध्या से संजय कुमार मौर्य

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आपने स्वयं और अपने परिवार के लिए सब कुछ किया, देश के लिए भी कुछ करिये,

क्या यह देश सिर्फ उन्ही लोगो का है जो सीमाओं पर मर जाते हैं??? सोचिये......

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