Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, June 16, 2012

Fwd: श्री ब्रिजेन्द्र नेगी जी क भीष्म कुकरेती क दगड छ्वीं



---------- Forwarded message ----------
From: Bhishma Kukreti <bckukreti@gmail.com>
Date: 2012/6/16
Subject: श्री ब्रिजेन्द्र नेगी जी क भीष्म कुकरेती क दगड छ्वीं
To: kumaoni garhwali <kumaoni-garhwali@yahoogroups.com>


 

श्री   ब्रिजेन्द्र  नेगी  जी क भीष्म कुकरेती क दगड  छ्वीं

 

भीष्म कुकरेती - आप साहित्यौ दुनिया मा कनै ऐन?

- आँखों एथर घटन वली घटनो जोंकू मि समिणी विरोध नि कैर साकु 

 

भी.कु- वा क्या मनोविज्ञान छौ कि आप साहित्यौ  तरफ ढळकेन ?

- घटना घटनी रै और वेकु खुल कई विरोध नि कैर सकण कि टीस मन का एक कूण पर इकठा हूणी रै और मौका मिल्दी साहित्य का रूप मा वव्गाण  बैठ गी

 

भी.कु. आपौ  साहित्य मा आणो पैथर आपौ बाळोपनs     कथगा हाथ च ?

- बलोपन बटी स्कूल का संस्कृतक कार्यक्र्मु मा भाग लीण कु  शौक छा.

 

भी.कु- बाळपन मा क्या वातवरण छौ जु सै त च आप तै साहित्य मा लै ?

- बालपन मा क्वी ख़ास वातावरण नि छा पर फिर्भी स्कूल या गौं मा कै भी काय्रक्रम मा अपणी उपस्थिति दर्ज कराण कु शौक छा.

 

भी.कु. कुछ घटना जु आप तै लगद की य़ी आप तै साहित्य मा लैन !


- पांचवी दर्जा कु बाद मि स्कूल-कॉलेज कु हर संस्कृतक कार्यक्र्मु मा भाग लींदु छा और स्कूल-कॉलेज पत्रिका  खुण लेख ल्याखुदु छा.

 

 

भी.कु. - क्या दरजा पांच तलक s  किताबुं हथ बि च ?

- दर्जा पांच कि किताब्यु कु ता क्वी हाथ नि छा पर दर्जा पांच कु खास महत्वा छा. सबसे पैलि दर्जा पाच मा २६ जनवरी कु कार्यक्रम मा मीथे हेड मास्टर जिल "माँ कि सीख" कहानी सुनाणु कु द्या. मिल कहानी थै अछी तरैयाद काई ताकि मि धारा प्रवाह सुना साकु परन्तु राति पिताजी व्वन बैठी पैल मीते सुणा. मि डौर कु सुणा नि साकू अर फिर मेरी दरवाजा बंद कनवाली "घोलण" से जो पिटे ह्वाई मि आज तक नि भूलू. सुबेर तारो-तजा ह्वेकि मिल कहानी सुणा जैक खूब तारीफ ह्वै. बस वे दिन बटी एथर बड़ना कि ललक हवेग्या.

 

भी.कु. दर्जा छै अर दर्जा बारा तलक की शिक्षा, स्कूल, कौलेज का वातावरण को आपौ  साहित्य पर क्या प्रभाव च ?

- पांचवी दर्जा कु बाद मिल स्कूल-कॉलेज कु हर संस्किर्तिक कार्यक्र्मु मा भाग लीण शुरू कैर द्या. स्कूल-कॉलेज कि हर पत्रिका मा म्यारा लेख जरूर चफ्दा छाई.

 

भी.कु.- ये बगत आपन शिक्षा  से भैराक कु कु  पत्रिका, समाचार किताब पढीन जु आपक साहित्य मा काम ऐन ?

- वे बग्त नोबल पड़नाकु भौत शौक छा जैसे ल्यखना कु तरीका कु पता लगदु छाई. फिर पोस्ट ग्रेजुएट कनकु बाद मिल राजस्थान विश्वविध्यालय बटी पत्रकारिता मा पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा काई ज्यांसे म्यारू लेखन मा सुधार ह्वाई.

 

भी.कु- बाळापन से लेकी अर आपकी पैलि रचना छपण तक कौं कौं साहित्यकारुं रचना आप तै प्रभावित करदी गेन?

- अछा साहित्याकरू कि किताब प्रभावित करदी छाई. जादा तर कोर्स का साहित्यकार ही पड़ना कु मिलदा छाई.

 

 

भी.कु. आपक न्याड़ ध्वार, परिवार,का कुकु  लोग छन जौंक आप तै परोक्ष अर अपरोक्ष  रूप मा  आप तै साहित्यकार बणान मा हाथ च ?

- क्वी ना

 

भी.कु- आप तै साहित्यकार बणान मा शिक्षकों कथगा मिळवाग च ?

- कुछ ना 

 

भी .कु. ख़ास दगड्यों क्या हाथ च /

- ना 

 

भी.कु. कौं साहित्यकारून /सम्पादकु न व्यक्तिगत रूप से आप तै उकसाई की आप साहित्य मा आओ

 - मि हिंदी मा लेख ल्याख्दु छाई. फिर मिल सहारनपुर बटी २-३ साल तक "अन्ज्वाल" गढ़वाली मासिक पत्रिका भी निकाल. ऐ बीच मेरी मुलाकात रमेश पोखिरियल "निशंक" जी से ह्वाई. उल मि तै  विशेषकर गढ़वाली मा ल्याखनाकु  उकसाई.

 

 

भी.कु. साहित्य मा आणों परांत कु कु लोग छन जौन आपौ साहित्य तै निखारण मा मदद दे ?

डा- प्रेमलाल शास्त्री (ग्व़ाड़ी) और शैलान्चली जी 

--

 


Regards
B. C. Kukreti


No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors