अपनी समस्या के लिए,अपनी मुक्ति की लड़ाई आपको ही लड़नी होगी।
दूसरा क्यों लड़ेगा?
हर कोई न पुलिनबाबू है और न शहीदेआजम भगत सिंह।
नेता के भरोसे क्यों हैं?
क्यों नहीं बोलते?
क्यों नहीं लिखते?
अपनी बात खुद क्यों नहीं कहते?
क्यों मूक विधिर नेत्रहीन भिखारी बनकर गुलामी को अपनी जन्दगी मानते हैं?
लड़े बिना आपकी मुक्ति नहीं है।
आपके लिए कोई मसीहा नहीं आएगा।
अवतार भी सिर्फ वध कार्यक्रम के लिए होते हैं और ईश्वर सिर्फ करोड़पतियों के लिए।
गरीबों का कोई धर्म नहीं होता।मेहनत और लड़ाई ही गरीबों का धर्म है।
उनका काम उनका प्रेम और ईश्वर है।
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